मैं सिर्फ " मां " हूं

मैं सिर्फ " मां " हूं
कानों-कान आग सी फैलती, हमारे शहर से कि एक खबर ने सबको अवाक कर दिया, जो सुनता वहि कहता.... ऐसा कैसे हो सकता है, लगती तो ऐसी नहीं थी, आज-कल किसी पर भरोसा नही किया जा सकता है, लोग दिखते कुछ और है, होते और है,
"पहले का युग नही रहा, जब औरतें पति के चिता के साथ, जलती हुई लौ में खुद को निछावर कर देती थी"
शादी के 14 साल बाद दो बच्चों कि मां होते हुए, अपने प्रेमी के साथ भाग गयी, कितने शर्म कि बात है, यहि करना था तो शादी ही क्योंकि ?
इस घटना के बाद अधिकांश पति अपने पत्नी को शक कि नजर से देखने लगे थे, जहां देखों लोग उसी के घर कि बाते करते नजर आ रहे थे,
मैं भी शर्मशार थी, उसकी ऐसी हरकत से, एक औरत ने पूरे" औरत जाती" को बदनाम किया, कम-से-कम मां के फर्ज को पूरा करती, मां के नाम को भी बदनाम किया, बहुत शर्म की बात है,
लेकिन मेरा दिल यह जानने के लिए हमेशा बेचैन रहता, ऐसा क्या हुआ होगा, कि वह ऐसा कदम उठाई होगी, क्या प्यार इतना अंधा होता है कि उसके आगे कुछ नही दिखता, किसी कि दलिल सुने बिना उसे मुजरिम करार नहीं करना चाहिए, सच किसी को पता नहीं चला,
इस घटना को बीतें 5 साल हो गई, यादें धुधली हो गयी, उसके पति ने भी दुसरी शादी कर ली,
एक दिन मैं मंदिर में पूजा कर बाहर निकल रही थी, तो देखा....एक 4 साल की बच्ची मेरे चप्पल में अपना पैर डाल रही है, प्यारी सी गुड़िया जैसी है, मैंने उसे गोद में उठा लिया, तब तक उसकी मम्मी आ गई, वो मुझे देख रही है और मैं उसे,बच्ची मेरे गोद में ही है,
मैं......... तुम, ये कौन है..?
वो....... दीदी, आप ये मेरी बेटी है,
मैं......... जिन दो बेटो को छोड़कर आयी हो, वो तुम्हारे नही है,
वो....... मुझे बच्चों कि बहुत याद आती है, वो कैसे है,
मैं.........वो ठिक है, मैं तुम्हें कब से ढुढ़ रही थी,
वो........ क्यों दीदी,
मैं........5 साल पहले तुमने जो किया, उसके लिए हमें शर्म आती है, ये कहते हुए कि मैं तुम्हें जानती हूं
वो........मेरे पास और कोई रास्ता नही था,
मैं........ प्यार के हाथों इतनी मजबूर थी, कि मां का फर्ज भूल दिया,
वो....... नही दीदी, मैंने जो कुछ भी किया, मां के फर्ज को पूरा करने के लिए किया,
मैं............ मैं नही मानती,
वो........आपको तो पता है, मेरे बड़े बेटे के दिल में छेद था,
मैं.........हां जानती हूं, दवा चल रहा था, आंपरेशन भी हुआ, ये सब जानती हूं,
वो........ आपको ये नही पता कि आंपरेशन के लिए दो लाख रूपया कहां से आया,
मैं........ये मैं कैसे जानुगी,
वो........ मेरी पूरी बात सुनिये, फिर आप कहना मैनें गलत किया या सहि....
