लांल गुलांब

लांल गुलांब

मोहन लाल किसी गांव में व्यापारी था, उसके छोटे से परिवार में उसकी पत्नी, दो बेटी और एक प्यारा सा कुत्ता था, बाढ़ के कारण परिवार दैनियं अवस्था में आ गय़ा मोहन लाल को कमाने के लिए शहरं जाना पड़ा,

                 जब वो शहरं जाने लगा तो बड़ी बेटी लता सें पूछा---उसके लिंए क्या लाएगा, लता नेकहा-- नये कपड़े, और मिठाईया जब मोहन लाल ने  द्दोटी बेटी ऱमा  सें पूछा---उसके लिंए क्या लाएगा, ऱमा  नेकहा-- एक लांल गुलांब, वह बहुत सम़झ़दार थी, उसनें सोचा पिताजी पहलीं बार शहर जा रहे है, कमाना मुश्किल होगा इसलिए केवल फूल मागा,मोहन लाल ने कहा-- ठिक है, उसके बाद उसने परिवार से विदाई ली,

                      शहर पहुंचने के बाद काफी मेहनत कर के व्यापार मे  पैर जमा पाया, कुछ महिने बाद अपने गांव परिवार से मिलने आना चाहा, तों पत्नी, और  दोनों बेटियों के लिए  नये कपड़े, और मिठाईया ली,और गांव की ओर चल दिया,गांव और शहर के बीच एक छोटा सा जंगल पड़ता था, मोहन लाल को चलते- चलते रात हो गई, उसनें सोचा रात के समय जंगल पार करना ठिक नहीं होंगा,  इसलिए कहि सहि जगह दे़ख कर रुक जाते है, सुबह बाकी रास्ता तय कर लेगे   

जंगल में चारों तरफ अंधेरा और सं नाटा था, दूर एक छोटी सी रौशनी दिखाईं दी, उसने सोचा वहां कोई-न- कोई रहता होगा,मोहन लाल जब वहां पहुचा तो एक अच्छा सा  घर दिखा, उसने घर के दरवाजे को खटखटान चाहा तो दरवाजा खुला हुआ पाया, वह आवाज लगाते हुए घर के अंदर गया, घर मे कोई नही थl ,सामने टेबुल पर खाना रखा हुआ था, दिन भर का थका, मोहन खाना खाया और विस्तर पर जा कर सो गया,

                              जब अचानक सुबह में नींद खुली तो परेशान था कि यह किसका घर है, इसमें कोई  क्यो नही है, उसने सोचा जाते-जाते घर के मालिक को धन्यवाद करते हुए जाए, इसलिए पुरे घर में इधर-उधर किसी को खोज रहा था, अचानक उसे घर के पीछे के बगीचे मे लाल गुलाब पर नजर पड़ी उसे अपनी बेटी रमा कि याद आ गई,

गुलाब इतना प्यारा था कि वह अपने आप को रोक नहीं पाया उसने गुलाब तोड़ ली गुलाब तोड्ते के साथ ही जोर-जोर से राक्षस के रोने कि आवाज सुनाई दी वह रोते हुए बोल रहा था---- तुमने फूल क्यों तोड़ा, मेरे घर में रात भर रहे खाना खाया, सोया मैने कुछ नही कहा,

              तुमने गुलाब तोड़ कर मेरे दिल को तोड़ा है, मै तुम्हे मार डांलुगा मोहन माफि मांगने लगा, राक्षस बहुत नाराज था, अंत मे राक्षस ने कहा---मै एक शर्त पर माफी करुगा, जब तुम अपने घर जाओगे तो सबसे पहले तुम अपने घर के, जिस को भी देखोगे, उसे मेरे पास भेज दोगे, वह यही रहेगा,

मोहन लाल सोच मे पड़ गया, उसने सोचा कुत्ता तो थोड़ी सी आहट मे ही दोड़ कर बाहर आ जाता है, इसलिए उसी को पहले देख सकता हूं यह सोच कर मोहन तैयार हो गया,

