मैं नासमझ थी,

मैं नासमझ थी,
आज से एक साल पहले की बात है, मम्मी-पापा सब समझा-समझाकर थक चुके, पर मैंने अपनी जिद के आगे किसी की एक ना सुनी, मैं M.a.c की छात्रा हूं, कोई अनपढ़ गवार नहीं, जो अपने लिए गये फैसले को, किसी की राय पर बदल दू, शायद एकलौती संतान होने के नाते मैं जिद्दी भी हूं, पापा का अच्छा job है, मेरी शादी के लिए अच्छे-अच्छे रिश्ते आ रहे है,मैं सबको नाकार दे रही हूं, एक दिन मम्मी का गुस्सा अपनी चरम-सीमा पर था,
मम्मी....... तुम अपने आपको क्या समझती हो,
मैं............ क्या हुआ ऐसा जो आप नाराज हो,
मम्मी.......25 साल की हो गई हो, पढ़ाई भी एक साल में पूरी हो जायेगी, शादी से इंकार क्यों,
मैं........... मुझे शादी से इंकार नहीं है, आपको पता है, मैं मोहित से प्यार करती हूं फिर किसी रिश्ते को
घर पर क्यों बुलाती हो,
मम्मी........ बचपना छोड़, दोस्ती को प्यार नहीं कहते,
मैं.........मैं और मोहित, पिछले 5 साल से एक-दूसरे से प्यार करते है, आपको भी पता है, फिर मना क्यों
मम्मी.......5 साल में,10 बार झगड़ा करके दोस्ती तोड़ चुकी हो,
मैं........... तो क्या हुआ, जहां प्यार होता है वहि झगड़ा होता है,
मम्मी........ अपनी कही हुई बात याद रखना, शादी के बाद अगर झगड़ा बंद नहीं हुआ तो,
मैं.......... मैं अपने प्यार से उसे बदल दूगी,
मम्मी...... ऐसे शादी-शुदा जिंदगी नहीं चलेगी, तुम दोनों की सोच और पसंद नहीं मिलती,
मैं.......... मां, मोहित मेरा पहला प्यार है, मैं उसे भूल नहीं सकती,
मम्मी....... बेटी तुम समझने की कोशिश करो, पहला कदम अगर गलत उठ जाये तो, इसका ये मतलब
नही होता कि हमे उसी राह पर चलना होगा, हमें लौटकर सही राह चुनना चाहिए, कम उम्र मे
हम नासमझ होते है, क्या सही ,क्या गलत पता नहीं होता, वह अच्छा लड़का नहीं है,वो तुझे
नही तेरे पापा के दौलत से प्यार करता है,
मैं....... आपकी सोच गलत है, वो हमेशा से मुझसे प्यार करता है,
मम्मी...... कैसे समझाऊ,तु गलत है, उसे जाने दे, वह कोई Job भी नहीं करता, तेरे लिए एक-से-एक
रिश्ता आया है, उनमें से किसी को पसंद कर ले,
मैं........ मां, मैं जब भी शादी करूगी, मोहित से ही करूगी, यह मेरा फैसला है,
मम्मी......( गुस्सा से) तो मंदिर में जाकर शादी कर ले, हमे अपने दरवाजे पर बारात नहीं बुलाना,
मैं.........नहीं, शादी होगी तो धूम-धाम से होगी,नहीं तो हम यू ही बिन शादी के रहेगे,
मेरे और मम्मी-पापा के बीच कोई भी अपनी हार मानने को तैयार नहीं, जब वो नही समझा पाये तो उन्होंने अपने दोस्तों का सहारा लिया, मेरी राय बदलने में, शायद यह मेरा पागलपन था, जितना वो समझाते, उतना ही मोहित से शादी करने का इरादा पक्का हो रहा था, ऐसे तो मम्मी-पापा बहुत जिद्दी है, पर अपने बेटी के सामने हार मान लेते है, मोहित को नापसंद करते हुए भी अपना दामाद बनाया, सिर्फ मेरी खुशी के लिए,
