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" तुम हो " तो " मैं हूँं "

" बद अच्छा, बदनाम बुरा " मैं, आज भी वो दिन नहीं भूल सकती, जब तुमने पहली बार मुझें होठों से लगाया था,बचपन को छोड़, जवानी में पहला कदम रखा था तुमने,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

ये मैंने क्या किया,

जब इंसान किसी के भलाई के लिए कुछ करता है तो जरूरी नहीं कि उसके द्वारा किये गये कार्य से, जिसकी भलाई चाह रहा है उसका भला हो ही,कभी-कभी हमारे द्वारा कुछ ऐसा कार्य भी हो जाया करता है जिसकी हमने कल्पना भी नहीं कि थी,

" अनजाने में हुई एक भूल को आपके सामने कहानी का रूप देने कि कोशिश…………………”

इन्सानियत मेरा धर्म

" बड़े पापा " द्वारा लिखी कहानी………………………………...

कलम तोड़ दो,

हे विधाता, आप से एक प्रार्थना करती हूं, जिस कलम से मेरी किस्मत में इतने सारे दुःख लिखी है, उस कलम को तोड़ दो, हम इंसानों में भी, इतनी इंसानियत है, हमारे बनाये हुए कोट के जज को यह ज्ञान होता है, वह जिस कलम से, किसी कैदी को " फांसी की सजा " लिखता है उस कलम को तोड़ देता है, ताकि वह कलम किसी और के लिए, मौत का फरमान ना लिखे,

“ प्यार का एहसास ”

1…..मत इंतजार कराओ, हमें इतना कि

वक्त के फैसलें पर, अफसोस हो जाये,

क्या पता कल तुम, लौट कर आओ,

और हम, खामोश हो जाये,

 

2…..हर दिन अपनी जिंदगी को, एक नया ख्वाब दो,

चाहे पूरा ना हो, आवाज तो दो,

एक दिन पूरे हो जायेगे, सारे ख्वाब तुम्हारे,

तन और मन (Mind & Body)

" तन और मन " दोनों जुड़वा भाई है, दोनों एक साथ रहते हुए भी हर-पल, एक-दूसरे से झगड़ते रहते है, झगड़ा का मूल कारण है अपनी-अपनी प्रभुता साबित करना, दोनों चाहकर भी एक-दूसरे से दूर नहीं हो सकते, क्योंकि इनका निवास स्थान एक ही इंसान मेंं होता है,

सिंदूर

सिंदूर को नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, यह शक्ति एक पत्नी को किसी भी मुश्किल घड़ी में अपने पति की रक्षा करने में मदद करती है,शादीशुदा महिलाओं की जिंदगी में सिंदूर की बहुत अहम अहमियत होती है, सिंदूर को हर सुहागन का गौरव कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि माथे का सिंदूर सुहागन स्त्री के सौभाग्य को हमेशा बनाए रखता है, एक तरफ किसी लड़की को सारे सिंगार कराया जाय और एक तरफ किसी लड़की के

अपनी मर्जी का

दुनियां में कुछ भी अपनी मर्जी का नही होता है…., यहां पर दो ही सत्य है 1.... जिंदगी, 2......

"रब" सब देखता होगा,

अनिता का परिवार बहुत ही खुशहाल परिवार है, वह अपने पति रामेश्वर और तीन बच्चों के साथ रहती है, भगवान की कृपा से सब ठिक है, पति-पत्नी दोनों बहुत दयालु और परोपकारी स्वभाव के है, बच्चें छोटे-छोटे है, दोनों बेटी 8 और 5 साल की, प्यारा सा बेटा जो अभी छः महिने का है,

रिश्ता

क्या रिश्तों में गांठ पड़ जाने से, किसी जोड़े की जिंदगी फिर से पहले के समान खुशहाल हो सकती है, आइए देखते है, इस सच्ची कहानी के माध्यम से……………………...