इंतजार ' किसका ' और ' क्यों ?...........

इंतजार ' किसका ' और ' क्यों ?...........
,स्वाती अपने दादा जी कि लाडली है, दादा जी चाहते है कि उनकें जिंदगी में ही स्वाती कि शादी हो जाय ताकि देख सके, इसलिए उन्होंने अपने ही जान-पहचान में एक अच्छे लड़के का पता लगाते है, और अपने बेटे को खबर करते है कि वो सपरिवार गांव आये, और लड़के को देख ले,
गांव पर स्वाती के चचेरी बहन कि शादी है, उसी शादी में जाना है, इसलिए स्वाती के पिताजी सपरिवार गांव पहुंच जाते है, दादा जी ने अपने बेटे से कहा .......कि वो स्वाती के लिए लड़का देखे हैं, जो कि बराती में लड़के वालों के तरफ से आने वाला है, तुम सब उसे देख लेना, उसका नाम 'अनुराग' है और स्वाती को भी दिखा देना, सब ठिक हुआ तो रिस्ता पक्का कर दिया जायेगा,
जब रात को बारात आती है, तो चारों तरफ धूम-धाम लगा हुआ है, सब कोई सजनें- सजानें में लगा हुआ है, सभी व्यस्त है, स्वाती कि फुआ उसे साड़ी पहनाने में लगी है, स्वाती साड़ी पहनना नही चाहती, घर वालों कि मर्जी के कारण उसकी फुआ उसे pink रंग कि साड़ी पहना देती है,14 साल कि स्वाती खुद को संभाले या साड़ी को, इसिलए वह नाराज है, स्वाती 7वीं कक्षा कि छात्रा है, आज से पहले कभी साड़ी नहीं पहना है, पर क्या करे बड़ो कि बात माननी पड़ी,
बारात आ चुका है, अनुराग भी बराती में आया है, वह सफेद शर्ट और सफेद पैंट पहना हुआ है, हाथ में कैंमरा लिया है और फोटों ले रहा है,18 साल का अनुराग किसी हिरो से कम नही लग रहा हैै, घर कि अधिकांश महिला छ्त से बारात देख रही है, स्वाती कि फुआ उसे भी छ्त पर ले जाती है और अनुराग को दिखाती है,
फुआ............ सफेद शर्ट, पैंट में कैमरा लिए हुए जो दिख रहा है, वहि है अनुराग,
स्वाती............मैं क्या करू,
फुआ........... उसे ठिक से देख ले,
स्वाती......... क्यो ?
फुआ........... तेरे दादा जी ने तेरी शादी के लिए उसे पसंद किया है,
स्वाती......... किसने कहा कि मैं शादी करना चाहती हूं,
फुआ...........तुझ से पूछ कर तेरी शादी होगी
स्वाती........ तो किससे पूछ कर होगी,
फुआ.......... सवाल बंद कर उसे अच्छा से देख ले, फिर ये न कहना कि तुमनें देखा नही,
स्वाती........ देखने से क्या होता है, इसमें गुण क्या है,
फुआ.........बहुत धनी है, इसके पापा नहीं है, एकलौता है सारी सम्पती का मालिक यहि है, इसकी मां
अपने पति के वियोग में पागल हो गई है, घर संभालने के लिए एक पढ़ी-लिखी लड़की
चाहिए, इसलिए उसके मामा जी, दादा जी से बात किये है, इन्हें कोई दहेज नही चाहिए
सिर्फ बहु चाहिए,
स्वाती........इससे लड़के के गुण का पता कहां चलता है,
फुआ........और क्या चाहिए ?
स्वाती.......... पढ़ाई कहां तक कि है,
फुआ.........5 वी में पढ़ रहा था तब इसके पापा का मर्डर हो गया था, जिससे सब इसे ही देखना पड़ा
पढ़ाई बंद हो गई,
स्वाती........ क्या, बिहार से class 4 तक कि पढ़ाई, यानि अनपढ़.....
फुआ........ देख, पढ़ाई में क्या रखा है, इसके पास धन-सम्पती है, देखने में सुन्दर है, और क्या चाहिए ?
