" आदर्श माँ "

" आदर्श माँ "
मानव शरीर पांच तत्वों के संतुलित मेल से बना है,(वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी, आकाश)संतुलन बिगड़ा नहीं कि खेल खत्म, जिंदगी मौत में बदल जाती है,शारीरिक बीमारी, चिंता का कारण नहीं, हर एक बीमारी की दवा है, "मन" बीमार हो तो सच में चिंता का विषय है, बीमार मन महौल को भी बीमार कर देता है,
मानव शरीर को 'नश्वर' की उपाधि दी गई है, जन्म के साथ, शारीरिक संरचना के आधार पर आयु सीमा निश्चित होती है, कोई र्दुघटना या बीमारी न हो, तो भी मृत्यु तय है,बुद्धिमान वही होता है जो इस नश्वर शरीर से, जितना ज्यादा-से-ज्यादा लोगों की हित कर सके, अगर हमें किसी के लिए कुछ करने का मौका मिले तो खुद को भाग्यवान समझना चाहिए,
“यह कहानी उस महिला की है, जिनके बच्चे उन्हें ' आदर्श मां ' मानते है,
सोहन और मनीष दोनों भाई, बहुत ही मिलनसार और परोपकारी स्वभाव वाले है, आपस में मिलकर रहते है, सोहनजी की शादी हो गई है, उनको एक बेटा और तीन बेटियां है, बेटा 12 साल का है, उसके बाद तीनों बेटी है, मनीष अपने बड़े भाई से 10 साल छोटा है, शादी की उम्र हो गई है पर शादी नहीं करना चाहता, अच्छी नौकरी रहित होने से लड़की वालों की लाइन लगी है, सभी परेशान है कि उसे कैसी लड़की चाहिए मम्मी-पापा है नहीं, भैया-भाभी को ही अपना सब कुछ मानता है, उनसे शर्म से जरूरत भर ही बात करता है, सोहन उसके दोस्त प्रकाश को बोलते है कि वो मनीष से बातकर के बताए कि कैसी लड़की से शादी करेगा, अगर किसी से प्यार है तो, वो भी बोले,
एक दिन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
प्रकाश........... कैसे हो दोस्त,
मनीष............ मैं तो ठीक हूं, तुम अपनी बोलो, नई-नई शादी हुई है, सब ठीक है ना,
प्रकाश........... हां, सब ठीक है,
मनीष............ घर में शांती तो बनी हुई है, तुमसे या भाभी जी से किसी को कोई नाराजगी तो नहीं,
प्रकाश.......... अभी तो सब ठीक है, तुम शादी कब करोगे, लड़कियों की फोटों देखा, सब एक से बढ़कर
एक है, तुम्हें क्यों नहीं पसंद, किसी से प्यार तो नहीं,
मनीष....... नहीं यार, मुझे डर लगता है, आजकल की लड़कियों की सोच से, शादी करते है अलग रहने की
मांग करने लगती है, फिर घर में कलह हो जाता है, फिर क्या करूंगा,
प्रकाश....... सारी लड़कियां एक जैसी नहीं होती, तुम्हें कैसी चाहिए,
मनीष.......... लड़की परिवारिक, संस्कारी और शालीनता वाली हो,
प्रकाश......... गोरी भी,पढ़ी भी,दहेज भी लेकर आये, है कि नहीं ,सारे गुण एक में चाहिए, ऐसा नहीं होता,
मनीष........ ये सब भी हो तो, बहुत अच्छा, नहीं हो तो भी चलेगी,
प्रकाश......... तुम्हें जो गुण चाहिए, उनका कोई marksheet नहीं होता, पता कैसे चलेगा कि लड़की
परिवारिक, संस्कारी और शालीनता वाली है,
मनीष......... इसलिए तो परेशान हूं, तुम्हारे पास कोई उपाय है, तो बोलो,
प्रकाश......... मुझे जहां तक पता है, जो लड़की संयुक्त परिवार में पली-बढ़ी होगी, जिसका अपना
भाई-बहन होगा, उसमें ये गुण मिल सकते है,
मनीष.......... मुझे भी ऐसा ही लगता है,
" आये हुए फोटो में से ,लड़की से ज्यादा उसके परिवार की जांच पड़ताल होती है, एक लड़की को पंसद किया जाता है, उसका नाम है "गायत्री" जिसकी परवरिश संयुक्त परिवार में हुई है, देखने में भी सुंदर, सामान्य शिक्षा प्राप्त और दहेज भी देने वाले है लड़की वाले "
ऐसा लग रहा है, मानो यही वो सही लड़की है, जो मनीष की जीवन संगिनी बनने के काबिल है, सोहन जी गायत्री के पापा को बोल देते है कि........ लड़की पसंद है, बाकी लेन-देन आपकी सामर्थ और इच्छानुसार करे, हमारी कोई मांग नहीं,शादी बड़े धूमधाम से होती है, मनीष दुल्हे राजा बने, उनका भतिजा बबलु अपने चाचा के शादी में 13 साल का सहवाला ( शादी के समय दुल्हे के साथ जाने वाला लड़का ) बबलु भी छोटा दुल्हा लग रहा है, विवाह का कार्यक्रम सब ठीक से हो गया, गायत्री विदा होकर ससुराल आती है,
गायत्री अपने अच्छे व्यवहार से परिवार के सभी लोगों का दिल जीत लेती है, सोहन जी के चारों बच्चे अपनी चाची के साथ लगे रहते है, दिन-भर चाची के नाम का माला जापते है, वो भी उनके साथ बच्चा बन जाती है, घर खुशियों से भर जाता है,मनीष बहुत खुश है, उसे अपने लिए जैसी पत्नी चाहिए थी, गायत्री बिल्कुल वैसी है, कभी भी उनके भैया-भाभी या उनके बच्चों से नाराज नहीं होती,
