मुझे कुछ " याद " नहीं

मुझे कुछ " याद " नहीं
पिंकी और सलमान एक ही कक्षा के छात्र है, दोनों बचपन के दोस्त है, जैसे-जैसे बड़े हुए न जाने उनकी दोस्ती कब प्यार में बदल गयी, प्यार छिपाये नही छिपता, उनके घरवालों को शक हो जाता है, पिंकी को सलमान से और सलमान को पिंकी से मिलने को मना किया जाता है, पर एक ही स्कूल होने के कारण वो मिल ही जाते है,
पिंकी के घरवालें उसे पढ़ने के लिए, यहां से बाहर भेजने को सोचते है, ये बात सलमान को पता चल जाता है, वो उससे पूछता है, तुम मेरे बिना रह लोगी....... ?
पिंकी.........नहीं,
सलमान....... तो हमें क्या करना चाहिये,
पिंकी......... शादी,
सलमान....... हम नाबालिक है,कोट से शादी नही कर सकते,
पिंकी......... तब क्या करे, तुम मुसलिम हो, मेरे घर वाले कभी नही मानेगें,
सलमान....... हम इस दुनियां में एक साथ नहीं रह सकतें,
पिंकी......... तो कहां रहेगे,
सलमान......जंनत में,
पिंकी........वो कैसे,
सलमान..... जान देकर,
पिंकी........ तुम आत्महत्या कि सोच रहे हो,
सलमान..... इसे आत्महत्या नही कहते, हम दोनों उस पुल से नदी में छलांग लगायेगे, हम दोनों एक
साथ स्वर्ग में अपना घर बनायेगे,
पिंकी........ मैनें तुमसे प्यार किया है, तुम्हारे हर फैसले में तुम्हारे साथ हूं,
"फिर क्या था,दोनों ने वहि किया, जो सोचा था,उन्हें नदी में छलांग लगाते, नाविक देख लेते है, वो उन्हें बचाने आते है, दुर्भाग्य वश सलमान का कोई पता नही चलता, नदी के धारा में बह जाता है पर पिंकी को बचा लेते है "
इस घटना के बाद नटखट पिंकी मुर्ति के समान खामोश बन गई, उसके परिवार वालों ने उस शहर को ही छोड़ दिया, यहां तक कि उसका नाम बदलकर सुमन रख दिया, बहुत कोशिश के बाद भी उसे शादी के लिए राजी नही कर पाये,
दिन बितते गये,जब 5 साल बाद, सुमन कि भतिजी (अनु) 4 साल की हुई,तो उसका दाखिला स्कूल में कराया गया, अनु को स्कूल ले जाने और लाने कि जिम्मेवारी सुमन को दिया गया, ताकि बाहर सबसे मिलेगी तो दुनियां को समझ पाये,
दिन बितते जाते है, अनु धीरे-धीरे बड़ी होती है,फुआ-भतिजी अब अच्छे दोस्त बन जाते है, बढ़ती उम्र के साथ अनु के सवाल भी बढ़ रहे है, जिसका जबाव सुमन को देना पड़ता, परिवार वाले खुश है, कि सुमन के चेहरे पर हंसी लौट आयी, कहि भी जाना हो दोनों साथ जाती,
अनु......... तुम मेरी फुआ नही, मेरी दोस्त हो, जो बाते मैं मम्मी से नही बोल पाती, वो तुमसे बोलती हूं
सुमन...... अच्छा जी, अगर तुमने कुछ गड़बड़ किया, तेरे साथ-साथ, भैया-भाभी, मुझे भी फांसी पर
चढ़ा देगे,
अनु.........नही, फुआ ऐसा कुछ नही है,
सुमन...... होना भी नही चाहिये,
अनु........ फुआ जब भी पूछती हूं...कि आपने शादी क्यों नही कि, आप टाल जाती हो, बोलो ना......
सुमन...... कोई बात नही, दिल नही किया,
अनु........ मेरा दिल तो करता है,
सुमन..... अभी 16 की हुई नही, शादी को दिल करता है, लगता है, भैया को बोलना पड़ेगा,
अनु.......मैं मजाक कर रही थी,
सुमन..... कोई है तो, नही.....
