"शादी" मेरी जरूरत थी,

"शादी" मेरी जरूरत थी,

'शादी' एक पवित्र रिश्ता है पर इस रिश्ते में बंधने वाले दो परिवारों कि कुछ या बहुत कुछ आकाक्षाएँ होती है, लड़की वाले अपने बेटी की खुशी को ध्यान मे रखते हुए किसी रिश्ते को अपनाते है, उसी प्रकार लड़के वालों को जब लगता है कि यहि हमारे घर के मान-मर्यादा मेें चार चाँद लगाने वाली बहू है, तभी उसे अपनाते है,बहुत छान-बीन के बाद ही कोई रिश्ता जुड़ता है, फिर भी शादी के बाद दोनों परिवारों की अपनी-अपनी राय होती है कि वो ठगे जा चुके है, इससे अच्छा रिश्ता मिल सकता था, पर क्या करे, यहि किस्मत मेें था, कर भी क्या सकते है ?

यह कहानी ऐसे स्वार्थी लड़की की है, जो अपने ससुराल वालों के लिए 'ग्रहण का चॉद' साबित हुई,

आज के युग में सरकारी नौकरी पाना, भगवान पानें जैसा है, राहुल दिन-रात मेहनत करता है, रेलवे में कार्यरत होने के लिए B.A पास करने के बाद से, रेलवे के हर प्रतियोगिता परीक्षा में बैठता है, लगभग 7-8 सालों से परीक्षा की तैयारी में जी-जान से लगा है, उसके उम्र के दोस्तों की शादी हो रही है, पर उसकी जीद है कि पहले नौकरी फिर शादी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

भगवान ने सुन ली और उसकी मेहनत रंग लाई," स्टेशन मास्टर" की नौकरी मिल जाती है, नौकरी मिलने की खबर आग की तरह फैलती है, अच्छे-अच्छे रिश्तों कि लाइन लग जाती है,5 लाख रू दहेज देने वाले तैयार है, लड़की देखने का कार्यक्रम, घरवाले शुरू कर देते है, राहुल साँवला है पर उसे लड़की गोरी, लम्बी, पतली और खुबसूरत चाहिए,

घरवाले इसी बात को ध्यान में रखकर लड़की देख रहे है, अगुवा ( शादी ठीक कराने वाला ) एक रिश्ता लेकर आता है,जो कलकत्ता की रहने वाली है, इसके पहले लड़के वाले 19-20 लड़की देख चुके है पर कोई जची( पसंद) नहीं, इसे भी देखने जाते है, लड़की बिल्कुल वैसी है, जैसी लड़के को चाहिए था, घरवालों के देखने के बाद राहुल भी लड़की देखता है, छेका (आर्शीवाद) भी उसी दिन हो जाता है, लड़के ने घरवालों को मौका भी नहीं दिया कि वो कोई शर्त रख सके, लड़की वाले बहुत ही साधारण घर के है, वह तिलक देने के स्थिति में नहीं है, अपनी बेटी को थोड़ा-बहुत, कुछ दे सकते है, लड़का तैयार है,

लड़के वाले(आर्शीवाद) के बाद घर चले आते है, लड़के के मम्मी-पापा इस रिश्ते से नाखुश है, पर राहुल के मर्जी में ही खुश होते है, उसके पापा कहते है........ वो तो दहेज देगें नहीं, शादी में बारात ले जाने, प्रीती भोज करने, गहनें बनवाने, और मेहमानों की खातिर में रूपये लगते है वो सब कहा से होगा, राहुल कहता है........... दो साल की नौकरी में, बचाया हुआ सब रूपया आपको दे रहा हूं, और कुछ आप लगा दो, मुझे उसी लड़की से शादी करनी है, वो दहेज नहीं दे सकता इसलिए हम रिश्ता तोड़ दे, ऐसा नहीं होता,

मैं छुट्टी लेकर मुम्बई से बार-बार नहीं आ सकता, आप अगुवा से बोलकर जितना जल्दी हो सके, शादी कर लेते है, जरूरत पड़ी तो 10 दिन की छुट्टी बढ़ सकता है, लड़के कि मांग पर वहि किया जाता है,' झट मंगनी पट व्याह 'हो जाता है, लगभग 15दिनों के अंदर , शादी के सब कार्यक्रम समाप्त हो जाते है,