हमारी शादी बहुत ही धुम-धाम से हुई, पापा ने दहेज में Tata Sumo Gift किया,मेरे ससुराल वाले गरीब नहीं है पर मोहित के Job नहीं होने से थोड़ी चिंतित है, वह लाड़-प्यार से पढ़ाई छोड़ चुका है,दोस्तों के साथ महफिल जमाये हुए बैठे रहना और मदिरा का सेवन, उसका शौक है, मैं तो शादी, प्यार के लिए, अपने प्यार से की, मुझे नही पता कि शादी के लिए प्यार के अलावा और क्या-क्या चाहिए, सिर्फ इतना पता है कि मैं मोहित से 100 % प्यार करती हूं, कभी ये नहीं जानना चाहा कि वह मुझसे किस हद तक प्यार करता है, शादी के बाद उसके बदले हुए तेवर, मुझे ये सोचने पर बाध्य कर रहे है कि मैंने कोई गलती तो नहीं की,
ससुराल वाले मुझे बहुत प्यार करते है, उन्होंने मेरी अधूरी पढ़ाई को पूरा करने का मौका दिया, मात्र तीन महीना बाद, मामुली सी बात पर मेरे और मोहित की तकरार हो गईं, हमेशा की तरह उसकी ही जीत हुई, मैं नाराज हो गई, पर मोहित ने मुझे मनाया नहीं, शादी के पहले भी हमारे बीच तकरार होती , जिस दिन मैं नाराज होती, उसी दिन हर हाल में वो अपनी अदाओं और प्यार से मुझे मना लेता था, आज 7 दिन हो गये, मेरी नाराजगी का उस पर कोई असर नही, मैं खुद मान जाती, दिल कहता... क्या ये वहि मोहित है,शादी के एक साल बाद ही मोहित के बदले हुए व्यवहार से मेरे चेहरे कि हंसी चली गई, शादी के बाद लोग बदलते है पर हम दोनों ऐसे बदले कि हमारे बीच दूरी आ गई थी, मम्मी-पापा से कुछ बोल नहीं सकती थी, ये हक मैं खो चुकी थी, किस मुख से बोलु और क्या बोलु,
जब नानी गांव से आयी तो मैं अपने ससुराल से मोहित के साथ उनसे मिलने गई, मात्र एक दिन में, नानी ने न जाने कैसे पकड़ लिया कि मैं अपनी शादी-शुदा जिंदगी से खुश नहीं हूं, दूसरे दिन जब हम आने लगे तो वो रोने लगी कि एक दिन और रूक जाये, मोहित नहीं माने वो काम का बहाना बनाकर चले आये,मुझे नानी ने रोक लिया, मैं और नानी एक अच्छे दोस्त है हम दोनों बहुत सारी और प्यारी बाते करते है, पर उस दिन मानों मेरे पास बोलने के लिए, शब्द नहीं थे, उनके पास पूछने के लिए सवाल नहीं,सिर्फ मुझे देखे जा रही थी, मानों वो जो जानना चाह रही है, साफ-साफ मेरे चेहरे पर पढ़ पा रही है, फिर भी…….
नानी.......... तुम खुश तो हो ना,
मैं........... हां, नानी मैं बहुत खुश हूं,
नानी.......... मेरा दिल, ये क्यों कह रहा है कि तुम बहुत परेशान हो,
मैं.......... शादी के बाद सामांज्यस (ताल-मेल )बनाये रखने में थोड़ी परेशानी तो होती है,
नानी.......... सच में तू बड़ी हो गई हो, हां ताल-मेल से ही दो परिवार एक साथ मिलकर रह सकते है,
मैं...........(नम आंखो से)नानी मैं खुश हूं,
नानी....... मैं तेरी' मां की मां' हूं, तेरे बिन कहे,मैं सब सुन पा रही हूं,
मैं......... नानी, आपके जमाने कि बात कुछ और थी, पहले के पति ( पुरुष ) समझदार और जिम्मेवार
होते थे, आज युग बदल गया है,
नानी........ अच्छा, युग बदल गया,
मैं........... नानी, एक बात बताओ, आपकी शादी को 60 साल हो गये, आप दोनों का एक-दूसरे से दिल
नहीं भर गया, आप उब नहीं गये, एक साथ रहते-रहते,
नानी....... पागल है, हम दोनो में बहुत प्यार है,
मैं.......... जानती हूं नानी, आप दोनों एक-दूसरे की जान हो, आपकी शादी 'लव मैरेंज' है,
