भविष्य के लिए 'बर्तमान' परेशान

भविष्य के लिए 'बर्तमान' परेशान

हमेशा से बर्तमान, भविष्य कि चिंता करता है, भविष्य के लिए बर्तमान को जिम्मेवार माना जाता है, यानि आज जैसा बिज बोयेगे, कल वैसा ही फल काटेगे, पर......... हर बार ऐसा नही होता,

कभी-कभी सबकुछ ठिक होने के बाद भी, अच्छे भविष्य की कल्पना, साकार नही होती, ना भूतकाल( बिता हुआ समय) हमारे हाथ में है, ना ही भविष्य हमारे हाथ में है, ये' बर्तमान ' ही है जो जीने योग्य है, इसी में सबकुछ करना है,अच्छे भविष्य के लिए बर्तमान मेंहर एक कोशिश करनी है बाकी" रब" दी मर्जी,

मीना साधारण परिवार वाली चार बहनों और दो भाईयों के बीच, पली-बड़ी लड़की है, जो छोटे-छोटे जरूरतों के लिए अपने मन को मारा है, जिस परिवार में 8 सदस्य हो, और कमाने वाला एक, वहां सपने नही देखे जाते है,उसके पापा साधारण से नौकरी करते है, किसी तरह परिवार चलता है, लड़कों कि शिक्षा जरूरी है, इसलिए चारों लड़कियों को साधारण स्कूल, कि साधारण शिक्षा दिलाकर शादी कर देना ही, उसके पापा का विचार है,

मिना की दीदी के शादी के बाद, उसका ही नम्बर आता है, खुबसुरती के बल पर, मिना के लिए, योग्य वर मिल जाता है, लड़का सरकारी नौकरी करता है, उससे उम्र में 12 साल बड़ा है तो भी कोई बात नही नौकरी तो है, इसलिए 18 साल कि मिना का विवाह 30 साल के विनय के साथ हो जाती है,उसके ससुराल में सास-ससुर, दो देवर है, कुछ दिनों तक तो सब ठिक चलता है पर कुछ दिन बाद मिना को लगता है मेरे पति कमाते है बाकी बैठकर खाते है,

वो अपने पति का कान भरना शुरू कर देती है, अंत में विनय को उसके माता-पिता और भईयों से दूर करने में कामयाब हो जाती है, अब विनय आधी कमाई घर चलाने के लिए मां को और आधी मिना को देने लगा, धीरे-धीरे विनय अलग, जगह लेता है और मकान बनाकर अलग रहने चला जाता है,इधर दोनों भाई कोई-ना-कोई काम करके, अपना और अपने माता-पिता का पालन कर रहे है, विनय भी कभी-कभी मिना से छिपाकर उनकी सहायता करता है,

इसी तरह दिन बितते गये, मिना तीन बेटों कि मां बनती है,तीनों को अच्छें स्कूल में पढ़ती है, जब बड़ा वाला कक्षा-9वी, मझला वाला कक्षा-7वी, छोटा वाला कक्षा-4वीके छात्र है, तब विनय कि तबियत बहुत जोरों से खराब हुई, पूरे चेकप के बाद, जो सच सामने आता है, उससे भविष्य का विनाश सामने नजर आता है,पता चलता है......कि विनय को blood cancer है, बच्चों का भविष्य बनाने वाला ही अगर कैंसर से पीड़ित हो तो कैसे बनेगा, सुखद भविष्य, मिना के पैरों तले जमीन खिसक गई, वो सोच में पड़ गई,

"किस गलती कि इतनी बड़ी सजा" दिन-रात मन मंथन में लगा है, अंतरआत्मा से आवाज आती है..... किसी का भविष्य र्बबाद कर, अपना भविष्य अच्छा नही कर सकते है, उसे समझ में आता है कि वह अपने लिए इतनी स्वार्थी हो गई थी कि अपनों के भविष्य कि चिंता भी नही थी, सास-ससुर के सहारे को छिना है,

अब विनय और मिना, कैंसर जैसे बिमारी से लड़ने कि हिम्मत जुटाते है, इलाज शुरू होता है, पहले तो थोड़ी मुश्किल होती है पर धीरे-धीरे रोग बिगड़ता है, नौकरी छोड़ने कि नौबत आ जाती है,बच्चों केअच्छे भविष्य के लिए जमा किये गये रूपये में से इलाज के लिए खर्च करना शुरू हो गया,विनय के मन में हजारों सवाल पर जबाब एक ही.... जितना खर्च करना है कर लो, बिमारी ठिक नही होगी, वो हमेशा अकेले बैठे जाने क्या सोचते रहता,

                                    एक दिन शाम को........

