"मौत" पास बुलाती है,

"मौत" पास बुलाती है,

मौत साजिश कर, पास बुलाती है या खुद पास आ खड़ी होती है, हम नासमझ कुछ समझ नहीं पाते कि हमारे साथ क्या हो रहा है, जब-तक हम इसके साजिश को समझ पाते है तब-तक वह सबकुछ खत्म कर चुकी होती है,

सावन का महीना, वर्षा का आगमन, खुशी लेकर आयी है, बारिश कुछ घंटो कि हो तो अच्छी लगती है, पर कुछ दिनों में बदल जाती है तो सिर का दर्द बन जाती है, मानसुनी हवायें अपने साथ जिस बारिश को लेकर आई थी,2-3 दिन हो गये पर जाने का नाम नहीं, सबको परेशान कर रखा है,

ऐसे में चौधरी परिवार कुछ ज्यादा ही परेशान है, उनकी बड़ी बेबी, दो महिने बाद जिसकी शादी होने वाली है,2 दिन से अपने उल्टी से परेशान है, अचानक मौसम बदलने के कारण हल्का बुखार भी है, डाक्टर के पास जाने में ये बारिश बाधक बना हुआ है, घरेलु नुख्से अपनाये जा रही है,

पापा......... कितनी बार कहा है, खाने पर ध्यान दिया करो, कल रात क्या खाया था,

मम्मी........ कुछ बाहर का खाना नहीं खाया, जो घर में बना था वहि खाया,

बेबी......... मम्मी (उल्टी आ रही है )

मम्मी........ बाथरूप में लेकर जाती है,

पापा......... सुबह से कितनी बार हुआ,

मम्मी........9-10 बार हो चुका, थक चुकी है, पानी तक हजम नहीं हो रहा है,

पापा..........ORS देती रहो, देखता हूं क्या किया जा सकता है, डाक्टर को घर पर बुला लेते हैं,

मम्मी....... यहि ठीक होगा, दो दिन में ऐसी लग रही है, जैसे 7 दिन से बिमार हो,

डॉक्टर घर आते है, चेकअप के बाद दवा लिख देते और कहते है........ अगर उल्टी बंद नहीं होता तो अस्पताल में भर्ती करना होगा, शरीर में पानी की कमी हो गई है, जरूरत पड़ने पर पानी चढ़ाना पड़ सकता है, दिन भर दवा खिलाकर देखा गया, कोई लाभ नहीं हुआ,

पापा......... बेबी अस्पताल चलों, वहाँ सब ठिक हो जायेगा, रात में बिमारी बढ़ जाये तो क्या होगा,

बेबी..........नहीं पापा, मैं घर में ही ठीक हो जाऊगी,

मम्मी-पापा बेबी की बात नहीं मानते, उसे अस्पताल लेकर जाते है, वहाँ डॉक्टर दवा और एंटिबायटिक               

देता है,

पापा.......... डॉक्टर बाबु, पानी चढ़ा देते,

डॉक्टर ..... जरूरी नहीं है, दवा से ठीक हो जायेगा,

बेबी........ पापा घर चलो,

पापा......... बहुत कमजोर हो गई है, पानी चढ़ जाता तो, ताकत मिलता,

डॉक्टर ..... तो ठिक है, भर्ती कर दिजिये,

बेबी....... पापा मैं ठीक हूं, मुझे भर्ती नहीं होना,

पापा........ एक दिन की बात है, आज की रात संलाइन चढ़ेगा, कल छुट्टी, फिर सब ठीक,

बेबी को रात भर में, 3 बोतल पानी चढ़ाया जाता है, सुबह उसके घरवाले उसे देखने आते है,

मम्मी......... बेबी सब ठीक है,

बेबी........... हॉ, माँ  पर बहुत ठंडा लग रहा है,

पापा....... डॉक्टर बाबु, उसे ठंड क्यों लग रहा है,

डॉक्टर .... देखिये, बारिश का मौसम है,

पापा....... नहीं, बहुत ठंड लग रहा है,

डॉक्टर...... आप लोग खुद परेशान होते है और हमें भी परेशान करते है, पानी चढ़ाने के बाद, थोड़ी ठंड

