"जान" भी ले लेते

"जान" भी ले लेते
कभी-कभी, किसी-किसी, के साथ भगवान इतना बुरा करते है, मानो उस इंसान और भगवान के बीच'जानी दुश्मनी' है, कोई इंसान भी, किसी इंसान के साथ, इतना बुरा करने के पहले दो बार जरूर सोचेगा,तो उन्होंने क्यों नहीं सोचा कि वो क्या करने जा रहे है, किसी के साथ इतना बुरा करने से अच्छा तो आप उसकी 'जान' ही ले लो, रोज मरने से अच्छा, एक दिन मरना
सिर्फ 3 महीने पहले की आसनसोल के प्लेटफार्म न० 6-7 की घटी घटना है,
सुबो अपने मम्मी-पापा का छोटा और लाड़ला बेटा है, उसका बड़ा भाई 10 वी से ज्यादा शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाता, इसलिए वह पापा के साथ मिलकर मोदीखाना दुकान चलाता है, घर की देखभाल करता है, सुबो पढ़ने मे तेज, आगे की पढ़ाई करते हुए,computer Science के कोर्स को भी करता है,
अपनी काबिलियत के बल पर एक अच्छी कम्पनी में नौकरी ले लेता है, नौकरी के लिए उसे चिन्नई जाना पड़ता है, घरवालो को ये पसंद नहीं पर क्या कर सकते है, लगभग एक साल वहि नौकरी करता है, उसके शादी के लिए अच्छे-अच्छे रिश्ते आने लगे है,पहले बड़े भाई की शादी होगी, तब सुबो की शादी होगी,
बड़े भाई के शादी के लिए, लड़की देखने का काम शुरू हो जाता है, जब किसी लड़की वाले को पता चलता है कि उनका छोटा बेटा नौकरी करता है तो वो सुबो को ही अपनी बेटी देना चाहते है, जिसके कारण रिश्ता लौट जाता है,घरवालों ने सोचा दोनो भाई तो शादी के योग्य हो ही गये है, एक काम करते है, दोनों की शादी एक साथ ही कर देते है, सुबो का रिश्ता पक्का हो जाता है, बड़े भाई का भी लगभग पक्का ही, होने वाला था,
घरवाले चाहते है कि सुबो कलकत्ता मे ही नौकरी ले लेता तो अच्छा होता, घर के पास रहता, सप्ताह में एक दिन तो घर में रह पाता, उसे भी चिन्नई मे, घर से दूर अच्छा नहीं लगता, इसलिए वह घरवालों की बात मान लेता है, उस नौकरी से इस्तीफा दे देता है और नई नौकरी के लिए आवेदन कर देता है, जल्द ही उसे कलकत्ता मे नौकरी मिल जाती है, सारे कागज-पत्र जमा हो जाता है, सिर्फ joining की देरी है,
सबकुछ ठीक-ठाक है, घरवाले भी खुश है, अब उनका बेटा उनके साथ रहेगा, आसनसोल से कलकत्ता की दूरी सिर्फ 4 घंटे की है, जरूरत पड़ने पर रोज आना-जाना भी कर सकता है,
Joining का शुभ दिन आ गया, सुबो नहा कर घर मे पूजा करता है, दही और चीनी खाकर यात्रा को शुभ बनाना चाहता है, मम्मी-पापा का आर्शीवाद लेता है, बड़े भाई के गले मिलता है फिर पूरी तैयारी के साथ घर से निकलता है, टिकट कटा कर कलकत्ता जाने वाली ट्रेन पर चढ़ गया, सिट भी मिल गई, तब तक पता चलता है कि यह ट्रेन बर्द्धवान तक ही जायेगी, पास में जो ट्रेन खड़ी है वो कलकत्ता तक जायेगी,
वह जल्दबाजी में ट्रेन के उलटे साइट से उतरकर दौड़ते हुए, पास मे खड़ी ट्रेन को पकड़ने गया, यानि ट्रेन पकड़ने का काम भी उलटे साइट से, पैर लड़खड़ता है, सोबु इस तरह' मुंह के भर' गिरता है कि उसकी दोनों बाहें ट्रेन के पटरी पर, अभी उठ ही पाता कि ट्रेन चल दी, पल-भर नहीं लगा, ट्रेन के चक्के ने सुबो के दोनों बाहों को 2/3 हिस्सा काट अपनी ओर ले लिया, प्लेटफार्म पर खड़े लोगों का चिल्लाना शुरू, ट्रेन रुक जाती है,
5 मिनट तक, तो सुबो को कोई दर्द नहीं, क्योंकि उसके दिमाग को अभी खबर नहीं मिला था, कि शरीर अपनी दोनों बाहे गवा चुका है,5 मिनट बाद, वो असहनिय दर्द से चिल्ला उठता है, उसके बाद वहाँ के लोगों ने सहायता करते हुए, अस्पताल पहुंचाया, घर मे खबर की, घर पर दुःख का पहाड़ टुट पड़ा,
Joining का शुमदिन, थोड़ी लापरवाही के कारण अशुभ दिन मे बदल गया, कोई पूजा-पाठ, किसी की दुआ कुछ भी काम नहीं आया,
15-16 घंटा computer पर काम करने वाला सुबो, आज अपने सामने, computer को देख टप-टप आंसू गिराये जा रहा है, इलाज मे लग रहे असीम पैसे से परेशान, और खुद को इतना लाचार पाकर रोते हुए कहता है............ हे भगवान, मै मानता हूं, कि मुझसे गलती हुए है, ट्रेन के उलटे साइट से न उतरना चाहिये ना ही चढ़ना चाहिये, पर आप इतनी बड़ी सजा दोगे, मेरी गलती का, इससे कम मे भी सजा देकर मुझे मेरी गलती का अहसास करा सकते थे,
अगर लेना ही था तो एक हाथ ले लेते, एक तो मेरे पास रहने देते, मगर नहीं दोनों हाथ ले लिये, तो ये 'जान' क्यों छोड़ दिये, मुझे देखकर रोज-रोज घरवालों को मरने के लिए, गलती मेरी है तो सजा सिर्फ मुझे दो, नहीं जीना मुझे,
ये ' जान ' भी ले लो,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Written by
Rita Gupta