अपनी मर्जी का

अपनी मर्जी का

दुनियां में कुछ भी अपनी मर्जी का नही होता है…., यहां पर दो ही सत्य है 1.... जिंदगी, 2...... मौत, बाकी सब क्षणभंगु और भ्रमित करने वाले तत्थ है, जिंदगी आपकी मर्जी का नही हो सकता है क्योकिं जब तक आप जिंदगी का मोल समझने लायक बनते है, तब तक आपके मम्मी-पापा आपको अपनी इच्छानुसार ढाल चुके होते है, आपकी आंखे भी वहि सपना देखती है, जो उन्होन आपके लिए देखा है, दुर्भाग्य वश आपके सपने अलग हो गये तो ........... प्यार के रूप में आपके ऊपर उनके इतने एहसान होते है कि आप उनके विरूध जा कर कुछ नही सोच सकते,

जिंदगी कितने दिनो कि है, यह भी नही पता, कल क्या होने वाला है नही पता, तो हम अपनी मंजिल कैसे निश्चित करें, अगर मंजिल दूर है जिंदगी कम है तो रास्ते  में ही रह जायेगी हमारी दौड़..............

मेरे हिसाब से अगर किसी को जिंदगी या मौत,कुछ भी अपनी मर्जी का मिले तो खुद को खुशनशिब समझना चाहिए, यहां मौत का मतलब" आत्म हत्या" नही है, मौत का सहि मतलब होता है.. शाहिद होना, किसी के प्यार में खुद को मिटा देना,

खुद को मिटाने कि कला लड़कियों में कुट-कुट कर भरा जाता है, इसकी शुरूआत दादी-नानी कहानी के माध्यम से हमे समझाने में लग जाती है,

1-जब हम बेटी होते है तो घर का इज्जत हमारे हाथों में देकर मन के उड़ान पर लगाम डाल दिया जाता है, आप कुछ भी सोचने, बोलने, और करने के पहले घरवालों के बारे में सोचना फिर...........

2-जब शादी होती है तो, हमे बेटी के फर्ज के साथ- साथ बहु  पत्नी और मां के फर्ज को पूरा करने कि शिक्षा दि जाती है, इतना ही नही दोनों परिवारों के साथ भी आपके ताल-मेल होना चाहिए, जिंदगी मे इतने परिवर्तन आते है कि हम खुद को भुल जाते है यानि  खुद को मिटा देते है,

3-इतने सारे फर्ज पूरा करते-करते किसी दिन याद आता है कि आप ने कोई सपना देखा था, आप पीछे मुढ़ कर देखते हो तो सपना वहि का  वहि है मगर आप के जिन्दगी के सुनहरे साल बीत चुका है,

"लड़कियों के लिए, कुछ भी उनकी मर्जी का नही होता है, फिर भी कुछ भी बुरा होने पर सारा दोष उनके माथे, ये कहां का न्याय है........?

ये कहानी'स्वाती' की है, जो जन्म के पहले से ही आरोपों को झेलते हुए, रोज मर-मर कर भी, आज जिंदा है, स्वाती अपने मम्मी-पापा कि तीसरी संतान है, पर वह बड़ी संतान के रूप में जानी जाती है, इससे बड़े, एक भाई और एक बहन हुए पर फिर से भगवान के पास चले गये

जब स्वाती अपनी मम्मी के बेट मे 4 महिने कि थी, तो उसकी मम्मी को सांप काट लिया, उसकी नानी ने, दवा के साथ, दुआ भी की, सब ठिक होने पर नानी ने, उसकी मम्मी को ससुराल भेज दिया, नानी ने अपनी जिंदगी के बदले, अपनी नातनी का जीवन मांग लिया, एक दिन दिल के र्दद से नानी का देहांत हो गया, उसके बाद स्वाती का जन्म उसके दादी घर मे हुआ,  

"स्वाती दूध की जैसी गोरी, प्यारी और इतनी खुबसूरत थी कि सब उसे ही देखने में लग गये, दादी के अज्ञानता के कारण, स्वाती कि मम्मी की हालत इतनी खराब हो गई कि वो मौत कि कगार पर पहुंच गई"

1stआरोप........ कैसी लड़की हुई है, जन्म के पहले अपनी नानी को ख़ा गई, अब मम्मी को......

जो बच्चा अभी 1 दिन का भी नही हुआ, उस पर ऐसे आरोप, उसकी मासूम आंखें, सबको ऐसे देख रही है, मानों पूछ रही है.......... मैनें क्या किया,स्वाती के luck ने साथ दिया, मां बच गई,

2nd आरोप........ जब वो दो साल कि थी, उसकी मम्मी फिर से मां बनने वाली थी, सब उससे पूछते,

                        तेरी मम्मी को क्या होगा, वो शान से कहती....मेरा भाई होगा, सब धमकी देते, भाई

                       नही हुआ तो, तेरा जीभ काट देगे,luck ने साथ दिया, भाई हुआ,

3rd आरोप...... जब वो 7 साल कि थी, तो अपनी फुआ कि विदाई मे साथ गई थी, वहां उसके चचेरे

                      जेठानी ने अपने बेटे के लिए उसे पसंद कर लिया, जब स्वाती 14 साल की हुई तो वो

                      लोग, रिस्ते की बात करने आये, स्वाती के दादाजी ने इंकार कर दिया, उसकी फुआ

                     का आरोप है, कि इसी के कारण, उनकी जेठानी से रिस्ता खराब हो गया,

4thआरोप…...दादा जी, अपनी शान बनाये रखने के लिए, एक बहुत धनी लड़के के साथ,रिस्ता तय,

                   करते  है, पर 14 साल कि स्वाती ने इंकार कर दिया, उसके एक साल बाद, उसके दादाजी

                    का देहांत हो गया, उसके बाद वो अपनी दादी की नजर मे, जिद्दी, बड़ो के सम्मान नही

                      करने वाली साबित होती है

"14 साल कि नाबालिक स्वाती, अभी से ही तनाव कि जिंदगी जी रही है, इससे इसके, मानसिक और शारिरिक विकाश पर जो असर पड़ेगा, उसकी पुर्ति कभी नही होगी"