              लगती है, सब ठीक हो जायेगा,

पापा.......एक बार,. आप देख लेते,

डॉक्टर..... मैं ऑपरेशन रूम में जा रहा हूं,( पास खड़े डॉक्टर से कहा, एक सूई लगा देंना ) फिर आना,उस डॉक्टर को भी जल्दीबाजी थी, वो अस्पताल के फ्रिज से एक सूई निकालता है, और बेबी को लगा देता है, उसके बाद वह भी  ऑपरेशन रूम में चला जाता है,

सुई लगाने के 15 मिनट बाद बेबी को गर्मी लगना शुरू, ढके हुये कपड़े को फेक देती है, पसीना आना शुरू होता है, अंदर से इतनी बेचैनी होती है कि वह अपना संलाइन नोचकर फेंक देती है, चिल्लाना और अक-वक बोलना शुरू, आस-पास के लोग और घरवाले परेशान, नर्स आकर देखती है उसे समझ में आ जाता है कि क्या गलती हुई है, वह दौड़कर ऑपरेशन रूम में जाकर डॉक्टर को, बेबी की क्या हालत बताती

डॉक्टर जल्दी से बेबी को ऑपरेशन रूम में मँगवाता है,

'घर वाले बाहर खड़े इंतजार कर रहे है कि अब उनकी बेटी बाहर आयेगी,1-2 घंटा बित जाता है, पर कोई खबर नहीं, डॉक्टर अंदर मेें ही ये सोचकर परेशान है कि वह बाहर आकर, कैसे बोले कि उनकी बेटी दुनियॉ छोड़ चुकी है, हिम्मत करते हुए डाक्टर बाहर आता है'

पापा....... क्या हुआ, बेबी कैसी है,

डॉक्टर.....Sorry, हम उसे नहीं बचा पाये,

पापा....... क्या, मेरी बेटी को हुआ क्या था, सिर्फ पानी चढ़ा था, नहीं बचा पाये, इसका क्या मतलब,

डॉक्टर..... उसको Heart का problem था, इसलिए सुई लगाते ही,Heart काम करना बंद कर दिया,

पापा....... ऐसा नहीं हो सकता, तो सुई क्यों लगाये,

डॉक्टर.....Sorry,( बोलकर ऑपरेशन रूम में चला जाता है)

'जब बेबी का मृतक शरीर बाहर लाया जाता है तो शरीर का नीला पड़ जाना, साफ-साफ गवाही दे रहा है, सुई जहरीला था, अस्पताल में चिल्ला-चिल्ली शुरू,पता चला कि जल्दीबाजी में सुई लगाने वाले डॉक्टर ने Expiry  date नहीं देखा, वहि जहर का काम किया,

हंगामा होता रहा, मौत अपने पास बुलाती है,मामूली सी उल्टी का बहाना कर, अस्पताल आने पर मजबूर करती है, और अपने साजिश में कामयाब हो जाती है,

सुई लगाने वाला डॉक्टर खुद को दोषी मान रहा है, उसके पापा खुद को दोषी मान रहे है, मृतक शरीर घर आता है तो किसी को विश्वास नहीं कि बेबी, सबको छोड़ अपनी नई दुनियां (भगवान) के पास चली गई, उसके अर्थी पर, उसके शादी के लिए खरीदे गये, दुल्हन जोड़ा, चादर, और सिंगार के सामान रखे जाते है, ऐसा लग रहा था, जैसे कोई दुल्हन, सिर्फ सिंदूर छोड़, बाकी सारे सिंगार के साथ विदा हो रही है, घरवाले विदाई में रो रहे है,

यह 'वह विदाई' है, जहाँ से उनकी बेटी, कभी वापस नहीं आने वाली,