दो सहेलियाँ

दो सहेलियाँ

प्रीती और रीतु दोनों एक दुसरे के विपरीत होते हुए भी, पक्की सहेली है, ना जाने कौन सी डोर उन दोनों को इस कदर बांधे हुए है, इसकी दोस्ती तोड़ने की साजिश होती है आपस मे बाकी दोस्त शर्त भी लगाते है, पर सब बेकार साबित होता है, दोनों एक ही कांलेज की ,छात्रा है, प्रीती साधारण घर की, चंचल और मनमौजी स्वभाव वाली, रीतु पैसे वाली घर की, साधारण और आज्ञाकारी बेटी है,

एक दिन.....................................

प्रीती.......... रीतु लगता है, मुझे रोहित से प्यार हो गया है, तुझे वो कैसा लड़का लगता है ?

रीतु............. मुझे इस मामले में मुझे कोई ज्ञान नही,

प्रीती.......... तुझे प्रमोद कैसा लगता है ?

रीतु.............मैं समझी नही,

प्रीती.......... इसमें समझना क्या है, वो तुझे घुर-घुर कर देखते रहता है, तुमने ध्यान नही दिया,

रीतु............ नही, मैं ऐसी बेकार कामों पर ध्यान नही देती,

प्रीती......... 'प्यार का होना' बेकार है, कोई तुम्हें दिल से चाहें, तुम किसी को चाहों, ये सब बेकार है, अब

                हम बच्चें नहीं रहे,20 साल के हो गये है, अपने लिए जीवन-साथी चुन सकते है,

रीतु.......... देख प्रीती, तुझे जो करना है कर, मेरे घरवाले मुझे बहुत प्यार करते है, वो हमेशा मुझे खुश

               देखना चाहते है, आगे भी मेरे लिए जीवन-साथी उन्हें ही ढुढ़ना है,

प्रीती........ हर मां-बाप अपने बच्चों को प्यार करते है, इसमें नया क्या है, वो तुम्हें इसलिए चाहते

              है,क्योंकि तु उनकी गुलाम है, एक दिन अपने मन की कर के देख, तेरा भ्रम दूर हो जायेगा,

रीतु......... कैसा गुलाम, उनकी आज्ञा का पालन करना, गुलामी है यह तो हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें

             खुश रखे, मम्मी-पापा हमारे लिए भगवान सामान है,

 

प्रीती......... ठिक है पर एक बार उनकी परीक्षा तो ले ही सकती है, सच तो पता चले,

रीतु........... कैसी परीक्षा,

प्रीती........... उनसे सिर्फ इतना बता कि 'तुझे किसी से प्यार हो गया है 'फिर देख क्या होता है,

रीतु........... ये तो झूठ है,

प्रीती........... मुझे पता है पर बोलकर तो देख, फिर बता देना कि तुने मजाक के लिए झूठ बोला था,

रीतु.......... ठिक है, देखती हूं,

"3 दिन बीत जाते है रीतु कांलेज नही आती, तब प्रीती उसके घर जाती है, वहां का नाजारा देखने योग्य था, प्रीती को देखते ही, सबकी आंखें उसे ऐसे देखती है मानों कह रही हो, तु यहां से चली जा”

प्रीती....... अंटी, रीतु कहां है ?

रीतु की मां.......... वो कांलेज नही जायेगी,

प्रीती....... क्यों अंटी, तबियत ठीक नही है,

रीतु की मां......... बहुत पढ़ ली, अब पढ़ने की जरूरत नही,

प्रीती...... क्या हुआ, कोई बात है,

रीतु की मां........ कांलेज पढ़ने जाती है या प्यार करनें,

प्रीती...........'प्यार' और रीतु ,ये मजाक था जो हमदोनों ने मिलकर आप लोगों के साथ किया, ऐसी कोई

                बात नही है, आप उसे पढ़ने दे,

रीतु की मां....... ठिक है, तुम जाओ, उसके पापा उसे कांलेज छोड़ देगे,

प्रीती............ ठिक है अंटी,मैं जा रही हूं,

“कांलेज में जब दोनों सहेली मिलती है”

रीतु............(रोये जा रही है)

प्रीती..........sorry रीतु, हमने तो यू ही मजाक किया था, तेरे घर वाले, इसे सच समझ बैठे,

रीतु........... मैं सपने मे भी नही सोच सकती कि मेरे घरवाले ऐसे हो सकते है,

प्रीती......... क्या हुआ,

रीतु.......... मैनें हंसते हुए मम्मी से कहा, कि मुझे किसी से प्यार हो गया है, बस ये बात पापा ने सुन

               लिया, बात आग की तरह फैल गई, दोनों भाई-भाभी, दादा-दादी, सबको पता चल गया,

               सबकी निगाहें ऐसे घूर रही थी, जैसे मैंने कितना बड़ा गुनाह कर दिया,दादा-दादी बोलने लगे,

               हमने पहले ही कहा था, कॉलेज मत जाने दो, पापा----- उससे क्या हुआ, कल से पढ़ाई बंद,

               भाई------ हमसब के लाड़-प्यार का यहि शिला दिया, मम्मी------- तुमने तो मेरी नाक कटा

               दी, भाभी ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया, सब-के-सब इतने अपशब्द बोलने लगे, कि मेरी

