बिन छुए (without touching)

बिन छुए (without touching)

यह " प्रेम कहानी " एक - दूसरे से कोसों दूर रहने वाले प्रेमी की है, जो बिन देखे, बिन छुए ही, एक-दूसरे की सासों में बसते है, दिल की धड़कन सुनते और महसूस करते है, फिर भी एक-दूसरे के नहीं हो सके,

वह कौन सी ' लक्ष्मण रेखा ' है जिसे इन्होंने कभी पार नहीं किया ?

अनु, ट्रेन के मिडिल वाले सीट पर सोने की कोशिश कर रहे है, रात के 9 बजे है, लगभग सभी टिब्बे के यात्री सोने ही जा रहे है, नींद आती कहां है, लम्बा सफर होने पर आराम की जरूरत तो पड़ती है, रिजिवेशन सीट के यात्री सोने के नाम पर आराम कर रहे है, अनु भी वहि कर रही है,

उसके सामने वाली मिडिल सीट खाली है,उस सीट का यात्री अभी ट्रेन नहीं पकड़ा है, अनु कभी इस करवट तो कभी उस करवट, रात हैं कि कटने का नाम नहीं, ट्रेन की राते कुछ ज्यादा ही लम्बी होती है, शाम 8 बजे से सुबह 7 बजे तक,11 घंटे की रात,

ट्रेन सभी यात्रियों को उनके मंजिल की ओर लिए जा रही है, लगभग रात के 12 बजे पटना स्टेशन आता है, वहां ट्रेन 20 मिनट तक रुकती है, कुछ यात्री को मंजिल मिल गई, कुछ को अभी इंतजार है, और कुछ की यात्रा की शुरुआत, हो रहे शोर-गुल से अनु की आंख खुल जाती है,सामने खड़े जिस व्यक्ति को देखती है तो आंख मूंदकर सोने का नाटक करती है, वह व्यक्ति इस बात से अनजान है कि पास के मिडिल सीट पर सो रही महिला को वो अच्छी तरह जानता है, वह अपनी सीट पर बैग रखकर, खुद विराजमान होता है, बाकी की तरह सोने की कोशिश करता है, थोड़ी देर बाद उसकी आंख लग भी जाती है, लगभग आधा घंटा बाद अनु करवट बदलकर यह देखना चाहती है कि वह सो रहा है या नहीं, अनु जैसे ही करवट बदलती है वैसे ही उस व्यक्ति की आंखें खूल जाती है, दोनों की आंखें चार होती है, कुछ समय तक एक-दूसरे को देखते रह जाते है, मानो जैसे एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हो, पलके छुकने का नाम, खुली आंखे हजारों सवाल कर रही है पर जुवाब खामोश................................

शर्म से, दोनों अपने-अपने सीट पर करवट बदल, एक-दूसरे की ओर पीठ करके सोने का नाटक करते हुए, बीते हुए समय में खो जाते है,

आज से 20 साल पहले………………………………………………

कॉलेज के मस्ती भरे दिन, अनु और अनुराग दोनों ही 12वी के छात्र थे, अनु साधारण परिवार की पढ़ने में तेज और स्वाभिमानी लड़की है, किसी लड़के से बात करना पसंद नहीं, जरूरत होने पर किसी लड़के से बात कर लेती, अनुराग कॉलेज का स्मार्ट लड़का है, अनु को छोड़कर, कॉलेज की सभी लड़कियाँ उसकी दिवानी है, मगर अनुराग को तो अनु ही चाहिए,दोनों एक-दूसरे के विपरीत स्वभाव वाले है, अनु को प्यार करना नहीं आता तो अनुराग को प्यार के सिवा कुछ नहीं आता, अनु की अपनी मंजिल है जबकि अनु को पा लेना अनुराग की मंजिल,

