अनोखा प्यार

अनोखा प्यार

ये कहानी उन दो दोस्तों कि है, जो आज एक दुसरे से मिलना नही चाहते,

अंजू और अनिल बचपन से एक ही स्कूल में पढ़ते थे, दोनों मे गहरी दोस्ती थी, जैसे- जैसे दोनो बड़े होते गये, अंजू अपनी पढ़ाई को लेकर व्यस्त रहने लगी, वही अनिल का मन पढ़ाई मे नही लगता था, वह तो अंजू के लिए स्कूल आता था, जब दोनों 5th  क्लास के छात्र थे, तब उनकी उम्र 11 साल के लगभग होगी, अंजू को अनिल कि  चिंता रहती कि वह कब क्या करता है, अनिल को अंजू कि  चिंता रहती कि उसी कोई परेशान न करे,

वो खुद उसे इतना परेशान करता कि वह रो देती थी, उसका टिफिन खा जाना, छुट्टी के समय छिप जाना तकि अंजू  उसे दुढ़ने में परेशान हो, उसकी किताबे छिपाना ताकि दोनो बाते कर पाये,

एक दिन वह अंजू से कहता है कि आज से मैं तुम्हें 'जानु' बोलुगा, अंजू बोली क्यों, मैनें फिल्म  में देखा जिससे प्यार करते है उसे जानु बोलते है, अंजू बोली... हम अच्छे दोस्त है, तुम जानु नही बोलोगे, लेकिन अनिल मानने वाला नही था, इस बात से अंजू नाराज थी, उसने अपनी मम्मी से बोल दिया कि अनिल उसे परेशान करता है,

अंजू कि मम्मी ने अनिल से दूर-दूर रहने कि सलाह दी, दुसरे दिन से वह उससे दूर रहने लगी, अनिल गुस्सा कर अंजू को अपने पास बैठा कर पुछा.....क्या बात है तुम ऐसा क्यों कर रही हो, अंजू बोली..... देखो मुझे  पढ़-लिख कर  डा०  बनना है, तुम क्या बनना चाहते हो वो तुम जानो

दोस्ती में दरार आ चुका था, कुछ दिन बाद अनिल को लगा कि वह अंजू के बिना नही रह सकता, उसने सोचा ....I love you बोल देने से शायद सब ठिक हो जायेगा, अनिल ने एक पेपर पर I love you लिख कर दे दिया,इस बात से अंजू इतनी नाराज हुई कि उसने वह पेपर Headmaster के हाथ में दे दी

बात बिगड़ गई,Headmaster  ने अनिल को ऑफिस में बुला कर अंजू के सामने उसे मारा, और अनिल के पिताजी को बुलाकर सारी बाते बताई गई, उसके पिता जी ने Headmaster और अंजू के सामने अनिल को पीटा, यह सब देखकर  अंजू को चिट्टी देने का अफसोस हो रहा था,

अनिल अंजू के तरफ ऐसे देख रहा था मानो उसकी आंखे पूछ रही हो, कि उसने ऐसा क्या किया, जिसकी इतनी बड़ी सजा, अंजू शर्म से उससे आंखे नही मिला पा रही थी, अंजू कि आंखे भी अनिल से माफी मांग रही थी,ये वहि दिन था, एक-दुसरे को देखने का, इसके बाद हालात उन्हे इतना दूर किया, कि  वो फिर कभी नही मिले,

अनिल के पिताजी ने उसे इस शहर से दूर पढ़ने भेज दिया, अंजू के घरवालों ने उसे उस स्कूल से निकाल कर दुसरे स्कूल में डाल दिया, सालो बित गये, बचपन खत्म हो गया,

अंजू के सामने कुछ ऐसे हालात आये कि वह Xll   से आगे नही पढ़ पाई, उसकी शादी हो गई, डा ०  बनने का सपना मिट्टी में मिल गया, जिंदगी चलती रही,

                                                         "अब भी किस्मत को इन दोनो को रूलाना बाकी था "

जब अंजू कि बहन संजू मेडिकल कालेज कि छात्रा थी,class में पढ़ाते समय उसके teacher उसे ध्यान से देख रहे थे,  class शेष होने के बाद teacher ने संजू को office में बुलाया और पूछा.... तुम अंजू कि बहन हो ना,

संजू...हां सर, आप  दीदी को कैसे जानते है,

Dr.  अनिल..... अंजू और मैं बचपन में एक ही स्कूल और एक ही क्लास  मे थे,

संजू......वो, मुझे नही पता था,

Dr.  अनिल..... हम दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे, पर

संजू....... पर क्या सर

Dr.  अनिल.... वक्त ने हम दोनो को एक-दुसरे से दूर कर दिया, मै ना समझ था, शायद वह सहि समय

                          नही था, उस बात के लिए,                                      

संजू....... कौन सी बात, दीदी ने कभी भी आप के बारे में नही बताया,

Dr. अनिल...... अभी उसका गुस्सा कैसा है,

संजू...... दीदी को गुस्सा जल्दी आता है, पर आपको कैसे पता,

Dr. अनिल...... मुझ से अच्छा कौन जान सकता है उसके गुस्से को, उसके गुस्से के कारण आज मैं  

                        डा० हूं, वो हमेशा मुझको पढ़ने के  डाटते रहते थी, उसकी खुशी के लिए मैं  डा०  बना,

संजू..... दीदी नही बन पाई,

Dr. अनिल....... मैं जानता हूं, वो  खुश तो है,

संजू...... हां सर, मैं आप के बारे में दीदी को बताऊंगी,

Dr. अनिल...... अंजू से कहना, मैं उससे एक बार मिलना चाहता हूँ,

संजू...... ठिक है, सर

                                   .'जब संजू अपनी दीदी से मिली, तो डा० अनिल के बारे में बताया'

संजू...... दीदी, सर आपसे मिलना चाहते है,

अंजू........ नही, मैं उनसे मिलना नही चाहती,

संजू....... क्यों दीदी,

अंजू....... किस मुंह से मिलुगी, जिसे, मैं अपने काबिल नही समझती थी, आज मैं उसके काबिल नही हूँ

संजू....... सर को पता है, आप  डा० नही बन पाई, दीदी, शायद सर को आप से प्यार है, आप के बचपन

               का चेहरा उनको अब तक याद है, मुझे देख कर उन्हे आप याद आ गई,

अंजू.......I know, but मै मिलना नही चाहती, भगवान से प्रार्थना करूगी, कि हम कभी न मिले,

संजू...... मैं सर से क्या, बोलुगी

अंजू...... सर, से कहना दीदी आप से मिलना नही चाहती, हो सके तो उन्हें अहसास करना कि मै उनसे

                 नफरत करती हूं

                                                 ‘’ जब संजू  डा० अनिल से मिलती है तो’’

Dr. अनिल......संजू, तुमने अंजू को बताया, मैं मिलना चाहता हूं,

संजू..... हां सर, दीदी आप से मिलना नही चाहती, शायद वो आप से नफरत करती है

Dr. अनिल...... नही, संजू नफरत शब्द का इस्तमाल मत करो, ये बात तुम्हारी दीदी भी जानती है और  

                        मै भी जानता हूं, कि हम दोनो उस वक्त भी एक-दुसरे से प्यार करते थे, और आज भी

                         करते है, ये बात और है कि I love you बोलने का वो वक्त भी सहि नही था, और ये

                         वक्त भी सहि नही है,

    

                                                  " वक्त ने हमारा साथ कभी नही दिया "