" माँ " तुने ये क्या किया,

" माँ " तुने ये क्या किया,
ये कहानी उस बेटे की है, जो मां के ' प्यार में अंधा ' है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुमित्रा घरेलू महिला है, जो अपने ससुराल में सास-ससुर के साथ रहती है, पति शहर में नौकरी करते है, इनके दो बेटे है, राज और प्रेम, पापा के बाहर रहने के कारण, दोनों बच्चो का लगाव अपनी मां से ज्यादा है, दादा-दादी के गुस्साने वाले स्वभाव से बच्चे उनसे दूर-दूर ही रहते है, वो अपनी हर जरूरत के लिए मम्मी को ही पुकारते है,
र्दुभाग्यवश, जब राज 15 साल का और प्रेम 10 साल का, तब उनके पिता का सड़क र्दुघटना मे मौत हो जाती है, सुमित्रा जी विधवा हो जाती है,उनके सास-ससुर उन्हें गंदी-गंदी गाली देते हुए कहते है..... सुमित्रा के कारण ही उनका बेटा मारा गया, यहि बद्नशीब है, मेरे बेटे को नजर लगा दी,
मां के प्रति दादा-दादी का ऐसा व्यवहार देखकर, राज चिंतित रहने लगा, वो कैसे मां के आंसू पोछे,मां का छिप-छिपकर रोना, राज भूल नहीं पाता, वह खुद से वादा करता है, कि अच्छी तरह पढ़-लिखकर नौकरी लेकर अपने मम्मी और भाई को लेकर शहर चला जायेगा,वहां दादा-दादी के ताने नहीं होगे,
7 साल बाद......................................
राज को रेलवे में नौकरी लग जाती है, वो एक साल में ही शहर में घर भाड़े पर ले लेता है, और अपनी मम्मी और भाई को लेकर शहर आ जाता है, उसके बाद वह अपना सारा ध्यान नौकरी के पद पर आगे बढ़ने में लगाता है, अपनी वेतन मां के हाथ में दे देता है, मां जहां उचित समझती है वहां खर्च करती, दो साल बाद दादा-दादी का स्वर्गवास हो जाता है, सुमित्रा जी के कहने पर उनके दोनों बेटे गांव की संपती को बेचकर, उसी से शहर में अपना मकान बना लेते है,नौकरी किये 8 साल हो गये, राज की उम्र 30 बर्ष की हो चुकी है, शादी के लिए लड़कि वालों का आना-जाना लगा रहता है, सुमित्रा जी से भी अब पहले जैसा काम-काज नहीं हो पाता है,
सुमित्रा........ बेटा, अब सब काम तो हो गया है, प्रेम को भी नौकरी मिल गई है, भगवान की दया से किसी
बात की कमी नहीं सिर्फ बहू की जरूरत है,
राज......... जैसा, आप ठीक समझे,
सुमित्रा........ तुम्हें कैसी लड़की चाहिए,
राज......... मां, आपकी पसंद, मेरी पसंद होगी,
सुमित्रा........ फिर भी,
राज....... लड़की कम-से-कम 12वी पास हो, मेरे बाहर रहने पर वह घर को संभाल सके और आपकी सेवा
कर सके,
सुमित्रा....... ठीक है, मैं रिश्तेदारों में खबर कर देती है,
सुमित्रा....... ठीक है, मैं रिश्तेदारों में खबर कर देती है,
"बहू लाने के लिए सुमित्रा जी लड़की देखना शुरू की, लगभग 40 लड़की देख चुकी, पर कोई पसंद नहीं आई, किसी मे मां नुक्श निकाल देती तो किसी में उनका बेटा, अगुआ भी परेशान कि कैसी लड़की चाहिए, सुमित्रा जी का कहना है कि लड़की पढ़ी-लिखी एकलौती बेटी होनी चाहिए, जो गाय के समान सीधी हो,लड़की की तलाश जारी रहती है, इस बार इन्हें ऐसी लड़की मिली है, जो मां-बेटे को 50% पसंद है, एक साल से लड़की देखते-देखते थक चुके थे, इसलिए अपने 50% पसंद को ही चुन लिया”
