Life Ya Death दो मिनट में जिंदगी या मौत

Life Ya Death दो मिनट में जिंदगी या मौत
किसी जमाने में फिल्मों को सामाजिक शिक्षा के आधार पर बनाया जाता था, मगर आज की फिल्में सिर्फ रुपये कमाने के लिए बन रही है, इनसे सामाज क्या सिख रहा है या किस हद तक गिर रहा है, इससे किसी का कोई लेना-देना नही, अधिकांश लोगों कि ये सोच है........." दुनियां जाये भाड़ में, जेब भरनी चाहिये"
ये कहानी रेलवे स्टेशन पर दातुन बेच रही महिला की आंखों देखी ' सच्ची घटना ' पर आधारित है, गोपनियता को ध्यान में रखते हुए पात्रों के नाम बदल दिये गये है,
सुशील B.A का छात्र है जो अपने को किसी हीरों से कम नही समझता, अच्छी सूरत होने के कारण लड़कियों का उस पर फिदा होना आम बात है, बंगाल में रहने के बाद भी B.A की शिक्षा बिहार बोर्ड से किया जा रहा है ताकि नम्बर का % अच्छा हो और Job लेने में परेशानी न हो,
बंगाल का हीरो बिहार पढ़ने जाये तो वहां भी हिरोइनों की कमी नही है, प्यार का होना कोई नई बात नही है, सुशील को बेबी नाम की हिरोइन से शायद प्यार हो जाता है, पर इजहार तो हिरोपंती की तरह होना चाहिये,
एक दिन की घटना................
सुशील अपने दोस्तो के साथ ट्रेन के एक डिब्बे मे, बेबी अपनी सहेलियो के साथ दुसरे डिब्बे में, दोनों एक ही जगह परीक्षा देने जा रहे है, किसी कारण वश ट्रेन एक स्टेशन पर रुक जाती है, सुबह का समय है, लगभग 7.30 बज रहे होगे, परीक्षा 10.00 p.m से शुरू हो जायेगी, ट्रेन खुले तो दुसरे स्टेशन ही मंजिल है पर सिंगनल नही मिलने से ट्रेन रूकी है,खुद को स्मार्ट समझने वाले ट्रेन मे कैसे इंतजार कर सकते है उसके खुलने का, कुछ हीरो, हिरोइन ट्रेन से उतरकर टहलने लगते है, तो कुछ स्टेशन के बेंच पर बैठकर गप्पे करते हुए,
किसने, किसको, क्या इशारा किया, किसी को पता नही………………….
जब हरी सिंगनल मिली तो, सब लड़कियां अपने डिब्बे मे चली गयी, बेबी स्टेशन पर खड़ी रही, सुशील भी अपने डिब्बे मे चढ़ ,दरवाजे के पास खड़ा था, जैसे ही ट्रेन चली' दिलवाले दुल्हनियां ले जायेगे' कि शुटिंग शुरू हो गई, बेबी स्टेशन पर दौड़ रही है, सुशील अपना हाथ बेबी की ओर बढ़ाये हुये है, एक मिनट दौड़ने के बाद बेबी ने अपना हाथ सुशील के हाथ मे पाया,
अचानक जो हुआ, सब की आंखे खुली-की-खुली रह गई, बेबी का पैर लड़खड़ा गया और वह घिसटाते हुए स्टेशन पर चली जा रही है, वहां खड़े सारे लोग चिल्लाना शुरू कर देते है.........बचाओ-बचाओ पर किसी को ये समझ मे नही आ रहा कि करना क्या चाहिये, सिर्फ एक मिनट मे, अगर बेबी का हाथ छुटता है तो वो ट्रेन के नीचे मौत के मुंह में या सुशील का नीचे गिर जाना फिर दोनों का होता वो रब जाने,
तब तक एक दातून बेचने वाली का नजर इस दृश्य पर पड़ता है, वह तुरंत अपने सिर पर रखे दातून की गठरी को फेक देती और दौड़कर बेबी को पकड़ लेती है और चिल्लाती है........... बाबु तुम इसका हाथ छोड़ दो, नही तो तुम भी गिर जाओगे,
इतना शोर-गुल होगा कि आवाज ड्राइवर के कानों तक पहुंच गया, वो गाड़ी रोक देता है" फिर जो हुआ, वो बिल्कुल सही हुआ ताकि हिरोपंती वालों को सबक मिल सके" स्टेशन पर तैनात पुलिसवालो' ने सुशील और बेबी को रोक लिया और ट्रेन को जाने दिया,
दोनों को स्टेशन के एक केंबिन मे बैठाया गया, फिर शुरू हुई पूछ-ताछ.....................
