Unself childhood( गांव या शहर में)

Unself childhood( गांव या शहर में)
'बचपना' एक प्यारा सा स्वभाव है, किसी मे बचपना कब तक है या किस उम्र के बाद इसे हमारा साथ छोड़ देना चाहिये, और हमें समझदार बन जाना चाहिये, इसकी कोई सहि माप-तोल नही है, जब तक किसी के ऊपर उसके मां-बाप का साया है, वह उनकी छत्रछाया मे, अपने बचप,ने को महसूस कर रहा है,
दुर्भाग्यवश 5 साल का बच्चा अगर, अपने मां-बाप को खो चुका है तो उसका बचपना छिन चुका है, वह इसी उम्र के बाकी बच्चों के अपेक्षा समझदार होता है, सरकारी नियमानुसार 14 साल से नीचे के बच्चों को बचपने में रहने का हक है,
गांव और शहर के जीवन-यापन पर नजर डालते हुए देखते है कि" बचपना "कहां असुरक्षित है,
गांव के जीविका के लिए खेती करना, पशुपालना, अधिकांश घर कि जरूरत होती है, वहां के लोगों कि सोच है.......... जितने बच्चें, दुगने हाथ, और जितने हाथ, उतनी कमाई, जबकि शहर के लोगों कि सोच....... जितने कम बच्चें, उतनी कम जरूरते और जितनी कम जरूरते, उतने ही आराम की जिंदगी,
गांव के बच्चें, अपने भाई-बहन की देखभाल, खेत की रखवाली, पशुओं को नहलाया, इत्यादि काम 5 साल के उम्र से ही, करना शुरू कर देते है, ऐसे परिवेश में रहते है कि बोल-चाल की भाषा में गाली का इस्तेमाल आम बात होती है, जबकि शहर के 5 साल के बच्चों को नैतिक शिक्षा प्रदान के लिए स्कूल होते है, इन्हें Good morning और Good night यानि व्यवहारिक ज्ञान दिया जाता है,
गांव के बच्चे, उम्र से पहले बड़े हो जाते है, वह 14 साल में वो सब जानते है, जिसकी जानकारी उन्हें 18 साल मे होनी चाहिये थी, जबकि शहरी बच्चों को सहि समय पर सहि ज्ञान प्रदान किया जाता है,
कुछ मां-बाप अपने बच्चों से घर के इतने सारे काम कराते है पर उसे बाल-मजदूरी मे नही गिनते, क्योंकि वह अपना काम होता है, बच्चा अपना काम करे या पराया, शोषण का शिकार तो हो रहा है,
शहर में मजबूरी या लाचारी वश हि किसी बच्चे की पढ़ाई रुकती है, यहां के मां-बाप इतने जागरूक है, खुद दिन-रात मेहनत कर, बच्चों को शिक्षित कर रहे है, जबकि गांव में इसका अभाव है, शिक्षा के महत्व को नहीं समझ पाये है,
एक उदाहरण देखते है...........................
मोहन की शादी 20 साल की उम्र में हुई,
20 साल बाद ,उसके बेटे की शादी हुई,
उसके 20 साल बाद, उसके पोतों( बेटे का बेटा) की शादी हुई,
मात्र 60 साल की उम्र के मोहन के परिवार में सदस्यों कि संख्या........... मोहन, श्रीमति मोहन,5 बेटे-5 बहुऐ,25 पोते-25 उनकी पत्नीयां, लगभग 62सदस्यों का परिवार
रौशन की शादी 30 साल की उम्र में हुई,
30 साल बाद, उसके बेटे की शादी हुई,
60 साल के शहरी रौशन के परिवार में सदस्यों कि संख्या.......... रौशन, श्रीमति रौशन,2 बेटे-2 बहुऐ और4 पोते ( बेटे का बेटा) लगभग 10 सदस्यों का परिवार,
60 साल का मोहन 62 सदस्यों वाले परिवार को, लाख कोशिश के बाद भी, इन्हें बिखरने से नही रोक पाया, परिवार टुकड़ों में बट गया है, पारिवारिक समस्याओं के दबाव से, मात्र 60 साल का होते हुए भी,80 साल का लगता है,
रौशन 10 सदस्यों वाले परिवार के साथ, आज खुशहाल जीवन व्यतित कर रहा है, संयुक्त परिवार के आनंद को महसूस करते हुए,60 साल का रौशन,40 साल का दिखता है,
गांव के जीवन-यापन ने सिर्फ, बचपना ही नहीं, जवानी भी छीन ली, मोहन की जिंदगी, आज बोझ बन गई है,
Rita Gupta