दक्षिण दिशा

दक्षिण दिशा

हिन्दुओं के कोई भी 'शुभ कार्य ' दक्षिण दिशा कि  ओर मुंह कर के नही करते है, इसके पीछे कारण क्या है, सहि माने में सहि जानकारी की अभाव है,

लेकिन दिक्षण दिशा कि एक कहानी मेरे पास है, जो मै शेयर कर रही हूं,............

एक कपड़े  बेचने वाला व्यापारी था, अपने व्यसाय के कारण उसे चारों ओर जाना पड़ता था, इसलिए उसे हर दिशा कि ओर वहां कि लोगों कि जानकारी थी, सोहन उस व्यापारी का एकलौता लड़का होने के कारण बहुत ही लाड़-प्यार से आलसी औरआराम पसंद बन चुका था,

व्यापारी उसके इस व्यवहार से बहुत चिंतित रहता था, सोहन को समाजिक ज्ञान भी न था, उसे कोई भी आसानी से मुर्ख बना सकता था, लाख चिल्लाने के बाद भी सोहन ने पिता के साथ जगह-जगह घुमकर व्यापार कि शिक्षा नही ली,

एक दिन अचानक सोहन कि तबियत इतनी खराब हुई कि डाक्टर ने जबाब दे दिया कि.... अब कुछ दिनों के मेहमान है, 'दिल का दौरा' पड़ने के कारण शरीर का आधा हिस्सा काम करना बंद कर दिया है, अब सोहन पर घर चलाने का भार आ गया, जो कि उसके बस का नही था,

कुछ दिनों बाद सोहन के पिताजी का स्वर्गवास हो गया, परेशान सोहन क्या करे, क्या न करे,सोचने लगा, वह पिता जी का व्यापार को फिर से शुरू कर दिया, पर उस काम को भी ठिक से नही कर पा रहा था, वह अपने पिताजी को याद करने लगा तो उसे याद आया कि .... उन्होंने दक्षिण दिशा में व्यापार के लिए जाने से मना किया था

Human nature...... जिस काम करने के लिए, हमारे माता- पिता मना करते है,

                               हमारा दिल उस काम को करने के लिए,बेचैन करता है,

सोहन ने भी वहि किया,कपड़ों कि गोढ़री बांध कर घोड़े पर सवार, किस्मत को आजमाने दक्षिण दिशा कि ओर निकल गया, चलते-चलते उसे ऐसा लगा कि वह रास्ता भटक गया है, इसलिए मैदान  में खेलते बच्चों से पूछा ......फुलवरियां गांव जाने का रास्ता कौन सा है, बच्चों ने कहा...... हम शर्त पर बतायेगे, जब आप हमें ढेर मिठाई देगें, सोहन ने कहा..... ठिक है हम देगें,

जब बच्चों ने रास्ता बता दिया तो सोहन 2 किलो मिठाई खरीद कर बच्चों को देने लगा, बच्चों ने कहा...... नही ढेर चाहिए, सोहन ने 3 किलो देना चाहा, बच्चों ने कहा.....हमे ढेर मिठाई चाहिए, सोहन गुस्साते हुए कहा.....कितना किलों चाहिए, बच्चों ने फिर वहि कहा.....हमे नही पता, पर  हमे ढेर चाहिए, नहीं तो हम तुम्हारे ऊपर, वादा से मुकरने का' केंस ' कर देगें, नाराज सोहन ने कहा.... जाओ  केंस कर दो,

बच्चों ने सोहन पर केंस कर दिया, केंश कि सुनवाई 7 दिन बाद कि थी, बेचारा सोहन परेशान होनें के कारण कुछ सोचता हुआ, गांव कि ओर चलना शुरू किया, चलते-चलते उसने देखा कि एक नदी के किनारे कुछ बगुले मछिलयों को खाये जा रहे हैं, उसे यह देख कर अच्छा नही लगा, वहां से बगुलों को भगाने के लिए एक छोटा सा कंकड उठा कर नदी की ओर फेंका,दुर्भाग्य से एक बगुले को लग जाती है,और बगुला बेहोश हो जाता है, बाकी भाग जाते है, सोहन बेहोश बगुले को देखने के लिए नदी के किनारे पहुंचा, तब तक एक मछुवारा वहां आ चुका था,

सोहन को देखते ही मछुवारा जोर-जोर से रोते हुये कहने लगा...... तुमने मेरे मामा को मारा है, इसके इलाज के लिए 1000 रु दो, सोहन ने कहा....... क्या, बगुला तुम्हारा मामा कैसे हो सकता है, मैंने भगाने के लिए कंकड फेके थे, अनजाने मे लग गया, मछुवारा........मैं नही जानता,1000 रू दो, नही तो मैं केस कर दुगा, सोहन...... ये पागलों का गांव है, जाओ तुम भी केंस कर दो, महुवारे ने केंस कर दिया,

