अनमोल बातें

अनमोल बातें

कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है, हम सबको पता है,

क्या पाने की चाह में क्या खो रहे है, ये भी पता होना चाहिये,

 

यूँ तो है जफर.लाखों इन्सान की सूरत

मगर इन्सान वही है, जिसमें हो इन्सान की सीरत,

 

समय तेज धारा वाली नदी है, जो हर चीज को,

अपने साथ बहा ले जाती है,

 

सुन्दर क्या होने से ही, कोई सुन्दर हो जाता है,

प्यारा सा अहसास होने से ही, सारा संसार सुन्दर हो जाता है,

 

मेरा दिल करता है आंसुओं से बने, सब्र के बांध को तोड़ दू,

बह जाये सारे गिलवे-शिकवे, खुशियों का बांध फिर से जोड़ दू,

 

कभी 'मैं' तुम्हारे लिए, सूरज-चांद हुआ करती थी,

आज ' मैं' तुम्हारे लिए, ग्रहण का चांद हुआ करती हूं,

 

तुम्हें पाने की चाह में, तुम से ही दूर चले गये,

कैसी चाह है जिसमें, एक-दूसरे से दूर चले गये,

 

नजरों के करीब क्यों किये, जो दिल से दूर कर दिये,

नजरों से दूर कर देते, पर दिल के करीब रख लेते,

 

यह धरती किसी के साथ, न तो गयी, और नही जायेगी,

ये तो हमारी जीद है, कि हमारी है, पर यहि रह जायेगी,

 

समय के महासमुद्र में, पता नही 'हम' कहाँ है,

फिर भी, हम में, हम से, हम के लिए परेशान है,

 

तुम्हारा प्यार मेरे जीवन में,' शिरीष के फूल ' समान है,

आंसुओं से भरी आंखो में, अनुकूल-प्रतिकूल समान है,

 

दिल की ये कैसी पागलपंती, पत्थर के सामने रोता है,

सामने जो खड़ा है उसे, पत्थर समझकर खोता है,

 

खोकर पाना और पाकर खोना, ही जिंदगी है,

सब कुछ खोकर, कुछ नही पाना, ही प्यार है,

 

जब कुछ खो जाता है तो, वो हमेशा याद आता है,

हमेशा याद आने के लिए, खुद को खो देना है,

 

जिन्दगी में जो हम चाहते, वो आसानी से नही मिलता,

लेकिन जिन्दगी का सच ये है, कि हम भी वही चाहते है, जो आसान नही होता,

 

खुशनसीब वह नही, जिसका नसीब अच्छा है,

खुशनसीब तो वह  हैं, जो अपने  नसीब से  खुश है,

 

एक मिनट में, जिन्दगी नही बदलती

पर एक मिनट सोच कर, लिया  हुआ फैसला पूरी जिन्दगी बदल सकता है,

 

रुपया कितना भी गिर जाये, इतना कभी नही गिर पायेगा,                

जितना रूपये के लिए, इन्सान गिर चुका है,

 

बुर्जगो की सलाह,और युवाओं की शक्ति से,                        

दुनियां,और समाज का हर काम संभव है,

 

कोई रूठे अगर तुम से, उसे फौरन मना लेना,                                

क्योंकि जंग में अक्सर, जुदाई जीत जाती है,  

 

शांति त्याग से मिलती है, हाट बाजार में नही,  

 

आत्मबल से बढ़कर, मनुष्य जीवन  में और कोई बड़ी विभूति नही है,    

 

दृढ़ प्रतिज्ञा से, मनुष्य संसार को अपनी इच्छा  अनुसार झुका सकता है,

 

धन, उसका नही जिसके पास है, बल्कि                                          

उसका है, जो उसका उपयोग करता है,

 

परमात्म की उपासना के साथ, कामनाएँ जोड़ना ओछापन है,     

 

जिन्हें नम्रता नही आती, वो विद्या का पूरा सदुपयोग नही करते,  

 

नम्रता का प्रभाव दूर गामी होता है, और इसमें कुछ. भी खर्च नही होता,

 

अभिमान देवता को दैत्य बना देती है,

और नम्रता मनुष्य को देवता बनाती है,

 

हमारे जीवन का, हर दिन ऐसा होता है,

जो जाते- जाते, कुछ सिख दे देता है,   

 

किसी को स्वालंबी बना देना ही उसकी वास्तविक सहायता है,    

 

कठिनाईयां एक खराद कि तरह है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व को तराश कर चमका दिया करती है

