दिल के विरूद्ध

दिल के विरूद्ध

जब दिल से बाते करो तो, आपके अच्छें कामो में हामी भरता है और बुरे कामो में नाराजगी दिखाता है, हर इंसान कि यहि कोशिश होती है, अपना होया किसी का, दिल को दुःखी न किया जाय, ये खुश तो सब खुश, कभी-कभी ऐसे हालात आते है, जहाँ हमे दिल के विरुद्ध जाना पड़ता है, आंखों में पानी और ओठो पर हंसी होती है, सही गलत के दलदल में फँस जाते है, बहुत ही मुश्किल घड़ी होतीहै,

मुझे आज भी, अच्छी तरह याद है वो दिन जब मै ऐसे मुश्किल घड़ी में खुद को खड़ा पाया, बच्चों में मुझे भगवान दिखते है, अपने हो या पराये मै कभी भी किसी बच्चें को डाटती नहीं, जिसके कारण मेरे घरवाले कहते........ मुझे अपने बच्चों को डाटना चाहिये, वर्ना बड़े होकर जिद्दी और बदमाश हो जायेगे,

मैं........... अगर डाट-मार से अच्छे बनते, तो आज सबका बच्चा डॉक्टर, इंजिनियर और प्रोफेसर होता, पर ऐसा नहीं है,मैं अपने बच्चों को मार-डाट नहीं सकती, समझाने का काम कर सकती हूं,

प्यारी सी, दर्द भरी यादें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

मैं सिलाई सिखाती हूं, बहुत सारी लड़कियाँ और औरतें सीखने आती है, कभी-कभी उनके साथ छोटे बच्चे भी आते है, छोड़कर नहीं आ पाती तो अपने साथ लेते आती है, मीना कभी-कभी अपने भतीजे को साथ लेकर आती जो कि तीन साल का है, वो चुपचाप बैठकर सबको देखते रहता, जब मेरी नजर उस पर पड़ती, शर्म से आंखे झुका लेता,

मैं उसे प्यार से बाबु बोलती हूं, उसका दिल करता तो बैठता, नहीं तो 10 मिनट बाद उसके घर से कोई-न-कोई आकर उसे ले जाता, घर पास में होने के कारण वह हमेशा मीना (उसकी फुआ) के साथ आ जाया करता फिर थोड़ी देर बाद चला जाता,सारी छात्राएं मुझे चाची बोलती, वो भी चाची बोलता,

मैं.......... बाबु, मैं तुम्हारी दादी हूं,

बाबु........नहीं, चाची

मैं.............OK, सबकी चाची,

मीना.......... चाची, पता है जब से बाबु यहां आ रहा है, अब घर में भी बदमाशी कम करता है, जब देखो

                चाची ये बोली, चाची वो बोली, आपकी ही बाते करता है, इसकी मम्मी भी इसे यह बोलकर

               खाना खिलाती है कि नहीं खाने पर वो चाची को बोल देगी कि बाबु अच्छा लड़का नहीं है, वह

               इस डर से खा लेता है,

मैं........बच्चे को डराया मत करो,

जिस दिन सिलाई सेंटर बंद रहता उस दिन भी वो अपने घर में सबको परेशान कर देता है, रोते हुए...... हमे चाची को देखना है,

उसकी मम्मी........ आज छुट्टी है, चाची नहीं मिलेगी,

बाबु..............मैं सिर्फ देखुगा, फिर आ जाऊंगा,

मम्मी............ बाबु, कल मिलना खाना खा लो, फिर सो जाओ,

बाबु............. खाना नहीं खाना, सोना नहीं, चाची,,,,,,,,,,,(रो-रो कर परेशान )

मानो बच्चे ने जिद ठान ली हो, घर वाले परेशान, अंत में बच्चे के सामने हार मान जाते है, मीना उसे लेकर, मेरे घर आती है,

मीना....... चाची, मैं दोपहर में आपको परेशान करने आ गई,

मैं........... कोई बात नहीं,कोई काम है,

मीना....... बाबु, आपसे मिलने आया है,

मैं........... क्या हुआ बाबु, खाना खाया,

मीना....... अभी नहीं खाया है,

मैं........... बाबु बहुत अच्छा है, खाना खाकर, चुपचाप सो जाओ, ठिक है ना,

बाबु.......... हॉ,

मीना बाबु को लेकर घर चली जाती है, घर जाकर वो खाना भी खाता है और दोपहर में सो भी जाता है, इसी तरह सिलसिला चलता रहता है, दो महीने बाद गर्मी का महीना आता है, दोपहर में घर से निकलना मुश्किल, वो भी छोटा बच्चा, लू लग जाने का डर,

" रविवार का दिन, क्लास की छुट्टी"