दिन बितता है, 15 साल बाद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
गायत्री के अपने तीन बच्चे है, दो बेटी और एक बेटा, बेटा जो तीनों में छोटा है जो अभी 11 साल का है, सोहन और मनीष जी का परिवार एक साथ प्यार और समझदारी से रहते है, पूरे परिवार में कुल 11 सदस्य है, फिर भी कभी भी कोई अशांती नहीं,
13 साल का बबलु अब 28 साल का युवक बन गया है, भगवान की दया से उसको नौकरी भी प्राप्त है, उसकी शादी के लिए, लड़की वाले आने लगे है, सुमन को बबलु के लिए पसंद किया गया है, अच्छी और पढ़ी-लिखी लड़की है, सुमन भी शादी के बाद इस परिवार से जुड़ जाती है,सुमन पढ़ी-लिखी होने के कारण, अपने कैरियर के बारे में ज्यादा सोचती है, घर-परिवार में उलझकर रहना उसे पसंद नहीं, वो बराबर नौकरी (Job) करने की इजाजत मांगती है, किसी को पसंद नहीं की सुमन नौकरी करने बाहर जाये,इसी कारण कभी-कभी सुमन और बबलु में इसी बात पर मनमुटाव हो जाता है, शादी हुए सिर्फ छः महीने हुए है, ससुराल वालो का कहना है, एक साल हो जाने दो, फिर घर से बाहर जाकर नौकरी करना, अभी नई दुल्हन हो, लोग क्या सोचेगे,
सुमन भी मान जाती है, देखते-देखते दिन बीतता है, वो मां बनने वाली रह जाती है, अब तो उसे मां के फर्ज को पूरा करना है, नौकरी को अभी भूल जाने में ही सबकी भलाई है, घर में सब बहुत खुश है, दोनों भाई सोहन और मनीष ' दादा ' बनने वाले है, सुमन का पांचवा महीना चल रहा है,
एक दिन अचानक, ऑफिस में बबलु बेहोश हो जाता है, कर्मचारी वही से सीधे अस्पताल ले जाते है, जब खबर घर पहुंची तो पूरा घर परेशान, मनीष जी (चाचा ) जो कि घर पर थे, अस्पताल पहुंचे, पीछे से उसके पापा अपने दुकान से अस्पताल पहुंचते है, बेहोश का कारण समझ में नहीं आ रहा था, वो पूरी तरह होश में नहीं आ रहा था, जिसके कारण डाक्टर ने बहुत सारे जांच लिख दिये,सारे जांच होते है, पता चलता है कि बबलु का दोनों किडनी अंदर ही अंदर 60-70% नष्ट हो चुका है, जितना जल्दी हो पाये,किडनी दान देने वाला (Kidney donor) खोजे,वर्ना तबियत खराब होती जायेगी,
नया मेहमान ( बच्चा) तो 4 महीना बाद आयेगा, र्दुभाग्यवश मुशिबत अभी आ गई, बबलु की ऐसी हालत से पूरा घर दुःखी है,किडनी के लिए, समाचारपत्र में इस्तीहार दिये गये, डाक्टरों से जानकारी मांगी गई, रिश्तेदारों को खबर किया गया, अपने का चेकप ( जांच) होता है,5,00,000 रू देने पर भी ' किडनी दाता ' नहीं मिला, अपने भी सही साबित नहीं हुए,बबलु के मम्मी-पापा शुगर के मरीज है, चाचा (मनीष) का खून नहीं मिलता, बीबी मां बनने वाली है, घर के बाकी बच्चे अभी 20 साल से कम उम्र के है, अब चाची ( गायत्री ) जो कि घर की जान है, जो घर के सारे काम करती है, बच्चों की देखभाल करती है,उसके सहारे ही घर दौड़ता है, अगर वो बीमार हो जाये तो सब काम रूक जाय, इसिलए कोई गायत्री की खून जांच नहीं करवाता, वह सबके उदास चेहरे को देश परेशान रहती है, सब इंतजार कर रहे है कि कोई चमत्कार होगा और कोई बाहर वाला 5,00,000 रुपया लेकर अपनी एक किडनी दान देगा,
बबलु का तबियत खराब होते जा रहा था, यह देख गायत्री खुद को रोक नहीं पाती, वह अस्पताल जाकर डाक्टर से बोलती है कि, वह किडनी देगी, डाक्टर जांच करता है, दूसरे दिन ही सारे रिपोर्ट आ जाते है, सब ठीक है, गायत्री बिल्कुल सही 'किडनी दाता' है,
बबलु....... चाची आपके बच्चे अभी छोटे है, आप ऐसा ना करो, आपको कुछ हो गया तो, मैं खुद को माफ
नहीं कर पाऊंगा,
गायत्री....... मुझे कुछ हो जाता है तो क्या हुआ, उनका बड़ा भैया ' तुम ' तो हो ना, फिर मुझे क्या सोचना,
बबलु........ आप चाची नहीं मेरी मां हो, आज से मैं आपको छोटी मां बोलुगा,
डॉक्टर....... क्या बात हो रहा है, सच में आप इनकी मां है, इनका नया जन्म आपकी देन होगी, आप ही,
इनके लिए सही किडनी दाता है,
' ऑपरेशन ' कामयाब हो जाता है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बबलु की मम्मी....... गायत्री तुम मेरी देवरानी थी, पर आज से मेरी बहन बन गई, मेरे लिए तुम God
Gift हो, पिछले जन्म में जरूर बबलु की मां होगी,
Rita Gupta.