अनु......नहीं,कोई पसंद ही नही आता,अगर मुझे प्यार होता है, सबसे पहले तुम्हें बताऊंगी,
सुमन..... प्यार मत करना,
अनु...... प्यार करते नही, हो जाता है, आपको इतना भी नहीं पता,
सुमन..... खामोश हो जाती है,
अनु......क्या हुआ,फुआ अब से ऐसी बाते नही करूगी,
कुछ दिन बाद, एक दिन अनु.... फुआ एक बात बोलु, पापा को बोलोगी तो नही,
सुमन........क्या हुआ, बोलो,
अनु......... लगता है, मुझे उस नये लड़के से प्यार हो गया है,
सुमन........ नया लड़का,
अनु......... हां, महिना दिन पहले हमारे कक्षा में एक लड़का का दाखिला हुआ, उसके पास forceमें है,
पहले वो लोग पंजाब में रहते थे, वो मेरे पास ही बैठता है, उसका नाम रोहित है, वो भी मुझे
पसंद करता है,
सुमन........ देख, तेरी दशवी कि पढ़ाई है, ध्यान लगाकर पढ़,
अनु........ फुआ तुम उससे मिलोगी, तो बोलोगी सच में रोहित बहुत अच्छा है,
सुमन........मुझे किसी से नही मिलना,
अनु........ फुआ, एक बार,
सुमन...... ठिक है,
"सुमन ने सोचा, रोहित से मिलकर उसे समझा देगी, वो पढ़ाई पर ध्यान दे और अनु को भी पढ़ने दे"
स्कूल में………
अनु......... फुआ ये है, रोहित
रोहित.......... नमस्ते
सुमन............रोहित को देखती है तो आश्चर्य में पड़ जाती है, कुछ बोल ही नही पाती,
अनु.........क्या हुआ फुआ, रोहित आपको नमस्ते बोला,
सुमन..........हां ठिक है, जल्दी घर चल,
रोहित.......... by अनु, फिर कल मिलते है,
अनु........by रोहित
सुमन अनु को लेकर घर आ जाती है, रात के अकेले में, सुमन बहुत रोती है........हे भगवान ये क्या किया, सलमान का नया जन्म दिया, इसके लिए धन्यवाद करू, या उसे मेरे सामने लाकर खड़ा कर दिया, इसके लिए खुद को बदनसीब मानु, सिर्फ नाम बदला है, वहि चेहरा, बोलने का वहि अंदाज, मुझे हिम्मत दो, कि मैं खुद को और मजबुत बना सकु,
स्कूल से लौटते समय अनु, रोहित और सुमन कुछ दुर एक साथ पैदल चलते, फिर रोहित school bus से अपने घर और अनु, अपनी फुआ के साथ रेक्शा से अपने घर,
एक दिन………..