नानी....... नहीं तो, हमारे जमाने में, शादी से पहले प्यार करना मना था,
मैं.........वहि ठीक था, पता नहीं कहां, कैसे और कौन सी भूल हुई कि मोहित को अब मुझसे वो लगाव
नहीं रहा, जो शादी के पहले था,
नानी........ क्या बोली, जिस बात का डर था, वहि हुआ,
मैं.......... कैसा डर,
नानी....... कैसे और क्या बोलु,
मैं.......... नानी, बोलो ना, कहां गलती हुई,
नानी...........'हर इंसान एक बंद किताब है, अगर कोई किताब न खुले तो वो बेकार है, अगर एक बार में
खुल जाय और पढ़ने वाला, कुछ दिनों में पढ़ ले, तो भी अब वो बेकार हो गई, घर के किसी
कोने में पड़ी रहेगी, वहि किताब हमेशा दिल के करीब होता है, जिसका एक-एक पन्ना, अपने
अंदर हजारों भावों को छिपाये रखता है, उसके एक-एक शब्द, शब्द समूहों का एक शब्द हो,
किताब न हो, मानों किसी गागर में सागर भरा पढ़ा है,
मैं.......... नानी, मैं समझ गयी, मोहित को मुझमें पढ़ने लायक कुछ नहीं बचा है, वह मुझे अच्छी तरह
समझ गया है कि मैं किन-किन बातों को नापसंद करती हूं, वो उन्हीं बातों से मुझे सताता है, मैं
उसे अब बोझ लगती हूं,
नानी......... जो हो चुका, उसे भूल जा, जिंदगी को नये सिरे से समझने और जीने योग्य बनाना है, सब
ठीक होगा, तुम दोनों को इसकी पहल करनी होगी,
मैं.......... वो कोई पहल नहीं करेगा, उसे तो मुझसे छुटकारा चाहिये और मैं उसके बिना जी नहीं सकती,
इससे अच्छा मैं मर जाती,
नानी........ तुम्हें मेरी कसम, ऐसा नहीं करना, तुम पढ़ी-लिखी लड़की, हालात को सुधार सकती हो, हार
मान लेने में कहां कि समझदारी है,
दूसरे दिन मैं अपने ससुराल चली आती हूं, अपने रिश्ते को सुधारने की हर एक कोशिश शुरू करती हूं, याद करती हूं कि शादी के पहले मोहित मेरी किन-किन अदाओं पर फिदा था, मोहित कि पसंद और नापसंद का ख्याल रखना शुरू करती हूं, मेरे दिन-रात की कोशिश थोड़ी रंग लाती है, मोहित को मेरी बाते अब अच्छी लगती है, प्रतिदिन शराब के सेवन छोड़, अब सप्ताह में एक दिन में बदल गया, कभी पार्टी मेँ दोस्तों के साथ ले लेते है,मैं खुश हूं कि मेरे प्यार ने मोहित को बदल दिया,
लगभग छः महीने बाद, जब मैं दो महीने की गर्भवती होती हूं तो मेरे खुशी का ठिकाना नहीं, ऐसा लग रहा था, आने वाला नया मेहमान, मोहित को जिम्मेवार और समझदार बना देगा, यह खबर दोनों परिवारों के लिए खुशियां लेकर आया, पर वो उतने खुश नहीं दिख रहे थे, जितनी मैं,,,,,,,,,,,,,सबकुछ ठीक चल रहा था, पर यह एक सपना साबित हुआ उस दिन, जिस दिन मेरी सहेलियां मेरे मां बनने के खुशी में मुझसे पार्टी मांगी,
मैं.......... मोहित जी, मेरी कुछ सहेलियाँ पार्टी मांग रही है, उन्हें बुला सकती हूं,
मोहित...... यहां बुलाने की जरूरत नहीं, अपने मां घर पर बुला लो,
मैं.......... यहां क्यों नहीं,
मोहित...... बोल दिया ना, यहां नहीं
मैं.......... ठीक है, मैं मां घर चली जाऊंगी, आपको भी आना होगा, वो सब आपसे भी मिलना चाहती है.,
मोहित...... ठीक है,