एक ही कक्षा में होते हुए, एक-दूसरे से कोसों दूर है, अनु पर परिवार का दवाब है, पढ़ाई पूरी कर नौकरी लेना अनिवार्य है, प्यार जैसे शब्द के लिए उसके पास समय नहीं है, अनुराग उसे हर हाल में पाना चाहता है, उसके लिए, उसके परिवार वालों के करीब जाता है, किसी-न-किसी बहाने उसके भाई-बहन को gift देना, आर्थिक सहायता करना, इत्यादी, अनु के घरवालों को अनुराग में सिर्फ अच्छाई दिखता है, धीरे-धीरे अनजाने में ही अनु का दिल, अनुराग का दिवाना हो गया, पढ़ाई पूरी कर उसे शिक्षिका की नौकरी मिल जाती है अनुराग भी 2 साल बाद बैंक का मैनेजर बन जाता है, दोनों को जब भी काम से समय मिलता, घुमने-फिरने जाया करते, अनुराग बहुत कोशिश करता कि वो शादी के पहले ही सारी सीमा रेखाओं को तोड़कर अनु को सांसों में वशा ले,

मगर अनु की परवरिश उसे ऐसा करने से रोकती रही, वह अनुराग से प्यार करती है, शादी भी करेगी पर शारीरिक संबंध शादी से पहले, कभी नहीं, उसकी ऐसी सोच से उन दोनों में कभी-कभी जमकर टकराव होता, गुस्सा से दोनों महिनों बात नहीं करते, फिर एहसास होता कि एक-दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो दुबारा मिलना और बाते करना शुरू कर देते,दोनों कमा रहे है, आपस में प्यार है पर शादी के बारे में अभी कुछ सोचा नहीं,

घरवालों के दवाब में आकर 30 साल की उम्र में दोनों शादी के पवित्र बंधन में बंध जाते है, दोनों परिवार वाले, रिश्तेदार, यार-दोस्त, सभी आते है,बहुत ही धुम-धाम से शादी होती है, बड़ो का आर्शीवाद मिलता है खुशहाल जिंदगी के लिए, दूसरे दिन अनु के ससुराल में उसका मान-सम्मान होता है, उसी रात अनु का सोहल सिंगार कर दुल्हन की तरह सजाते है, दोनों के लिए एक कमरा फूलों से सजाया गया, अनु और अनुराग की सुहागरात है,

अनु, सुहाग की सेज पर बैठी, अपने पति का इंतजार कर रही है, रात के 12 बजने वाला है पर वो अपने दोस्तों के साथ बगलवाले कमरें में drink करने में व्यस्थ है, लगभग रात के 1 बजें अनु सेज से उतरकर उस कमरें की ओर जाती है,कमरे के दिवार में कान लगाकर सुनती है कि वो दोस्तों के साथ क्या बात कर रहे है, उसने जो सुना, वो सपने में भी नहीं सोच सकती,,,,, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

अनुराग...... देख, मैं शर्त जीत गया,

दोस्त...... हां यार, मान गये तुझे,

अनुराग...... अब चुप-चाप 1000-1000 रूपया निकालो,

दोस्त...... बाद में ले लेना,

अनुराग...... तुम सब शर्त हारे हो, देखा आखिर में अनु को पा लिया,

दोस्त...... पाने के लिए, तुझे शादी करनी पड़ी, तु तो मधु से प्यार करता है, शर्त जीतने के लिए शादी….

अनुराग...... शर्त के साथ-साथ, उसका अहंकार भी तोड़ना था, शादी किये बिना खुद को छुने नहीं दे रही

                 थी, इससे अच्छी तो मधु है जो मुझे कितनी बार खुश कर चुकी है,इतनी भी बुरी नहीं है,

                 शादी हो गई है तो साथ भी रह लेगे,

"अनु अनुराग के जुबान से ऐसी बातें सुनकर दबे पाँव अपने कमरे में आ जाती है,सोने की कोशिश करती है,लगभग रात के 2 बजे अनुराग नशे में धुत आता है और सो जाता है, सुबह होती है फिर रात होती है फिर सुबह होती और रात होती पर अनु और अनुराग के बीच की दूरी कम होने की जगह, दोनों की खामोशी, बीच की तरार को खाई में बदलने का काम करता है, दिन बितते हुए साल में बदल गये ”

शादी को 10 साल बीत गये पर संतान सुख से वंचित है, दोनों के घरवाले परेशान है, डाक्टर, ओझा और पूजा-पाठ की राय देते रहते है, फिर भी अनु खामोश है, सच कैसे बोले कि उन दोनों के बीच पति-पत्नी का रिश्ता ही नहीं तो, डाक्टर और ओझा क्या करेगा, उसकी आँखे बहुत कुछ बोलती है,पर आँखों की भाषा, कितनों को आती है, जो पढ़ सके,