"अनु" अपने मम्मी-पापा की एकलौती बेटी है, सिर्फ एक बड़ा भैया है, वह 12वी परीक्षा दे चुकी है, आगे पढ़ना चाहती है, पर शादी ठीक हो जाने के कारण उसे पढ़ाई रोक देनी पड़ी, शादी बड़े धूम-धाम से होती है, लड़की वाले राज को मुंहमांगा दहेज देते है, सुमित्रा जी बहुत खुश है, लड़की तो गाय है ही उसके घरवाले भी बहुत सीधे है,
नाजों से पली अनु को सही तरीके से खाना बनाने नहीं आता था, वो सिखना शुरू करती है, शुरू के छ: महीना तो सबकुछ ठीक ही था, सुमित्रा जी को जैसे ही ये महसूस होता है कि राज का ध्यान अनु की तरफ कुछ ज्यादा ही है, वह परेशान हो जाती है, जब राज और अनु बाहर घुमने जाते है तो मम्मी और प्रेम के लिए, बाहर से ही खाना लेकर आते है,ताकि थकी हुई अनु को घर में खाना नहीं बनाना पड़े,
शादी के सालगिरह पर राज अनु को 'सोने की अंगुठी' Gift देता है, ये सब देख-देख सुमित्रा के मन में जलन की भावना का जन्म होता है, वह रूठी-रूठी रहने लगती है,राज शुरू में मां को मना लिया करता था, फिर धीरे-धीरे उसे लगा कि ये तो मां का स्वभाव बन गया है, बात-बात पर रूठना,सुमित्रा जी के ऐसे व्यवहार से उनके बेटे राज और प्रेम भी परेशान थे, पर मां को कुछ बोल नहीं पा रहे थे, मां हमेशा राज को ताना देती कि, तुम बीबी के गुलाम हो गये हो, राज मां को समझाता कि ऐसी बात नहीं,
सुमित्रा जी को डर लगने लगा, कहि अनु राज की सह पाकर उसे सताने ना लगे, राज को उनसे अलग ना कर दे, सुमित्रा 'मां की ममता' का र्दुउपयोग करती है, झूठ-सच बोलकर राज का कान भरती रहती है, बात-बात पर अनु में खामियां निकालती है राज के घर से बाहर रहने पर अनु को खाना तक नहीं देती,अनु ,राज से कुछ नहीं कहती, उसे पता है कि राज अपने मां के प्यार में, आंखों पर पट्टी बांध रखी है, मायके में किसी को कुछ बोलकर उन्हें दुःखी नहीं करना चाहती, धीरे-धीरे राज को भी अनु में खामियां नजर आने लगती है, वो भी मां का समर्थन करता है, अनु को सफाई देने का मौका भी नहीं दिया जाता,
एक दिन तो हद ही हो गया……………………………………………………
सुबह में अनु स्नान करने गई थी, सुमित्रा रसोईघर में जाकर गैस खुला छोड़ देती है, और दरवाजा लगा दी, अनु स्नान कर, पूजा करती है, तब-तक सुमित्रा गुस्साती है कि अभी तक चाय नहीं मिला, चाय पीने का समय होता है कोई 9 बजे चाय पीयेगा तो नास्ता कब करेगा,अनु जल्दी से रसोईघर में जाती और गैस जलाती है, फिर क्या था, झट से आग फैल जाती है, अनु के कपड़े में आग लग जाती है, वह दिमाग का इस्तेमाल करती है, आग लगते ही, रसोईघर में रखे पानी को अपने ऊपर डाल लेती है,आग बुझ जाती है, गैस भी बंद कर देती है,तब-तक सुमित्रा और राज आ जाते है,
राज........ आग कैसे लगी,
अनु........ गैस खुला छोड़ा गया था,
राज........ क्या, कौन खुला छोड़ेगा,
अनु........ आप ही जानों, मैंने जैसे ही माचिस जलाया, आग फैल गई,
राज........ भगवान का शुक्र है, कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ,
अनु........ कब-तक भगवान का शुक्र मनाओगे, ये किसकी हरकत है, ये तो पता लगाओं,
राज......... तुम कहना क्या चाहती हो, तुम्हारे और मां के सिवा गैस कौन छुता है, तुम मां पर शक कर
रही हो,
सुमित्रा........( जोर-जोर से रोने लगती है) मुझे पता था, बहू-बेटा मुझ पर ही शक करेगे, अब मैं इस घर में
नहीं रहूंगी, मुझे आश्रम में फेंक आओ,
राज........ ऐसा नहीं होगा, यह आपका घर है,