मैं........ बोलो मैं भी जानना चाहती हूं,
वो.......... जब मेरा बड़ा बेटा 5 साल का था, तब पता चला कि उसके दिल में छेद है, दवा शुरू हुआ डा०
का कहना था कि दवा कभी भी बंद मत करना, घर कि आमदनी ऐसी थी कि दवा चलाना
मुश्किल था, मैंने अपने सारे गहने बेचकर दवा जारी रखा, धीरे - धीरे बेटा बड़ा हो गया, अंत
मे मैं हिम्मत हार रही थी, मेरे मम्मी-पापा ने थोड़ी सहायता कि,अंत में सुरेश जी दवा लेने के
लिए रुपये देते थे,
मै...........ये सुरेश जी कौन है,
वो.......... मेरा प्रेमी,
मै..........तुमने उससे क्यों लिया,
वो.......... मैंने बहुत मना किया, शादी के बाद मै उससे बात भी नही करती थी, पर मेरे मायके के
पड़ोसी से हमेशा मेरे बारे में पूछता रहता, उन्होंने ही मेरे हालात के बारे मे बताया, उसने
कहा..... अभी तुम्हारी जरूरत है ले लो, फ़िर जब हो लौटा देता,. दो साल तक, दवा का खर्च
उसने उठाया, लगभग एक लाख रूपया,
मै......... आंपरेशन का खर्च कौन उठाया,
वो............ अंत में डाक्टर ने छः महिने के अंदर आंपरेशन कराने को कहा, उसके बाद वो कुछ नही कर
सकता, मैं अपने पति और ससुर से प्रार्थना करती रही कि कहि से भी दो लाख रूपया लाये
और मेरे बच्चे को बचा ले,
मै......... फिर उन्होंने दिया,
वो........नही दीदी,200000 रूपया सबने मना कर दिया, सुरेश जी जो अपनी बुढ़ी मां के साथ भाड़ा घर
में रहते है, घर बनाने के लिए, बचायें गये रूपये को मेरे बेटे के आंपरेशन में लगा दिया,
मैं......... उनकी शादी.....
वो...........नही की, मेरे मम्मी-पापा उनसे मेरी शादी नही होने दिये, तो उन्होंने अब तक शादी नही की,
मैं......... फिर क्या हुआ,
वो.......... उसके बाद सुरेश जी ने कहा.....तुम खुश हो ना, भगवान तुम्हारी आंखो में कभी आंसू ना दे,
तुम अपने घर जाओ,मैं अपने घर जाता हूं ,मैने उनसे कहा..... आपने अभी तक शादी क्यों
नही की, अब तो कर लो,
सुरेश जी ने कहा...... तुम पागल हो, मैं शादी नही करूगा, कौन पागल लड़की मुझ जैसे गरीब लड़के से शादी करेगी, मैं उसे कोइ सुख नही दे सकता, मेरी बुढ़ी मां ने 14 साल पहले तुम्हें बहु के रूप में देखना चाहा था, पर अब तुम पराई हो, मैं तुम्हारी खुशी के लिए जो कर सकता था किया, तुम अपने ससुराल जाओ,
आंपरेशन हुए छः महिना बीत चुका, मैंने ससुराल वालों से कहा....हमे अपना घर गिरवी रखकर सुरेश जी को रूपया लौटा देना चाहिये, ससुर जी ने कहा....... घर बेचने का नाम मत लेना, बेचना है तो खुद को बेच दे, यह मेरा घर है, पति ने कहा..... मना कर रहा था कि आंपरेशन करना जरूरी नही, जो होना होगा वहि होगा, मैं कुछ नही कर सकता,
मैं.........फिर क्या हुआ,
वो.......... जिस इंसान ने मेरे आंसू पोंछे, मेरे खुशी के लिए अपना सब जमापुंजी खर्च कर दिया,बिना
किसी स्वार्थ के, उसके लिए मेरा क्या फर्ज है, मैंने उनसे कहा.....ये पागल आपसे शादी
करेगी,
मैं........ तुमने.....
वो..........हां दीदी, उन्होंने मुझे मेरे बेटे के साथ अपनाया, मेरा छोटा बेटा मेरे साथ रहता है, उस समय
वो 8 साल का था, बड़ा वाला 12 साल का, उसे उसके दादा-दादी के पास ही रहने दिया, आज
5 साल आप से मिल रही हूं, आप तो देखती होगी, मेरे बेटे को, कैसा है वो, ठिक है ना,
मैं........मुझे माफ कर दो, मैं भी औरों कि तरह तुम्हें बारे में गलत सोचा,
वो.......... दीदी मैं गलत हूं, एक मां क्या करती, जब बात अपने लाल कि हो, तो भगवान भरोसे कैसे
बैठी रहती, मानती हूं, जिंदगी और मौत, भगवान के हाथ में है,
मैं....... पुरुष प्रधान समाज के बारे में, मैं नही जानती, पर मैं तुम्हें गलत नहीं मानती,