मेरी ' माँ ' मेरी नहीं रही

मेरी ' माँ ' मेरी नहीं रही
यह कहानी हर एक, उस लड़की की है, जिसे शादी के बाद पराया कर दिया जाता है, कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि उसका नाम, रीता गीता, सीता या नीता है, नीता वह लड़की है जो शादी के पहले अपने मम्मी-पापा की जान और मम्मी-पापा उसकी जान हुआ करते थे, तो आज उसे ऐसा क्यों लग रहा है कि........... मेरी 'मां ' मेरी नहीं रही,
आज से 5 साल पीछे चलते है, जब नीता की शादी नहीं हुई थी,
नीता की शादी के लिए, लड़का देखा जा रहा है, बाजार में जिस तरह हर दाम के फल मिलते है, वैसे ही समाज में हर दाम के 'वर (लड़का) ' मिलते है, अब उसके पापा कौन सा दाम, दे पा रहे है, कम-से-कम 1 लाख से शुरू होकर 1 करोड़ तक के 'वर ' पाये जाते है, मध्यम वर्ग के लोग को सस्ता और टिकाऊ वर लगभग 5 लाख रूपया में मिल जाते है,
अनेकों देखने के बाद, नीता के पापा को 2 'वर'में से किसी एक को चुनना है, एक.........1 लाख वाला है जो साधारण आमदनी करता है और तीन भाईयों के साथ रहता है, दुसरा..........5 लाख वाला है जिसको साधारण सी पर सरकारी नौकरी है, जिससे वह उनकी बेटी को अपने साथ, संयुक्त परिवार से दूर, आराम की जिंदगी दे सकता है,
नीता की मां....... तुझे तो पता है दो लड़के हमारे हाथ में है, तु क्या चाहती है,1 लाख रूपया वाला, या 5
लाख रुपया वाला,
नीता.......... मुझे क्या पता, आप लोग जो ठीक समझों,
मां.............5 लाख वाला तो ठीक है पर उससे शादी करने के बाद, तेरे पापा का हाथ खाली हो जायेगा,
हमलोगों को कुछ रूपये अपने बुढ़ापे के लिए भी तो रखना होगा, अगर तेरे किस्मत में सुख
होगा तो ये 1 लाख वाला लड़के के साथ भी तु खुश रह पायेगी,
नीता......... मेरी राय मानो तो, मेरी शादी मत करों,'मदर टेरेसा जी' की तरह, मैं अपना जीवन समाजसेवा
में बिताता चाहती हूं, शादी अब शादी नहीं सौदा बन गया है,
मां.......... लोग क्या कहेगे, बेटी को घर पर बैठाकर रखा है,
नीता......... मैं आश्रम में चली जाऊंगी,
मां........... इसमें हमारी, जगहंसाई, होगी,हमें इसी समाज में रहना है,
नीता......... तो मुझसे मत पूछों, जो दिल करे करो,
नीता की शादी 1 लाख रु वाले लड़के से, कर दी जाती है, वहां ससुराल में कोई दुःख नहीं है पर लड़के को दिन-रात पैसे के पीछे दौड़ने से फुर्सत मिले, तब न प्यार की बातें करे, बड़ा परिवार आमदनी कम, मायके से ससुराल, हैसियत के हिसाब से बहुत ही कम में है, नीता के सपने, सपने बनकर रह गये, उसका पति भी क्या करे और कैसे करे, वह अपने मां-बाप की इच्छा के विरूद्ध नहीं जा सकता, नीता के पापा, अपने दामाद का परिचय, कभी भी किसी भी रिश्तेदार से नहीं कराते, उन्हें शर्म आती है कि क्या बोलेगे, साधारण सा एक दुकान चलाता है मेरा दामाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, नीता भी मायके आती तो अपने मम्मी और भाभी से कम दाम की साड़ी पहने होती, उसे भी ऐसा लगता कि शायद वह इस महफिल के काबिल नहीं है,
मां.......... रूक जा, मै तुझे अपनी साड़ी दे रही हूं, वो पहन ले,
'वह मम्मी की साड़ी पहन लेती है, यह देख उसके पति को अच्छा नहीं लगता, वह उसपर नाराज होता है, वह मांफी मांगती है कि अब से ऐसा नहीं होगा, पार्टी शेष होने के बाद नीता अपनी साड़ी पहन, मम्मी की साड़ी खोल, सजाकर रखने के लिए,
नीता.......... मां, अलमारी की चॉबी दो,
मां............. क्या करना है,
नीता......... तुम्हारी साड़ी रख दूं ,
मां............. टेबुल पर रख दो, मैं बाद में रख लूंगी,
नीता.......... तुम्हारा बाद, ना जाने कब आयेगा, चॉबी दो मैं खुद रख दू,
मां............ कहां ना,वहि रख दे, समझ में नहीं आता,
'नीता को मां के व्यवहार से ऐसा लगता है, जैसे मां अलमारी की चॉबी नहीं देना चाहती थी' दिन बितते है, मायके वालों के बदलते स्वभाव से परेशान, वह खुद को उनलोगों से दूरी बनाये रखती है, लगभग छः महीना बाद उसकी मां का फोन आया,
मां............ तुम आती नहीं हो,
नीता......... मम्मी, समय नहीं मिलता,(आवाज भारी है)
मां.......... तेरी आवाज को क्या हुआ है, रो रही हो,
नीता........ मम्मी, आजकल मुझे ऐसा लगता है कि आपके दामाद को किसी से प्यार हो गया है, मुझे
से रूठे-रूठे रहते है,
मां......... यह तेरा भ्रम है, ऐसा कोई बात नहीं होगा,
नीता........ मम्मी, आप विश्वास करो,मैं सच बोल रही हूं मैं इनके साथ नहीं रहना चाहती, मुझे अपने
साथ ले चलों
मां.......... अगर दामाद जी को किसी और से प्यार हुआ है तो इसमें तेरा ही दोष है, तु उनका ख्याल नहीं
रखती होगी,मैं अपने साथ तुझे कहाँ ले जाऊ, वहाँ तेरे भैया-भाभी, तुझे अपने साथ नहीं रखेगे,
नीता........ मम्मी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी, आपकी बेटी हूं, अगर सोच समझकर शादी दिये होते तो ऐसा
नहीं होता,
मां........... मां क्या कर सकती हूं, तेरे पापा जो सही समझे, वो किये
नीता......... मैं आपलोगों के लिए बोझ थी, अब पति बोझ समझते है,मैं कहां जाऊं, वो दुसरी शादी करना
चाहते है,
मां.......... तुम तलाक मत देना, फिर कैसे शादी करेंगे,
नीता.......... मां, वो मुझे अपने रास्ते का काँटा समझते है, अगर मुझे मार देते है तो
मां............ क्या कर सकते है तेरा किस्मत खराब है, उन्हें दूसरी शादी करने दे,
नीता.......... मैं फिर कहां रहूंगी,
मां............वहि, सौत के साथ रहना होगा,
नीता.......... मां,मैं तुम्हारी ही बेटी हूं, न
मां......... क्यों,
नीता....... कोई मां अपनी बेटी को सौत के साथ रहने की सलाह नहीं देती, अब मेरी 'मां'
मेरी नहीं रही,मैं आपके लिए मर चुकी हूं,
Rita Gupta.