कौन "अनमोल " है,

कौन "अनमोल " है,
एक ही कोख "धरती माता" से जनमें दो सगे भाइयों को, इस स्वार्थी दुनियां वालों ने, एक-दुसरे को इतना दूर कर दिया कि वो आज भी एक-दुसरे के लिए तड़पते है,
एक दिन एक सोनार कि दुकान पर' हीरा ' गलती से तिजोरी के बाहर रह गया, और सोनार दुकान बंद कर के चला जाता है, उस दिन हीरा और कोयला दोनों भाइयों ने दिल खोलकर एक-दुसरे से बातें कि, उसी आधार पर 'आप 'बतायें अनमोल कौन है,
कोयला.............. भाई, तु कितना किस्मत वाला है, लोग तुमको कितना संभाल कर रखते है,
हीरा................नही भाई,मैं भी इसी भ्रम में जी रहा था, कि मैं अनमोल हूं, सच तो यह है कि तु
अनमोल है, तु खुद को मिटा कर,लोगों के घर में खाना बनाता है, तेरे बिना कल-
कारखाना बंद हो जायेगा,
कोयला............नही भाई,मैं तो यू ही बाहर फेंका रहता हूं, तुझे तो लोग तिजोरी में रखतें है,
हीरा...............वहां मेरा दम घुटता है, मैं एक कैंदी कि जिंदगी जी रहा है, मुझे भी खुली हवा में सांस
लेने का दिल करता है,
कोयला............तु कितना उजला और चमकदार है,मैं ' काला '
हीरा.............. भाई, रंग से कुछ नहीं होता, गुण सबकुछ है, अगर' मैं ' नही रहूंगा तो चलेगा, पर
तेरे बिना दुनियां कि प्रगति रुक जायेगी, वहि जीवन सफल होता है, जो दुसरों के काम
आये,
कोयला.............. भाई, तु भी बहुत अच्छा है,
हीरा.............. नही भाई,लोगों कि बुरी नजर, मेरे ऊपर रहती है, जब कि लोगों कि बुरी नजर से, बचने
के लिए लोग तेरे रंग का टीका लगाते है,
कोयला............. भाई, तु इतना दुःखी हो, मैं नही जानता था,
हीरा................हां, काश मै भी लोगों के काम आता, तु हर घर कि जरूरत है, दुर्भाग्य वश कोई 4
दिन का भूखा है, तो तुझे खा कर अपनी भूख मिटा सकता है, पर मुझे अपनें होठों से
भी नही लगाये गा, उसे डर होता है, कि उसकी मौत हो जायेगी,
कोयला...........मैं तो समझता था, कि तु अमीरों के पास रहता है तो खुश होगा,
हीरा..............नही , मैं सिर्फ उनके लिए दिखावट कि चीज बन कर रह गया हूं, अपनी अमीरी
दिखाने के लिए मेरा इस्तेमाल करते है,
कोयला............. भाई, लोग मेरी भी कद्र नही करते, पर मैं तो अपना फर्ज पूरा करता हूं, अपने जीवन
के सार्थकता को पूरा करता हूं
हीरा.............. भाई, तु मुझे अपने पास छिपा ले,मै फिर से तिजोरीं मे कैंद नही होना चाहता,
कोयला............. काश, मैं ऐसा कर सकता, भाई इस दुनियां के अमीर और गरीब लोगों कि तरह हम
एक-दुसरे से इतने अलग है, कि मैं अपने शरण में भी तुझे नहीं रख सकता, तु
पहचाना जायेगा,
हीरा................तु मेरी मदद नही कर सकता, तो एक काम कर अपने अंदर आग को जला, जिस आग
में सोना और लोहा तक पिघल जाते है, मुझे भी उसी आग में खुद को भस्म करना है,
कोयला.............नही भाई,मैं ऐसा नही कर सकता हूं,
हीरा.............. भाई, भस्म होकर दुसरा जन्म लुगा, इस बार कोयला बनना चाहुगा,
"अपने लिए तो जानवर भी जीते है, दुसरों के लिए जीना ही, सहि जीना है "