मनपसंद लड़की पाकर लड़के के साथ-साथ घरवाले भी खुश है, शादी के 5 दिन बाद लड़का मुम्बई और लड़की मायके चली जाती है, उसके बाद शुरू होता है,फोन पर घंटो बाते करने का सिलसिला,

लड़का(राहुल).......हलो, तुम मेरे साथ मुम्बई आना चाहती होना,

लड़की(प्रीती)........ हॉ, आकर ले जाओ,

राहुल............. मैं अपने भाई को भेज रहा हूँ, तुम विदाई कराकर कुछ दिनों के लिए, मेरे मम्मी के साथ

                    रहने के लिए आ जाओ,

प्रीती.............. आप वहाँ रहोगे,मै ससुराल में क्या करुगी, आपके घरवालों की सेवा, शादी आपसे की है

                    घरवालों से नहीं,

राहुल........... सिर्फ महिना दिन तो उनलोगों के साथ रह लो फिर मैं वहाँ आऊगा और तुम्हें अपने साथ

                  यहाँ लेकर आ जाऊंगा,

प्रीती........ .नहीं, सिर्फ 7 दिन उनकी सेवा कर सकती हूं, पहले आप मुम्बई ले जाने का टिकट काटये, तब

               मैं आऊगी और मेरे साथ मेरी दीदी की बेटी जा 6 साल की है, वो भी मेरे साथ चलेगी,

राहुल......... क्यों, वो क्यों साथ, हमारी नई-नई शादी हुई है, हम जहाँ-तहाँ घुमने निकलेगे, तुम उसे फिर

                कभी, अपने साथ लेकर आना,

प्रीती.......... मेरी दीदी, इस दुनिया में नहीं है, यह मुझे ही अपनी माँ समझती है, ये मेरे बिना और मैं

                इसके बिना नहीं रह सकते,

राहुल.......... देखो, उसे अपनी मम्मी के पास रहने दो, नानी के पास तो रह ही सकती है, मेरे घरवालों को

                 ये सब पसंद नहीं आयेगा,

प्रीती.......... रहने दो, मुझे तुम्हारे साथ नहीं जाना,मैं मायके में ही ठिक हूं,

राहुल.......... ठिक है, उसे भी साथ ले लो,

'कुछ दिन बाद राहुल वहाँ से अपने घर आता है,5दिन तक मम्मी-पापा के साथ रहकर, अपनी बीबी और उस बच्ची को लेकर मुम्बई चला आता है, वहाँ एक महिने बाद प्रीती का असली रूप सामने आता है, राहुल अवाक् रह जाता है, छोटी बच्ची उसके दीदी की बेटी नही, उसकी बेटी है, प्रीती बिन ब्याहि मां है, प्रेमी ने धोखा दिया, उसके बाद गर्भ में पल रहें,बच्ची को नष्ट नहीं किया जा सकता था, इसलिए उसे इस दुनिया में लाना पड़ा,

इतना कड़वा सच, जब राहुल के सामने आया तो उसके पैर तले की जमीन खिसक गई, उसे अब अपने जल्दीबाजी में लिए गये फैसले पर अफसोस हो रहा है, काश वो अपने घरवालों की बात सुनी होती, कुछ जाँच-पड़ताल के बाद शादी जैसा फैसला लेना चाहिए था, वह सोचता है........ जो होना था, वो तो हो गया, अग्नी के फेरे लेकर उसे पत्नी माना है, इसकी बदनामी में, मेरी बदनामी है, बात को यहि दबा देते है,

राहुल....... तुमने सच क्यों छिपाया, शादी के पहले हम फोन पर बात करते थे, तुम्हें बताना था,

प्रीती.......... सच जानकर, तुम शादी करते,

राहुल.......... वो मैं सोचता, पर तुम झूठ बोली, दिल को दुःख हुआ,

प्रीती.......... शादी मेरी जरूरत है, बेटी को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए, बाप का साया चाहिए,

राहुल......... जो हो गया उसे ठिक नहीं किया जा सकता है, जो सच तुमने मुझे बताया, वो मेरे घरवालों