स्वाती......... फुआ आप ने सोचा कैसे कि मैं एक अनपढ़ लड़के से शादी करूगी,
फुआ........... ठिक है, इस बारे में बात हम, बाद में भी कर सकते है, चल नीचे आंगन मे शादी देखते हैं,
स्वाती....... ठिक है, चलो,
"फुआ स्वाती को आंगन में ले जाकर छोड़ देती है और अपने किसी काम में लग जाती है, स्वाती वहां चुपचाप बैठी शादी देख रही है, शादी के समय दुल्हा, दुल्हन, दुल्हा के दोस्त, दुल्हन के रिस्तेदार सब वहि है, अनुराग भी वहि है, शायद उसे पता था कि pink साड़ी वाली लड़की ही स्वाती है और उसी से उसकी शादी की बात चल रही है, इसलिए बार-बार उसी की फोटों ले रहा था, स्वाती को समझ में आ गया इसलिए वो छिप कर बैठ गई, तब अनुराग के दोस्त ने पंडित जी से मजाक मे कहा....... पंडित जी आप गलत कर रहे है, इसी मंडप में एक और जोड़ा है आप उनका भी लगन इसी मंडप में करा दिजिये, अनुराग हंसने लगता है, सब कि नजर स्वाती कि ओर हो जाती है, ऐसी बाते सुन कर स्वाती उठ कर चली जाती है,
नाराज स्वाती अपने कमरे मे जाकर साड़ी खोल कर फेंक देती है और अपना सुट पहन कर गुस्सा से सो जाती है, जब फुआ को पता चलता है तो उसे खाना खानें के लिए मनाने आती है पर वह उठकर खाने भी नही जाती, और रोते हुए सो जाती है, पूरी रात शादी का कार्यक्रम चला पर स्वाती किसी में भी शामिल नही हुई,
जब सुबह विदाई का समय आया तो फुआ उसे उठाती है और कहती है... चल बारात विदाई हो रही है,छत से देखते है,स्वाती छत से अनुराग और बरातिओं को जाते हुए देखती है और रोती है, ऐसे तो विदाई का समय था, सभी रो रहे थे, पर स्वाती के आंखो में अपने चचेरी बहन के विदाई के आंसू थे या अनुराग से बिछड़ने के आंसू थे, उसे भी पता नही था, अनुराग भी बार-बार पीछे मुड़ कर देख रहा था, शायद वो कहि दिख जाये,
शादी समाप्त होने के 1 दिन बाद स्वाती की मम्मी उससे पूछती है..... अनुराग कैसा लगा,
स्वाती........... ठिक है,
मां.......... शादी के बात को आगे चलाते है,
स्वाती..........नही,मै उससे शादी नही कर सकती,
मां.......... क्यों ?
स्वाती........मैं अभी पढ़ना चाहती हूं,
मां.......... पढ़ने से मना कौन कर रहा है, उन्हे भी पढ़ी-लिखी बहु चाहिए, तुमको वो आगे पढ़ायेगे,
स्वाती....... पर मैं उससे शादी नहीं कर सकती,
मां............ कमी क्या है,
स्वाती........अनपढ़ है,
मां............. धनी है, देखने में सुंदर है,
स्वाती........ मैं एक गरीब लड़का से शादी कर सकती हूं पर अनपढ़ से नहीं, मैं उसी लड़के से शादी
करूगी जो मुझसे ज्यादा पढ़ा-लिखा होगा,
मां............. सोच ले दादा जी, तेरे पापा सब नाराज हो जायेगे,
स्वाती........मैं क्या करू,
मां............ तो मैं उन लोगो को तेरी राय बता देती हूं,
स्वाती.......बता दो,
"घर में सब को पता चल जाता है कि स्वाती ने इतने सुन्दर लड़के से शादी करने से इंकार कर दिया है, सब बहुत नाराज है पर उसके चाचा ने कहा..... जाने दो, उसे और पढ़ने दो अभी 14 साल कि ही तो है, बाद में उसके शादी के बारे में सोचेगे, फिर सब कुछ पहले जैसा हो गया, स्वाती अपने पढ़ाई में लग गई"
स्वाती अब वह पहले जैसी नहीं रही, अनुराग की यादें उसे रुला कर चली जाती,
"इस छोटी सी जिंदगी में, राह चलते हजारों लोगों से मिलते है, और उन्हें भूल जाते है, पर कुछ लोगों का व्यक्तित्व ऐसा होता है, जो हमारे ऊपर अपनी छाप छोड़ जाते है, और चाह कर भी उन्हें हम भूल नही पाते है"
देखते-देखते 3 साल बित गये, दादा जी का स्वर्गवास हो गया, दादी भी बिमार रहने लगी, अब दादी जिंद करने लगी कि स्वाती कि शादी दिखा दो, नहीं तो मेरी भी आत्मा को शांती नही मिलेगा, फिर से उसके शादी के लिए लड़का देखने का काम शुरू हो गया, स्वाती 10 वी कि छात्रा है, इसलिए लड़का कम-कम 12वी पास होना चाहिए,
लड़का मिल गया पर एक साधारण परिवार का, स्वाती के पापा ने स्वाती से कहा... लड़का 12 वी पास है, पर नौकरी नही है, स्वाती कुछ नही बोली, उसे कोई फर्क नही पड़ रहा था कि उसके घर वाले क्या कर रहे है,क्योंकि एक बार आवाज उठा कर देख चुकी थी, सब ने उसे कितना गलत समझा था, इसलिए वह खुद को भाग्य के भरोसे छोड़ देती है,
शादी हो जाती है, स्वाती के पति का नाम भास्कर है, जो कि बहुत ही समझदार और सुशिल स्वभाव के है, स्वाती को बहुत प्यार करते है, दोनों हम उम्र होने के कारण एक दुसरे को अच्छी तरह समझते है, दोनों के सोच भी मिलते है, सब कुछ ठिक होते हुए भी , एक कमी है, उस घर से' लक्ष्मीजी' नाराज है,
स्वाती ने आज तक गरीबी शब्द को सुना था, अब उसे महसुस हो रहा है कि किताबों में गरीबी शब्द जितना रूलाता है, उससे सौ गुना असली जिंदगी में रूलाती है, अपने मम्मी-पापा से भी कुछ कह नही सकती, भास्कर और स्वाती अपने-अपने कार्यक्षेत्र में जी-जान लगा कर काम करते, पर जरूरत भर भी कमाई नही होती, परिवार चलाना और दो बच्चों को सहि शिक्षा प्राप्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था,
"एक दिन स्वाती रात को रोते-रोते सो जाती है, सपने में देखती है कि 'लक्ष्मीजी' आई है"
स्वाती........... मां आप,
लक्ष्मीजी........ कैसी हो स्वाती,
स्वाती........... मां, आप हम से क्यों नाराज है,
लक्ष्मीजी........ याद करो, तुम ने कहा था, कि एक गरीब लड़के से शादी कर सकती हो, पर अनुराग से
नही.....
