एहसास" दोस्ती का

एहसास" दोस्ती का

फिल्मों मे' सागर' को देखने के बाद उसे पास से देखने कि लालसा  प्रबल हो जाती

                                        लोगों से सुना था, कि  बेचैन मन को सागर किनारे शांति मिलती है, पता नही सच क्या है हर सिक्के के दो पहलु होते हैं, उसी प्रकार हर चीज को देखने का नजरियां भी अलग-अलग होता है, जिसकी जैसी भावना होती है, वो चीज उसे वैसी ही दिखती है, एक ने कहा... रात हो गई, तो दुसरे ने कहा... दिन होने वाली है, एक का दिल थोड़े ही संकट में घबड़ा जाने वाला, दुसरे का सैकड़ों मुसिबतों में भी  आशावादी  है

सागर कि कल्पना को हकिकत में देखने कि चाह ने हमें उसके पास ले आया, जब हम सुबह के 4 बजें

सागर किनारे पहुचे तो, उसका विराट रूप आंखों में नही समा रहा था, हमारी सोच से लाखो  गुना बड़ा,

मैं देखते ही रह गई, मैनें सोचा भी नही था कि इतना प्यारा होगा,

हम सब ने बहुत मस्ती कि, सागर मे नहाना मतलब उसके साथ खेलना होता है, आप किनारे रहो आपको खीच कर अंदर ले जाता है, आप डर जाते हो, तो वह हंसता हुआ फिर आपको किनारे छोड़ जाता है, ऐसा लगता है जैसे हम अपने भाई-बहन के साथ खेल रहे है, कभी हंसाता है तो कभी अपना पानी हमारी आंखो में डाल कर रुलाता है, हम घंटो उसके साथ खेले बहुत अच्छा लगा किनारे पर अपना नाम लिखो , वह आ कर बहा ले जाता है, ऐसा लगता है, जैसे हमारे साथ मजाक कर रहा है,

घंटो खेल-कूद के बाद हम सब अपने विश्राम घर'lodge'  गये जब शाम के 4 बजे तो उसका सुनहला

रूप देखने के लिए हम सब उसके किनारे पहुंचे, सागर किनारे रोज शाम को मेला लगा रहता है, हम सब पेपर बिछाकर बैठ गये, उसकी लहर को देख और सुन रहे थे, सब कोई बारी-बारी खरीदारी के लिए उठ-उठ कर जा रहा था, पति देव जी ने मुझे भी shopping करने को कहा, मै बोली आप मेरे लिए अपने पसंद का खरीदारी करो , मै यही बैठी हूं,

मै चुपचाप सागर को देखे जा रही थी, ऐसा लग रहा था काश सागर मेरा दोस्त होता, कुछ कहता, कुछ सुनता, तो कितना अच्छा होता, तब तक एक लहर मेरे पास आई, मैनें उसे छुआ और कहा... आप मुझसे दोस्ती करोगे,

सागर....... हंसने लगा,

मै....... आप क्यों हस रहे हो,

सागर....... तुम इंसानो को दोस्ती निभाने नही आती,

मैं....... क्यों, मैनें क्या किया,

सागर...... पहले तुम दोस्त बनते हो, फिर दोस्ती का फायदा उठातें हो,

मैं........ मैं वैसी नही हूं,

सागर....... ये बताओ, हम तुम्हारी जिंदगी में दखलअंदाजी करते है,

मैं........... नही,

सागर............ तो तुम सब क्यों करते हो, हमारे साथ खेलते हो, फिर इसे ही गंदा करते हो, शाम को

                      बैठने आते हो, अपना दुःख-सुख बांटते हो, और सारा कचड़ा हमारे पास छोड़ कर चले

                        जाते हो, हमसे तुम्हें आनंद मिलता है तो थोड़ा हमारा भी ध्यान रखा करो,

मैं.......sorry.