              को कभी नहीं पता चलना चाहिए, इस बच्ची को गोद लेकर, हम मम्मी-पापा बन जायेगे,

प्रीती....... तुम चाहो तो, तलाक दे सकते हो, मुझे तुम्हारे वेतन का 50 % हर महीना चाहिए, उसमें मेरी

             और मेरी बेटी का काम चल जायेगा,

राहुल......... तुम्हें शर्म नहीं आती, ऐसी बाते बोलते हुए, तुमने मेरे पैसे के लिए शादी की,

प्रीती......... सही समझे, तुमसे अच्छे-अच्छे लड़के मुझपर मरते है, तुम्हारी आमदनी सही लगी, इसलिए

                शादी करने को तैयार हो गई,

राहुल........ ऐसी बाते मत करो, तलाक की नौबत नहीं आयेगी,मैं तुम्हें इतना प्यार दुंगा, तुम अपने गम

                भूल जाओगी,

प्रीती......... ठिक है,

लगभग छः महीने बाद, प्रीती मां बनने वाली होती है, राहुल बहुत खुश है, वह यह खबर अपने मम्मी-पापा को देता है कि आपलोग दादा-दादी बनने वाले है, सबकोई बहुत खुश है,

प्रीती........ राहुल, मुझे बच्चा नहीं चाहिए,

राहुल....... क्यों,

प्रीती........ मैं कोई नया जिम्मेवारी नहीं लेना चाहती, एक बच्ची है, वहि रहेगी,

राहुल......... तुम पागल तो नहीं हो, मेरा दिल नहीं करता कि एक मेरा भी बच्चा हो,

प्रीती......... मैं नहीं संभाल पाऊगी, मुझे गर्भपात करना है,

राहुल........ ऐसा सोचना भी नहीं, नहीं तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा,

प्रीती........ क्या करोगे,

राहुल......... मुझे बच्चा चाहिये,

"कुछ दिन बाद, प्रीती, राहुल के मना करने के बाद भी, गर्भपात करा आती है, जब राहुल को पता चलता है, गुस्सा से उसका दिमाग खराब, एक थप्पड़ लगा देता है प्रीती को, अब क्या था, मानो वो इसी दिन का इंतजार कर रही थी कि कब राहुल के सब्र का बांध टुटे और वह' तिल का ताड़ 'बनाये इतना चिल्ला-चिल्लाकर रोती है कि पड़ोसी आ जाते है, सबके सामने रो-रोकर राहुल की शिकायत करती है, लोग राहुल को ही बोलते है कि बीबी पर हाथ नहीं उठाना चाहिये, ये गलत बात है,

इस घटना के बाद, राहुल से बात करना बंद कर देती है, अपने मायके फोन कर बता देती है, राहुल उसे खुब पीटा है, उसके मायके वाले, राहुल के मम्मी-पापा से कहते है कि आपका बेटा ऐसा करेगा, हमें नहीं पता था, राहुल के मम्मी-पापा राहुल पर गुस्साते है, चारों तरह से वो ही दोषी माना जाता है, प्रीती मायके जाने के लिए भूख-हड़ताल करती है, राहुल छुट्टी लेकर उसे उसके मायके छोड़कर, अपने घर आता है, उसका उदास चेहरा,घरवाले देखकर बहुत दुःखी होते है,मां उदासी का कारण पूछती रह जाती है,पर राहुल अपनी जुबान पर ताला चुका था, वह अपने घरवालों को प्रीती के व्यवहार के बारे में घरवालों को बताकर दुःख नहीं देना चाहता था, एक दिन के बाद ही वह मुम्बई आ जाता है,

वहाँ से जब कभी भी प्रीती को फोन करता कि मैं तुम्हें लेने आ रहा हूं, वह मना कर देती, लगभग2-3 महीना बीत जाता है, वह अब राहुल के साथ नहीं रहना चाहती, राहुल सारी गलतियों पर पर्दा डाल अब भी उसके साथ, शादी के पवित्र बंधन को निभाना चाहता है, दोनों के बीच के मनमुटाव से अनजान, राहुल के घरवाले, ये सोच रहे है, जाने दो बहु कुछ दिन और मायके में रहना चाहती हो,

"एक दिन अचानक, रात को एक बजे, जब दरवाजे की घंटी बजती है, तो घर के बड़ो कि नींद खुल जाती है, राहुल के मम्मी-पापा दरवाजा खोलने के पहले पूछते है............ कौन है ?