स्वाती........... मां मुझे याद है, वह अनपढ़ था,
लक्ष्मीजी......... तुम ने अनुराग को नही ठुकराया, तुम ने मेरा अपमान किया, उसका दिल तोड़ा, जिस
पर मैं मेहरबान हूं, मैं तुम्हें अहसास करा दुंगी कि तुम गलत थी, मुझसे ज्यादा
सरस्वती को सम्मान दिया, आज तुम्हारे ऊपर सरस्वती की कृपा है, पर मैं नाराज
हूं, तुम मुझे मना नही सकती,
स्वाती......... मां, मुझे आप दोनों कि जरूरत है, आप मान जाओ,
लक्ष्मी जी........... मै जा रही हूं, मेरा भक्त अनुराग तुम्हारे कारण दुःखी है, जब तक उसके जिंदगी में
खुशियां नही आती, मैं तुम से नाराज रहुंगी
स्वाती......... मां, माफ कर दो, माफ कर दो, रोते हुए उसकी नींद खुल जाती है,
"रात का समय था, वह फिर से सोने कि कोशिश करती है और सो जाती है, सुबह उठ कर वह नहा-धो कर पूजा घर में पूजा करती हुई मां सरस्वती के सामने बैठ कर बहुत रोती है और कहती है कि....मां इसमें मेरी क्या गलती है, मैंने हमेशा से रूपये से ज्यादा ज्ञान को महत्व दिया है, मुझे नही पता था कि हम इंसानों कि जिंदगी में आप भगवान लोगों कि मर्जी चलती है,"आप दोनों बहनें है" हर एक इंसान को सहि जीवन यापन के लिए लक्ष्मी जी ( यानि रूपया) सरस्वती जी ( यानि ज्ञान ) दोनों कि ही बहुत जरूरत पड़ती है,
लेकिन हमनें अधिकांश देखा है, कि जहां आप होती है, वहां वो नही होती और जहां वो होती है, वहां आप नही होती, वो इंसान खुशकिस्मत होता है, जिस पर आप दोनों कि कृपा होती है, मुझे भी आप दोनों चाहिए
"स्वाती को पूरा विश्वास है कि एक न एक दिन मां सरस्वती , अपनी बहन लक्ष्मी जी को लेकर आयेगी, इसी विश्वास के साथ स्वाती अपने कर्मों को किये जाती है, हमारे अच्छे कर्म ही हमारे दुःख को दूर करने मे सहयोग कर सकते है
दिन बितते जाते है, स्वाती के शादी के 27 साल बाद आज उसके घर के हालात इस प्रकार है, गरीबी के कारण लाखों मुशिबत होने के बाद भी मां सरस्वती की कृपा होने के कारण उसके दोनों बच्चों ने उच्च शिक्षा प्राप्त कि है, और धीरे-धीरे लक्ष्मी जी का आगमन शुरू हो चुका है, लगता है कि अनुराग के दिल में स्वाती के लिए अब कोई गुस्सा नही है और वह खुश है, तो ही लक्ष्मी जी ने स्वाती को माफ कर दिया,आज उसके घर में दोनों बहनें एक साथ है, इस दिन को देखने के लिए उसकी आंखे तरस गई थी, इस दिन को देखनें के बाद वह हंसते-हंसते दुनियां से जाने को तैयार है, उसे मां ने माफ किया पर 27 साल बाद, इतने सालों तक उसने सब्र के बांध को टूटने नही दिया,
जब दो बिछड़ने वालें, मिल जाते है तो उनके लिए ये दुनियां छोटी लगती है और जब दो बिछड़ने वालें कभी नहीं मिल पातें है तो उनके लिए ये दुनियां बहुत बड़ी लगती है, स्वाती चाहती है कि ये दुनियां छोटी हो जाय और एक बार अनुराग से मिले, क्योंकि अनजाने मेें ही उसने उसके दिल को तोड़ा है, उसके लिए वो माफी मांग सके,
"आज भी स्वाती को इंतजार है, अनुराग का, माफी के लिए"