मोहन लाल किसी गांव में व्यापारी था, उसके छोटे से परिवार में उसकी पत्नी, दो बेटी और एक प्यारा सा कुत्ता था, बाढ़ के कारण परिवार दैनियं अवस्था में आ गय़ा मोहन लाल को कमाने के लिए शहरं जाना पड़ा,
मैने अनुभव किया है कि इधर की दुनियां उधर हो सकती है, लेकिन बहु को कभी भी बेटी का प्यार नहीं मिल सकता, न तो सास कभी मां बन सकती है, इस सास-बहु के ताने-बाने में पूरे घर का महौल खराब हो जाता है,
मैं ,यह शब्द जितना छोटा है., इसका मतलब उतना ही उलझा हुआ है, इसलिए शायद ही कोई" मै" को पहचान पाया है, हम सब,सब के बारे में कुछ य़ा बहुत कुछ जानते है, लेकिन मैं यानि ख़ुद के बारे मे,सहि मायने में कुछ नही जानते, न ही जानते की कोशिश करते है ........
किसी गांव मे ममता नाम कि घोनसारिन{अनाज भुन कर जिविका चलाने वाली} रहती थी, एक दिन अपने 5 महिने के बच्चे को लेकर जंगल के पास लकड़ी चुनने गयी थी, उसने अपने बच्चे को पत्ता पर सुला कर टोकरी से ढक दिया और लकड़ी चुनने में लग गई,