Stories

'भाभी' बनी दुल्हन

“आंखों से जब, आंसुओं की जल-धारा निकलती है, तो गालों को छुती हुई, ओंठों तक पहुंचती है, तब हमे उन्हें पीना आ जाता है, जब धारा तेज होती है और पीने की क्षमता से बाहर होती है, तो टप-टप करके. धरा पर गिरती हुए, इतनी कष्टदायी होती है कि' धरती माता ' तक का सीना चीर देती है”

मां (एक अलग रूप में)

"माँ" शब्द भी मां के समान पूज्यनीय है, सारी दुनियां स्वार्थी हो सकती है पर मां नही,सबसे बड़ा सुख है अपने बच्चे के मुख से' माँ 'सुनना, इसपर स्वर्ग का खुश भी निछावर है, ये बात हमसब जानते है पर , मेरी ये कहानी मां के एक अलग रूप को दर्शती है, सच को सामने रखना, मेरा उद्देश्य है, किसी के दिल को ठेस लगे तो क्षमा करे,

"काश" मेरा जन्म होता

मैं स्वाती हूं, यह नाम मेरे मम्मी-पापा ने बड़े प्यार से रखा है,'स्वाती' एक नक्षत्र है, जिसका पानी साल में एक बार धरती को नसीब होता है, जिसका इंतजार चकोर पक्षी से लेकर, सीप, केले का पेड़ और सर्प तक करता है, इस जल कि ऐसी विशेषता है कि सीप से मिलकर मोती, केले के पेड़ से मिलकर कपूर, सर्प से मिलकर उसकी ताकत बिष बनाता है,चकोर के लिए तो इसका जल अमृत समान है, वह जब भी जल ग्रहण करता है इसी स्वाती नक्षत्

खुद को 'माफ' नही कर सकती

मैं 40 साल की हो गई हूं, लोग मुझे देखकर तरह-तरह कि बातें करते है, हंसते हैकिअभी तक शादी नही हुई, पुरूषों को छोड़ो, यहां तो औरतें जो मेरे हम उम्र किहै, उनका अपना परिवार और बच्चें है, उन्हे मेरा त्याग नही दिखता, जब एक औरत दुसरी औरत कि भावनाओं को नहीं समझती, तो कोई और क्या समझेगा, फिर किससे और क्या कहना.......?

"बेटियाँ" दिल के करीब होती है

बेटी अपनी मां की छाया होती है, सपना होती है, पहचान होती है, फिर भी ऐसी कौन सी मजबूरी होती है, जिसके कारण खुद मां अपनी गर्भ में पल रहे बेटी की हत्या कर रही है, हत्यारन मां खुद से कैसे नजर मिलाती होगी, मां के इजाजत के बिना, कोई भी डाक्टर, उसके गर्भ के शिशु को नष्ट नही कर सकता, ये बात और है कि मां ने इजाजत दी कैसे.......?

जिंदा 'दिल'

जिंदगी क्या है और कितनी अनमोल है, यह समझनें के लिए अस्पताल से बेहतर जगह हो ही नही सकती, जहां हर सेकेंड पर जिंदगी और मौत आमने-सामने खड़ी होती है,

" पहला प्यार "

मोहिनी, जैसा नाम वैसी ही खुबसूरती, हर सुख-सुविधा की आदि, खुशमिजाज लड़की है, उम्र से बड़ी तो हो रही है, पर बचपना जाने का नाम नही, वो XI की छात्रा है, एक दिन उसकी सहेली अनु ने उसे एक ख़त दिया...........

मोहिनी........ये कैसा खत है,

अनु.......मुझे नहीं पता, मेरे घर के पास रहने वाला मुकेश ने दिया और कहा... तुम को दे,

मोहिनी....... मुकेश,कहि वो तो नही, जो हमारे साथ पढ़ता था,

"आग" में घी डालना

आग में घी डालना एक " अवगुण " है, इस अवगुण के कारण कितने घर बर्बाद हुए है, इतिहास गवाह है....... 'शकुनी मामा' ने महाभारत के युद्ध में, आग में घी डालने, का काम अच्छी तरह से किया है, दासी मंथरा, भी इस अवगुण से भरी हुए के कारण बदनाम है,

"कलयुग के एक सच्ची घटना को, आपके सामने रख रही हूं, जिसमें इस अवगुण के कारण.....रिश्तें बदनाम हो गये"

प्यार और दोस्ती

प्यार और दोस्ती, एक ही सिक्कें के दो पहलु है, अगर प्यार चित (head) है तो दोस्ती पट (Tail), जिस प्रकार एक सिक्का टकसाल से तब बाहर भेजा जाता है यानि सहि साबित किया जाता है, जब उस सिक्के के चित और पट दोनों ही हो,

अगर किसी कारण से चित या पट कोई भी नही छप पाया तो उसे खोटा सिक्का करार दिया जाता है, केवल चित होने से नही चलेगा या केवल पट होने से भी नही चलेगा,

इतनी 'लापरवाही' ठिक नही

बच्चें भगवान की तरफ से दिये गये ' उपहार 'है, ये उपहार उन्हें ही मिलती है, जिन पर इनकी कृपा होती है, या जो इनके उपहार कि कद्र करता है,

हमें उतने ही उपहार स्वीकार करनी चाहिए, जितनी कि हम कद्र कर सकते है, या रक्षा कर सकते है, यानि जिम्मेवारी उठा सकते है, जब हम दो है (पति-पत्नी ) तो एक-एक कि जिम्मेवारी से ज्यादा, हमे उपहार नही लेनी चाहिए,