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"Radhikalaya old age home" बनाने के पीछे एक अच्छी सोच है, जो मां-बाप अपने बच्चों के लिए, सबकुछ करते है वहि बुढ़ापे में बच्चों के लिए बोझ बन जाते है, पहले की बात कुछ और थी,जरूरतें और सपनें कम थे, इसलिए तीनों पीढ़ी एक साथ रह लेते थे, अब युग बदल गया है,सपनों को पंख लग गये है, आज की पीढ़ी, अपने सपनें को पूरा करनें की होड़ मे लगे है,

दादा-दादी तो दूर की बात है अगर मां-बाप भी उनके सपनों के बीच बाधक बन रहे है तो वो सारे रिस्ते-नातों को भुलाकर अकेले आगे बढ़ने में लग जाते हैं, कोई भी नही चाहेगा कि वो किसी के कामयाबी में बाधक साबित हो, पर लाचार शरीर से, हम लाचार हो जाते है,

अपनी लाचारी को बोझ बनने से रोकने के लिए, सब वृद्धा लोग को ही कुछ करना होगा,इतिहास गवाह है कि पूरी उम्र को भी अलग-अलग हिस्सें में बांटा गया है,60 साल के, बाद संन्यास जीवन यापन करना चाहिए, मोह-माया से दूर, भक्ति-भाव मे, बिताना चाहिये,

आज के युग में, एक छोटे परिवार में कम-से-कम छः लोग तो होगे ही, मां-बापा, पति-पत्नी, दो बच्चें, बढ़ती हुई जरूरतों के कारण, सबके सपनें पूरे. नही हो सकते, कोई भी दादा-दादी ये नही चाहेगे कि उनके.कारण उनके पोता-पोती के सपनें अधूरे रह जाये,

अनमोल जिंदगी को'बोझ' समझने की भूल कभी ना करे, सिर्फ जरूरत है, सोच बदलने कि," उनके लिए आज-तक उनके साथ थे, अब उनके लिए ही उनसे दूर रहना है"हमारा प्यार और मोह-माया किसी की कमजोरी नही बन सकता, हमारे बच्चें जैसे भी है वो हमारे ही प्रतिविम्ब है, उन्होंने जो कुछ भी सिखा है हम से सिखा है, उनको गलत साबित करना, खुद को गलत कहना है,

इसलिए किसी से कोई शिकवा-शिकायत नहीं, स्वेच्छा से वृद्धा आश्रम का समर्थन करना और अपनाना चाहिय,आश्रम के माध्यम से लोगों को जिंदगी से संघर्ष करने के लिए motivate करना, लोगों को moral support देना, यही आश्रम से जुड़े कार्य करने वालों का सपना है,

आप मेरे विचार भी जान पायेगे, उसके लिए comment के माध्यम से आपको अपने विचार बताने पड़ेगे, कम-से-कम 50% विचार मिलने के बाद ही आपको इस आश्रम के कार्यकर्ता के रूप में स्वीकार किया जायेगा, और कुछ अधिकार दिये जायेगे,
अगर आप वृद्धा  आश्रम के समर्थक हैं तो हमें आपके किसी भी comment कि जरूरत है, यह कदम एक अच्छे समाजिक कार्य के लिए उठाये जा रहे हैै,
Note..... किसी के भावनाओ के साथ मजाक बिल्कुल न करें.............