आंचल

आंचल

‘’आंचल कि छांव में हम अपनें को महफूज पाते है, मां का आंचल, भगवान के तरफ से बच्चों को, वरदान के रूप में दिया गया है, कभी भी हमें कोई इस छांव से दूर न करें, इसकी प्रार्थना करते है, फिर भी कब, कहां और कौन सी गलती हो जाती है, कि किसी-किसी को यह छांव नसीब नहीं होता’’

सौरभ और सुमन,पति पत्नी है, इनकी शादी के 5 साल हो चुके है पर अभी तक संतान के सुख से वंचित है, इसके कारण सौरभ कि माताजी सुमन को पसंद नही करती, उसे अकेले में भला-बुरा बोलती है, सुमन चुपचाप रोती है पर सौरभ से कुछ नही कहती,

एक दिन सौरभ आंफिस से जल्दी आ जाता है, उस वक्त उसकी मां सुमन को बांझ बोलकर ताने दे रही थी, वह सुन लेता है उसे बहुत बुरा लगता है, वह अपनी मां से कहता है......... आप गलत बोल रही है, सुमन में कोई दोष नही है, दोष आपके बेटे में है, और इसके लिए मैं दवा खा रहा हूं,भगवान ने चाहा तो,हमें भी संतान का सुख मिलेगा,

2 साल बाद सौरभ को दुसरे शहर में तबादला हो जाता है, वह सुमन को अपने साथ ले जाना चाहता है, पर वह मां बनने वाली होती है, उसकी सास उसे बाहर जाने कि इजाजत नही देती, सौरभ को अकेले जाना पड़ा, सुमन अपने पति के साथ बाहर नही पाई,

4 महिने बाद सुमन ने सुन्दर से बेटे को जन्म दिया, बच्चा बहुत ही प्यारा है, सुमन भी सासुजी कि दुलारी बन गई, सौरभ भी छुट्टी लेकर अपने बच्चे को देखने आता है, पूरा घर खुश है, मिठाईयां बाँटी जाती है, बच्चे कि सहि देखभाल हो, उसके लिए उसकी सास उसे सौरभ के साथ बाहर नहीं जाने देती, फिर वह छुट्टी बिताकर अकेले ही नौकरी पर लौट जाता है,

सुमन मां बनने के बाद अपना ज्यादा-से-ज्यादा समय बनने बच्चे को देती, घर का काम करती, सास-ससुर कि देखभाल करती, उसके पास खुद के लिए समय नही था, धीरे-धीरे कमजोर होती गई, एक साल बाद सौरभ को उसकी मां कहती है कि तु इसे अपने पास ले जा, हमारी तो सुनती नही, दिन-रात काम-काज में लगी रहती है, खाने के लिए बोलना पड़ता है,

एक दिन सुमन छत पर कपड़ा डालने गई, सिर में ऐसा र्दद शुरू हुआ कि वह वहि बेहोश हो गई, जब सौरभ उसे दुढ़ते हुए छत पर जाता है तो बेहोश देखकर आश्चर्य रह जाता है, पड़ोसियों कि सहायता से उसे अस्तपताल(Hospital)में भर्ती करता है, वहां होश आने के बाद, डा० शाम तक में छुट्टी दे देता है, पर सहि खान-पान, और तनाव मुक्त रहने कि सलाह देता है,

दादा-दादी ने बच्चे का नाम अंकित रखा है, धीरे-धीरे वह पड़ा हो रहा है, स्वस्थ होने के बाद भी कभी-कभी अंकित ऐसा बिमार पड़ता कि कोई दवा काम नही करती, बड़ी मुश्किल से दवा- दुआ से ठिक हो पाता था, जब वह 4 साल का हुआ तो उसे स्कूल में डाला गया,School Van से आने-जाने की सुविधा थी, अंकित पढ़ने में भी ध्यान देता, उसकी Teacher भी उसे बहुत प्यार करती

सब कुछ ठिक-ठाक चल रहा था, अंकित हर साल पहले क्लास में,Top करता और अपने मम्मी-पापा का नाम रौशन करता,

5 साल बाद जब अंकित 9 साल का है, एक दिन स्कूल में बच्चों के साथ खेलते समय अचानक बेहोश हो जाता है, स्कूल वाले उसे Hospital में भर्ती कराते है और घर पर खबर कर देते है, सुमन दौड़ी हुए Hospital  पहुंची, सौरभ भी office से सीधे अंकित के पास पहुंचता है,अंकित का चेकअप होता है, ऐसे तो सब कुछ ठिक है पर किस कारण से चक्कर आया था, पता नही चलता, दो घंटे बाद उसे छुट्टी मिल जाती है, सौरभ अपने परिवार के साथ घर आ जाता है, पर चिंता बनी रह गई कि कारण क्या था,

