सात फेरों के 'सातों वचन'

सात फेरों के 'सातों वचन'
'शादी' बहुत ही पवित्र रिश्ता है, इस रिश्ते को मजबूत और अटुट बनाने के लिए, हर धर्म में अपने-अपने तरिके से मंत्र पढ़े जाते है, जिसके माध्यम से वादे दिये और लिये जाते है, हिन्दुओं में 'सात फेरों के सातों वचन' का महत्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है, अग्नी के फेरों के बिना शादी को अधूरी मानी जाती है,
ये कहानी आधारित है, आज की पीढ़ी की सोच पर, जो किसी भी तत्थ को तर्क की कसौटी पर परखें बिना स्वीकार नहीं करते, अगर कोई काम नहीं करना तो क्यों नहीं करना, अगर करना है तो क्यों करना है, इसका जवाब 5 साल के बच्चें को भी चाहिये, युग कितना बदल चुका है, देखते है इस कहानी के माध्यम से...................................
संगिता और जॉन, एक ही ऑफिस में काम करते है, अच्छें दोस्त है एक-दूसरे की भावनाओं की कद्र करते है, छिपा हुआ प्यार तब सामने आता है जब एक-दूसरे से दूर होते है या एक-दूसरे को खो देने का डर सताता है,
संगिता के घरवाले, उसकी शादी तय करते है, तब उसे अहसास होता है कि वह जॉन से जुदा होकर खुश नहीं रह सकती, जॉन को भी, ऐसा ही महसूस होता है, कहि संगिता किसी और की ना हो जाय, इस डर से वह अपने प्यार का इजहार कर देता है, दोनों इस अहसास से बहुत खुश है कि वो एक-दूसरे को प्यार करते है, खुशी चिंता में बदल जाती है यह सोचकर........ क्या उनका प्यार इतना मजबूत है, जो सामाज के विरूद्ध जाकर भी अटुट रिश्तें में बंधा रह सकता है,
संगिता........ हमारी शादी कैसे होगी,
जॉन.......... सच में ये तो, हमलोगों ने सोचा नहीं,तुम्हारे घरवाले चर्च में आयेगे तो........
संगिता....... तुम्हारा दिमाग खराब है, पहले तो वो हमारे रिश्तें के लिए राजी नहीं होगे, मैं किसी तरह
उन्हें मना भी लुगी, घरवाले अपनी विधि से ही शादी कराना चाहेगे, तुम्हें बारात लेकर आना
होगा,
जॉन.......... बारात, एक काम करते है, हम दोनों अपनी-अपनी शर्तों को छोड़, कोर्ट में शादी कर लेते है,
यहि सही उपाय है, क्योंकि हमारे यहां की शादी, सादगी के साथ होती है,
संगिता........ देखो, मैं कोर्ट में शादी नहीं करना चाहती, मेरे भी अरमान है, कि तुम बारात लेकर आओ,
विधिनुसार अग्नी के सात फेरों के सातों वचन, के साथ मुझे स्वीकार करो,
जॉन......... ये सात वचन क्या-क्या है,
संगिता....... ये मैं नहीं जानती,
जॉन........ जिस बात के बारे में नहीं जानती, उसकी जिद क्यों,
संगिता....... मैंने सुना है कि ये वचनें रिश्तों को मजबूत करती है,
जॉन........... तुम ये कहना चाहती हो, जिसके शादी में इन वचनों को उच्चारण नहीं होता है, उनके रिश्तें
कमजोर होते है,
संगिता.......... मैने ऐसा नहीं कहा,
जॉन............ शादी की मजबूती, प्यार और विश्वास पर होता है, किसी वचन या शर्त पर नहीं,
संगिता..........देखों मुझे नहीं पता, मगर फेरों के बिना मैं शादी नहीं करूगी,
जॉन........... ठिक है, पहले ये तो बताओ कि उन फेरों मे क्या-क्या वचन लेते या देते है,
संगिता.......... ठिक है, मैं दादी, मम्मी, चाची, दीदी और भाभी सबसे पूछकर तुम्हें बोलुगी,
"संगिता की जिज्ञासा बढ़ गई, इन वचनों में होता क्या है, वह घर के सभी महिलाओं से पूछती है, सब का एक ही जवाब, हमें नहीं पता 'पंडितजी' जाने क्या-क्या वचन है, हमने तो सिर्फ सिर हिला दिया था, घर की महिलाओं के पास से जवाब नहीं मिला तो सवाल पास-पड़ोस तक चला गया, पर जवाब संतोषजनक नहीं मिला, किसी-किसी को एक-दो याद है पर सातों वचन किसी को याद नहीं, ये जानकर संगिता हैरान है जिन वचनों के बिना, फेरें और शादी अधूरी मानी जाती है,वो किसी को याद नहीं, हम कैसे ' लकीर के फकीर 'बने हुए है”
7 दिनों बाद.........................................................
