प्यार है या 'सौदा'

प्यार है या 'सौदा'
प्यार तो एक प्यारा सा एहसास है, किसी को हर हाल में पा लेना, प्यार नही होता, बदकिस्मती से कुछ लोगों के लिए प्यार 'सौदा' बनकर रह गया है,
“इस कहानी में, प्यार बदनाम होकर रह गया, सामाजिक मान-मर्यादा को ताख पर रख दिया”
सोनम और रौशन बचपन के हमउम्र दोस्त है, सौभाग्य से दोनों पड़ोसी भी है, जब-तक बात बचपन की थी, तब-तक सब सहि था, जैसे ही इन्होंने बचपन को छोड़ा,यानि 14 साल की उम्र को पार किया,लोगों की काना-फुसी शुरू हो गई,
“सामाजिक मान्यता के आधार पर,14 साल की उम्र तक, नासमझ बचपना होता है, 18 साल से,समझदार जवानी होती है, तो बीच के ये चार साल, उम्र का कौन सा दौर है, और इस उम्र से गुजरने वालों को किस श्रेणी में गिनती करनी चाहिए, अधिकांश अनैतिक गलतियां इसी उम्र की देन है”
मेरे कहानी के दोनों पात्र इसी का शिकार है, जब इन्होंने 16 साल की उम्र में कदम रखा, दोस्ती ने कब प्यार का रूप धारण कर लिया इन्हें पता ही नही चला, नासमझी के कारण ये प्यार और दोस्ती के फर्क को समझ नही पाये,
खबर जब आग के समान चारों ओर फैली, सोनम के घरवाले उसी गांव लेकर चले जाते है और वहि उसकी शादी कर देते है,सजा के तौर पर उसे दो साल के लिए गांव में ही छोड़ देते है, ताकि उसके सिर से प्यार का बुखार उतर जाय,
जब दो साल के बाद, वह मायके आती है तो उसके गोद में, एक साल की प्यारी सी बेटी है, यह देख रौशन भी नजरे चुराते हुए उससे दूरी बनाये रखता है, सोनम भी कुछ खो जाने के गम को महसूस करती है, धीरे-धीरे समय बितता है,दोनों फिर से बाते करना शुरू कर देते है...................
रौशन......... तुमने तो अपना घर बसा लिया, पर मैं आज भी तुम्हें उतना ही प्यार करता हूं,
सोनम.......... मैंने कुछ नही किया, किस्मत ने मेरे साथ खेल खेला,मुझे भूल जाओं और शादी कर लो,
रौशन.......... मै, कभी शादी नही करूगा, अभी तो पढ़ाई कर रहा हूं,जब नौकरी लग जायेगी, तो भी शादी
नही करने वाला,
सोनम........ तुम ऐसा करोगे, तो मैं सारी जिंदगी खुद को कैसे माफ करूगी, मैं लड़की हूं इसीलए मजबूर
हूं, वहि करने को जो मेरे पति और मां-बाप चाहते है,
रौशन......... तुम्हें किसने रोका है, अपने पति के पास जाओ, मैं कोई नहीं,
सोनम......... तुम दोस्त हो, तुम से वो सब बातें करती हूं जो मैं किसी और से नही कर सकती,
रौशन.........मैं आज भी तुम्हारे लिए, सब कुछ छोड़ने को तैयार हूं क्या तुम अपने पति को छोड़ दोगी,
सोनम.........ये कैसा सवाल है,
रौशन.........मुझे पता था, तुम्हें पति का नाम और दोस्त का प्यार दोनों चाहिये,
सोनम........मैं शादी-शुदा हूं, बदनाम हो जाउगी,
रौशन......... तो मैं क्या, तुम से प्यार और शादी करके नाम कमाने का उम्मीद लिए बैठा हूं,
सोनम.......... तुम मेरे दोस्त और प्यार दोनों हो, तुम ही बोलो मैं क्या करू,
रौशन......... सोच लो, बहुत हिम्मत और मेरे पर विश्वास करना होगा,
सोनम.........मुझे तुम पर पूरा विश्वास है,
रौशन......... ससुराल मत जाओ,
सोनम........यानि मैं तालाक ले लु,
रौशन......... तालाक लिए बिना, मेरी कैसे बनोगी,