राक्षस ने कहा---मुझसे चालाकी मत करना, यह फूल ले जाओ यहि फूल उसे यहां तक ले आयेगा, मोहन लाल आजाद होकर घर की ओर चल दिया, सोच डुबा चले जा रहा था, जैसे- जैसे घर नजदिक आ   रहा था उसे बुरे ख्याल आ रहे थे, अगर उसकी पत्नि या बेटी पहले दिख गई तो क्या होगा,घर आ गया, दुभाग्य कि बात उस समय कुत्ता घर के अंदर खाना खा रहा था, छोटी बेटी रमा दौड़ते- दौड़ते बाहर कि ओर आ रही थी, मोहन ने सबसे पहले रमा को देखा वह दौड़ कर पिताजी के गले लग गई फिर घर के बाकि  सदस्य आ गये, सब बहुत खुश थे, मोहन ने सबको कपड़े और मिठाईया दी, रमा को अपना लाल गुलाब मिला वह बहुत खुश थी,

रमा ने अपने पिता का उदास चेहरा पढ़ लिया, बहुत पूद्दने पर मोहन ने घर वालों को पूरी बात बताई, सब उदास हो गये कि अब क्या होगा, तब रमा ने कहा--परेशानी की कोई बात नही जो होना होगा वहि होगा, मै जंगल में राक्षस के घर जाऊंगी, लाल गुलाब के सहारे केवल रमा वहा गई

राक्षस रमा को देखकर बहुत खुश हुआ, रमा को उस घर में कोई तकलिफ नही था, राक्षस रमा से बहुत सारी प्यारी बाते करता, केवल दिखाई नहीं देता था, रमा उससे कहती--कि वह उसे देखना चाहती है, राक्षस बात टाल देता था, इसी तरह . कुछ दिन बीत गये,

एक दिन रमा ने अपनी मम्मी पापा से मिलने जाना चाहा राक्षस मना नहीं कर पाया उसने कहा--जल्दी आ जाना, रमा ने कहा ठिक है मै जल्दी आ जाऊंगी

रमा अपने घर चली गई, घरवालों उसे देखकर बहुत खुस थे, रमा अपने परिवार मे मस्त रहने लगी, एक दिन रमा ने सपने मे देखा कि राक्षस बीमार है, केवल रमा- रमा पुकार रहा है, उसके बाद रमा उसके लिए बेचैन हो गई, उसने घरवाले से कहा कि-- उसे फिर वहां जाना था लेकिन वह भूल चुकी थी, उसकी जरूरत वहां है,

घर वालो के मना करने के बाद भी राक्षस के घर चली गई, रमा ने महसूस किया कि उसे प्यार हो गया है, राक्षस सच में बीमार था, उसने रमा के जाने के बाद अपना ख्याल नहीं रखा जब रमा को देखा तो उसकी जान मे जान आई, दोनो फिर से प्यारी बाते करने लगे, रमा ने राक्षस से कहा--मुझे तुम से प्यार है मै शादी करना चाहती हूं , क्या तुम्हे मुझ से प्यार है?

राक्षस रो पड़ा और कहने लगा--- रमा तुम ने मुझे देखा नही है, सिर्फ मेरी आवाज सुना है, मैं राक्षस हूं मैंने अपना चेहरा दिखाया तो तुम डर जाओगी, शादी कैसे करेगी, ऐसी बाते मत करो, मैं अपने आप को मना लुगा, तुम यहां से हमेशा के लिए चली जाओ, मुझसे जो गलती हुई उसके लिए मै माफी मागता हूं,

रमा रोते हुए कहने लगी-- तुम्हे नही पता मैं तुमसे प्यार करती हूं, इसलिए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम राक्षस हो या देवता, मै तुम से शादी करुगी, रमा के इस फैसले से आसमान से फूलो कि वर्षा हुए और  राक्षस एक सुन्दर राजकुमार बन गया

रमा यह देख कर आश्चर्य हुई, तब राजकुमार ने बताया कि पिछले जनम में एक लड़की उससे बहुत प्यार करती थी, लेकिन राजकुमार को उस के प्यार कि कोई कदर नही थीं, राजकुमार के इस व्यवहार से लड़की का दिल इतना दुखा कि लड़की ने प्राण त्याग दिया और जाते- जाते राजकुमार को श्राप दे गई कि तुम इतने बदसूरत हो जाओगे कि कोई भी  लड़की तुमसे  प्यार नही  करेगी,

                                       अगर कोई तुम्हारे इस बदसूरत रूप के साथ तुम्हे प्यार किया तो तुम  श्राप मुक्त हो जाओगे.......