" पहला प्यार "

" पहला प्यार "
मोहिनी, जैसा नाम वैसी ही खुबसूरती, हर सुख-सुविधा की आदि, खुशमिजाज लड़की है, उम्र से बड़ी तो हो रही है, पर बचपना जाने का नाम नही, वो XI की छात्रा है, एक दिन उसकी सहेली अनु ने उसे एक ख़त दिया...........
मोहिनी........ये कैसा खत है,
अनु.......मुझे नहीं पता, मेरे घर के पास रहने वाला मुकेश ने दिया और कहा... तुम को दे,
मोहिनी....... मुकेश,कहि वो तो नही, जो हमारे साथ पढ़ता था,
अनु.......हां,
मोहिनी...... अभी तो नही पढ़ता, क्या कर रहा है,
अनु...... उसके पापा नही है, पूरे घर की जिम्मेवारी उसी पर है, उसके दो भाई और एक बहन है,
इसलिए वह अपनी पढ़ाई रोक दिया, अभी एक दुकान खोलकर चला रहा है,
मोहिनी.......बहुत अच्छा लड़का है, पढ़ने में भी अच्छा है, ये खत कैसा है,
अनु....... खोलकर देखो ना, मैं नहीं जानती,
मोहिनी...... चिट्ठी खोलती है,"I miss you Mohini"
अनु.......क्या लिखा है,
मोहिनी........ ले, तु भी देख क्या है, सच मे मैं भी उसे miss करती हूं
उसके बाद छुट्टी हो जाती.है, जब अनु एक दिन बात कुछ लेने, उसके दुकान पर जाती है,मुकेश अनु से पूछता है.....तुमने ख़त उसे दे दिया, वह बोलती है.....हां, मुकेश....क्या बोली कहि गुस्सा तो नहीं हुई, अनु......नहीं, वो भी तुम्हे miss करती है,
"अब मुकेश के इच्छाओं के पंख लग जाते है, वो बराबर अपना'प्रेम पत्र' अनु के हाथ से मोहिनी के पास भेजता, उधर से मोहिनी उसके जवाब मे अपने प्यार के इजहार को चिट्टी में लिखकर, अनु के हाथ से मुकेश के पास भेजती है"
अनु दोनों के बीच डाकिया का काम कर रही है, मोहिनी की खुशी और खिला हुआ चेहरा साफ-साफ बता रहा है कि उसे प्यार हो गया है, कक्षा में पढ़ते-पढ़ते अचानक मोहिनी हंस पड़ती है, अनु... क्या हुआ, किस बात पर हंस रही है, मोहिनी......कुछ नहीं, सच में वो पागल है, मुझे नही पता था कि...............---अनु... क्या नही पता था, मोहिनी.....जाने दे कुछ नही,
एक दिन अनु के मन में उधल-पुधल मचा हुआ था, एक मन कह रहा था.... चिट्ठी खोलकर देखे कि मुकेश मोहिनी को लिखता क्या है ? एक मन बोल रहा था, ये गलत है, किसी का प्रेम-पत्र किसी और को नही पढ़ना चाहिए, अनु अपने मन को नही मना सकी, उसने खता कि मुकेश के खत को पढ़ा, वो अवाक रह गई, कोई किसी को इस हद तक प्यार करता है, सच में मोहिनी भाग्यशाली है,अनु ये गुनाह हमेशा करने लगी, मुकेश के खत को पहले अनु पढ़ लेती फिर अच्छी तरह बंद करके मोहिनी को दे देती, मोहिनी खत के जबाब में उसे क्या लिखती, ये जानने कि जिज्ञासा अनु को नही थी,
ऐसे ही दिन बित रहे थे, प्यार परवान चढ़ रहा था, एक दिन मोहिनी के माता-पिता को उस पर शक होता है, वो चाहते है कि 12 वी के परिक्षा के बाद उसकी शादी कर दे, उन्होंने लड़का देखना शुरू कर दिया, मोहिनी ये बात खत में लिखकर मुकेश को बताती है,मुकेश खत में लिखता है.....तुम कहो तो मैं अपनी मां को तुम्हारे घर भेजु, ताकि हमारी शादी कि बात हो सके,
" मोहिनी का जबाब भरा खत मुकेश के दिल के टुकड़े कर देता है.....देखो, मुझे तुमसे प्यार है पर मैं शादी वहि करूगी, जहां मेरे मम्मी- पापा चाहेंगे, तुम बहुत अच्छे हो पर पुरी जिंदगी गरीबी में नही जी जा सकती, तुम्हारे ऊपर तुम्हारे अपने परिवार कि जिम्मेवारी है मेरे लिए समय कहां से निकालोगें, आज के बाद खत मत देना"
इस खत के पढ़ने के बाद, अब मुकेश क्या लिखे, अनु इन सबसे बेखबर, स्कूल जाते समय दुकान जाती है, शायद कोई खत होगा, मुकेश से कहती है........डाकियां को कोई खत देना है, मुकेश कि नम आंखे, चुपचाप, ना के रूप में सिर हिलाती है,
अनु स्कूल चली जाती है, वहां जाकर उसे मोहिनी से सारी बातों का पता चलता है, अनु मोहिनी को बहुत समझाती है कि वो मुकेश से ही शादी करे, वो अनु पर गुस्सा कर कहती है---तुम्हें जिंदगी का तर्जुबा नही है इतना ही दया आ रहा है तो तुम ही मुकेश से शादी कर लो,मैं उसके इतने बड़े परिवार के साथ खुश नही रह पाऊगी