सागर................ तुम्हारे sorry बोलने से क्या होता है, क्या तुम सब सुधरोगे ? मुझे आशा नही है,

मैं........ मैं तुम से बाते करना चाहती हूं,

सागर...... ये कहो न, कि तुम अपना दिल हल्का करना चाहती हो,

मैं............ ऐसी बात नही है, दोस्ती का मतलब , एक- दुसरे कि बातों को सुनना है, तुम बताओ तुम्हारा

                   पानी इतना नमकिन क्यों है,

सागर........ हमारे जीव-जन्तु तुम लोगों से दोस्ती करने के लिए तुम्हारे पास जाते है, पर तुम लोग

                 उन्हे मार कर खा जाते हो, उनके परिवार वाले रो-रो कर बुरा हाल कर लेते है, जिससे पानी

                   नमकिन हो जाता है,

मै..... ये बात तो मैने सोचा ही नही,

सागर...... बड़े- बड़े जहाज लेकर हमारे ऊपर अपना अधिकार दिखाने आ जाते हो, इसलिए चक्रवाती

                हवा का रूप धारण कर उनमें से किसी- किसी को डुबा देता हूं ताकि तुम्हारे अंदर डर आये,

                 लेकिन तुम सब इतने निडर हो कि मैं हार मान जाता हूं,

मैं............ आप को बहुत गुस्सा आता है,

सागर........... गुस्सा,   तो आयेगा ना, गोताखोर गोता लगा कर मेरा दिल  निकाल कर ले जाते है,

मैं................ दिल,

सागर............ मोती मेरा दिल हो तो है, उसे मै सिप के कवक्ष मे छिपा कर रखता हूं, पर तुम सब निडर

                   ही नही निदर्यी भी हो,

मैं........ हां, हम उसका माला बना कर  पहनते है,

सागर........... बड़ा महान काम करते हो, उतना ही नही मेरे कुछ जीवास्मों को और छोटी सी प्यारी सी

                  रंगीन मछलियों को अपने "शो केश " सजा कर रखते हो, क्या शौक है ? दिल तो तुम सब

                 के साथ भी वहि करू, मैने भी गुस्से मे तुम्हारे सबसे  सुन्दर और आश्चर्य जनक टाईटानिक

                  जहाज को पूरी तरह डुबा दिया, आज भी उसे अपने तल पर सजावट के रुप में रखा है, तुम

                       देखना चाहती हो,

मै.............. नही,so sad  ये आपने क्या किया,

सागर........ इंसान हो तो, इंसानो के बारे में सुनकर दुःख हुआ, मैं आज तक कितना सह रहा हूं, सोचा

                        है,

मैं.............तुम्हें इतना गुस्सा आता है, मुझे तुमसे डर लग रहा है,

सागर......... डरो मत, मेरा दिल बहुत साफ है, बिना कारण मुझे गुस्सा नही आता,तुम कुछ अपने बारे

                     में बताओ,

मैं.......मैं क्या बोलु,मुझे बाते करना बहुत अच्छा लगता है पर डरती हूं, इसका मतलब कोई गलत न

            मैं साफ दिल से बात करती हूं, मेरे दिल में किसी प्रकार कि जासूसी या दिल दुखाने कि भावना

             नही होती है,

सागर......मैं जानता हूं, तुम मेरे दोस्त हो, तुम से बाते कर के मुझे भी अच्छा लगा,

मैं......thanks,  ये लहरें तुम्हारे गुस्से के कारण आता है, न,

सागर........ ठिक पहचान, थोड़ा- थोड़ा गुस्सा बाहर निकालता रहता हूं, ताकि अंदर-ही- अंदर ज्वाला

                   मुखी न बने, फिर भी एक दिन बहुत नाराज हुआ था जिसे तुम ' सुनामी' के नाम से

                   जानते हो,

मैं........... उसमें कितना कुछ नष्ट हुआ था कितने लोग बेघर हो गये थे, दोस्त..... तुम इस तरह मत

   .            गुस्साया करो, मुझे अच्छा नही लगता,

सागर...... ठिक है, अब से ऐसा नही होगा, पर तुम सब इंसान भी अपनी गलती सुधारों, हमारे क्षेत्र को

