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मुरलीधर की " राधा "

इस छोटी सी जिंदगी में, हम अनगिनत लोगों से मिलते और बिछड़ते है, कभी-कभी कोई अजनबी चुपके से हमारे दिल में, अपनी जगह बना लेते है, हम से ज्यादा हमें जानने लगते है, फिर हमारी कोई राज की बात 'राज' नहीं रह जाती, जिन बातों को हम अपनों से छिपाते है, उन बातों को हम, किसी अजनबी को कैसे और क्यों बोल देते है, जब की बचपन से यहि शिक्षा दी जाती है," किसी अजनबी पर विश्वास नहीं करना चाहिए " सारा ज्ञान धरा का धरा

गलती से सीखा

दो अजनबी के वार्तालाप से, दिल ने 38 साल की उम्र में फैसला किया, जो हुआ वो अब किसी " प्रेमी जोड़े " के साथ नहीं होना चाहिए, बात उस समय कि है, जब मैं लोकल ट्रेन से कही जा रही थी, रविवार का दिन, ट्रेन में सामान्य भीड़ थी,मैं खिड़की के पास बैठे, सोने की कोशिश कर रही थी, पास बैठे एक प्रेमी जोड़ा आपस में बाते कर रहे थे,

देव....... क्या यार, तुम्हारी माँ, पता नहीं क्या-क्या सवाल करेगी ?

आस्तित्व

" मैं कौन हूं " यह वह सवाल है, जो हम सब कभी-ना-कभी अपने आप से पूछते है, जिसका जवाब देना आसान नहीं होता, क्योंकि आप अपने आप से झूठ नहीं बोल सकते,

" पत्थरदिल वाला "

मेरी दोस्त मुझे पत्थरदिलवाला बोलती है, उसके इस तीखे शब्द सुनना मंजूर है, फिर से प्यारी-प्यारी बाते करना मंजूर नहीं,

खुद को सत्यवादी समझने वाला, आज किस सत्य से भाग रहा है, उसे क्या चाहिए मुझसे, सिर्फ 24 घंटे  = 24 x 60 = 1440 मिनट में से सिर्फ, मेरे 5 मिनट, मैं किसी को अपने 5 मिनट नहीं दे सकता तो किसी को और क्या दूंगा,

Friendship is greater than Relationship

गांव के अंतिम छोर और जंगल के आरम्भ, मोड़ पर एक छोटा सा 10-12 का कमरा, इस तरह स्थित है मानो वह गांव और जंगल का सीमा रेखा निर्धारित कर रहा हो, कमरा टाली और बाँस का बना, दो खिड़की और एक दरवाजा लिए हुए है,

मेरी ' माँ ' मेरी नहीं रही

यह कहानी हर एक, उस लड़की की है, जिसे शादी के बाद पराया कर दिया जाता है, कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि उसका नाम, रीता गीता, सीता या नीता है, नीता वह लड़की है जो शादी के पहले अपने मम्मी-पापा की जान और मम्मी-पापा उसकी जान हुआ करते थे, तो आज उसे ऐसा क्यों लग रहा है कि........... मेरी 'मां ' मेरी नहीं रही,

आज से 5 साल पीछे चलते है, जब नीता की शादी नहीं हुई थी,

मेरी चाहत

पिचड़े में बंद थी, तो उड़ने की चाहत ने इतना मजबूर किया कि रातों की नींद और दिन का चैन खो गया, इस आजादी के लिए क्या-क्या नहीं किए, जब आज आजाद हूं, खुला आसमान बाहें फैलाये मेरे उड़ने की राह देख रहा है, अपनों ने भी आजादी दे दी, फिर दिल उदास क्यों है,

" जिम्मेदारी से आजाद"

हमारा देश 'भारत वर्ष' भारत माता के नाम से भी जाना जाता है, जो अंग्रेजों के हाथ में गुलामी की जिंदगी जी रहा थी, लाखों देशभक्त पुरुषों और महिलाओं की कुर्बानी के बाद हमसब ने इन्हें आजाद कराया,

आजादी के 68 साल हो गये, हम सब खुद को आजाद मानते है, मगर ये आजादी सिर्फ पुरुषों को मिली है, महिलाएं आ भी गुलाम है, सिर्फ गुलामी में रखने वाले लोग बदल गये है,

बिन छुए (without touching)

यह " प्रेम कहानी " एक - दूसरे से कोसों दूर रहने वाले प्रेमी की है, जो बिन देखे, बिन छुए ही, एक-दूसरे की सासों में बसते है, दिल की धड़कन सुनते और महसूस करते है, फिर भी एक-दूसरे के नहीं हो सके,

वह कौन सी ' लक्ष्मण रेखा ' है जिसे इन्होंने कभी पार नहीं किया ?

"तोहफा" प्यार का

बात उस समय की है, जब घंटों के रास्ते को घोड़ागाड़ी या बैलगाड़ी से तय किया जाता था, किसी गांव में एक साहुकार रहता था, उसके पास कई दुकानें और आने-जाने के लिए घोड़ें थे,