Hospital से आने के बाद भी वह पहले जैसा खेल-कूद नही करता है, डा० ने राय दिया कि हम कि शांति के लिए Full body check up करा लेना जरूरी है,वहि कराया गया, जिससे पता चला कि अंकित स्वस्थ नही है,डा० रिर्पोट बताने के लिए माता-पिता दोनों को बुलाते है, इसलिए सुमन और सौरभ दोनो डाक्टर से मिलने जाते है, जब उन्हें पता चलता है कि अंकित को blood cancer है, वो डा० को देखते रह जाते है,उन्हें विश्वास नही होता है, सौरभ कहता है.... डाक्टर बाबु आपने ठिक से check up  किया, ऐसा नही हो सकता, डा०....... यह सच है, मुझे आप लोगों को यह बतानें के लिए साहस करना पड़ा,

जब सुमन कुर्सी से उठी चक्कर खाकर गिर गई और बेहोश हो गई, नर्स उसे bed पर सुलाती है, पानी का छीटा देती है पर होश नही आता,check up करने के आधा घंटा बाद होश आता है, रोना शुरू करती है फिर दुबारा बेहोश हो जाती है, वह इस दुःख को कैसे झेलेगी,

सौरभ सोचने लगता है" शादी के 5 साल बाद कितना पूजा-पाठ और इलाज के बाद हमें संतान का सुख मिला, अभी बच्चा अपना बचपन भी नही जी पाया और ऐसी बिमारी, आगे भगवान कि मर्जी क्या है "

वह खुद को हिम्मत बंधाते हुए सुमन को संभालता है, वह सुमन से कहता है कि....... अंकित को पता नहीं चलना चाहिए कि उसे कोई बिमारी है, हम दोनों किसी को कुछ नही बतायेगें, कोई कुछ नही कर सकता, जो करना है हम दोनों को ही करना है, हमारा बच्चा जितने दिनों का मेहमान हो, उसे हम अपने प्यार से दुनियां कि सारी खुशियां देगें, तुम हिम्मत रखो, बच्चें तो भगवान कि देन होते है अब वो ही अपना वरदान वापस लेना चाहते है तो हम क्या कर सकतें है

दोनों Hospital से घर आते है, सब खबर से बेखबर अंकित पड़ोसी के घर पर खेल रहा है,सौरभ और सुमन भी सब जानते हुए, अनजान बनकर फिर से normal life जीने कि कोशिश करते है, अंकित कि दवा चलती रही, सुमन उसे खुद स्कूल लेकर जाती और वहां बैठी रहती, जब छुट्टी होता है तो उसे साथ लेकर आती है, फिर घर के सब काम-काज करती, उसनें अपने ऊपर ध्यान देना छोड़ दिया,वो छुप-छुप कर रोते रहती है, सौरभ  भी  छुप-छुप कर रोते रहता है, पर दोनों एक दुसरे को हिम्मत बंधाते,

एक दिन सुबह के समय, सुमन द्दत पर कपड़ा डालते जाती है, तो वहि गिरकर बेहोश हो जाती है, सौरभ जब उसे खोजता है तो छत पर पाता है, जल्दी से Hospital लेकर जाता है,Cake up के बाद पता चलता है, कि सुमन को Brain.Toumber है, जिसके कारण उसके सिर में दर्द रहता है और जब-तब बेहोश हो जाती है, बिमारी बहुत पुराना है इसका इलाज छः महिना के भीतर करना होगा नही तो toumber अंदर ही फट जायेगा और सुमन को नही बचाया जा सकेगा

सौरभ पर मानो दुःखो का पहाड़ टूट पड़ा हो, एक तोबच्चे कि चिंता और सुमन कि ऐसी हालत,सौरभ जल्द से जल्द सुमन का ऑपरेशन करना चाहता है, पर वह तैयार नही है ,वह जीना नही चाहती, न ही अपने में रूपया खर्च करना चाहती है, अंकित का तबियत भी पहले से ज्यादा ख़राब रहने लगा है, उसकी दवा में रूपये लग रहे है, एक-एक रुपया अनमोल है, अंकित दवा के बिना नही रह सकता, सुमन को दवा कि जरूरत नही लेकिन ऑपरेशन जल्द होना चाहिए,

सुमन ऐसी जिंदगी नही चाहती, जिसमें उसे अपने बच्चें के बिना जीना पड़े या उसे पल-पल मौत के नजदिक जाते हुए देखना पड़े, सौरभ जब सुमन को नहीं समझा पाता है तो वह अपने सास-ससुर और माता-पिता को सारी घटना बता देता है, सभी उसे समझाने में असमर्थ रहते है,वह अपने बात पर अटल रहती है, वह जीना ही नहीं चाहती,सब से कहती कि उसे कुछ नही हुआ है, वह ठिक है, अंदर ही अंदर दर्द सहती है परचेहरे पर हमेंशा मुस्कान बनाये रखती है,