जॉन............. क्या हुआ जानेमन, तुमने बताया नहीं कि हम शादी कब और कहाँ कर रहे है,
संगिता.......... शादी तो करेगे, मगर मुझे जानना है, कहि उन सातों वचन मे ऐसा तो कुछ नहीं होता,
जिनसे हम लड़कियां इस तरह बंध जाती है, जहाँ से निकला मुश्किल ही नहीं नामुनकिन
होता होगा, अंत में जान देकर ( आत्महत्या ) वचन निभाया जाता होगा
जॉन.......... ऐसा क्यों सोच रही हो, ऐसा कोई वचन नहीं होना चाहिये, जो आत्महत्या के लिये मजबूर
करे, देखों हमारे धर्म में ऐसा कोई शर्त नहीं, तुम्हारे धर्म की मुझे जानकारी नहीं,
संगिता......... जॉन, तुम मेरी सहायता करोगे, उन वचनों को जानने मे,
जॉन..............हाँ जानेमन, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं,
" दोनों सोच में डूब जाते है कि किसे पता होगा, वो मंदिर के पंडितजी के पास जाते है, उनसे पूछते है पर वो भी बहाना करते हुए बोलते है.......... .'सात फेरों के सातों वचन' को मजाक-मजाक में नहीं बोलते, हम शादी के समय ही, इन मंत्रों का उच्चारण करते है, जो हमारे ग्रंथ में लिखा है, मुझे याद नहीं"
दोनों उदास लौट रहे होते है, तभी अचानक याद आता है कि हर सवाल का जवाब Google के पास है, तो इसका जवाब भी हो सकता है, फिर क्या था,Google पर मिल गये, संगिता के सात वचनों का शाब्दिक अर्थ, जो इस प्रकार है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
1……….तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्या:,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी !!
यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना यज्ञादि, शुभ कार्य मेरी सम्मति से
ही करोगे,
जॉन......... ये भी कोई शर्त है, हम कोई भी काम, दोनों की सम्मति से ही करेगे,
2………..पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम !!
जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें
जॉन......... तुम्हारे माता-पिता अब से मेरे माता-पिता है,वादा रहा
3………..जीवनम अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात,
वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृ्तीयं !!
ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे,
जॉन......... तीनों अवस्थाओं की बात करती हो, मैं तो सातों जनम तुम्हारे साथ हूं
4………….कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्या:,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थं !!
आप विवाह बंधन में बँधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है।
जॉन......... वादा किया,परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति मैं करूगा,
5………….स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या !!
अपने घर के कार्यों में, विवाहादि, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मन्त्रणा लिया करें
जॉन.........( हंसते हुए) हमारा Joint bank account होगा,तुम्हारी सहमती के बिना कुछ होगा ही नहीं
6………….न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत,
वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम !!
यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूँ तब आप वहाँ सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे।
जॉन......... मुझे मरना है क्या, ऐसी बात सोचकर, तुम्हारा अपमान में, मेरा अपमान है,
7…………..परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कुर्या,
वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तममत्र कन्या !!
आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगें और पति-पत्नि के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगें।
जॉन..........मैं सपने में भी पराई स्त्रियों को नहीं देखूगा,इन सातों वचनों में एक बात खासतौर से गौर
करने लायक है, ये सभी वचन कन्या द्वारा वर से मांगे गए हैं, इनके बाद कन्या
जीवन-संगिनी बनकर वर के साथ जीवनभर के लिए उसके घर आ जाती है,तुम लड़कियां
इतनी डरती क्यों हो, हम लड़के वाले भी इंसान है,
संगिता....... सब एक जैसे नहीं होते, जान से प्यारी लाडली बेटी को, किसी को यू ही नहीं शौप देते,
कितना मुश्किल होता है, नये रिश्तें के साथ जुड़ना और उसे निभाना,
जॉन......... ऐसे इन सातों वचनों में कुछ ऐसा नहीं मांगा है तुम लड़कियों ने जो हम लड़के नहीं दे सकते,
एक लड़का अपनी होनेवाली पत्नी के लिए, हंसते-हंसते इन वचनों को स्वीकार करेंगा,
संगिता...... शादी एक पवित्र बंधन है, जो समाज के सामने मान्यता प्राप्त करता है, लगता है मेरी दीदी ने
वचन लिए नहीं, दिए होगे, जिसे आज हर हाल में निभा रही है,
जॉन.......... मैं समझा नहीं, वो कौन से वचन है, जिसमें जिन्दगीं मौत समान है,
संगिता....... शायद वो वचन कुछ ऐसे होंगे,
1.............. मैं अपने मां-बाप के प्यार की आहुति देती हूं, आप तुम्हारे मम्मी-पापा, मेरे मम्मी-पापा है,
2............. मैं अपनी पहचान की आहुति देती हूं, आज से मैं, मैं नहीं, श्रीमती(..................) हूं,
3......... अपने सपनों की आहुति देती हूं, आज से ये आंखे कोई सपना नहीं देखेगी, तुम्हारा सपना अब
मेरा सपना होगा,
4.......... आपकी किसी भी कमजोरी को कभी भी किसी के सामने प्रकट नहीं होने दुगी,
5........... आपके हर अच्छे-बुरे कामों में, मैं हमेशा साथ दुगी,
6........... आपको वंश का खुश दुगी, अगर असमर्थ रही तो, आप दूसरी शादी कर सकते है,
7........... आपकी हर आज्ञा, भगवान की आज्ञा समान पालन करूगी,
जॉन........ ऐसे वचन, तुम्हारी दीदी ने क्यों दिये, ये तो खुद को मार कर जिंदा लाश बन जाना हुआ,
संगिता....... तुमने ठिक कहा, मेरी दीदी सच में जिंदा लाश है, वह खुद को मिटा चुकी है,5 साल हो गये,
वो हमलोगों से मिली नहीं है, याद नहीं उसे हंसते हुए मैंनें कब देखा था, अपने हाथों से
अपनी' सौतन' उतारने जा रही है
जॉन......... दीदी की ऐसी हालत से तुम बहुत डर चुकी हो, पर मैं वादा करता हूं, तुम से कोई वचन नहीं
लुगा, हम दोनों एक-दूसरे के दिल पर राज करेगें, शरीर या मन की उड़ान पर नहीं, तुम जैसे
बोलोगी, हमारी शादी, वैसे ही होगी,
संगिता…….."सात फेरों के सातों वचन"का भ्रम खत्म हो गया, ये फेरे एक विधि मात्र है,
रिश्ते तो प्यार और विश्वास से मज़बूत होते है, 'शादी' नाम के बंधन में,
बिना बंधे भी, हम दोनों एक-दूसरे के साथ पूरी जिंदगी खुश रह सकते है, पर
समाज के लिए हमारे रिश्तें को एक नाम की जरूरत है, हम 'कोर्ट मैरेंज'
करेगें,
Written By - Rita Gupta