अनुभवी बातें........1

अनुभवी बातें........1
0...अनुभव के बिना ज्ञान अधूरा है,ऐसे बहुत से ज्ञान है, जो हमारे अनुभव के बिना अधूरे है, दुःख-सुख,
प्यार-नफरत, अमीरी-गरीबी, इत्यादि ये सब केवल शब्द नहीं है, इन्हें अनुभव किया हुआ, इंसान ही
इन शब्दों का सहि मतलब जानता है,
1...मैं ,यह शब्द जितना छोटा है., इसका मतलब उतना ही उलझा हुआ है, इसलिए शायद ही कोई" मै" को पहचान पाया है, हम सब,सब के बारे में कुछ य़ा बहुत कुछ जानते है, लेकिन मैं यानि ख़ुद के बारे मे,सहि मायने में कुछ नही जानते, न ही जानते की कोशिश करते है ......
2...मैने अनुभव किया है कि इधर की दुनियां उधर हो सकती है, लेकिन बहु को कभी भी बेटी का प्यार नहीं मिल सकता, न तो सास कभी मां बन सकती है, इस सास-बहु के ताने-बाने में पूरे घर का महौल खराब हो जाता है,
3... मेरी जिंदगी में" फर्ज" ही सबकुछ है,मैं अपने किसी भी फर्ज से मुंह नही मोडुगी...........
4...पहली बार जब बच्चा जन्म के समय धरती पर गिरता है, तो गिरते के साथ कहां-कहां कर के रोने लगता है, यानि वह समझ चुका है, कि उसे अब हर एक परीक्षा से गुजरना है, उसके रोने पर हम इन्सान कुछ सोचने-समझने कि कोशिश के जगह जोर-जोर हंसतें है, उसी समय से उस बच्चे को जरूरत पड़ती है, ऐसे गोद कि जो उसे अपने गोद मे लेकर सीने से सटा कर बोले- Don,t worry मै हूं न....... जब उसे इसका अहसास होता हैं, वह तुरंत चुप हो जाता है, रोना भूल कर हंसने लगता है,
5...दिल...... मुझे तो 2 ही काम आते है,.....1st प्यार करना 2nd नफरत करना, अगर प्यार
करते हैं, तो दो लोग बदनाम होते है, एक वो जिसने प्यार किया, दूसरा वो जिससे प्यार
किया,जैसे--लैला-मजनू, हीर-रांझा, इत्यादि, अगर नफरत करता हूं तो तैयार होते है,
नक्सलवादी ,आतंकवादी, देश द्रोही ....अब तुम ही बताओ, प्यार से ज्यादा नुकशान है, या
नफरत से,
6...एक साल पहले 70 साल के बुढ़े ने 60 साल के बुढ़ी से शादी कि, यह खबर आग कि तरह चारों
ओर फैल गया, घर-घर में उनकी बदनामी हो रही थी, लोगों ने उन दोनों से बात करना बंद कर
दिया, मुझे गलत तो लगा, आश्चर्य भी हुई, लेकिन सच्चाई के तह तक जाने के लिए उनसे
मिलना जरूरी था, लोगों कि परवाह किये बिना मैं उनसे मिली, और सच जाना,
7... संजू नफरत शब्द का इस्तमाल मत करो, ये बात तुम्हारी दीदी भी जानती है और मै भी जानता हूं,
कि हम दोनो उस वक्त भी एक-दुसरे से प्यार करते थे, और आज भी करते है, ये बात और है कि
“ I love you “ बोलने का वो वक्त भी सहि नही था, और ये वक्त भी सहि नही है,
8...जब वर्तमान परिस्थितिया हमारे अनुकूल नही होती है, तब हम अपने लिए भ्रम वाली दुनियां का
निर्माण कर लेते है, इस दुनियां में सबकुछ वैसा ही होता है, जैसा हम चाहते है, यह भ्रम नाना
प्रकार के होते है, मां को श्रवण जैसा बेटा पाने का भ्रम, पत्नी को मजनू जैसा पति पाने का भ्रम,
पति को सति- सावित्री जैसा पत्नी पाने का भ्रम , सास को बेटी समान बहु पाने का भ्रम, बहु को
