मैं ठिक हूं

मैं ठिक हूं
मैं ठिक हूं, आज कल बोल-चाल की भाषा बन गई है, राह चलते-चलते ऊपर के मन से ही, हम किसी से पूछ लेते है..... कैसे हो, उधर से जबाब आता है.......मैं ठिक हूं,
क्या ठिक है और कितना ठिक है, ये हम दिल से न ही पूछते है, न ही कोई जल्दी अपने दिल की बात, आपसे शेयर ( बांटता) करना चाहता है,
हम दिखावटी हंसी हंसते है, क्योंकि हंसता हुआ चेहरा ही लोगों को भाता है, कम-से-कम अपनो के बीच यह दिखावटीपन नहीं होना चाहिये, पर होता है..........;
"कौन सुनेगा, किसको सुनाये, इसिलए चुप रहते है "
ये कहानी शिवा नाम के लड़के कि है, जो आज हमारे बीच, इस दुनियां में नही है, मैं उसकी दूर की मौसी लगती हूं, उसका हंसमुख चेहरा, मैं कभी नही भूल सकती, इतना मेहनती और बड़ो का सम्मान करने वाला नवयुवक, कम ही होते है, रोते हुए को हंसा दे, ऐसी कला का मालिक था,
30 साल की कम उम्र मे, भगवान के यहां से बुलावा आ गया और उसे अपने दो छोटे-छोटे बच्चों को अनाथ बनाकर जाना पड़ा, काम करने की धुनकी मे, उसे खाना खाने का भी समय नही मिलता, परिवार की आर्थिक स्थिती ने उसे इतना काम करने पर मजबूर किया,
पहले तो पीलिया(jaundice) हुआ, जो ठिक नही होने के कारण, लीवर को कमजोर को कमजोर बना दिया और धीरे-धीरे 'लीवर कैंसर' हो गया, उसे कैंसर है, यह बात नही बताया गया, घरवाले और उसके प्यारे मामाजी, अपने भगिना(बहन का बेटा) के लिए, पैसे को पानी की तरह बहाया, छोटे शहर से इलाज करते-करते, भिलोर, चिन्नई, लखनऊ ले गये, जब कभी भी दवा बदलता, कुछ असर दिखता फिर दवा बेअसर हो जाता, उससे सब यहि कहते...... लीवर में पीलिया हो गया है जो समय लेगा, पर ठिक हो जायेगा,
"ऐसी खबर सुनकर, खुद को रोक नहीं पाई, उससे मिलने गई "
उसके घरवाले पहले, मुझको अपने पास, दुसरे कमरे में ले गये, उसकी बीबी गले से लगकर रोने लगी, मैं भी बहुत रोई, सबने मुझसे कहा...... आप चुप हो जाओ और चेहरे पर मुस्कान लाओ, तब आप उससे मिल सकती हो, उसे नही पता कि उसे कैंसर है, आप रोओगी तो उसे सब पता चल जायेगा,
" मैं खुद को समझालु ,पर ये आंसू, इनको कैसे समझाऊ, कि तुम बाहर मत आओ, मुझे खुश दिखने का नाटक करना है"
आधा घंटा बाद, ये आंसू भी मेरे नाटक मे शामिल हो गये,मैं उससे मिली, उसके और मेरे बीच जो बात हुई, वो ये है..........
शिवा.......(मुझको देखते ही) नमस्ते, मौसी
मैं......... खुश रहो
शिवा...... मौसी, आप मेरे पास बैठो, कैसी हो आप...
मैं............मैं ठिक हूं, तुम
शिवा.......मैं भी ठिक हूं
मैं........... जल्द ही पूरा ठिक हो जाओगे,
शिवा...... हां मौसी, इतना दवा खाया है, ठिक तो होना ही है,
"मैं चुपचाप कुछ सोच मे डुब गई"
शिवा......क्या सोच रही हो, मौसी
मैं........कुछ नही,
शिवा.....मौसी तुम्हारी आंखे बोल रही है कि तुम परेशान हो, क्या बात है,
मैं..........कुछ नहीं,
शिवा.....तुम इतनी खामोश हो, कहां गई तुम्हारी हंसी,
मैं..........मैं कोई पागल हूं, जो बिना कारण हंसते रहुंगी,
शिवा.....मौसी आप खुश रहती हो तो हमें अच्छा लगता है, मैं हंसाता हूं, आप उड़ने वाली चिड़ियां पर
चढ़ी हो,
मैं...... वो क्या होता है,
शिवा...... हवाई जहाज (airplane)
मैं...........नही, बहुत भाड़ा है, ना.....
शिवा...... मुझे भाड़ा नही सोचना, सब मामा लोग करते है, आपको पता है, लगता नही कि जहाज उड़
रहा है, बहुत मजा आया, दो दिन की दूरी, कुछ घंटो में तय कि जाती है,
मैं........( उसके हंसाने कि कोशिश को बेकार नहीं होने दिये) मैं हंसने लगी, तबियत खराब है और तुझे
मजा आ रहा है, तुम आराम करो, हम बाद मे बात करते है,
शिवा....... बाद मे कब, तुम आज यहां रहोगी ना......
मैं..........नही मुझे जाना है, थोड़ी देर बाद मैं निकलना चाहुगी,
शिवा....... तो फिर बात में कब ,बात होगा
मैं..........मैं फोन करूगी,
शिवा...... जब तक तुम यहां हो, मुझसे बाते करो, बोलो क्या कर रही हो, आज-कल,
मैं........... कुछ नही, जिंदगी को समझने कि, कोशिश कर रही हूं, उम्र बीत गया, पर समझ नही पाई,
शिवा...... मौसी, डाक्टर दवा देकर बोला....कि घर पर ही आराम करना है, धीरे-धीरे एक दिन सब.......
ठिक हो जायेगा,(मुस्कराते हुए)
मैं..........चुप-चाप उसे देख रही थी,
शिवा.....क्या हुआ, आपको डाक्टर कि बात पर विश्वास नही, यू देख रही हो,
मैं...... विश्वास है, अब मैं जाऊ
शिवा...... फिर कब मिलोगी,
मैं........पता नही, फोन करूगी
शिवा.....मैं वहां इंतजार करूंगा ( मुस्कराते हुए)
मैं....... कहां,
शिवा..... कहि नही, आप जाओ, फोन करना...
मैं चली आई, आते समय उसकी बीबी के हाथ में हजार रू देते हुए कहा...... शिवा के दवा में लगा देना, मैं फोन पर समाचार लेते रहुंगी, हिम्मत नही है, दुबारा उसके सामने जाने कि,
रास्ते भर सोचती रही,कहां इंतजार करेगा, अचानक मुझे याद आया, उसकी आंखे और मुस्कुराहट बता रही थी, कि उसे सब पता है, वो अब कुछ दिनों का मेहमान है, वहां इंतजार करेगा, जहां एक दिन सबको जाना है,
उसके घरवाले रोज मर-मर कर जी रहे थे, पूरे रिस्तेदार हर दिन ये सोच रहे थे, कहि आज तो यह सुनने नहीं मिलेगा.... कि शिवा अब इस दुनियां में नहीं है,
मैं बीच-बीच मे फोन करती थी, हमेशा एक ही जवाब...... मैं ठिक हूं, शिवा दुनियां छोड़कर चला गया पर एक बार भी, ये नहीं कहा कि...... मौसी ,मैं ठिक नही हूं..........
-Written by
Rita Gupta