 

उन्नति और सफलता का मार्ग, कष्ट  एंव मुसीबतों के,कंकड़ पत्थरों से ही बना है

 

अंतरात्मा वह न्यायधीश है, जो दुष्कर्मो का  दण्ड दिए बिना नही रहता,

पर न करने की चेतावनी, इससे पूर्व अनेक बार दे चुका होता है,   

 

ईमानदारी एक  बरगद के पेड़ के समान है,

जो देर से बढ़ती, किन्तु चिरस्थायी रहती है,

 

ईमान और भगवान ही मनुष्य के सच्चे मित्र है,   

 

मनुष्यता सबसे अधिक मूल्यवान है, उसकी रक्षा करना प्रत्येक जागरूक व्यक्ति का परम धर्म है   

 

क्रोध एक प्रकार का पागलपन है, जिससे संतसंकल्पो का विनाश होता है,

 

भीतर आत्मा का प्रकाश फैला रहे, तो बाहर से अनुशासन लादना आवश्यक नही,    

 

सौभाग्य का पुरुस्कार उनके लिए सुरक्षित है,

जो उसका मूल्य चुकाने के लिए तत्पर है,    

 

जो बहुत अधिक बोलता, वह पाप से नही बचता, किन्तु

जो अपनी जिह्वा पर नियन्त्रण रखता है, वह बुद्धिमान है,  

 

जो प्रसन्न रहेगा, उसे प्रसन्न रहने वाली परिस्थितियां भी मिलेगी,     

 

चरित्र वहि है, जिसके द्वारा अच्छे विचारो की ओर, अच्छे काम करने की आदत पड़ जाये,    

 

जो भाग्य के भरोसे बैठे रहते है, पतीत होता है कि वे जीवन पर्यत बैठे ही रहेगें,

 

समुद्र से मोती खोज पाना, मुश्किल है, नामुनकिन नही, उसी प्रकार

Facebook पर best friend खोज पाना, मुश्किल है, नामुनकिन नही,

 

मनुष्य को इससे क्या लाभ, यदि वह सारा संसार तो प्राप्त कर ले,

लेकिन अपना जीवन ही गवां दे.............

 

दो व्यक्ति कमरे की खिड़की से बाहर देख रहे थे, एक ने सुबह का सूर्य देखा,

दूसरे ने सड़क कि धूल,................

 

वास्तविक आनंद न  सम्पत्ति मे है, और न लोगो कि प्रशंसा में,

वास्तविक आनंद अपनी वास्तविकता को स्वीकारने में है.....

 

न रस्सी, और  न रस्सा, कभी भी इतनी शक्ति से बांध सकता है,

जितनी  शक्ति से प्रेम का कच्चा धागा  बांध सकता है,

 

जब कभी भी हम भय का सामना डटकर करते है,

हमें अपने आप  में शक्ति, साहस और भरोसा आता है

 

प्रत्येक व्यक्ति  का इस संसार में अपना, एक विशेष स्थान है,

मानों या न मानों आप किसी न किसी के लिए, विशेष हो,

 

यदि आप अपनी सम्पदा देते है, तो कुछ देते है,

जब अपने आप को देते है, तो सच में देते है,

 

कला अभिव्यक्ति कि शोभा है, और

कलाकार शोभा की अभिव्यक्ति है,

 

इरादों से जो टकराए, उसे तूफान कहते है,

जो तूफानों में  छा  जाए, उसे इन्सान कहते है,

 

एक कील के वजह से, पूरा राज्य खो जाता है,

नीति शिक्षा के बिना, व्यक्ति का  व्यक्तित्व खो जाता है,

 

सच्चा दोस्त खो  जाय तो, उसे पाने के लिए,

जितनी भी किमत लगे, वो कम है,

 

कोई भी व्यक्ति, अपने व्यक्तित्व से जाना जाता है,

सच्चाई, उसके चेहरे से साफ झलकती है,

 

अमृत सागर के किनारे पहुच कर भी , हम प्यासे रह जाते है,

कभी-कभी सब कुछ पा कर भी , हम अकेले रह जाते है ,

 

हमें दुसरों कि खामियां देखने के बजाय ,

अपने मे  खामियां खोजनी चाहिए

 

सोना आग में तप कर ही, पहनने योग्य बनता हैै,

रिस्तें परखे जाने के बाद ही, सम्मान के  योग्य बनता हैै,

 

अमीरी की क्रब पर, पनपती हुई गरीबी,

बहुत ही, जहरीली होती है,