सुमित्रा....... मैं अनु (बहू) के साथ नहीं रहूंगी, तो इसे इसके मां घर भेज दो, कल फिर कुछ होगा तो मैं ही
फँस जाऊंगी,
राज......... अनु, तुम ही कुछ दिनों के लिए मायके चली जाओ, मैं छोड़ आता हूं, सब ठीक हो जायेगा तो
तुम्हें ले आऊंगा,
अनु......... ठीक है,
"कुछ दिनों के लिए, मायके आई हुई, अनु का कुछ दिन 5 साल में भी पूरा नहीं हुआ, इतना लम्बा इंतजार राज से मिलने और ससुराल जाने के लिए,दरअसल सुमित्रा कोई-ना-कोई बहाना बनाकर, राज को उसके ससुराल जाने से रोक देती है, वह अनु को लाने में असर्मथ है, सुमित्रा राज के मन में बूंद-बूंद शिकायत भरी ( जहर ) डाल-डालकर अनु के खिलाफ कर चुकी है, राज को भी अब अपनी पत्नी से लगाव नहीं रहा,
अनु के शादी को 6 साल हो चुके है, मात्र एक साल ससुराल में रही होगी,5 साल से मायके रहकर राज के आने का इंतजार कर रही है, अनु के मम्मी-पापा और भैया दुःखी होकर,राज के खिलाफ कोट मे केस कर देते है, हर तीन महीने पर, केस की सुनवाई और फैसला होने वाले होते है पर नहीं होता,5 साल से केश चल रहा है, दोनों तरफ के लोग, एक दूसरे पर आरोप लगाते और उन्हें बदनाम करते है,20 साल की उम्र में हुई अनु की शादी,11 साल से बोझ बनी हुई है, आज अनु 31 साल की हो चुकी है, उसकी आंखे सिर्फ एक ही सपना देखती है, कब राज जी उसे अपने घर ले जायेगे, उसकी भी प्यारी सी दुनियां होगी, बच्चे होगे, अब से भी सब ठीक हो सकता है,
सुमित्रा राज की दूसरी शादी कराने के लिए लड़की देख रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राज........... मां आप क्या कर रही है,
सुमित्रा……. उसका इंतजार नहीं करना,मेरे बेटे के लिए लड़कियों की कमी नहीं, वो बैठी रहे अपने मायके
में…………………..
राज......... मां, वो खुद वहां बैठी नहीं है, आपके कहने पर मैं उसे छोड़ आया हूं, उसका दोष नहीं,
सुमित्रा....... जा ले आ, इतनी अच्छी है तो
राज......... अच्छी की बात नहीं, वो मेरी पत्नी है,
सुमित्रा...... इसलिए तलाक मांग रही है,
राज......... क्या करे, उसके घरवाले, कितने दिन शादीशुदा बेटी को कुवारा बनाकर रखेंगे, तलाक लेकर
उसकी दूसरी शादी करेगे,
सुमित्रा...... इसलिए तो, मैं भी तेरे लिए लड़की देख रही हूं,उन्हें दूसरा दामाद मिल सकता है तो मुझे भी
दूसरी बहू मिल जायेगी,
राज........ मां, मैं दूसरी शादी नहीं करूंगा,
सुमित्रा........ क्यों,
राज........ मत पूछों, मैं बोल नहीं पाऊंगा, सब जानकर भी मुझे अनजान बनें रहने दो,
सुमित्रा....... क्या जानता है,
राज.......... दोष अनु में नहीं, हम सब में है,हमें उसे रखने नहीं आया,
सुमित्रा....... तुम कहना क्या चाहते हो कि मैं उसे रख नहीं पाई, उसका व्यवहार, घमंडी स्वभाव, तुम्हें
नहीं दिखता था, पता है सब 'सास' को ही बदनाम करते है, ( रोना शुरू )
राज....... मां आप रोना मत, मैं सब जानता हूं,
सुमित्रा....... क्या जानता है,
राज........... आप चाची जी से बात कर रही थी कि आपने जान-बूझकर अनु को बदनाम
करती थी, ताकि वह बाध्य होकर यहां से चली जाय, मैं " ममता की बेढ़ी " में
जकड़े होने के कारण खामोश था, आप उसे बेटी जैसा प्यार नहीं दे पाई, आपने
हम दोनों कि जिंदगी तबाह कर दिया, “ मां तूने ये क्या किया ”
Rita Gupta.