Nature aur Signature नही बदलते

Nature aur Signature नही बदलते

कहानी के मुख्य पात्र' शर्मा जी' का स्वभाव (nature)............

ये जब भी बाजार जाते है' सस्ता और अच्छा' सौदा के लिए पूरे बाजार कि सैर लगाते है, अगर सेव खरीद रहे है, एक तरफ100/kg सेव है, दुसरी तरफ 60 /kg सेव है,

उनकी हैसियत है कि ये 100 /kg सेव ले सकते है पर ये ऐसा नही करते, इन्हें लगता है कि1Kg/40Rs बचता है तो यहि सौदा सहि है,

वो 60 /kg वाले सेव को खरीद घर लाते है, जब डायनिंग टेबुल पर सजाकर रखते है तो उन्हें देखने मे अच्छा नहीं लगता, सोचते है कि घर आये मेहमान जब सेव देखेंगे तो वो समझ जायेगे कि ये सस्ता सेव है, वो बाजार से रासायनिक रंग लाकर, सेव को रंग, फिर टेबुल पर सजा देते है, दो दिन बाद, जब उसे खट्टा पाते है तो परेशान अब मेहमानों के सामने कैसे पेश करेगे ऐसे सेव को,

अब वो चीनी का घोल तैयार कर सुई के माध्यम से सेव को मिठा बनाते है फिर सजाकर रखते है, दो दिन बाद देखते है जहां-जहां सुई लगाया गया था, वहां-वहां सेसड़ना शुरू कर दिया है,अब शर्मा जी ऐसे सेव को, ना ही टेबुल पर रखने योग्य समझते हैं ना ही खाने योग्य, उसे उठाकर कुड़ेदान में फेक देते है,

“इस तरह के स्वभाव वाले शर्मा जी, कैसी परवरिश करते है, अपने बच्चों कि इस कहानी के माध्यम से देखते है "

शर्मा जी, दो बेटियों और एक बेटा के पापा है, बच्चों को साधारण स्कूल में ही शिक्षा उपलब्ध करा रहे है, बच्चे बड़े होते है, उनकी बड़ी बेटी कक्षा नौवी की छात्रा है, उसके लिए एक रिश्ता आता है, लड़का दशवी पास है, उन्हें शादी की जल्दी है,

स्वभाव से लाचार शर्मा जी ने शादी को भी' सौदा ' की तरह सोचा,,,,,,,,,,लड़का तो नौकरी करता नही  इसलिए दहेज तो ज्यादा नही लगेगा, यहि सही और सस्ता सौदा है, उन्होंने एक बार भी नही सोचा कि बेटी को कम-से-कम दशवी तक कि शिक्षा दिलाकर साक्षर तो बना दे, उन्हें डर था, अगर ये रिश्ता हाथ से गया तो फिर, ऐसा सस्ता सौदा नही मिलेगा,उन्होने ये शादी तय कर ली,

लड़की के घर पर सारे मेहमान आ चुके है, सिर्फ तीन दिन बाद ही शादी का शुभ दिन है, रात के 10 बज चुके है, बहुत से तिलक चढ़ाने गये हुए लोग आ रहे है, पर सब नही आये,

लड़की की मौसी....... क्या हुआ, आप लोग आ गये, बाकी लोग कहां रह गये,

मेहमान.......... मत पूछो मौसी क्या हुआ, वहां हमसब देखकर अवाक रह गये,

मौसी......... ऐसा क्या हुआ,

मेहमान......... जब तिलक चढ़ गया और बर्तन सब घर में भेज दिया गया, तो उधर से जोर-जोर से

                    चिल्लाने की आवाज आने लगी, लड़के के मम्मी बर्तन को उठाकर फेंकते हुए चिल्ला रही

                    थी, यहि तिलक है, टीना-लौहा का बर्तन चढ़ाया है, मुझे अपने बेटे की शादी ऐसे भिखार

                     घर मे नही करनी,

मौसी.............फिर क्या हुआ,

मेहमान...... शर्मा जी 4 लोगों के साथ वहि बैठे है, लड़के वाले' धान 'बांटने को तैयार नही है, उन्होंने हम

                 सबको जाने को कहा, इसलिए चले आये,

मौसी........तिलक मे स्टील के बर्तन के साथ, पीतल के सारे बर्तन भी देने चाहिये था देखो अब क्या होगा,

'सारे मेहमान काना-फूसी शुरू कर देते है, कोई शर्मा जी को कंजूस बोल रहा था, तो कोई लड़के की मां को कड़ा दिमाग वाला, लड़की चुपचाप आंखो के जलधारा को रोके हुए, सबकी बाते सुन रही है, जिन दो लोगों की शिकायत हो रही है, उसमे से एक उसके पापा है, दूसरी उसकी सास (मां) कहलाने वाली है, वो किसे सहि और किसे गलत समझे, उसे तो खुद पर रोना आ रहा है, अपने लड़की होने पर गुस्सा आ रहा है कि वो इतनी लाचार क्यों है ?