पुलिस............. पुलिस, दरवाजा खोलो,

पापा...............( दरवाजा खोलते हुए)क्या हुआ,

पुलिस............ आप, राहुल के पापा है,

पापा............... हॉ, पर हुआ क्या है,

पुलिस........... थाना चलिए, माताजी आप भी, उसका छोटा भाई कहाँ है ?

छोटा भाई........(वो भी जाग जाता है) क्या हूं, पुलिस क्यों,

पुलिस............ अपने साथ वाले हवलदार से कहता है, इसे भी गाड़ी में भर

छोटा भाई....... पर हमलोगों ने किया क्या है,

पुलिस............ शर्म नहीं आती ,पढ़े-लिखे होकर, घर की बहु को जान से मारने की कोशिश की,

छोटा भाई...... भाभी दो महिने से मायके में है, हमसब उन्हें कैसे और क्यों मारेगे,

पुलिस............ ये साबित करना,वकील का काम है, केंस किया गया है, हमारा काम गिरफ्तार करना है,

'पुलिस राहुल के मम्मी-पापा और छोटे भाई को थाना में बंद कर देती है, ये खबर जब राहुल को मिलती है वह अवाक्‌ रह जाता है, प्रीती को फोन करता है ,वह फोन नहीं उठाती, बार-बार फोन करने पर वह उठाती है और कहती है........... तुम्हें कब से समझा रही हूं कि मुझे तलाक चाहिए, तुम्हारे साथ नहीं रहना, अब केंस कर दिया है, भोगों, अपने आपको भगवान समझते हो, मुझे माफ कर मेरे साथ रहना चाहते हो, मुझे भगवान के साथ नहीं रहना, अब तो तुम्हारे साथ तुम्हारे घरवालों को भी सजा मिलेगी,

राहुल छुट्टी लेकर घर भी नहीं आ सकता, आते ही पुलिस उसे भी थाना में बंद कर देगी, घर की बहु और बेटी हिम्मत दिखाती है, वकील कर उन तीनों को' बेल ' दिलाती है, अब शुरू होता है, रूपये की बर्बादी, थाना, वकील सिर्फ पैसे की भाषा जानते है, जिंदगी नर्क के समान बना दिया बहु ने ,साल दो साल घर से कोट, थाना और जेल का चक्कर चलता रहा, ऐसे-ऐसे आरोप लगाये थे, जिससे पूरा घर बुरी तरह फंस चुका था, रातों की नींद और दिन की चैन गायब हो गया था,

जिस शादी को होने में मात्र 15 दिन लगा था, उससे छुटकारा पाने में, तीन साल (365 into 3=1005) दिन लग गये, यह छुटकारा तो सिर्फ कानूनी है, जो जख्म दिये है उनकी बहु ने, उससे इस जन्म में छुटकारा नहीं मिल सकता, दो साल तक केंस चलता है, जिन बातों पर राहुल पर्दा डालना चाहता था, वो सबके सामने आ जाती है, लड़की वाले को तो ऐसी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता, उनका यह व्यवसाय था, अच्छें घर से रिश्ता जोड़कर, तलाक लेकर उसी के पैसे से अपना गुजारा करना,

लड़के वालों के लिए ये सब, सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली बातें है, अंत में फैसला प्रीती के पक्ष में होता है, बिना दहेज दिये हुए, गलत आरोप के द्वरा लड़के वाले से, 5,00,000 रुपयॉ लेने में कामयाब हो जाते है, राहुल के घरवाले, अपने घर के सुख-शांती के लिए उन्हें ये रकम दे देते है,

लड़के वालों के लिए, यह शादी ऐसा कड़वा अनुभव बन गया है कि वह बहुत सोच समझकर किसी पर विश्वास करते है, जैसे..... दूध का जला, छाछ फूक-फूक कर पीता है,

                                                                                                      Rita Gupta