               आंखे अपनी जल-धारा को रोकने में असर्मथ रही,

प्रीती........ तुने कहा नहीं की मजाक है,

रीतु........ कहने का मौका दे तब न कुछ कहु, फिर भी मैंने कहा, कि मैं मजाक कर रही थी, लगता नही

             उन्हें मेरी बातों पर विश्वास है, तु ठिक बोल रही थी कि अपने भी मतलबी होते है,

प्रीती........ ऐसा मत सोच,

रीतु........ काश, मैं अपनों की परीक्षा नही ली होती, कम-से-कम ये भ्रम तो बना रहता कि मेरे अपने मुझे

            बहुत प्यार करते है, अब तो सच सामने आ गया, मैं अपनों के बीच खुद को अकेली, अजनबी

            और बोझ महसूस कर रही हूं,

प्रीती......... मुझे माफ कर दे, मुझे नहीं पता था कि बात इतनी बिगड़ जायेगी,

रीतु.......... नहीं प्रीती, माफी की कोई बात नहीं, जो हुआ अच्छा हुआ, सच सामने आ गया,

"धीरे-धीरे दिन बितते है, दोनों कि पढ़ाई सामाप्त हो जाती और दोनों बिछड़ जाती है"

10 साल बाद, एक दिन बच्चों के स्कूल में प्रीती और रीतु का आमना-सामना होता है, उनके बच्चें एक ही स्कूल में पढ़ रहे है, फिर क्या था, बिछड़े हुए सहेलियोे कि खत्म न होने वाली बाते शुरू होती है, फिर से रोज मिलना, कॉलेज के दिनों की याद दिलाती है,

प्रीती....... कैसी है , तू

रीतु........ ठीक हूं, तू कैसी है,

प्रीती....... मैं भी ठीक हूं,

रीतु........ तेरे पतिदेव क्या करते है,

प्रीती....... रोहित, तुझे तो पता है, उसे पढ़ना अच्छा नही लगता, हम दोनों ने बड़ी मुश्किल से प्राइवेंट

              Job ले पाये है,

रीतु......... तू ने रोहित से शादी की,

प्रीती........ तो किससे करती, जब प्यार उससे करती थी,

रीतु......... तेरे घर वाले मान गये,

प्रीती........ नहीं, उसके घरवाले भी नहीं माने, हम दोनों ने कोट मैरेंज की, तेरे पति क्या करते है,

रीतु......... हमारा अपना व्यापार है, रेडिमेट कपड़ा का बहुत बड़ा दुकान है,

प्रीती........ अपने पति से मिलायेगी नहीं,

रीतु........ वो अधिकांश बाहर-बाहर रहते है,

प्रीती....... ठिक है,फोटों तो दिखा सकती है,

रीतु........क्यों नहीं, कल स्कूल में ही लेकर आऊंगी,

"दुसरे दिन प्रीती,रीतु की शादी की फोटो देखते-देखते कही खो जाती है"

रीतु............. कैसी है फोटो,

प्रीती............ बहुत अच्छी,

रीतु............ तू, उदास क्यों हो गई,

प्रीती.......... तेरे शादी में कितना मजा आया होगा, कितने सारे अपने-पराये सभी तुझे आर्शीवाद दे रहे

                होगे, तूने गहनें भी बहुत सारे पहना है,

रीतु.......... हां, कुछ मां घर के है, कुछ ससुराल के,

प्रीती........ तू, बहुत खुशनसीब है, पूरे परिवार का प्यार मिला,

रीतु.......... क्यों तू अकेली रहती है,

प्रीती.......नहीं, मैं, रोहित और मेरा एक बेटा, यहि हमारा परिवार है,

रीतु 10 साल बीत गये, मायके और ससुरालवालों ने माफ नहीं किया,

प्रीती........नहीं, मेरा भाई रक्षाबंधन के दिन भी मुझे याद नहीं करता,

रीतु.......... जाने दे प्रीती, तेरे साथ तेरा प्यार रोहित है ना,

प्रीती.......... हां, सिर्फ प्यार से कुछ नहीं होता, अपनों का साथ और सामाज में सम्मान भी जरूरी है, मेरी

                जाने दे, मैं खुश हूं कि तू खुश है,

रीतु.......... ये तूने, कैसे सोच लिया कि मैं खुश हूं,

प्रीती.......... क्या, तेरे पास क्या नहीं है, सब अपने तेरे साथ है, भगवान ने दो बेटे-दो बेटियां भी दी है,

               धन-दौलत है, तब भी,,,,,,,,,,,,,,,,,,, क्या तेरे पति तुझे प्यार नहीं करते,

रीतु.......... वो अपने बच्चों की' मां 'से प्यार करते है, इस घर की मान-सम्मान की रक्षा करने वाली रीतु

               से प्यार करते है, अपने मां की बहू से प्यार करते है,

प्रीती........... जो कि ' तू ' है,

रीतु........... यहां भी वहि स्वार्थ वाला प्यार है, मैं उनके घरवालों को प्यार और सम्मान देती हूं तो उनकी

               प्यारी हूं,

प्रीती......... रीतु, यहि दुनिया है, रोहित के लिए सबको  छोड़ा तो रोहित का प्यार पाया,

रीतु........ प्यार भी एक प्रकार का' सौदा ' बन गया है, प्यार दो, तो प्यार लो, ऐसा शायद कही कोई नहीं  होगा, जो किसी को निःस्वार्थ प्यार करता होगा,

                                                           Written by

                                                                 Rita Gupta