ये आंसू' क्यों '

ये आंसू' क्यों '
पांडेजी के परिवार में, दो बेटियां और दो बेटें है, साथ में बुढ़े मां-बाप, कुल मिलाकर आठ सदस्यों का परिवार, भगवान कि दया से सरकारी नौकरी ने, इस परिवार कि छोटी-मोटी जरूरतों को पूरा किया है, सबको एक साथ लेकर चलना और उनकी इच्छाओं का ख्याल रखना, बहुत बड़ा काम है,
उनकी पत्नी को घर परिवार संभालने में ही पूरा दिन निकल जाता है, अनुराधा उनकी बड़ी संतान है जो
12वी कि परिक्षा दे चुकी है और आगे पढ़ना चाहती है, पर उसकी दादी का कहना है कि लड़कियों को ज्यादा नही पढ़ाते, बाहर निकलने और लड़कों से मिलने से अपने मन कि हो जाती है,फिर घर के इज्जत का ख्याल नही रहता,
अनुराधा रोने लगती है, कि उसे और आगे पढ़ना है, वो वादा करती है कि कोई गलत काम नही करेगी, घर के काम में भी हाथ बटायेगी, उसकी मां पांडेजी को मनाती है कि थोड़ा और पढ़ लेने दिजिये, उसके बाद आप जहां बोलोगे, वो वहि शादी करेगी,
पांडेजी सोचते है कि शादी के लिए लड़का खोजने में भी समय लगेगा, तब तक पढ़ ले, वो अपनी पत्नी से कहते है....... इस बात का ध्यान रहे कि कभी भी कुछ गलत सुना तो पढ़ाई बंद;
अनुराधा कहती है..... पापा मैं वादा करती हूं, कि मैं कभी भी कोई ऐसा काम नही करूगी, जिससे आपके मान-सम्मान पर कोई आंच आये, अनुराधा को B.C.A पढ़ने कि अनुमति मिल जाती है,
कॉलेज वो ऐसे जाते है, जैसे कोई गवार हो, कोई स्टाइल नही, कोई मेकप नहीं, साधारण ताकि किसी को अच्छी न लगे, कोई लड़का उससे बात करता तो उससे लड़ बैठती,कॉलेज में उसकी इमेंज घंमडी, लड़ाकु औरगवार लड़की के रूप में बन चुकी थी,
दिन बितता गया,1st year कि परीक्षा में class Top हुई, सभी देखते रह गये, सबको समझ में आ गया कि वो जो दिखाना चाहती है, सहि में वो वैसी नही है, अब कोई भी उसका मजाक नही बनाता, वो किसी को भी अपना दोस्त नही बनाती है, अगर कोई कुछ पूछता तो बता देती,
2nd year में भी Top हुई, उसके पापा बहुत खुस है,मां भी खुस,कि बेटी ने उनकी लाज रख ली, अब केवल 3rd year कि पढ़ाई बाकी रह गयी है,
जब से उसने कॉलेज शुरू किया था, तब से एक लड़का उसकी सादगी पर मरता था, पर हिम्मत नही कर पाया कि इज़हार कर सके, लड़के ने सोचा अगर इस साल भी नही बोलुगा, तो फिर कभी नही बोल पांऊगा, हिम्मत करके उसने अनुराधा से उसकी" नोटबुक" मांगा कि एक दिन वो नही आया था, कुछ देखना है, घर नही ले जायेगा, यहि देख कर लौटा देगा,
अनुराधा ने अपना नोटबुक दे दिया, लड़के ने हिम्मत करके नोटबुक के एक पेंज पर"I love you Anuradha" लिखकर एक लाल गुलाब को उसी में छिपाकर छुट्टी के समय लौटा दिया,
जब रात को अनुराधा पढ़ने के लिए अपना नोटबुक निकालती है, तो उसमें लिखा हुआ देखकर रो पड़ती है, उसमें इतना भी हिम्मत नही कि वो अपने प्यार का इजहार कर सके, वह उस पेंज को फाड़कर फेंक देती है, दुसरे दिन जब लड़के ने उससे पूछा कि.... तुम्हें कुछ मिला, अनुराधा गुस्साते हुए कहती है .......नही, मुझे कुछ नही मिला, इस तरह वो इंकार कर देती है,
कुछ महिने बाद 3rd year कि परीक्षा हो जाती है, वह फिर से खुद को चार दिवारी में कैद कर लेती है, दादी के ज़िंद पर सिलाई सिखती है, उसके शादी के लिए लड़का देखना शुरू हो जाता है,4-5 लड़के वाले देखकर गये है, लड़की और उसकी शिक्षा तो ठिक है, पर बात" दहेज " पर आ कर रूक जाती
बड़ी मुश्किल से एक रिस्ता पक्का होता है, सब ऐसे खुस थे, मानों कितनी पड़ी कामयाबी मिली है, आर्शिवादी (छेका) हो जाता है, उसके बाद शादी के लिए शुभ दिन 2 महिने बाद का होता है, एक दिन आशिश का फोन आता है, अनुराधा कि मम्मी फोन उठाती है, आशिश अपने होने वाली सासुजी को प्रणाम करता है, सबके बारे में पूछता है फिर हिम्मत करके अनुराधा से बात करने कि इजाजत मांगता है,
अनुराधा कि मम्मी...... वो तुमसे बात करना चाहता है,
अनुराधा........ मैं क्या बात करूगी,
अनुराधा कि मम्मी.........लो,न कुछ तो बोल दो,
अनुराधा............ हेलो,
आशिश............ कैसी हो,
अनुराधा......... ठिक हूं,
आशिश........... अब तो, हम बात कर सकते है,
अनुराधा......... मैं नही जानती, पापा जानते है,
आशिश........... ठिक है, मै पापा से भी इजाजत ले लुगा, तब तो तुम बात करोगी,
अनुराधा.........हां,
आशिश........... ok, बाद में बाकी बाते करते है,
"दुसरे दिन आशिश अपने होने वाले ससुरजी से बात करने कि इजाजत ले लेता है,
पांडेजी............. अनुराधा, कहां हो ?
