अनजाने में हुई एक ' भूल '

अनजाने में हुई एक ' भूल '

"कभी-कभी, एक ही भूल,(a single mistake) जिंदगी की सबसे बड़ी भूल साबित होती है"

श्याम और सोहन, जुड़वा भाई है, पर देखने और स्वभाव में कोई समानता नही है, अगर समानता है तो वो  ज्ञान में है,दोनों पढ़ने में, एक से बढ़कर एक है, हमेशा कक्षा में श्रेष्ट स्थान पाते है, इनकी पढ़ाई लोगो के लिए, पुरे गांव में उदाहरण के काम आती,

जब इन्होनें B.A की परीक्षा पास कर ली तो इनके मम्मी-पापा, इनकी शादी के लिए लड़की देखना शुरू कर देते है, वो चाहते है कि पहले नौकरी हो जाय, तब शादी करेगें, पर घरवाले नही माने, उनकी सोच है....... नौकरी का क्या, आज नहीं तो कल हो जायेगा, शादी सही समय पर होना चाहिये,

संयोग से शादी के लिए जुड़वा बहनें गीता और संगिता मिल गई,( पहले कि शादियां दो खानदानों की होती थी, जिसमें लड़का-लड़की, एक-दुसरे कि फोटों तक नही देखते थे)  जुड़वा होने के बाद भी श्याम, सोहन से 5 मिनट का बड़ा, और गीता,संगिता से बड़ी, इसलिए श्याम कि शादी गीता से और सोहन कि शादी संगिता से होती है,

सोहन और संगिता की जोड़ी सहि साबित होती है, पर श्याम और गीता की जोड़ी, नासमझी के कारण.

                                                 शादी की पहली रात……..

श्याम...... दुल्हन को पहली बार देखता है और कह बैठता है, तुम कुछ ज्यादा मोटी नही हो,

गीता...... जी, आप कुछ ज्यादा दुबले है,

श्याम...... मोटेपे के कारण मेरी मां जैसी लग रही हो,

गीता...... ऐसा क्यों बोल रहे है, आप बहुत दुबले है, इसलिए मैं आपको मोटी दिख रही हूं, मेरी जोड़ी

             आपके भाई सोहन के साथ, अच्छी लगती, वो भी मेरे जैसे है,

श्याम......क्या कहा तुमने, मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं, तो भूल जाओ कि हमारी शादी हुई है, मैं जा रहा हूं

गीता...... मुझे माफ कर दे, मैंनें ऐसा नहीं कहा....

श्याम....तुम्हारी कहि बात मैं जिंदगी भर याद रखूंगा,अब मैं तुम्हारे साथ एक कमरे में नही रह सकता,

गीता..... मैं आपके पैर पकड़ती हूं, आप बाहर मत जाओं, लोग क्या सोचेगें, आप नाराज हो तो मैं नीचे

            सो जा रही हूं, आप पलंग पर सो जाओ,

श्याम.........( गुस्से में) ठिक है,

                                            दुसरे दिन सुबह……

श्याम....... मां मैं आज ही बाहर जाने वाला हूं, शाम को ट्रेन है,

मां............. दो दिन रुक जाता,

श्याम....... तुम लोगो के कहने पर शादी कर लिया, अब अपनी बहु के साथ रहो, मुझे नौकरी के लिए

                बाहर जाना है,

“सबके मना करने के बाद भी श्याम शहर चला जाता है, बंद कमरे में हुई, बातों को कोई नही जानता, पर हालात कुछ ऐसे होते है, कि कुछ भी नही छिप सका"

एक-एक, दिन कर के छः महिना बित गया, श्याम को नौकरी लग गई है, पर श्याम ना तो खुद गांव आया, ना गीता को शहर ले जाता है, गीता को दुबारा मौका भी नही दिया, कि वो उसे मना सके, श्याम के घरवाले उसे बार-बार बोलते कि गीता को अपने साथ में शहर में रखे

अंत में वो साफ-साफ अपने मां-पिताजी को बोल देता है, कि वो गीता के साथ घर नही बसाना चाहता, उसको उसके मायके भेज दो, और उसके मां-बाप को बोल दो कि अपनी बेटी कि दुसरी शादी कर दे,मैं उसे पसंद नही हूं,

जब ये बात सबको पता चलती है, कि गीता ने उस रात श्याम को क्यां कहा था, सब-के-सब उसको डाटते है, उसके मां-बाप उससे कहते है....... हमारे खानदान में बेटी कि दुसरी शादी नही होती, जिस घर में डोली चढ़कर गयी है, वहां से अर्थी पर विदा होना, मायके लौटकर मत आना,

अंत में गीता के पास इंतजार के सिवा, कोई रास्ता नही है, एक-एक दिन कर के इंतजार 10 साल में बदल जाती है, इतने सालों में उसने कितने अपमान सहे, कितने आंसू बहे, ये कल्पना से परे है,

छोटी बहन संगीता भी, छोटी होकर उसे कुबोली बोलती, उस पर हंसती और कहती.....दुल्हन वहि जो, पिया मन भावे, पति के प्यार के बिना, उसकी जिंदगी लोगों ने नरक समान बना दिया,

गीता श्याम के इंतजार में धीरे-धीरे पागल कि स्थिति में जा रही थी, वो तरस गई कि श्याम प्यार के दो बोल बोले, श्याम का गुस्सा, कम होने का नाम नही,

एक दिन तो हद हो गया, जब गांव के पड़ोसी जो जेठ लगता था, उसने गीता से कहा, क्यों इंतजार करती हो उसका, मैं तुझे खुश रखुगा, मेरी बीबी है तो क्या हुआ, तुम रखैल बनकर रहना,

गीता ने उसे एक थप्पड़ लगाया, तुने ऐसा सोचा कैसे, क्या हुआ, मेरा पति मुझसे नाराज है तो, मैं आज भी अपने पति कि हूं,

"वह घर आकर बहुत उदास हो जाती है, और एक बहुत बड़ा फैसला लेती है, जिससे श्याम कि जिंदगी में खुशी आ सके, एक पत्र लिखती है...........मेरी मौत के जिम्मेवार कोई नही है,मुझे औरों कि तरह नौ-छौ नही आया, मेरे भोलेपन ने मुझे कब का मार दिया था,मैं चलती-फिरती लाश थी, जिसे आज आग के हवाले कर रही हूं "

खुद को एक कमरे में बंद करती है, मिट्टी के तेल से स्नान करती है, और आग लगा लेती है, कम्बल को श्याम समझकर खुद में लपेट लेती है, गाना गाती है.....हम-तुम एक कमरे में बंद हो............

पुरा घर धुंए से भर गया, घरवाले और गांव वाले सभी बजाने कि कोशिश करते है, पर नही बचा पाये, पहली बार लोगों ने, आग में जलते हुए के मुंह से बचाओ कि जगह गाना सुना,

                                                                          - Written by

                                                                                        Rita Gupta