बाबु............ फुआ, चाची के पास चलो ना,

पापा........... क्या बोला, बहुत धूप है, शाम को जाना, अभी खाना खाओ और सो जाओ,

बाबु............ पहले चाची को देखना है,

मम्मी.........नहीं बाबु, अभी नहीं, वो किसी से नहीं मिलना चाहती,

बाबु........... क्यों,

मम्मी........ उनको बुखार है, सो रही है,

बाबु............ चाची को बुखार है, तो हमें जरूर मिलना है, मैं कुछ नहीं बोलुगा, सिर्फ देखुगा, आ जाऊंगा,

पापा....... बोला ना, नहीं जाना है,

बाबु........(रो-रोकर, चाची, चाची )

पापा....... तुमलोगों से एक बच्चा नहीं संभाल में आता, एक थप्पड़ लगाओ, रोते-रोते सो जायेगा,

मम्मी...... बाबु, चुप हो जाय, हम शाम को चलेगे,

बाबु........ चाची को बुखार है, मुझे अभी देखना है,

घरवाले झुठ बोलकर फंस गये, उसकी फुआ मुझे फोन करके सारी बातें बताती है और कहती है कि....... चाची चादर लेकर( ढककर ) सो जाओ, मैं बाबु को लेकर आ रही हूं, मैंने उसके इस नाटक में साथ दिया,वहि किया जो करने को कहा गया,

मीना........(आती है) मेरे पतिदेव जी से पूछती है, चाचा, चाची कहॉ है,

पति जी......... वो तो सो रही है, बुखार है, कोई काम है,

मीना....... नही, बाबु

पति जी......... बाबु क्या हुआ, उस कमरे में है तुम्हारी चाची, जाओ मिल लो,

वो मीना के साथ, मेरे कमरे में आता है, मैं आंख मूंदकर लेटी रहती हूं, वो चुपचाप देखता है, फिर चला जाता है,

दूसरे दिन, मीना सुबह में ही, बाबु से छिपकर मुझसे मिलने आती है,

मीना........... चाची,

मैं.......... .. क्या हुआ,

मीना........... घर में भाभी को डाट मिला, वो चाहती है कि आप बाबु को डाटे, ताकी को आपसे नाराज

                होकर, मिलने नहीं आये,

मैं......... बाबु को क्यों डाटु ?

मीना...... आपसे नफरत करे, इसलिए

मैं......... ऐसा क्यों ?

मीना..... उसकी मम्मी नहीं चाहती, उसका बच्चा, उससे ज्यादा, आपको चाहे,

मैं.........(अवाक्) ऐसी बात है तो तुमलोग उसे मेरे पास मत लाओ, मैं बच्चे को क्यों और कैसे डाटु,

मीना........ हम सबने बहुत कोशिश की, पर वो आपको देखे बिना खाना नहीं खाता, दोपहर में सोता नहीं

                आप ही कुछ किजिये,(मैं जा रही हूं)

मैं ऐसे धर्म संकट में पड़ी, 3 साल के बच्चे को, इसलिए डाटु कि वो मुझे देखकर खुश क्यों होता है,मैं तो उसमें' भगवान ' को देखती हूं, वो मुझमें किसकी झलक देखता है, मैं नहीं जानती, मुझसे ये कहा जा रहा है कि, बाबु के दिल में, अपने लिए नफरत डालु, ऐसी बाते सोचकर मैं रोये जा रही हूं, मुझे क्या करना, क्या नहीं करना चाहिये, बच्चे के रूप में भगवान को डाटने का पाप करू या उसके घरवालों के नज़र में दोषी रहूं कि मैंने कोई जादू किया है,

मैं अपने दिल के विरुद्ध,वो किया जो नहीं करना था,

दूसरे दिन, 10-12 क्लास करा रही थी, लड़कियाँ आयी थी, मैंने देखा कि मीना भी अपने भतीजे को लेकर आ रही है, अनदेखा करते हुए............................

मैं............. जानती हो, छोटे बच्चे पागल होते है,

लड़कियाँ...... क्यों चाची,

मैं......... मुझे बच्चे बिल्कुल पसंद नहीं, बहुत परेशान करते है, मन तो करता है कि खुब पीटु,( बाबु, तुम

            कब आये, मैं देखी नहीं, बैठो,)

बाबु........... चुपचाप मुझे देखे जा रहा है,

मैं............ लड़कियों को सिलाई सिखाने में लग जाती हूं,

थोड़ी देर बाद, अपनी फुआ को घर चलने को इशारा कर रहा है, उदास चेहरा लेकर वह चला जाता है, मैं भी चुप थी,

दूसरे दिन से बाबु आना बंद कर देता है, मीना अकेले आती है,

मैं........... बाबु कैसा है,

मीना........ ठीक है, रो-रो कर बोल रहा था, चाची अच्छी नहीं,,,,,,,,,,,,

मैं............ वो ठीक बोल रहा था, सच में मैं अच्छी नहीं हूं, इतने छोटे बच्चे का दिल दुखाया, भगवान मुझे

               माफ करे, मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था,

                                                                                                            Rita Gupta