मानव की मानवता

मानव की मानवता
मानव सृष्टि की सबसे श्रेष्ट रचना है, इसलिए यह बुद्धिजीवी माने जाते है, मानव अपने गुण मानवता से जाना जाता है, मानवता विहिन मानव, दानव समान है,
"मनुष्य है वहि कि जो मनुष्य के लिए मरे" कोई भी मनुष्य कितनी भी धन संपदा का मालिक क्यों न हो जाय, उसे किसी-न-किसी कि जरूरत पड़ती ही है, मानव अकेले नही रह सकता, समाजिक जीव होने के नाते, समाज कि जरूरत है,
ऐसे तो, किसी भी अधिकार के लिए, कर्तव्य पहले किया जाता है फिर अधिकार की मांग, कि जाती है, मानव अपनी सुख-सुविधा का आदि बन चुका है, हमेशा से दिन-प्रतिदिन सुख की चाह में, इस तरह आगे बढ़ने की होड़ में लग गया है कि वह बहुत ही स्वार्थी बनते जा रहा है, स्वार्थीपन के कारण, जाने-अनजाने मे उससे दुसरे के अधिकार का शोषण हो रहा है,
'मानवता' की रक्षा के लिए," मानवाधिकार संघ " का गठन जरूरी समझा गया, इस संघ का उद्देश्य है........ हर मानव को कुछ सामान्य मौलिक अधिकार दिलाना और उनके अधिकारों की रक्षा करना है,जैसे कि...........
मां के गर्भ मे आये, हर शिशु को दुनियां मे आने का अधिकार है, गर्भ का शिशु (लड़की) है यह जान कर उसकी हत्या, गर्भ मे ही कर देना, मानवता का अपमान और शोषण है, यह कानूनी जुल्म भी है,
शिक्षा पाने का अधिकार हर एक को है, इसके लिए सरकार और कुछ प्राईवेंट संघ के द्वारा निःशुल्क (सामान्य शिक्षा) प्रदान कराई जाती है, जाती-पाती, अमिरी-गरीबी, और सारे भेद-भाव को छोड़कर, हमें कोशिश करनी चाहिये कि कम-से-कम हर मानव को सामान्य शिक्षा जरूर मिले,
नाबालिक बच्चों से उनका बचपना न छिन जाय, बाल मजदूरी पर रोक का कानून, होने के बाद भी, चोरी-छिपे बाल मजदूरी चल रही है, ऐसे बच्चें इसे अपना नसीब मानते है,क्योंकि इन्हें अपने अधिकार नही पता,
नारी को अपने अधिकार के लिए, खुद जागरूक होना होगा, आज तक नारी अपने सारे कर्तव्य को चुपचाप किये जाती है, कभी भी अपने अधिकार के लिए आवाज नही उठाती, इनकी खामोशी का फायदा उठाया जाता है,जरूरत है इन्हें अपने मानवाधिकार के बारे मे जानने कि,
'स्वत्रंत और खुशहाल' जिंदगी के लिए मानवाधिकार संघ के आधार पर अनेकों अधिकार दिये गये है, जिसकी जानकारी हर मानव को होनी चाहिये,