हमें 'क्यों ' बनाया

हमें 'क्यों ' बनाया
दादी-नानी से, कहानियों के माध्यम से सुना है कि लड़कों का सृजनहार" भोले शंकर " और लड़कियों का सृजनहार "माता पार्वती "है, तो उन्हें किसने बनाया........? जो लड़की होते-होते, लड़की न हो सके, या जो लड़का होते-होते, लड़का न हो सके, जिन्हें सामाज भिन्न-भिन्न नामों से पुकारता है, जिन नामों को हमें अपने जुबान पर लाने में शर्म आती है, उन्हें उन्ही नामों से सम्बोंधित किया जाता है,
अगर हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखते हैं तो (xx) क्रोमोसोम के मिलने से लड़की और (xy) क्रोमोसोम के मिलने से लड़का होता है, क्या विज्ञान बता सकता है कि इनकी सृष्टि किसके मिलन से हुई है, अगर पता है तो इसमें अब-तक कोई सुधार कार्यक्रम क्यों नहीं हुआ...........?
जिन्हे देखकर सारी दुनियां हंसती है या जो खुद को मजाक का पात्र बनाकर,सब का मनोरंजन करते है, वह खुद कितना दुःखी है, कितनों ने सोचा............?
गांव की शादी मे अपनी मनोरंजन के लिए, इनका नाच रखा जाता है, इनके चेहरे पर जो नकली हंसी, पर जुबान पर लाखों दुआये होती है, बच्चे-बुढ़े सभी को छेड़ते है, पर मां-बहनों की इज़्ज़त करते है, मेरी खामोश नज़रे न जाने कहां खोई थी, नाच खत्म होने पर मेरे सामने आकर जब उन्होंने कहा............... "द हो, दुल्हा के चाची, तहार बबुआ, युग-युग जियस, दुल्हनियां तहार सेवा करस"
मैं.......... उन्हें रूपया देते हुए, उनके छलकते हुए आंखों मे, मैंने जिस दर्द को महसूस किया, मेरा दिल रो
पड़ा, आंसू को पी लिया, वर्ना लोग सोचते क्या बात है, शादी मे क्यों रो रही.............?
जो लोगों की शादी मे नाचते है उनकी शादी नहीं होगी, क्योंकि भगवान ने उन्हें शादी के सुख के योग्य नही बनाया, बच्चें होने के खुशहाली सुनकर, घर-घर जाकर नाचने-गाने वाले के घर कभी कोई बच्चा नहीं होगा, सबको दुआ देने वाले को किसी की दुआ काम नहीं आती, ये किस्मत का कैसा खेल है जो सबके समझ से परे है, किस गलती कि सजा मिली है,
हमारे संविधान में, हर मानव को शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है, फिर भी इन्हें इस अधिकार से वंचित किया जाता है, क्या ये मानव कि गिनती में भी नहीं आते ? कुर्दत ने इनके साथ जो किया, वो जख्म तो कभी भर नहीं सकता, पर इनका अनादर कर, इनके जख्मों को हरा नहीं करना चाहिए,
'यहां तक सुनने मे आया है, जब ऐसे बच्चों का जन्म होता है, जिसकी गिनती नर या नारी किसी में भी नही होती, इन बच्चों को मां-बाप के प्यार से भी हाथ धोना पड़ता है, क्योंकि इन्हें इनके समुदाय के हवाले कर दिया जाता है, अपनों के साथ-साथ, सामाज से भी नाता टुट जाता है, कुछ कानुनी अधिकारसे भी वंचित किया जाता है,
हमें मानवता के धर्म को निभाते हुए, जो कुछ इनके लिए कर सकते है, करना चाहिए, हमें कोई हक नही बनता इनका मजाक उठाने का, ये भी उसी के बंदे है जिनके हम, इनकी हंसी मजाक को दिल से न लगाये, इनके जीवनयापन के लिए, जितनी हो सके सहायता करे,
Written by
Rita Gupta