एक दिन ऐसा आता है कि सिरदर्द असहनिय होता है और अंदर-ही-अंदर toumber फट जाता है, और सुमन अपनो को छोड़कर चली जाती है, सौरभ का परिवार बिखर जाता है वह और दुट जाता है, धीरे-धीरे सब सामान्य होता है पर अंकित अपनी मां के" आंचल के छांव " के बिना मरने से पहले मर जाता है, मां के बिना उसकी दुनियां अधूरी हो जाती है,7 साल का अंकित को आंचल के छांव तले मौत भी नसीब नही होता है,

अंकित का तबियत भी पहले से और बिगड़ने लगता है, स्कूल बंद हो गया, वह हमेशा दादा-दादी के साथ घर पर रहता है, सौरभ को रूपया तो कमाना होगा नही तो दवा कहां से आयेगा, इसलिए वह ज्यादा से ज्यादा काम करता है, पापा के रहते हुए भी, अंकित को पापा का प्यार भी नहीं मिल पा रहा था,

दादा-दादी को रोते और बात करते हुए देख लेता है उसे पता चल जाता है कि उसे कोई बड़ी बिमारी है, इसिलए स्कूल नही जा सकता,घर पर ही आराम करना है, वह दादी से बहुत सारी ऐसे बाते करता है जिसका जवाब उसके दादी के पास नही है,

अंकित....... दादी, मम्मी कहां चली गई,

दादी.......... भगवान के पास,

अंकित............क्यों, मेरी मम्मी थी, भगवान के पास नही जाना चाहिए,

दादी............ भगवान को उसकी जरूरत है,

अंकित........... सब कि मम्मी है, पापा इतने बड़े हो गये, उनकी मम्मी है, मेरी मम्मी क्यों नही.......

दादी........रो देती है, अंकित को गले लगाकर चुप करती है,

अंकित.......मुझे भी मम्मी के पास जाना है, भगवान मम्मी को ले गये तो मुझे क्यों छोड़ दिये, मुझे भी

                  मम्मी के पास जाना है,

दादी......... ऐसा नही कहते है, हम सब है न, पापा है,

अंकित.......नही, मम्मी, मम्मी करते हुए रोते-रोते सो जाता है,

"सुमन कि आत्मा अपने बच्चे को रोते हुए देखकर बहुत दुःखी होता है, उसे अपनी गलती का अहसास होता है, जिंदगी 100 दिनों कि हो या 100 सालों कि, मां के आंचल के बिना, अधूरा है, प्यार मे मरना आसान है, सच्चा प्यार वह है, जिसमें हम लाख दर्द सहते हुए, उसके लिए जिये जिन्हें हमारी जरूरत है, आज मैं अपने बच्चे के आंसू भी नही पोंछ सकती,मैने बहुत बड़ी गलती कि है, भगवान मुझे माफ कर देना"

एक साल बित गये, पर अंकित अपनी मां कि याद में आज भी रोता रहता है, अब वो bed rest में है, डाक्टर जवाब दे चुके है, कभी भी कुछ भी हो सकता है, उसके पापा उससे बोलते है,....बेटा तुम्हें खाने का, कही घुमने का, किसी खिलौने का, जो भी मन हो बोलना मैं तुम्हें सब दुगा,

अंकित...... पापा मां को बुला दो, मां लोरी गा कर सुला देगी, तो मैं सो जाऊंगा, नींद नहीं आ रही,

पापा.........वहां से चले जाते है और मन ही मन कहते है........ सुमन ये तुमने क्या किया, आज हमारे

                बच्चे कि अंतिम इच्छा है, तुम्हारे गोंद में सर रखकर हमेशा के लिए सोने की उसकी यह

                 इच्छा मैं कैसे पूरा कर सकता हूं,

"रात को अचानक 12 बजें अंकित चिल्लाकर रोने लगता है.......मां तुम आ गई, अब कभी मत जाना, मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता हूं, मां कितने दिनों से मैं सोया नही हूं, आप अपने गोद में सिर रखकर सुला दो ना, बहुत नींद आ रही है, मां तुम चुप क्यों हो"

उसके दादा-दादी, पापा सभी आस-पास खड़े है, कि अंकित ऐसी बाते क्यों कर रहा है, कहि सच में सुमन कि आत्मा तो नही आयी है, थोड़े देर में अंकित मां से बाते करते-करते हमेशा के लिए सो जाता है, आस-पास खड़े सभी देखते रह जाते है...............