विनय....... तबियत मेरा खराब है, बिमार तुम लग रही हो.....

मिना........नही, ऐसी बात नही है,

विनय...... जब मैं नहीं रहुगा, तब भी खुद को अकेला मत समझना,

               मेरी यादें, तीनों बच्चें तुम्हारे साथ होगे,

मिना...... जाने कि बातें मत करो, डर लगता है,

विनय........ आज मां-पिताजी से मिलने का मन कर रहा है,

मिना....... चलिये मिल आते है,

विनय.......नहीं, तुम बच्चों को देखो, मैं दो घंटे में ही घुमकर आ रहा

                हूं

मिना...... ठिक है,देर मत किजियेगा,

विनय....... देर होगा तो तुम सो जाना, चिंता मत करना,

“विनय उसी शहर में रह रहे माता-पिता और दोनों भाईयों से मिलने जाता है उनके लिए मिठाई ले जाता है”

विनय..... प्रणाम, मां-पिताजी, दोनों भाईयों को गले लगाता है

मां........बैठो, तुम क्यों मिलने आये ऐसी हालत में,हमें बुला लेते,

विनय.... मां मैं ठिक हूं, आज तुम्हारी गोद में सिर रखकर सोने का   दिल कर रहा है,

मां....... आ जा... मैं सिर में तेल, मालिश कर दे रही हूं,

विनय...... मां, वो दिन कितने अच्छे थे, जब हम सब एक साथ रहते   थे,

मां........ बेटा, परिवार बढ़ने से अलग-अलग रहना पड़ता है, इससे प्यार में कोई कमी नही आती, सब

           ठिक है,

विनय...... मुझे माफ कर देना मां, तेरे बच्चे से जो भी गलती हुई,

मां.........नही बाबु, माफी मत मांगो, तुमने कुछ नही किया, सब वक्त करता है,

                                         घंटा भर बाद

विनय...... मां, अब मुझे चलना चाहिये,

मां....... आज यहि रूक जा,,,,,,,,,

विनय..... नही चलता हूं,

मां....... ठिक है, सावधानी से जाना,

                                         3 घंटा बाद,,,,,,,,,,

मिना, विनय को फोन लगाती है, मोबाइल switch-off बताता है, वो अपने ससुराल में फोन लगाती है, सास फोन उठाती है,

मिना....... मां जी,' वो 'वहि है,

सास.......नही बहु, विनय तो दो घंटा पहले ही निकल गया, अभी

             तक पहुंचा नही,

मिना......नही, मोबाइल बंद है,

सास...... ठिक है, उसके भाईयों को बाहर देखने के लिए भेजती हूं

"विनय के दोनों भाई चारों तरफ तलाश करते है, विनय की लाश रेल की पटरी पर दो हिस्सों में पाई जाती है, यह खबर आग कि तरह चारों ओर फैल जाता है, उसके जेब से एक चिट्ठी मिलती है, जिसमे लिखा है"

पूज्य,

     मां-पिता जी

                   मैं एक अच्छे बेटे का फर्ज पूरा नही कर सका, प्यारे भाइयों, मैनें बड़े भाई होने का भी फर्ज पूरा नही किया, मेरी मिना, मुझे माफ करना, अग्नि के सात फेरे लेकर भी मैं तुम्हारा साथ छोड़कर जा रहा हूं,

मेरे प्यारे बच्चों, माफ करना, मन लगाकर पढ़ना, तुम्हारे अच्छे भविष्य के लिए, बुंद- बुंद जमा किये गये रुपये से, मैं अपने लिए, कुछ दिनों कि जिंदगी नही खरीदना चाहता,

                                                                     आप सबका 'विनय'

 

         

                                                     -  Written by

                                                                Rita Gupta