रोहित...... अनु तुम्हारी फुआ को, मैं फुआ नही बोलुगा,
अनु...........क्यों,
रोहित...... सुमन जी बोलुगा,
सुमन....... अनु कि फुआ, तुम्हारी भी फुआ हुई,
रोहित...... नही, आप सुमन जी हो,
अनु........तुम्हारा जो दिल करे, बोलो,
इस तरह कुछ दिन बित गये, एक दिन स्कूल के तरफ से ' नौका बिहार ' के लिए ले जा रहे थे, अनु के पापा उसे अकेले नही जाने देते, इसलिए सुमन भी साथ गई,
एक नाव पर अनु, सुमन, रोहित और उसका मोहित साथ बैठे है, चारों बहुत मस्ती कर रहे है, अचानक नाव डगमगाती है और पलट जाती है,
चारों ओर चिल्ला-चिल्ली शुरू हो जाता है, सुमन........मेरे बंटी को बचाओ, रोहित.......मेरे पिंकी को बचाओं, अनु......फुआ बचाओ, मोहित.... बचाओ, सब चिल्ला रहे है, सबको बचा लिया जाता है,
तीनों ठिक है, पर सुमन बेहोश हो जाती है, रोहित सुमन को पकड़कर रो रहा है....पिंकी कुछ तो बोलो,
सुमन को अस्पताल ले जाते है, उसे होश आ जाता है, पुरे घरवालों के साथ रोहित भी वहि है, सुमन के होश में आते देख, चिल्लाता है...पिंकी को होश आ गया,
सुमन समझ जाती है, कि नदी कि घटना से, शायद रोहित को सब याद आ गया, वो रोने लगती है, मैं कहा हूं, मैं कौन हूं, घरवाले उसे चुप कराते है और अपना-अपना परिचय देते है, सुमन रोते हुए कहती है, मुझे कुछ याद नहीं, डा० आते है, कहते है...... लगता है इसकी याद जाती रही, अभी आराम कि जरूरत है, आप सब जाओ, दो दिन आराम करने दो, फिर एक-एक करके इससे मिलेगे,
रोहित को डाक्टर कि बात पर विश्वास नही होता है, वो दुसरे दिन ही चुपके से सुमन से मिलने चला जाता है, वो देख रहा है कि सुमन वहां सबसे ठिक बात कर रही है, रोहित को देखती है सो जाती है,
रोहित....... उसके पास बैठ जाता है, कैसी हो पिंकी,
सुमन....... मुझे कुछ याद नही,
रोहित....... पर मुझे सब याद आ गया है,
सुमन.......तुम कौन हो,
रोहित.......तुम्हारा प्रेमी, लोगों के लिए रोहित, सलमान पर तुम्हारे लिए तुम्हारा प्यारा 'बंटी '
सुमन........मैं किसी को नही जानती, तुम जाओ,
रोहित...... तुम कहना चाहती हो, कि तुम मुझे नही जानती,
सुमन........हां,
रोहित...... मेरे जीने-मरने से तुम्हें कोई फर्क नही पड़ता,'मुझे नहीं जीना'
तुम्हें पाने के लिए, मेरा दुसरा जन्म हुआ,और तुम पहचानने से इंकार कर रही हो, रोहित दौड़ता हुआ, अस्पताल के द्दत की ओर भागता है, सुमन भी उसके पीछे दौड़ती हुए छत पर पहुंचती है,
रोहित........ क्यों आयी है,
सुमन......... तुम जान नहीं दे सकते,
रोहित........ तुम कौन हो, मुझे रोकने वाली,
सुमन.........तुम्हारी 'पिंकी '
दोनों गले मिलते है
रोहित........ अब हमे कोई अलग नहीं कर सकता, हम, अब शादी करेगे.....
सुमन....... नही रोहित, हम शादी नही कर सकते,
रोहित........ क्यों,
सुमन....... उस समय हमारे बीच, जात-पात आयी थी, आज हमारे बीच, उम्र का अंतर आयी है, तुम
17 के और मैं 34 की, समाज इस शादी को मान्यता नही देंगा,
रोहित....... मैं समाज को नही मानता, उस समय समाज कहां सोया रहता है, जब 40 साल का विधूर,
20 साल कि कुवारी कन्या से शादी करता है,
पर नारी के एक गलत कदम, पुरे नारी जाती को बदनाम कर देती है, दो परिवार शर्मशार
होते है,
रोहित.......हम दोनों शादी करके, एक नई परम्परा कायम करेगे,
सुमन............. तुम तो चले गये थे,' समय' ने मुझे इतना रुलाया, और समझदार बना दिया, कि आज
में समझ चुकी हूं, प्यार का मतलब एक-दुसरे को पाना नही होता,
"एक-दुसरे के दिल में रहना ही प्यार है "
रोहित........मैं तुम्हारे बिना नही जी सकता,
सुमन......नही दोस्त, तुम चुप रहोगे, तुम्हें हमारे सच्चे प्यार कि कसम, मैं तुम्हारी जिंदगी में नही
होते हुए भी, तुम्हारें दिल के एक कोने में हमेंशा रहुंगी, तुम मेरी जिंदगी से जाओ, जो सब
जानते कि, मुझे कुछ' याद ‘नहीं, तुम भीवहि जानो,........