सास में मां जैसा प्यार पाने का भ्रम, छात्रों को topper होने का भ्रम, स्वार्थी दुनियां में से एक
Best Friend पाने का भ्रम, इस प्रकार हर इंसान कभी- न- कभी, किसी-न-किसी, भ्रम का
शिकार हुआ रहता है यह भ्रम या तो खुद टुट जाते है, लोगों द्वारा तोड़े जाते है, अच्छा ही होता है,
क्योंकि इस दुनियां से जितनी जल्दी real life में लौट आयेगे, उतना ही कम दर्द होगा, थोड़े
दिनों के लिए भ्रम में' जीना' कोई बुरी बात नही है, इससे मन हल्का होता है, "क्या आप सोच
सकते है,ऐसे कितने लोग है जिन्होंने पूरी जिंदगी भ्रम में जी है, जिन्दगी खत्म हो गई पर भ्रम
बना रहा"
9...मै 'आज के भारत' की बेटी हूं, पहले मैं अपनी गुड़ियां को पढ़ा-लिखा कर काबिल बनाऊंगी, उसे
इतना गुणवान बनाऊंगी कि लड़के वाले मेरी गुड़िया का हाथ मांगने खुद आयेगे, उस वक्त मेरी
गुड़िया जिसको अपने काबिल समझेगी उसी से उसकी शादी होगी,
10...'बरगद' का जड़ जमीन के अंदर दूर-दूर तक जा कर पेड़ को मजबूती प्रदान करता है, इसका तना जड़
के त्याग और बलिदान को समझता है, जब तना मजबूत बन जाता है तो खुद ऊपर कि ओर बढ़ने के
साथ-साथ नीचे कि ओर झुकना भी शुरू करता है और जड़ को कहता है कि..... थोड़ा मै झुक रहा हूं,
थोड़ा आप बाहर कि ओर आओ
11...लोगों से सुना था, कि बेचैन मन को सागर किनारे शांति मिलती है, पता नही सच क्या है हर सिक्के
उसी प्रकार हर चीज को देखने का नजरियां भी अलग-अलग होता है, जिसकी जैसी भावना होती है,
वो चीज उसे वैसी ही दिखती है, एक ने कहा... रात हो गई, तो दुसरे ने कहा... दिन होने वाली है, एक
का दिल थोड़े ही संकट में घबड़ा जाने वाला, दुसरे का सैकड़ों मुसिबतों में भी आशावादी है
12...सभी के बच्चे, सभी को अच्छे लगते है, क्योंकि हमें बचपना अच्छा लगता है, हम बच्चो कि सूरत या
रंग नही देखते है, न ही उनकी सीरत, क्योंकि" बचपना " एक ऐसा गुण है, जो दिल को भा जाता है,
मां को तो बच्चे मेें भगवान का रूप दिखता है,बच्चे मां को भगवान मानते है, क्योंकि मां ही है जो
उन्हें लोगों कि बुरी नजर से बचायें रखती हैं, मां को अपने सभी बच्चे प्यारे होते हैं, पर उन में से हर
एक कि अपनी जगह होती है, कोई बच्चा इतने लाड़-प्यार से पला रहता है, कि वह बड़ा हो कर भी
बड़ा नही हुआ रहता, यानि कि उसके अंदर अभी भी बचपना है, और अपने इसी गुण के कारण, अलग
पहचान से जाना जाता है,
13...चांद हमारी जिंदगी का हिस्सा है, जब बच्चा छोटा रहता है और अपनी हट { जींद} के कारण रोता है
तो चुप होने का नाम नहीं लेता, तब उसकी मां उसे मनाने के लिए चांद का ही सहारा लेती है, बच्चे से
कहती है कि.....चांद उसका मामा है, चंदामामा उसके लिए खिलौना लायेगे, प्यारी सी दुल्हनियां
लायेगे, चांद घर से निंदिया रानी परी बन कर आयेगी और लोरी गाकर सुलायेगी, तु जल्द से खाना
खा ले, नही तो चंदामामा नाराज हो जायेगे, बच्चा प्यारी-प्यारी बाते सुनकर चुप हो जाता है और