सोनम पति पर शराबी होने का इल्जाम लगाकर, ससुराल जाने से इंकार कर देती है, नौबत तालाक तक आती है," शादी" नाम का पवित्र रिश्ता टूट जाता है, दोनों ने प्यार के नाम पर बदनामी को निमंत्रण दिया, धीरे-धीरे दिन बितता है,
14 साल बाद,18 साल का रौशन अब 32 साल की उम्र में, रेलवे मे नौकरी लेने में कामयाब हो पाता है, इतने दिनों में बहुत कुछ बदल गया, एक साल की प्रीती (सोनम की बेटी) अब 15 साल की हो गई, इंतजार की घड़ी इतनी लम्बी होगी, ये इन दोनों ने नही सोचा था, दिन-रात मेहनत कर बेटी की परवरिश करती है, इस आस मे कि,,,,,,,,, एक ना एक दिन रौशन को नौकरी मिलेगी और वह अपने मां-बाप से अलग होकर अपने प्यार सोनम और प्रीति को अपनायेगा,
'पैसा अच्छे-अच्छे को बदल देता है' यह सिर्फ कहावत नही, सच्चाई है, यहि हुआ नौकरी लगने के बाद रौशन के लिए अच्छे-अच्छे रिश्तें आने लगे, खुबसूरत लड़कियों के फोटों देखने के बाद, अब सोनम का प्यार बाधक(रोड़ा) लगने लगा, घर पास मे होने के कारण कोई बात छिपती नही है, रौशन के बदले हुए व्यवहार से सोनम परेशान,14 साल के इंतजार पर पानी फिरने वाला है,
सोनम........... ये क्या हो रहा है, नौकरी लगे साल होने जा रहा है, हम शादी कब करेगे,
रौशन..........हम शादी नही कर सकते, सामाज मान्यता नही देगा,
सोनम......... हमारा प्यार, इसे शादी का नाम नही मिलेगा,
रौशन.......... प्यार तो अब भी है, पर मैं अपने उन मां-बाप का दिल नहीं तोड़ सकता, जिन्होंने इतने साल
तक मेरी देखभाल की, आज नौकरी होने पर, उन्हें छोड़ दू,
सोनम.......... मेरा दिल,
रौशन..........आज-तक तुम्हारा ही तो था, पर अब मुझे भूल जाओ,15 साल की तुम्हारी बेटी है, अब उसके
बारे मे सोचो, मुझसे जो बन पायेगा, उसकी शादी में दूगा,
सोनम..........हम दोनों हमउम्र है,15 साल की बेटी होने से मुझे बुढ़ी और खुद को जवान समझ रहे हो,
रौशन...........मेरी नही, सबकी यहि सोच है, मुझे सामाज मे रहना है, तुम से शादी नही कर सकता,
सोनम शादी जैसे पवित्र रिश्ते को तोड़कर, अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार चुकी थी, अब वो ना घर की, ना घाट की, रह गयी, ये सोचकर उसका दिमाग खराब हो रहा है कि रौशन ने आज-तक उसका इस्तेमाल किया, प्यार होता तो कहां गया, वो गुस्सा से थाना में केश कर देती है, पुलिस आकर दोनों घरवालों को समझाता है कि आप सब पंचायत करके मामले को संभाल लिजिये, वर्ना किसी के लिए अच्छा नही होगा,
‘पंचायत बुलाई जाती है, एक तरफ सोनम के घरवाले, दूसरी तरफ रौशन के घरवाले, चारों तरफ सामाज के लोग और पड़ोसी, दोनों एक-दुसरे पर ऐसे-ऐसे आरोप लगा रहे है, बंद कमरे कि बाते आज पंचायत में खुल रही है, सोनम प्यार को साबित करने मे और रौशन प्यार से इंकार करने मे ऐसे-ऐसे शब्दों के वाण चला रहे है, सभा में बैठे लोगों कि नजरे शर्म से झुक जा रही है,दोनों सामाजिक मान-मर्यादा खोकर एक-दुसरे को नंगा कर रहे है,
"डूब मरने वाली बात है, ऐसे प्रेमियों के लिए, जो प्यार को सौदा समझते है,पंचायत भी नही कर पाई इनका फैसला" रब जाने इस कहानी का अंत क्या होगा,
Written by
Rita Gupta