एक दिन अनु कॉलेज से पढ़ा कर लौट रही थी, उसने अनुराग को देखा, उसके वाइक के पिछली सीट पर एक लड़की ऐसे चिपककर बैठी थी कि देखने वाले की आंखे शर्म से छुक जाए, उस रात गुस्सा से अनु की खामोशी दम तोड़ देती है,

अनु....... बाइक पर कौन थी,

अनुराग..... कहाँ, कौन,

अनु....... मैं देख चुकी हूं,

अनुराग..... वो रीतु है, मेरे ऑफिस में काम करती है,

अनु....... तो, आप से चिपक कर बैठेगी,

अनुराग..... ऐसी बात नहीं है, छुट्टी के समय उसे उसके घर छोड़ने गया था,

अनु....... बात घर तक पहुंच गई,

अनुराग..... तुम इतना सवाल-जवाब कर रही हो तो सच सुनों, हम दोनों प्यार करते है,

अनु....... तो मैं कौन हूं,

अनुराग..... मुझे उससे वो सुख मिला, जो तुम नहीं दे पाई, मैं खुद को कितना संभालु, कदम बहक गये,

अनु..... जो आरोप तुम मुझ पर लगा रहे हो वहि आरोप मैं भी तुम पर लगा सकती हूं, मैं नहीं बहकी,

अनुराग..... इसमें मैं क्या करू, तुम महान हो, देवी हो,

अनु..... मुझसे प्यार नहीं था तो शादी क्यों किये,

अनुराग...... इसमें नया क्या है, बहुत सी शादियाँ बिना प्यार की होती है, तुम मेरे शरीर के भूख को

             मिटाती तो आज हमारा घर भी बच्चों से भरा होता, मगर तुम्हें तो अहंकार है, तुम चाहती थी,               

               मैं तुम्हारे पैर पर गिरकर माफी मांगू, तब तुम मुझे अपनाओगी,

अनु............पैर पर गिरने की बात कहॉ से आती है,तुम अपनी गलती मान लेते और मुझको गले से लगा

               लेते,मेरी बाहें सालों से तुम्हारा इंतजार कर रही है, तुम कभी मुझे अपना समझा ही नहीं,

अनुराग...... अब कोई लाभ नहीं, मैं उससे शादी करने वाला हूं,

अनु....... उसकी उम्र तो बहुत कम है,

अनुराग...... हॉ,20 की है,

अनु....... आप 40 साल के, वो 20 साल की, ये कैसी जोड़ी,

अनुराग...... तो क्या हुआ, वो भी तैयार है और उसके घरवाले भी, तुम तालाक के पेपर पर साइन कर दो

                तो हम शादी कर ले,

अनु...... जरूर करूगी,

“दूसरे दिन ही, अनु तलाक के पेपर पर साइन कर, ससुराल को छोड़, मायके से मुख मोड़, अनजान शहर चली जाती है, किसी से बिना कुछ कहे, बिना सुने, खामोशी को अपना दोस्त बनाकर, अपनों से जुदा हो जाती है "

छः महीने बाद वो अनुराग से मिलती है वो भी ट्रेन के एक ही टिब्बे में और आमने-सामने,

क्या बोले और कैसे बोले, रात तो दोनों कि बीती बातें याद करने में बीत गई, सुबह के 5 बजते है, ट्रेन की शोर-गुल, दोनों अपने-अपने मिडिल की सीट को नीचे गिराते है, धीरे-धीरे ट्रेन अपनी मंजिल की करीब जा रही है, यात्रियों की संख्या कम हो रही है, ट्रेन का खालीपन और उनकी खामोशी वातावरण को दुखमय बना रहा है, अनु अपने बैग से किताब निकाल कर कुछ पढ़ना चाहती है, अनुराग उसके पास आकर बैठ जा रहा है,

अनुराग...... कहां चली गई थी, मैं कितना परेशान था,

अनु........ मेरे लिए,

अनुराग...... हां, विश्वास नहीं,

अनु........ हो सकते हो, कहाँ जा रहे हो ?

अनुराग...... काशी, तुम कहाँ जा रही हो,

अनु........ काशी,

अनुराग...... मैं तो अपने गुनाहों के लिए, गंगा स्नान कर माफी मांगने जा रहा हूं, पर तुम.......