हंसने लगता है,
14...हरएक को, कभी-न-कभी, किसी-न-किसी, से प्यार हुआ रहता है, क्योंकि प्यार अपने 'मधुर एहसास'
से किसी को अनछुआ नही रहने देता, यह ऐसा एहसास है जिसको छिपाया नही जा सकता,इस
एहसास से बच पाना मुश्किल ही नही, नामुनकिन है, ये बात और है कि इसे स्वीकार करने कि हिम्मत
सब में नही होती, हम सब इसके दुषपरिणाम से डरते है, प्यार में खोते है..... नींद, चैंन, मान, सम्मान,
अपनों का लगाव, इतना सब खोकर प्यार पाने कि चाहत जिसमें होती है वहि इसे पा सकता है,
15..."संगिता सोचती है, एक सुधीर है जिसे मेरी भावनाओ की कितनी कद्र है, मेरे घर वालों के बारे में भी
सोचता है, एक रोहित है, उसकी best friend होने के बाद भी मैं उसे समझ नही पाई, उसकी
खामोशी का मतलब क्या समझु, मेरी परेशानी से उसका कोई लेना-देना नही, हमेशा अपनी मर्जी का
करता है" “संगिता को सुधीर का प्यार 'सच्चा प्यार' लगा, इसलिए उसने सुधीर से शादी कि और
अपने दिल को समझाया कि सुधीर ही Best friend और सहि' जीवन साथी ' हैै...........
16...जीने की कला सब को नहीं सब को नही आती, कुछ लोगो के पास जीवन-यापन के सभी साधन होने
के बाद भी दुःखी रहते है, कुछ लोगो के जिन्दगी में बहुत सी कमी होती है जैसे.. अच्छे रिस्तों कि,
पैसे कि, भौतिक साधनों कि,फिर भी खुश रहते है,''कुटज'' को यह कला अच्छी तरह आती है, कुटज
एक प्रकार का पौधा है, जो कैलाश पर्वत के ऐसे हिस्से में पनपता है जहां जीवन-यापन के कोई साधन
नही है, उसे न तो मिट्टी मिलती है, न ही पानी मिलता है, फिर भी कुटज पनपता है और हमें यह सिख
देता है कि परिस्थिता हमारे अनुकूल हो या प्रतिकूल हो, हर हाल में हमें खुश रहना है,''जिस दिन,
जिस को यह कला आ जाती है उस दिन से जिन्दगी का कोई दुःख उसे दुःखी नहीं कर सकता''
17..."इस छोटी सी जिंदगी में, राह चलते हजारों लोगों से मिलते है, और उन्हें भूल जाते है, पर कुछ
लोगों का व्यक्तित्व ऐसा होता है, जो हमारे ऊपर अपनी छाप छोड़ जाते है, और चाह कर भी उन्हें
हम भूल नही पाते है"
18...Human nature...... जिस काम करने के लिए, हमारे माता- पिता मना करते है,
हमारा दिल उस काम को करने के लिए,बेचैन करता है,
19...‘’आंचल कि छांव में हम अपनें को महफूज पाते है, मां का आंचल, भगवान के तरफ से बच्चों को,
वरदान के रूप में दिया गया है, कभी भी हमें कोई इस छांव से दूर न करें, इसकी प्रार्थना करते है, फिर
भी कब, कहां और कौन सी गलती हो जाती है, कि किसी-किसी को यह छांव नसीब नहीं होता’’
20...मैंने देखा एक भिखारन एक पोल के पास ही अपनी दुनियां बना रखी है, दो गठरी है, फटे-पुराने कपड़े
पहनें, दो-तीन प्लास्टिक में जूठन है, उसी में से कुछ-कुछ चुनकर खा रही थी, यह दृश्य देखकर "मेरा
भारत महान " का भ्रम दुट गया,
21...जिससे मैं सिर्फ एक बार छेका में मिली हूं, बातों- बातों में मैं उसके इतने करीब कैसे होते जा रही