पुलिस......... बहुत हीरो बनते हो,
सुशील........ नही' सर' मैंने देखा कि वो स्टेशन पर छुट गई है, इसलिए हाथ बढ़ाया,
पुलिस......... खुद को ' काजोल ' समझती हो, दौड़ते हुए ट्रेन पकड़ना,
बेबी.......... नही, गलती हो गई, हमे परीक्षा देने जाना है,
पुलिस.......दोनों अपने घर फोन लगाओ, हमे उनसे बात करनी है,
'दोनों माफ कर दिजिये 'सर' अब से ऐसा नही होगा'
पुलिस........ आज अगर दोनों की जान चली जाती, तो मां-बाप की परीक्षा शुरू हो जाती, जब तक घरवालों
से हम बात नही करेंगे, जाने नही मिलेगा,
बेबी.........(अपने दोस्त को फोन लगाकर बुलाती) उसे पता है अगर ये खबर घर में गई तो पढ़ाई गई,
'दोस्त आता है वो इशारा कर देती है'
पुलिस......... कौन है ये...
बेबी............ मेरा भैया है,
पुलिस......... अच्छा भैया, भैया जी अपना I.D दिखायेगे,
दोस्त........... सर,
पुलिस...... सर क्या,I.D दिखाओ,
दोस्त....... अपना I.D देता है,
पुलिस........ अच्छा है, दोनों भाई-बहन के पापा अलग-अलग है, शायद मां एक हो, है ना,
दोस्त.........Sorry, सर मैं दोस्त हूं,
पुलिस.........I.D पकड़, चुपचाप यहां से चला जा,
"ये सब देख सुशील की हालत खराब, सच बोलने के सिवा कोई रास्ता नही"
वो अपने घर फोन लगाता है, तब-तक पुलिस उसके हाथ से मोबाइल ले लेता है,
मम्मी......... हेलो बेटा ,बोलो
पुलिस ....... मैं (........) रेलवे स्टेशन से पुलिस बोल रहा हूं,
मम्मी........ ये तो मेरे बेटे का मोबाइल न० है,
पुलिस ....... हां, अगर आप बेटे से मिलना चाहती है तो जितना जल्दी हो सके, यहां आ जाय,( फोन बंद )
ऐसी बातों से घर क्या, पूरे मोहल्ले मे खलबली मच गई, घरवाले जल्दी से टैक्सी कर वहां पहुंचे साथ मे उनके दोस्त भी गये, वहां पहुंचकर जब मां अपने बेटे को देखती है तो गले लगा लेती है, तब तक लड़की के घरवाले भी आ जाते है,
पुलिस सारी घटना को, दोनों परिवार वालो के सामने रखते है, दोनों अपने-अपने बच्चों को समझाने के बजाय एक-दुसरे पर आरोप लगाना शुरू कर देते है,..... तुम्हारा बेटा बदमाश है तो तुम्हारी बेटी बदमाश है,
ऐसी हरकत देख, पुलिस चिल्ला उठता है और कहता है............ आप अपने सपुत्र और आप अपनी सपुत्री को घर ले जाये, इनका तो एक साल र्बबाद हो ही गया, फाइनल परीक्षा छुट गई, अगर इससे भी 'जिंदगी' का सबक मिल गया तो आगे कि जिंदगी सुधर जायेगी,
Written by
Rita Gupta