अनुराधा................क्या हुआ पापा.........?
पांडेजी.............जमाना बदल गया है, आजकल के लड़के शादी के पहले पता नही क्या बात करना
चाहते है, आशिश तुमसे बात करने के लिए इजाजत मांग रहा था, मैंने हां कह दिया है
फोन करे तो बात कर लेना, शादी तो Fixed हो गया है,....
अनुराधा.......... जी, बोलकर घर में चली जाती है,
शाम को आशिश का फोन आता है, नम्बर को नाम से save होने के कारण कोई और फोन नही उठाता है, अनुराधा ही फोन लेती है,
आशिश ............... हैलो, कैसी हो,
अनुराधा............... ठिक हूं, आप कैसे हो,
आशिश ............ ठिक हूँ,तुम्हें कौन सा रंग पसंद है,
अनुराधा............... क्यों,
आशिश ............ साड़ी खरीदना है,
अनुराधा.............. आप अपने पसंद से ले लो,
आशिश ............ पहनना तुमको है,
अनुराधा..........कोई भी light colour होना चाहिए,
आशिश............. गहना हल्का या भारी चाहिए,
अनुराधा.......... हमेशा पहनने के लिए हल्का ही ठिक रहता है,
आशिश सवाल करता, अनुराधा शर्माते हुए उसके सवालों के जबाब देती, रोज वो फोन करता न जाने इतने सवाल उसके पास कहां से आते थे, अनुराधा से बोलता तुम भी कुछ पूछो, वो भी बीच-बीच में कुछ पूछ लेती, लेकिन सवालों कि बरसात, तो आशिश के ओर से होती है,
रोज घंटों बाते करते, धीरे-धीरे उन्हें एक-दुसरे से प्यार हो गया, अनुराधा को भी उसके फोन का इंतजार होने लगा, वो सोचती ऐसा क्या हुआ, जिससे मैं सिर्फ एक बार छेका में मिली हूं, बातों- बातों में मैं उसके इतने करीब कैसे होते जा रही हूं,"क्या यहि प्यार है "खुद को प्यार से अनजान रखा, ताकि कभी भी मुझे किसी का इंतजार न करना पड़े, मगर प्यार हो ही गया, सच इंतजार करना भी इतना अच्छा लगता है पता नहीं था,Thanks, आशिश तुम्हारे कारण मैं प्यार को समझ पाई हूं,
आशिश, अनुराधा से कहता है कि अब और एक महिना रह गया है, पता नही वो दिन कब आयेगा, इंतजार कि घड़ी कितने धीरे चलती है, तुम कुछ बोलो, तुम्हें कैसा लग रहा है, अब तो दिल खोलकर बाते किया करो, मैं बोलता रहता हूं, तुम कुछ नहीं बोलती, आज भी मुझे, तुम अपना नही समझती,मैं क्या बोलु, आप ठिक बोल रहे है, मुझे नही पता था कि मैं आपकी दिवानी हो जाऊंगी,
आशिश कहता है..... अच्छा जी आप हमारी दिवानी है, तो ये दिवाना आपसे एक सच बोलना चाहता है, क्योंकि दिल कह रहा है कि अपने जीवन-साथी से कोई बात नही छिपाना चाहिए, मगर मैं डर रहा हूं कहि मेरे सच से ये शादी न दुट जाये,
अनुराधा कहती है............. ऐसा कौन सा सच है, जिससे शादी पर असर पड़ेगा, आप मुझे बताओं,मैं
वादा करती हूं कि मैं आपके साथ हूं,
आशिश..........मुझे तुम पर विश्वास है, पर सिर्फ तुम्हें बताने से नही होगा, तुम्हारे घरवालों को भी
बताना होगा,
अनुराधा......... पहले आप मुझे तो बताओं
आशिश............मुझमें हिम्मत नही है, कल मेरे चाचाजी, तुम्हारे पापा से मिलने जायेगे, अब हम कल
बात करते है.............
