'दिल' चाहता क्या है
'दिल' चाहता क्या है
मेरा दिल सबकी सुनता, पर मेरी नहीं, इसकी हरकतों से परेशान हूं, आखिर ये चाहता क्या है,मेरी आपबीती सुने और बताये,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
मैं ' रणबीर 'पंजाब के मजारी गांव का रहने वाला हूं, बचपन से एक साधारण परिवार का साधारण सा बच्चा हूं, मम्मी-पापा और दो भाई प्यारा सा परिवार, पर र्दुभाग्यवश आज मैं मम्मी-पापा का एकलौता संतान हूं, मेरे बचपन में ही, मैंने अपने बड़े भाई को खो दिया, एक बिमारी के बहाने रव ने उन्हें हम सब से छिन लिया,उनकी कमी हमेशा महसूस करता हूं, बड़ा हो या छोटा एक भाई तो होना चाहिए, वो एक सच्चा दोस्त होता है, जिससे दिल की बात कर सकता,घर में मम्मी-पापा और मैं यहि तीन जनों का परिवार है,
घर की हालत बहुत खराब है, बचपन से मैं घर की हालात से अवगत हूं, मेरा उद्देश्य है जितनी जल्दी अपने पैरो पर खड़ा हो, घर के लिए करना, बचपन से ही खेल-कूद की तरह ज्यादा झुकाव रहा, मैं 15 साल की उम्र से (Volleyball) खेलने के पीछे पूरे जूनून के साथ लग गया, पढ़ाई के साथ-साथ खेल में निखार लाने की कोशिश करता था,
हमारे गांव में, पीने के पानी के लिए, दूर जाना पड़ता है, पानी लाने का काम मैं भी करता था, उसी समय अपने खेल का अम्यास किया करता था, मेरे बचपन के दोस्त ने भी मेरे साथ दिया, मेरे खेल में निखार आता गया,गांव से जो खेलना शुरू किया था, वो आज मैं State level पर खेलता हूं, लगभग 8 साल की कड़ी मेहनत से खेल की दुनियां में मैं अपना पहचान बना पाया हूं, प्रत्योसाहन के रूप में मम्मी-पापा का प्यार हमेशा मेरे साथ रहा, उन्होंने जो कुछ किया मेरी खुशी के लिए किया, कुछ दिनों बाद मझे Punjab Nation Bank में Job भी मिल गया,
आज के युग में जिसके पास Job है, उसकी गिनती कामयाब लोगों में होती है, रब की मर्जी और दुबा से 24 साल की उम्र में ही कामयाब लोगों में गिना जाने लगा, मम्मी-पापा के रिस्तेदार मेरे शादी के लिए लड़की देखने लगे, पर मैं 2 साल रुक कर शादी करना चाहता हूं, अभी घर बनाना भी है,
मेरा दिल इतना बेचैन क्यों है, वह चाहता क्या है, शादी तो करना होगा और करूगा भी पर किससे ?
बचपन की दोस्त, जिससे साथ लड़ता-झगड़ता, पढ़ता-लिखता, अनु मेरी दोस्त से, न जाने कब प्यार बन गई, मेरे और अनु के बीच प्यार तक तो ठीक था, पर हम दोनों प्यार की जजवात में बह जाते है और सारी सीमाये पार कर देते है, जिसकी इजाजत भारतिय संस्कृति नहीं देती, वो सबकुछ हो गया, जो शादी के बाद होना चाहिए,
35 साल की भाभी, जो मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, उनसे मैं सारी बाते करता हूं, जो बाते मैं मम्मी या अनु से नहीं कर सकता, वो बाते भाभी से करता हूं, ऐसा लगता है, जैसे मेरे हर सवाल का जवाब भाभी के पास है, उनसे बात करके सकून मिलता, हम दोनों सिर्फ फोन पर घंटों बाते करते है, न जाने ये कैसा लगाव है,
मैं सोचता हूं, अनु मेरा प्यार है तो भाभी क्या है, कहीं भाभी से तो प्यार नहीं, उनसे इतना लगाव क्यों, दिल चाहता क्या है, उधर घरवाले मेरे लिए, लड़की देख रहे है, उन्होंने मेरे लिए बहुत किया, मैं उनका दिल नहीं तोड़ सकता, उनकी मर्जी के खिलाफ नहीं जा सकता,
कामयाब होने के बाद भी मैं बहुत ही परेशान हूं, घरवालों की मर्जी से शादी करने के बाद, क्या मैं खुश रहूंगा, अनु को भूल पाऊंगा, या भाभी के बिना रह पाऊंगा, क्या ये दोनों मुझे माफ कर देंगे, मैं कोई फैसला कैसे लू, क्योंकि मुझे खुद नहीं पता कि मेरा दिल क्या चाहता है,
Rita Gupta.