मैं

मैं

मैं ,यह शब्द जितना छोटा है., इसका मतलब उतना ही उलझा हुआ है, इसलिए शायद ही कोई" मै" को पहचान पाया है, हम सब,सब के बारे में कुछ य़ा बहुत कुछ जानते है, लेकिन मैं यानि ख़ुद के बारे मे,सहि मायने में कुछ नही जानते, न ही जानते की कोशिश करते है ........

लेकिन मैं," रीता " हमेशा अपने आप से यह समझने के लिए संघर्ष करती रही ,कि मेरा जन्म क्यों हुआ है, एक कुरसी, जहाज़, मकान इत्यादि चीजे जो कि प्राण हिन है , इनका. भी निर्माण किसी मतलब य्रा जरूरत के लिए किेया गया है,

                      हमारा निर्माण तो. भगवान कि कृपा सें हुआ है, इस जन्म के पीछे बहुत बड़ा कोई मकसद होगा, जो कि हमें नही पता है l

हमारा फर्ज बनता है, कि हम यू ही चुपचाप अपने जीवन को नष्ट होते हुए न देखे अपने आने के मकसद को ढुढ़ निकाले, और जाने के पहले कुछ अच्छे काम कर के जाये, ताकि लोग हमे हमारे गुणो के कारण, हमे पहचाने,

           लेकिन अपनी पहचान बनाना इतना आसान नहीं होता,

    वो लोग खुश नसिब होते है, जिनके राहो में काटें कम होते है, वर्ना जिन्दगी काटों  भरीं  सेंज हैं,          

     मैनें ने  साफ -साफ महसूस किया है, कि आप कामयाब. तब हों सकते है, जब आप" भाग्य " के धनी हो, आप मेहनत से केवल धन कमा सकते हैं, नाम नहीं पैसा कभी भी किसी भी तरिके से कमाया जा सकता है, लेकिन सम्मान, प्यार, आदर नहीं पाया जा सकता है !