अनु......... कुछ गुनाह मुझसे भी हुए है,

अनुराग...... गुनाह, और तुम से, ये हो ही नहीं सकता, तुम तो देवी हो, भगवान गुनाह कैसे करेगे,

अनु........ इंसान कभी भगवान नहीं होते,

अनुराग...... तुमसे कौन गुनाह हुआ,

अनु........ प्यार करने का,

अनुराग...... किस से, मुझसे, वो गुनाह नहीं है, मैं गलत था, तुमने मुझसे सच्चा प्यार किया था,

अनु......... जी, पर

अनुराग...... पर क्या,

अनु......... मेरे भी कदम भटक गये,

अनुराग...... क्या मैं समझा नहीं,

अनु....... मुझे भी किसी और से प्यार हो गया,

अनुराग...... कौन है वो खुशनसीब, जिस पर तुम्हारा दिल आया है,

अनु....... मजाक नहीं, मैं उसे छोड़कर आ रही हूं,

अनुराग...... पर क्यों,

अनु....... मैं उसके काबिल नहीं,

अनुराग...... फिर से तुम्हें एकतरफा प्यार हुआ,

अनु......नहीं, वो भी मुझसे प्यार करता है,

अनुराग..... तो छोड़ क्यों आई,

अनु..... हम शादी नहीं कर सकते,समाज बिन शादी के स्त्री-पुरुष के रिश्ते को गंदी नजर से देखती है,

अनुराग..... शादी क्यों नहीं कर सकती,

अनु..... वो 20 साल का मेरा छात्र है, मैं उसकी 40 साल की शिक्षिका हूं,

अनुराग..... ऐसी गलती तुमसे कैसे हुई,

अनु....... छः महीना पहले तुमसे ठुकराने जाने के बाद मैं अपनों से दूर अनजान शहर में आई तो यहां एक

            कॉलेज में पार्ट टाइम पढ़ाने का काम मिल गया, रहने के लिए कॉलेज के नजदीक राहुल का घर

             है, वहि राहुल के मम्मी-पापा मुझे भाड़े में एक कमरा दे दिये, उन्होंने मुझे अपनों से बढ़कर

             प्यार किया,इतना प्यार पाकर भी मैं अपनों को नहीं भूली थी, अकेले में खुद को कमरे में

             बंदकर जी भर रोती, राहुल कभी-कभी पढ़ने के बहाने, मुझसे मिलने आ जाया करता, मेरी नम

             आंखो को देखकर, मेरे दिल का हाल पढ़ लेता, मैं उसे राहुल बोलती, वो मुझे दोस्त बोलता, वो

             मुझे रोने नहीं देता, मजाक वाली बातें करता, मैं हंसने को मजबूर हो जाती, पता नहीं कब और

             कैसे, हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई, मुझे पता नहीं चला,

             जिस दिन उससे बातें नहीं होती, मेरा मन किसी काम में नहीं लगता, उसे भी पता चल गया कि

             हमारी दोस्ती,प्यार में बदल चुकी है, हम दोनों एक-दूसरे को पाने को बेचैन हो गये, हम दोनों के

             बीच उम्र का अंतर दिवार बनकर खड़ा था, जिसे ना तो मैं पार कर रही थी ना राहुल,प्यार क्या

             होता है, उसकी तड़प क्या होती है, मैं जान गई," बिन छुए " उसके छुने के अहसास को महसूस

            कर पाती कर पा थी, इस उम्र में उसे याद कर अंग-अंग खिल जाता, उसे गले लगाती तो क्या

            होता,सच में प्यार जितना भी दर्द क्यों ना दे, फिर भी बहुत प्यारा लगता है, किस्मतवाले लोगों

            पर प्यार की मेहरबानी होती है, यह वह अहसास है जिसके बिना जिंदगी अधूरी है, एक बात

            जान पाई की प्यार की कोई उम्र नहीं होती, यह कभी भी, किसी से भी हो सकता है,अब जाना कि

            तुम्हें रीतु से प्यार हुआ होगा,मैं तुम्हें गलत समझती थी, उसके लिए माफ कर दो,तुम रीतु को

