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ये आंसू' क्यों '

पांडेजी के परिवार में, दो बेटियां और दो बेटें है, साथ में बुढ़े मां-बाप, कुल मिलाकर आठ सदस्यों का परिवार, भगवान कि दया से सरकारी नौकरी ने, इस परिवार कि छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा किया है, सबको एक साथ लेकर चलना और उनकी इच्छाओं का ख्याल रखना, बहुत बड़ा काम है,

उनकी पत्नी को घर परिवार संभालने में ही पूरा दिन निकल जाता है, अनुराधा उनकी बड़ी संतान है जो

उसकी हंसी, मेरे आंसू

उसकी शब्द को एक भिखारन के लिए संबोधित किया गया है, जिसके चेहरे के हाव-भाव के आधार पर वार्तालाप किया गया है, मेरे यानि मैं, खुद को उससे मन-ही-मन बाते करते हुए, एक घटना को, कहानी के रूप में प्रस्तुत कर रही हूं,..........

मुझे सफर करना बहुत पंसद है, पूरे ट्रेन में मैं अपने लिए खिड़की वाला जगह खोज ही लेती हूं, खिड़की के पास बैठकर किताबे पढ़ना या बाहर के नजारों से बाते करना मेरी आदत है,

आंचल

‘’आंचल कि छांव में हम अपनें को महफूज पाते है, मां का आंचल, भगवान के तरफ से बच्चों को, वरदान के रूप में दिया गया है, कभी भी हमें कोई इस छांव से दूर न करें, इसकी प्रार्थना करते है, फिर भी कब, कहां और कौन सी गलती हो जाती है, कि किसी-किसी को यह छांव नसीब नहीं होता’’

दक्षिण दिशा

हिन्दुओं के कोई भी 'शुभ कार्य ' दक्षिण दिशा कि  ओर मुंह कर के नही करते है, इसके पीछे कारण क्या है, सहि माने में सहि जानकारी की अभाव है,

लेकिन दिक्षण दिशा कि एक कहानी मेरे पास है, जो मै शेयर कर रही हूं,............

ज्ञान………..(अनुभव)

ज्ञान कि खोज में, हम मोटी-मोटी किताबे पढ़ते रहते है, फिर भी अधूरे रह जाते है, किताबों में सिर्फ ज्ञान कि बातें लिखी होती है, सिर्फ पढ़ने से नही होता,उन बातों को अनुभव कर जीवन में उतारना होता है, अनुभव के बिना ज्ञान अधूरा है,

इंतजार ' किसका ' और ' क्यों ?...........

,स्वाती अपने दादा जी कि लाडली है, दादा जी चाहते है कि उनकें जिंदगी में ही स्वाती कि शादी हो जाय ताकि देख सके, इसलिए उन्होंने अपने ही जान-पहचान  में एक अच्छे लड़के का पता लगाते है, और अपने बेटे को खबर करते है कि वो सपरिवार गांव आये, और लड़के को देख ले,

"जीने की कला''

जीने की कला सब को नहीं सब को नही आती, कुछ लोगो के पास जीवन-यापन के सभी साधन  होने के बाद भी  दुःखी रहते है, कुछ लोगो के जिन्दगी में बहुत सी कमी होती है जैसे.. अच्छे रिस्तों कि, पैसे कि, भौतिक साधनों कि,फिर भी खुश रहते है,

सच्चा प्यार

  संगिता सधारण घर कि लड़की है, सादगी उसकी पहचान है, बड़ी मुश्किल से B.A तक कि पढ़ाई कर पाती है, पापा नही होने के कारण उसके ऊपर ही घर कि जिम्मेदारी आ जाती है, छोटा भाई 10 वी का छात्र है, मां दोनों बच्चों और घर कि देखभाल करती है, संगिता के लिए job करना बहुत जरूरी हो गया था,बड़ी मुश्किल से एकप्राइवेट कम्पनी में job मिला है, उसके लिए job पाना, भगवान पाने के समान था, इसी के सहारे वह अपने छोटे भाई को

क्या.....? यहि प्यार है.....

हरएक को, कभी-न-कभी, किसी-न-किसी, से प्यार हुआ रहता है, क्योंकि प्यार अपने 'मधुर एहसास'

से किसी को अनछुआ नही रहने देता, यह ऐसा एहसास है जिसको छिपाया नही जा सकता,

प्यार "चांद और चांदनी जैसा "

चांद हमारी जिंदगी का हिस्सा है, जब बच्चा छोटा रहता है और अपनी हट { जींद} के कारण रोता है तो चुप होने का नाम नहीं लेता, तब उसकी मां उसे मनाने के लिए चांद का ही सहारा लेती है, बच्चे से कहती है कि.....चांद उसका मामा है, चंदामामा उसके लिए खिलौना लायेगे, प्यारी सी दुल्हनियां लायेगे, चांद घर से निंदिया रानी परी बन कर आयेगी और लोरी गाकर  सुलायेगी, तु जल्द से खाना खा ले, नही तो चंदामामा नाराज हो जायेगे