बेचारा सोहन और परेशान रहने लगा, गांव भी नजदिक आने वाला था, उसने सोचा दाड़ी बनवा लेते है फिर गांव में चलते है, रास्ते में एक नाऊ के दुकान पर जाता है, और नाऊ से कहता है कि उसके बाल और दाड़ी बना देगा तो कितना रु लेगा, नाऊ......लोगों से 30 रू लेते है, आप तो हमारे गांव के मेहमान है, आप को क्या बोले आप खुस कर दिजियेगा, सोहन ने सोचा लोगो से 30 लेता है,मैं.40- 50 दे दुंगा खुस हो जायेगा

दाड़ी बनावाने के बाद सोहन 40 रू देने लगा, नाऊ......नहीं, सर आप मुझे खुस कर दिजिये, सोहन......50 रू देने लगा, नाऊ..... नही, सर आप मुझे खुस कर दिजिये, सोहन.... कितना में खुस होगे, नाऊ.....आप मुझे खुस कर दिजिये,नही तो हम राज दरबार में केंस कर देगे, इस बार सोहन चिल्लाते  हुए कहता है.....जाओ जो करना है कर लो, नाऊ सोहन पर केंस कर देता है,

"अब सोहन पर तीन केंस हो चुका है, उसे बंदी बना कर राजा के सामने पेश किया गया, तीनों केंस करने वाल भी आये थे,1... बच्चों का आरोप था कि  उन्हें ढेर मिठाई नही दिया,2... मछुवारे का आरोप था कि सोहन ने उसके मामा को मारा,3.... नाऊ का आरोप था कि उसे खुश नहीं किया गया, राजा ने सब कि बातों को विस्तार पूर्वक सुनने के बाद सोहन से कहते है...... तुम पर आरोप है, तुम्हे अपने आप को आरोप मुक्त करना होगा, ये तुम कैसे करोगे तुम जानों, वर्ना कल कि सुनवाई में सजा के लिए तैयार रहना "

एक दिन का वक्त देकर दरबार समाप्त होता है, सोहन को अपने बचाव के लिए रास्ता ढुढ़ने के लिए छोड़ दिया जाता है, सोहन उस राज्य मेें घुमते हुए पता लगा रहा था कि कैसे यहां के लोग और उनके विचार है, एक बुढ़ियां से बात करने से पता चला कि यहां कि रानी बहुत बुद्धिमान है, उसके पास हर सवाल का जबाब होता है, सोहन के मन में एक उपाय आता है और वह रात को राजमहल में छिप कर राजा-रानी कि बातों को सुनता है, उसे अपने  बचाव का रास्ता मिल जाता है, सुबह होने के पहले वह बाजार जा कर 2 जगह मिठाई ले लेता है

10 बजे से दरबार लगता है, आरोपी सोहन को बुलाया जाता है,1st ..... बच्चों ने कहा उन्होंने ढेर मिठाई देने का वादा किया था, सोहन एक थैले में 1kg, और एक थैले में 2kg, मिठाई ले कर आया रहता है, दोनों थैलो को सामने रखते हुए बच्चों से पूछता है... कि किस थैले में ढेर मिठाई है, बच्चों ने 2kg वाले थैलेे को कहा कि इममे ढेर है, सोहन कहता है.....ले लो अपना ढेर मिठाई, इस तरह बच्चों का केंस समाप्त होता है,

राजा ने कहा.....दुसरा केंस पेश किया जाय, महुवारा कहता है..... इन्होने मेरे बगुला मामा को मारा है, सोहन कहता है.... महाराज, इनके मामा मेरी मछली नानी को खा रहे थे, तो मैं अपनी नानी को बचानें के लिए कंकड मार कर भगा रहा था, अनजाने में लग गया, क्या मैं अपनी नानी को नही बचाऊं, महराज ने कहा....... तुम ने कोई गलत नही किया, केंस समाप्त.......

3rd  केंस पेश किया गया, नाऊ का आरोप था कि सोहन ने उसे खुश नही किया, सोहन कहता है...... महाराज से मिलने उनकी बहन आने वाली है ये खबर सुन कर  तुम्हे  खुशी मिली या नही, नाऊ कहता है....... मैं सुनकर बहुत खुश हुआ, सोहन ने 1kg वाला मिठाई का थैला देते हुुए कहा, जाओं मैनें तुम  खुश किया, तीसरा  केंस भी समाप्त

"इस तरह सोहन को रिहाई मिल जाती है और उसे समझ में आता है कि दुनियादारी किसे कहते है"