           छोड़कर काशी क्यों जा रहे हो, वह तुम्हें जाने कैसे दे रही है,

अनुराग...... मैंने रीतु से शादी नहीं की,

अनु....... क्यों, शादी की सारी तैयारी हो गई थी, मैं भी तलाक दे दी, फिर क्या हुआ,

अनुराग...... शादी के दिन मुझे एहसास हुआ कि मैं गलत हूं, वह 20 की है और मैं 40 साल का, एक

                समय आयेगा जब शारीरिक तौर पर मैं उसके काबिल नहीं रहुंगा, तब रिश्ते में प्यार का

                 एहसास नहीं रहेगा, हमारा रिश्ता बोझ बन जायेगा, मैं किसी पर बोझ नहीं बनना चाहता,

अनु........ तुम ठीक बोल रहे हो, इसी एहसास से मैं राहुल को छोड़कर चली आई, वो तो नासमझ है, नया

             खून है, समाज से बगावत कर मुझे अपना लेगा और हमारे प्यार की जीत हो जायेगी, यह जीत

             हार का अहसास दिलाएगी जब वह 40 साल का युवक और मैं 60 साल की बुढ़ी हो जाऊंगी, उस

             वक्त उसे अपने गलती का अहसास होगा,आज मेरे करीब आने का उपाय सोचता है, उस समय

              मुझसे छुटकारा पाने का उपाय सोचेगा, मेरे इंकार से, राहुल अभी मुझे गलत समझ रहा होगा

                पर जब वह समझदार होगा, उसे समझ में आ जाएगा कि किसी को पा लेना प्यार नहीं होता,

अनुराग....... सच बोल रही हो अनु, प्यार करने वाले, कभी भी अपने प्रेमी का बुरा नहीं सोच सकते,

अनु......... अनुराग,

अनुराग....... बोलो,

अनु......... राहुल से प्यार करके, मैंने गुनाह किया है ना,

अनुराग....... प्यार किया नहीं जाता, प्यार हो जाता है, तुमने कोई गुनाह नहीं किया,

अनु........ तुम सच बोल रहे होना,

अनुराग..... गंगा में नहाकर राहुल को भूल जाओगी,

अनु.......नहीं,

अनुराग..... मैं भी रीतु को नहीं भूल सकता,

अनु....... हमें क्या करना चाहिए,

अनुराग..... एक बार सोचो, किस्मत ने हम दोनों को फिर क्यों मिलाया,

अनु........नहीं पता,

अनुराग..... सच में भोली हो, हम दोनों ही एक दूसरे के पूरक है, हम इतने नासमझ थे कि शादी के बंधन

                में बंधकर भी एक-दूसरे के नहीं हुए,

अनु...... मैं तो आपसे सच्चा प्यार करती थी,

अनुराग..... शायद, तुम्हारे प्यार ने मुझे गलत काम करने से रोका, और मेरे प्यार ने तुम्हें रोका,

अनु...... सच बोल रहे हो, एक-दूसरे से दूर रहकर भी, हम जुड़े रहे,

अनुराग..... अब, मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता, काशी जाने के टिकट को फेंक देते है, एक ऐसी जगह चलते

             है जहां हम दोनों को कोई नहीं जानता,40 साल में जी लेते है अपने उन बीते हुए पलों को, जिसे

             खो चुके है, तुम तैयार हो,

अनु......... तुम्हारी पत्नी हूं, जो बोलोगे मुझे मंजूर,

अनुराग...... पत्नी जी से तो तलाक हो चुका है, तुम मेरी 20  बर्षीय रीतु हो और मैं तुम्हारा 20  बर्षीय

               राहुल, क्यों मंजूर है, पा लो अपने राहुल को मुझमें, हटा दो शर्म का पर्दा, कर लो अपने सारे

               अरमान पूरे,

अनु........ तुम मेरे ' राहुल ' हो,

अनुराग..... हां, मेरी जान, आज से मैं तुम्हारा राहुल,

अनु........ और मैं तुम्हारी रीतु,

“दोनों दूसरे ही स्टेशन पर अपना-अपना सामान लेकर उतर जाते है, काशी जाने का टिकट फेंक, अनजान शहर का टिकट लेकर राहुल और रीतु ' प्यार के सफर ' पर निकल जाते है ”

उन्हें उनका सफर मुबारक हो, सुबह का भूला शाम को लौट आये तो उसे भूला नहीं कहते,

                                                                                                   Rita Gupta.