'मैं शनिवार को मां घर चली जाती हूं, वहां का चाँबी मम्मी-पापा मेरे पास ही देकर तीर्थ करने गये थे, मेरे और मेरे होने वाले बच्चे के लिए दुआ मांगने, पार्टी रविवार को रखा गया, रविवार का दिन मैं बहुत खुश थी, लगभग 9-10 सहेलियां आयी थी, सब नये मेहमान ( बच्चा) के लिए, तरह-तरह के उपहार लेकर आयी, हमसब एक-दूसरे से मज़ाक और मस्ती कर रहे थे, मोहित जी का इंतजार किया जा रहा था कि वो आये तो' केक' काटा जाय,
मैं.........(फोन लगाती हूं)
मोहित...... क्या हुआ,
मैं........ आप आये नहीं,
मोहित..... मेरे पास समय नहीं, तुम केक काट लो,( फोन काट देता है)
सहेलियां.......क्या हुआ? जीजा जी आ रहे है,
मैं........ चलों, केक काट लेते है, उनको समय नही मिला,
सहेलियां...... फिर से फोन लगा, हमसब बोलेगे, साली की बात जरूर मानेगे,
मैं.............(फोन लगाती हूं) सहेलियां Phone का spiker on कर देती है,
मोहित.......क्या हुआ, एक बार में समझ में नहीं आता,
मैं............ आपके बिना केक नहीं कटेगा,
मोहित......(गंदी-गंदी गाली देते हुए) बच्चे होने की खुशी तुम्हे होगी, मुझे नहीं है, इसी सब झमेले से,
शादी नहीं करना चाह रहा था, केक काटो या मरो,मैं नहीं आने वाला (फोन काट देता है)
' सहेलियां अवाक् से मेरी तरफ देखे जा रही है, हंसी मजाक का महौल खामोशी में बदल गया, लाख कोशिश के बाद भी मेरी आंखें नम हो जाती है, चेहरे पर मुस्कान लाते हुए मैंने कहा---- काम का भीड़ होगा, इसलिए उन्हें थोड़ा गुस्सा आ गया, चलो हम केक काटते है'
सहेलियां....... केक तो एक बहाना था, हम सबको तो तुझसे और जीजाजी से मिलने आये थे, जाने दे अब
मन नहीं कर रहा है, हम सब फिर कभी आ जायेगे, तुम अपना और बच्चे का ख्याल रखना,
' सहेलियों का पेट तो मोहित जी के गुस्से से ही भर गया था, घर बुलाकर इस तरह का अपमान वो कैसे सहती, मन उदास कर चली गई, मैं अकेली 'मन मंथन ' में खो गई, आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं, मैं कितनी नासमझ थी, शादी से पहले,5 साल तक मैं उसकी दोस्त थी, फिर भी उसे नहीं पहचान पायी, अपने प्यार पर गर्व था, आज सब खत्म हो गया, मैं हार गईं, अब मैं जीना नहीं चाहती, जाते-जाते उससे विदाई तो लेती जाऊ, जो ना दोस्त बन सका, ना ही पति,
मैं...........(फोन लगाई)
मोहित....... अब क्या हुआ, कितना परेशान करती हो,
मैं............ यह मेरा last call है, आज के बाद अब कोई call आपको परेशान नहीं करेगा, मैं आपकी
जिंदगी से दूर जा रही हूं, आप खुश रहो,( फोन को on अवस्था में टेबुल पर रख देती हूं)
मोहित........हलो, हलो ,क्या हुआ, मैं आ रहा हूं( उधर से कोई जवाब नहीं)
'30 मिनट बाद, जब मोहित पहुंचता है, तो दरवाजा बंद, बेल बजता है पर दरवाजा खुला नहीं, तोड़ दिया गया दरवाजा, उसके बाद जो दॄश्य आंखों के सामने था, जिस-जिस ने भी देखा, वो आज भी नहीं भूल पाया है,
दुल्हन की तरह सजी-संवरी मोहित की दुल्हनिया, हमेशा के लिए, मोह-माया की दुनियाँ से, विदाई ले ली, अपने-पराये को अपनी यादों में, रोने के लिए छोड़ चली,
Rita Gupta.