मेरी नही " आपकी जीत है "

मेरी नही " आपकी जीत है "
जब मैं कक्षा नवीं की छात्रा थी, तब हमसब को Additional Subject लेने को कहा गया, हमारे पास दो
Options थे,...........1. जीवविज्ञान (Biology ) 2. तर्कशास्त्र (Logic)
मेरी प्रिय सहेली ने, तर्कशास्त्र लिया, और मेरा नाम भी उस सूची (list) में डाला दिया, इसका क्लास सप्ताह में दो दिन होता था, जब मैं क्लास करने गई तो' बर्नवाल सर' जो पापा को जानते थे, वो ही इस क्लास को ले रहे थे,
मैं चुपके से पीछें बेंच पर जाकर बैठ गई, उन्होंने देख लिया, और बुलाकर 1st बेंच पर बैठाया, मेरी सहेली पीछे बेंच पर रह गई,
सर............... पीछे कहां छिप रही थी, गप करने के लिंए
मैं..............नही सर, सामने जगह नही था,
सर......... हमेशा से हर क्लास में, यहि बैठना
मैं....... जी सर,
'महिना दिन बाद, एक दिन'
क्लास चल रही थी, सर ने मुझ pen( कलम) मागा,मैं दे दी, फिर पढ़ाते-पढ़ाते, थोड़ी देर बाद उन्होंने हम सबको कुछ लिखने को कहा......
मैं........ सर,मेरा pen आपके पास है,
सर.........क्या, कब दी.....
मैं....... सर, अभी 5 मिनट पहले
सर........ किसी ने देखा, (लड़कियों से पूछे)
लड़कियां...... नही सर,
मैं..... सर, आपको नही देना, तो मत दिजियें, पर pen मेरा है
सर......Prove कर दो, तो ले लो
मैं........ सर ऐसा क्यों कर रहे है
सर...... तर्क से सिद्ध करो, कि यह pen तुम्हारी है,
मैं........मैं सोच में पड़ गई, कोई भी लड़की मेरा साथ नही देती, थोड़ी देर बाद मैने कहा... रख लिजियें,
चलती नही है,
सर........क्या, तो ऐसा pen दिया क्यों,
मैं.........हंस पड़ी, सर आपनें खुद कहा.. मैंने यह pen दिया है,
सर........वाह रे, लो अपनी pen ,अच्छा वकिल बनोगी,
शिक्षक दिवस के दिन, हमारे स्कूल मे बहुत से प्रतियोगिता होती थी, तर्कशास्त्र के लिए, एक topic दिया गया, लड़कियो के लिए उच्च शिक्षा जरूरी ' है' या' नही'
हमारे क्लास मे 1st आने वाली सुमन ने पक्ष में बोलने का चुनाव किया, सुमन के सामने, विपक्ष में ऐसे topic बोलने कि हिम्मत किसी में न थी, सर ने मेरे नाम का चुनाव किया,
मैं...... सर, मैं लड़कियों के शिक्षा के पक्ष मे हूं, मैं विपक्ष मे नही
बोलुगी,
सर.........ये प्रतियोगिता है, आज तक मैंने तर्कशास्त्र में जोपढ़ाया
है, उसके आधार पर, तुम्हें इसे जीतना है, मुझे विश्वास है,
तुम कर पाओगी,
मैं....... सर, सुमन पढ़ने में बहुत तेज, वो कौन-कौन शर्त रखेगी, मैं हार जाऊंगी,
सर....तुम कोशिश तो कर सकती हो, प्रतियोगिता कल है
मैं.......ok,सर
दुसरे दिन, सभी शिक्षको, छात्राओं और कुछ दर्शक के सामने, एक तरफ' सुमन 'और एक तरह' मैं ' सभी कि निगाहें सुमन पर, सबको पता था कि सुमन की जीत तय है, सिर्फ मेरी हिम्मत बढ़ाने के लिए, 'सर' मेरी तरफ देख रहे थे,
सुमन....... लड़कियों को उच्च शिक्षा की जरूरत है, ताकि वो पति के साथ, कदम से कदम मिलाकर चल
सके, युग बदल गया , लड़कियां लड़को से किसी भी मामले में कम नहीं है,
मैं....... इन्हें किसी कि बराबरी करने कि जरूरत नही, ये लड़को से हर कदम आगे है,सामान्य शिक्षा ग्रहण
कर 'नींव की ईंट 'बनकर परिवार को मजबूती प्रदान करना है, अगर ये भी घर से बाहर रही, तो
घर, घर नही रहेगा
सुमन.......... लड़कियां उच्च शिक्षा ग्रहण करेगी, तो अपने बच्चों को सहि शिक्षा दे पायेगी, आमदनी
दुगनी होगी, जब पति-पत्नी दोनों काम करेगें,
मैं.............Job लगने के बाद,लड़कियां ' मां ' बनने को तैयार नही, मां बन भी जाती है तो Job छोड़ने को
तैयार नहीं,बच्चें दाई से शिक्षा लेते है, क्या होगा.... दुगनी आमदनी का,
सुमन......... लड़कियां Job करेगी, तो पति के अत्याचार नही सहेगी, और तलाक लेकर आराम से अलग
रह सकती है
मैं........कोई भी रिस्ता तलाक लेने के लिए नही बनता, नोक-झोक किस रिस्तें में नहीं है,Job करने वाली
लड़कियो को बाहर से प्रत्योसहित किया जाता है, तलाक के लिए,
सुमन....... युग बदल गया, लड़कियां सिर्फ खाना बनाने या बच्चों को जन्म देने के लिए नहीं बनी है
मैं...........युग जितना भी बदल जाय, खाना मत बनाओं, पर बच्चें को जन्म देने का काम तो, इन्हें
ही करना है, इसे मजबूरी ना समझे, ये सौभाग्य है कि सृष्टिकरता ने लड़कियों को सृष्टि का
अधिकार दिया है,
सुमन....... जिस घर में, पति- पत्नी दोनों कमाते है, आमदनी दुगनी होने से, हर जरूरत पुरी होती है,
कोई कमी नही रहती,
मैं....... समान शिक्षा ग्रहण किये हुये, लड़का और लड़की मे से, लड़की को Job मिल जाता है, लड़का
बेरोजगार मे गिना जाता है,लड़की Job लेकर Extra जरूरतों को पूरा करती है,जबकि लड़के को
Job मिलता है, तो एक परिवार चलता है,
" प्रतियोगिता समाप्त हुई,5 तर्क रखे गये, मैंने सब मे जबाब दिया, तर्क के आधार पर, मैं जीत गई, मुझे डायरी और कलम उपहार में मिला, मैंने सर से कहा...... मेरी नही " आपकी जीत है "
-Written by
Rita Gupta