जैसे-जैसे घड़ी की सूई, घुमती है दिल की धड़कन बढ़ती जाती है, रात के 12 बज चुके है पर अभी तक शर्मा जी नही आये है, सबकी निगाहे लड़की के तरफ, लड़की की झुकी हुई नजर धरती मां के तरफ "काश धरती फट जाती और वह खुद को उनकी गोद मे हमेशा के लिए छिपा लेती "

रात के 1 बजे शर्मा जी घर आते है, सब-के-सब ये जानने के लिए बेचैन है कि क्या हुआ,

शर्मा जी.......... मैंने बहुत मन्नत करके, लड़के वालो को मना लिया, तब जाकर उन्होने धान बांटा,चिंता

                  की कोई बात नहीं, ऐसा होता है सब ठिक है,

शादी हो जाती है दिन बितते है पर लड़के को कोई सहि' नौकरी' नही मिलती, शर्मा जी ने दामाद (राजेश) के साथ भी वहि किया जो 60/kg सेव के साथ किया था, जिसका जुर्माना उनकी बेटी ( सीमा) को भरना पड़ा,

राजेश और सीमा गलतफैमी का शिकार होते है, राजेश को लगता है कि सीमा का स्वभाव भी उसके पापा जैसा होगा, सीमा को लगता है कि राजेश का स्वभाव उनकी मम्मी जैसा होगा, दोनों एक-दुसरे को नही पाया है,समझने में कुछ साल लगा देते है, धीरे-धीरे उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने "अनुवांशिक गुण" स्वभाव को

दोनों एक-दुसरे को ज्यादा-से-ज्यादा समय देते और समझते है,

राजेश.........सीमा,मैं तुम्हें कोई भौतिक सुख नही दे सकता,तुम जैसे घर से आयी हो, जितने आराम की

                आदी हो, वो मैं कहां से लाऊंगा, तुम्हारे पापा को सोच-समझकर शादी देनी चाहिए,

सीमा........ शादी नसीब का लिखा होता है, जिसकी जोड़ी जिसके साथ बनी होती है, वहि उसका

              जीवन-साथी होता है, मैं आपके साथ खुस हूं,

 

राजेश....... मेरा दिल करता है कि मैं' आत्महत्या 'कर लु, किस्मत भी मेरा साथ नही देता, पति अपनी

               पत्नी के लिए गहने बनाकर उसका सिंगार बढ़ाता है, मैं तुम्हारे गहने बेंचकर घर की जरूरतों

               को पूरा कर रहा हूं, मुझे जीने का कोई हक नहीं,

सीमा....... राजेश को गले लगा लेती है, मेरा गहना आप हो, वादा करो , फिर कभी आत्महत्या जैसे पाप

                के बारे मे नही सोचोगें,

 

राजेश........क्या करूगा,मैं जी कर

सीमा........ आप मेरे सिर पर हाथ रखकर कसम खाओ कि मुझे 'सुहागन मरने का सुख' प्रदान करोगे,

               मेरी इच्छा है कि मैं जब भी मरू, आपके गोद मे सिर रखकर मरू, और मेरी अर्थी आपके कंधे

               पर हो,

राजेश.......ये क्या मांग रही हो,

सीमा........मुझे यहि चाहिये, आप वादा करो कि मुझे ये सुख दोगे,

राजेश....... पहली बार तुमने मुझसे कुछ मांगा है, मैं वादा किया,

"भगवान की कृपा से उनका रिश्ता आज इतना मजबूत बन गया है कि दोनों एक दूजे के 'सपना और बासु 'के नाम से अपने रिश्तेदारों में जाने जाते है, दोनों' बागवान 'के अमिताभ और हेमा की तरह बिन बोले एक-दूसरे की दिल की बातों को सुनते है "

 

                                                                          Written by

                                                                              Rita Gupta