                छोड कर ही रास्ता या घर बनाओ,  गंदगी को सहि जगह पर डालो, मुझे साफ रखोगे तो ही

                   तुम सब मेरा आनंद ले पाओगे, तुम्हें पता है, जितना भी बुखार हो एक बार मेरे पानी मे

                      नहा कर देंखना, बुखार गायब हो जाता है,

मैं........... दोस्त, तुम बहुत अच्छे हो,

सागर...... हम और तुम सब सहि ताल-मेल से रहे तो, जिन्दगी बहुत खुबसूरत बन जायेगी,

                   " अचानक पापा चलो, बैठी रही, कुछ खरीदा भी नही , मम्मी ने तेरे लिए शंख का बाला

                       लिया है, तब तक पति देव जी मेरे लिए प्यारा सा गले का हार ला कर दे रहे है, उन्होने

                      पूछा... तुम्हें पसंद है, मैनें कहा... बहुत अच्छा है "

मैं....... दोस्त मै अभी जा रही हूं, फिर कल सुबह आऊगी,

                " रात को नींद नही, उसी से बाते कर रही हूं, मैनें सोचा शायद अभी-अभी मिलकर आई हूं,

                      इसलिए ऐसा एहसास है, दिल कर रहा था कि जल्दी सुबह हो और  मै अपने दोस्त से

                        मिलु, दुसरे दिन सुबह,

मैं...... दोस्त मैं आ गई,

सागर...... बहुत अच्छा, चलो खेलते है,

मैं.......मैनें जल्दी से पानी को छुआ, कुछ अलग एहसास था, मै सोच मे पड़ गई, कल तो ऐसा एहसास

         नही था, आज क्या हुआ, ये पानी बदला हुआ है, या मैं बदल गई हूं,

            "सब नहाने में लग गये, मैं किनारे खड़ा होकर सोच रही थी, सैया जी ने मेरा हाथ पकड़ कर पानी

               मेंखीच लिया, थोड़े देर नहाने के बाद मैं बाहर आ कर बैठ गयी, सब नहाने में लगे थे"

सागर....... क्या हुआ दोस्त, तुम बैठी क्यों हो,

मै..........कुछ नही,

सागर......कुछ तो है,

मैं........ नही, अच्छा नही लग रहा है,

सागर........ क्या अच्छा नही लग रहा है, नहाना या' मै '

मैं......मुझे नही पता,

सागर...... तुम कितनी नासमझ हो, खुद एहसास किया, कि कल और आज के बीच सिर्फ हमारी दोस्ती

                  के कारण तुम बदल चुकी हो, आज एक "सबक" ले कर जाओ, दोस्ती में प्यार होता है,

                किसी को भी दोस्त बनाने के पहले एक बार जरूर सोचो,

मै....... क्या मैं गलत थी ? दोस्ती और प्यार को अलग- अलग सोच रही थी,

सागर........... तुम गलत नही हो,दोस्ती और प्यार में अंतर है, पर इतना कम अंतर है कि गलतफैमी

                       होना लाजमी है,

मैं....... अब मैं किसी को भी अपना दोस्त नही बनाऊंगी,

सागर...... फिर और एक गलती, जिस दिल में एहसास न हो , वो दिल ही क्या, हमारा दिल एहसासों से

                  मिलकर बना है, हर सजीव में  दुःख-सुख, नफरत-प्यार, चिंता-हंसी, सभी एहसास होते है

"जो भरा नही है भावो से, बहती जिसमें रसधार नही,

वह दिल नही है पत्थर है, जिसमें प्यार का एहसास नही"

मै...... तुम बहुत अच्छे हो,

सागर..... तुम भी बहुत अच्छी हो,

मैं...... पर मैं क्या करू,

सागर..... तुम कुछ नही कर सकती है, इतना याद रखो कि, दोस्तों के बीच गलतफैमी नही होनी चाहिए

               हम दोनों अच्छे दोस्त बन गये है, और चाह कर भी एक-दुसरे को नही भूल सकते,

मैं........ आज  शाम को हमारी ट्रेन है, मैं जा रही हूं,

सागर........जाओ दोस्त, हमारी दोस्ती एक-दूसरे  के "पैर की बेड़ी " नही बनेगा,तुम अपनी दुनियां में

               खुस रहो,मै अपनी दुनियाँ में  खुस रहुगा, तुम याद तो आओगे भूले-भटके ,मुझे याद कर

                      लिया करना.........

मैं...............मेरे पास कहने को कुछ नही था,अपनी आंखों में आंसूओं का समुन्दर लेकर , दोस्त से जुदा हो  

                        गई,