Welcome To Radhikalaya Welfare Organization

एक दिन आफिस में काम करते समय मैने दोस्तो से पूछा _ कितना बज रहा है, समीर ने कहा --11 बजकर 30 मिनट, रवि ने कहा --12 बजने मे 30 मिनट बाकि है, दोनो ने एक ही समय बताया जो कि सही था i लेकिन दोनो के बोलने का तरिका अलग था i

ऐसा क्यो ?

मैं बहुत सोचकर समझ पाई कि दोनों के सोच के कारण ,दोनों के बोलने मे अंतर आया, यानि हमारी जैसी सोच होगी , वैसे ही बोल बाहर आयेगे, इस तरह हम सहि तरिके से मनन करे और किसी के सोच को पढ़ सके , तो वह क्या बोलने वाला है, पता चल सकता है, या वो जो बोल रहा है, उसके पीछे उसकी सोच क्या  है,  

अगर यह ज्ञान हमें हो जाय तो हम लोगों से धोखा खाने से बच सकते है l

दुनियां मे लोगों की कमी नही है, लेकिन आपको किस से दोस्ती करनी है,किससे सा़वधान रहना है,

यह आना बहुत जरूरी है|

इसकी पढ़ाई स्कूलो मे नही होती, केवल किताबी ज्ञान से नही होता ,अनुभवी भी होना पड़ता है, इसके लिए जरूरी है "मन का मंथन " समुद्र मंथन से अमृत और विष अलग_ अलग हुए थे, उसी प्रकार मन का मंथन से सहि और गलत का अंतर समझ में आ जायेगा.,

एक और बात , जो  बात मुझे सहि लगेगी वो आपको भी साहि लगे जरूरी नही है, इसलिए हम सब एक विचार वाले नही है, नं ही हो सकते है , लेकिन अपने विचारो के साथ जिनके विचार मिल गे  उनसे दोस्ती करे तो दोस्ती लम्बे समय तक चलेगी,

मै एक वृद्धा आश्रम खोल रही हूँ ! इस मे उन लोगो की सहयोग कि जरूरत है, जिनके विचार हमारे विचार से कम-कम 50% मिलेगे यह सहयोग केवल रुपये. का सहयोग नहीं है, इसमें स्वागत है, आपके विचारो का, अनुभवो का,  सोच का, सपनो का,...............

अपना मत डालें

" लक्ष्मण रेखा "

" बुद्धि "

व्यवहार