हूं,"क्या यहि प्यार है "खुद को प्यार से अनजान रखा, ताकि कभी भी मुझे किसी का इंतजार न करना
पड़े, मगर प्यार हो ही गया, सच इंतजार करना भी इतना अच्छा लगता है पता नहीं था,Thanks,
आशिश तुम्हारे कारण मैं प्यार को समझ पाई हूं,
मां, आज तक मैंने वहि किया, जो आपलोगों ने कहा, भूलकर भी प्यार करने कि भूल नही कि फिर "
ये आंसू क्यो "मुझे आशिश से प्यार क्यो हुआ, जब ये रिस्ता टुटना था, तो भगवान ने ऐसा क्यो
किया, पता नहीं कब और कैसे उससे बाते करते-करते उसकी हो गई, मुझे पता भी नही चला,मां मुझे
उसी से शादी करनी है, अब कोई फर्क नही पड़ता,कि वो कैसा है,
22..."अगर जुदाई हमारे प्यार कि परीक्षा है तो यहि सहि, लेकिन आज अपने प्यार कि कसम खा
कर कहता हूं, ना ही,मैं तुम्हें तलाक दूंगा, ना ही, मैं दुसरी शादी करूगा, आज से हम दोनों
एक अच्छे दोस्त कि तरह रहकर अपने बच्चे कि परवरिश करेंगे, जिसे जो सोचना है सोचे
तुम यहां रहो या कहि रहो, एक वादा करो मेरे हर सुख-दुःख मे मेरा साथ देगी,
23..."तब तक मंच से रचना के नाम को घोषित किया जाता है, रचना मंच पर जाकर सम्मान ग्रहण
करती है और बोलती है....... इस सम्मान की सहि अधिकारी, मैं नही हूं, यह सम्मान मैं अपनी प्रिय
सहेली कमला को सर्मपित करती हूं, पेंटिग के माध्यम से मैंने लोगों को सच दिखाने कि कोशिश कि
है,कमला ने उस सच को स्वीकार कर, दोनोंं बच्चों की जिंदगी में रंग भरा है, वह मुझसे बड़ी
कलाकार है "
24...हमारा देश भारतवर्ष मातृ प्रधान देश है, यहां कि नारी हमेशा से उदाहरण बनी है, हर क्षेत्र में अपना
स्थान बनाकर साबित कर दिया है कि हम किसी से कम नही है, अपने घर को संभालते हुए, समाज
और देश के लिए हमेशा से सहयोग करती आई है,नारी विभिन्न रूपों में माता, बहन, भार्या, बेटी
आदि बनकर हमेशा पुरुषों के आत्मबल को प्रोत्साहित किया है, फिर भी इनसे से नारियों को वो
सम्मान नही मिला है, जिसके ये अधिकारी है,नारी पर अत्याचार और बुरी नजर का प्रहार, कोई नई
बात नही है, ऐसी बाते पहले भी होती थी और आज भी हो रही है, युग बदल गया पर नारी कि दशा
नही बदली, इसके लिए सिर्फ पुरूषों को जिम्मेवार नही माना जाना चाहिए, अगर हमारे ऊपर
अत्याचार हो रहा है, इससे यह पता चलता है कि हम अत्याचार होने दे रहे है, जिस दिन हम जाग
जायेगें, उस दिन कोई, किसी प्रकार से हमें नहीं सता सकता, यहि समझने कि बात है,"नारी अपने
अंदर कि शक्ति को पहचानों, हम जननी है, हमारी जिम्मेवारी इन पुरुषों से ज्यादा है, जब बच्चा
छोटा होता है, तो वो कोरा कागज होता है, वहि से शुरूवात होती है, उसके सोच की, आचरण की,
विचारों की, उसके बचपन से ही मां ( जो कि नारी है) को नारी के महत्व और गरिमा की शिक्षा देनी
चाहिए, ताकि बच्चा बड़ा होकर नारी को सम्मान कि नजर से देखे, हमारा बच्चा ऐसा पुरूष बने जो
अपनों में, समाज में, और देश में सम्मान के पात्र बने"
25...http://myasansolcity.in/node/4134
Rita Gupta.