दुसरे दिन दोपहर में आशिश के चाचाजी आते है,अनुराधा के पापा घर पर ही थे, उन्होंने उनका स्वागत किया, चाचा जी कहते है कि आशिश कुछ भी छुपाकर शादी करना नही चाहता, उसकी एक आंख एक्सीडेंट में नष्ट हो गया था, इसिलए नकली आंख लगाया गया है, देख कर नही पता चलता है, सिर्फ उस आंख से दिखाई नही देता, बाकि सब ठिक है,
अनुराधा के पापा............. इतना बड़ा धोखा, ये बात आज बता रहे है जब शादी कि पूरी तैयारी हो गई
है, सिर्फ 25 दिन बाकी है, आपलोगों ने बहुत गलत किया, मैं उस घर में
अपनी बेटी नही दे सकता,5 लाख रू गिनकर कर, ऐसे लड़के से शादी करू,
इतना पागल नही है,
“ये शादी नही हो सकता है, चाचा जी लौट जाते है,
उसके बाद घर में मातम छा जाता है, सभी का चेहरा उतर जाता है, दादी कहती है इसिलए फोन पर बात करने मना कर रहे थे, पापा कहते है...... अच्छा हुआ अभी तिलक नहीं चढ़ा था,मां कहती है कि अब लोगों से क्या कहेंगे,अनुराधा खामोश हो चुकी है,
उधर चाचाजी आशिश को बताते है कि वो लोग शादी से इंकार कर रहे है, अब हमारी कोई बात सुनने को तैयार नहीं है, आशिश कि आंखे नम हो गई, चाचा जी कहते है......मैं बोल रहा था, सच बोलने का जमाना नही है, सच बोलने कि सजा मिल गई, आशिश..... जाने दिजिये, चाचाजी कोई बात नही,
शाम को हिम्मत करके आशिश फोन करता है, पर अनुराधा के घरवाले उसे फोन नही लेने देते, कोई भी फोन नहीं उठाता है, 2-3 बार फोन करने के बाद उसे समझ में आ गया, कि उसके घरवाले, अनुराधा को उससे बात करने से रोक रहे है,
अनुराधा........ मां एक बार बात कर लेने दो,
मां............... जरूरत नही, जब उससे शादी नही करनी, तो बात करने कि क्या जरूरत
अनुराधा चुप-चाप अपने कमरे में चली जाती है, थोड़ी देर बाद उसकी मां भी पीछे से जाती है,
मां..........क्या हुआ, क्यों रो रही हो, जो होता है अच्छे के लिए होता है,
अनुराधा....... नही मां, हमेशा ऐसा नही होता है, जो हुआ, ठिक नही हुआ,
मां.........क्या करे, उस काने लड़के से तेरी शादी कर दे,
अनुराधा..........मैं नही जानती कि आपलोग क्या करने वाले है, मुझे किस गलती कि सजा मिल रही है,
मां........... कैसी सजा, हम तुम्हारे लिए उससे अच्छा लड़का खोज कर शादी करेगें,
अनुराधा...........मैं शादी के लिए नही रो रही है,
मां............. तो क्या हुआ, क्यों रो रही हो,
अनुराधा.......... मां, आज तक मैंने वहि किया, जो आपलोगों ने कहा, भूलकर भी प्यार करने कि भूल
नही कि फिर " ये आंसू क्यो "मुझे आशिश से प्यार क्यो हुआ, जब ये रिस्ता टुटना था,
तो भगवान ने ऐसा क्यो किया, पता नहीं कब और कैसे उससे बाते करते-करते उसकी
हो गई, मुझे पता भी नही चला,मां मुझे उसी से शादी करनी है, अब कोई फर्क नही
पड़ता,कि वो कैसा है,
मां........... तेरा दिमाग खराब तो नही हुआ है, तेरे पापा को यह रिस्ता मंजूर नही, वो नहीं मानेगें, लोग
हम पर हंसेगे कि, अपनी लड़की के लिए इन्हें काना लड़का ही मिला था,
अनुराधा.........मैं उससे बात करना नही चाहती थी, आप लोगों के लिए बात किया,
मां.............हमने बात करने को कहा था, प्यार करने को नही,
अनुराधा........ आप मां होकर भी मेरे दिल कि हालत नहीं समझ पा रही है या समझना ही नही चाहती,
मां............. तुम खुद को संभालो धीरे-धीरे सब ठिक हो जायेगा, तुम सब भूल जाओगी,
अनुराधा........ मां, काश कोई ऐसी रबड़ होती, जिससे मैं उसकी सारी यादों को मिटा देती,
मां........ अनुराधा को गले लगाते हुए, बेटी सब होनी है और होनी पर किसी का बस नही चलता,
दोनों रोते है, फिर मां उठकर चली जाती है,
‘अनुराधा के पापा लड़का खोजने में लगे है, इससे पहले और देखे गये लड़को में से ही, एक को पसंद करते है, दहेज कि रकम बढ़ाकर शादी तय कर लेते है,अनुराधा कि शादी पहले तय कि गई तारिख पर ही होती है, किसी रिस्तेदार को कुछ पता चलने नही दिया जाता है,
"क्या आपलोगों के पास जबाब है....ये आंसू क्यों "