अनु रो पड़ती है, दोनों सहेली मे अनबन हो जाती है, वो दो दिन स्कूल नही जाती,मुकेश एक बार अंतिम ख़त के माध्यम से वो मोहिनी से कुछ कहना चाहता है, पर अनु से मुलाकात नहीं होने के कारण खत को कैसे पहुंचाये, चुपके से एक छोटे बच्चे के हाथ से खत को अनु के घर भेजता है,
बच्चा बड़ी सावधानी से अनु को खत देता है, पर अनु के चाचाजी देख लेते है, फिर क्या था वो उसके हाथ खत ले लेते है उसमें लिखा था,
मेरी जान,
एक बार मैं तुमसे मिलना चाहता हूं, फ़िर तुम जो फैसला लोगी मुझे मंजूर होगा, सिर्फ एक बार मिल लो,
तुम्हारा 'जान'
ये ख़त पढ़ते ही अनु के चाचा, उससे कुछ पूछे बिना, दो थप्पड़ उसके गाल पर जड़ देते है, किताब-कॉपी छिनकर फेंक देते है, चौकी पर बैंठी अनु को धक्का देकर नीचे गिरा देते है, वो रोते हुए कहती है... मैनें क्या किया है.......?चाचा खत को उसकी ओर फेंकते हुए कहते है---- ये क्या है, अनु खत को देखती है पर कुछ बोल नही पाती क्योंकि खत मे कहि भी मोहिनी का नाम नही था, वो कैसे सिद्ध करे कि यह खत किसका और किसके लिए है, फिर भी कहती है, मैंने कुछ नही किया है, मैं र्निदोष हूं,
अपने ही घर वाले, अनु कि एक नही सुनते, उसकी पढ़ाई बंद कर दी जाती है, घरवालों को यह लगता है कि मुकेश और अनु एक-दुसरे से प्यार करते है, इसलिए वो मुकेश को भी डाटते है, वो भी चुप रहता है, कैसे मोहिनी का नाम ले, जो किसी और के घर की इज्जत बनने जा रही है,
कुछ दिन बितते है,मुकेश को अनु के प्रति साहानभूति है पर अनु के दिल मे उसके लिए प्यार है,मुकेश की प्यारी-प्यारी ख़तों ने न जाने अनु को कब मुकेश का बना दिया वो नही जानती, सबकुछ सामान्य होने के बाद कभी-कभी मुकेश और अनु रास्ते मे मिल जाया करते है,मुकेश अनु को अपना फोन न० देते हुए कहता है.......जब भी तुम्हें कोई समस्या हो बताना, तुमने हमारे लिए जितना किया उसका मैं कर्जदार हूं, मेरे कारण तुम्हारी पढ़ाई बंद हो गई,
एक दिन अनु को पता चलता है कि दो दिनों से दुकान बंद है,मुकेश कि तबियत खराब है, वो खुद को रोक नही पाती, फोन कर देती है,
मुकेश...... हेलो, कौन ?
अनु...... मैं अनु, आप कैसे हो,
मुकेश...... ठिक हूं, तुम कैसी हो ?
अनु..... ठिक हूं,
मुकेश....तुम फिर से पढ़ाई चालू कर दो, जो खर्च होगा, मैं दूंगा,
अनु..... आप पागल हो, मैं आपसे रूपया नही ले सकती,
मुकेश..... क्यों ?
अनु.... हमारा-आपका रिस्ता क्या है,
मुकेश.....क्यों, तुम मेरी दोस्त नही हो,
अनु.... दोस्त !
"ये फोन का सिलसिला कभी-कभी से हमेशा में बदल जाता है, मुकेश भी महसुस करता है कि शायद उसे अनु से प्यार हो गया है"
बातों-बातों में एक दिन............
अनु..... मुझे तुम से प्यार है,
मुकेश..... शायद मुझे भी,
अनु......शायद क्यों ?
मुकेश...... तुम्हें तो पता है, मोहिनी मेरा 'पहला प्यार' है, मैं उसे कभी नही भूला सकता, तो तुम्हें
उसकी जगह कैसे दे सकता हूं,
अनु......मुझे किसी और की जगह नही चाहिये, मैं अपने लिए, आपके दिल में जगह बनाऊंगी,
मुकेश......नामुमकिन है,
अनु..... हम दोनों कोशिश तो कर ही सकते है,
मुकेश..... तुम मुझे जितना प्यार कर सकती हो, मैं तुम्हें उतना प्यार नही दे सकता, तुम्हें ये कमी
खलेंगी,
अनु...... जब मैं यह भूलने को तैयार हूं, कि तुम कभी मोहिनी के थे,
आज मेरे हो, तो तुम क्यों नही मानते कि आज तुम्हारा प्यार मैं हूं, कोई और नही,
मुकेश...... हां, मैं भी कोशिश करूगा,
"4 साल पुराना हो चुका है, अनु और मुकेश का प्यार, मुकेश अनु को बहुत चाहता है, अनु कि खुशी के लिए वो हमेशा खुश रहता है, शायद अब दोनों एक-दुसरे के दिल में रहते है,
फिर भी अनु को,मुकेश के प्यार मे वो कशिश नही दिखता, जो मोहिनी के लिए लिखें गये खत में होता था, अनु के पास उसका प्यार मुकेश है, फिर भी दिल खाली है, सच में' पहला प्यार' ऐसाछाप छोड़ जाता है, जो कभी नही मिटता......
Written by
Rita Gupta.