"काश" मेरा जन्म होता

"काश" मेरा जन्म होता

मैं स्वाती हूं, यह नाम मेरे मम्मी-पापा ने बड़े प्यार से रखा है,'स्वाती' एक नक्षत्र है, जिसका पानी साल में एक बार धरती को नसीब होता है, जिसका इंतजार चकोर पक्षी से लेकर, सीप, केले का पेड़ और सर्प तक करता है, इस जल कि ऐसी विशेषता है कि सीप से मिलकर मोती, केले के पेड़ से मिलकर कपूर, सर्प से मिलकर उसकी ताकत बिष बनाता है,चकोर के लिए तो इसका जल अमृत समान है, वह जब भी जल ग्रहण करता है इसी स्वाती नक्षत्र के जल को ही लेता है वर्ना प्यासा प्राण त्याग देता है,

लोगों का नामकरण तो जन्म के बाद होता है, पर मेरी मम्मी ने जब सोचा कि उन्हें एक प्यारी सी बिटियां चाहिये, तब ही मेरा नामकरण कर दिया,

"काश"मेरा जन्म होता ताकि मैं अपने नाम की सार्थकता को समझती, मैं अजन्मी रह गई, पर आज भी मेरे नाम की संस्था मम्मी चलाती है, उन्होंने मुझे कभी नही भुला,मुझे बहुत दुःख होता है, जब वो मेरी याद में रोती है, हर एक लड़की में मुझको देखती है, कि आज उनकी स्वाती होती तो कैसी होती,मेरा दिल तड़प जाता है उनकी आंसू पोछने के लिये,

मां आप क्यों रोती हो?मैं हमेशा आपके दिल में रहुंगी, अगर मैं होती तो, आपकी Xerox कोपी होती, बिल्कुल अपनी मां जैसी, आप मत रोना, मुझे अच्छा नही लगता,

मैं नही भूल सकती उन यादों को……………………………………………

जब मैं मां के गर्भ में पांच महिनें की थी, तब मेरे दोनों बड़े भैया नौ और बारह साल के थे, उन दोनों को सभी प्यार से सोनु-मोनु कहते थे, जब भी ' रक्षाबंधन 'आता, वो बहन की कमी महसूस करते, उनकी कलाई राखियों से भरी होती थी,फिर भी काश हमारी भी एक बहन होती ये बात उनके मुख में आ जाता, शायद इसलिए मैं आने वाली थी,

मेरे भैया सोनु-मोनु इतने चंचल की उनकी चंचलता के किस्से लोग एक-दुसरे को सुनाते, छोटे बच्चे इनके कारनामों के किस्से सुनकर सोते थे, एक बार तो हद ही हो गया, मम्मी भाईयों को बोली.....स्कूल से सीधे घर आना, मैं तैयार रहगु, नानी घर जाना है, उन्होंने तो ठिक है कह दिया,

मम्मी घर का सारा काम करके 3.30 p.m से भाइयों का इंतजार कर रही है, जैसे-जैसे समय बितता है मम्मी की परेशानी बढ़ती है, वो सोचती है कि एक रास्ते से देखने निकलती हूं तो कही वो दुसरे रास्ते से न आ जा, फिर उन्हें कैसे पता चलेगा,4.30 बज जाता है, मां के साथ-साथ मैं भी भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि मेरे भैया कि रक्षा करना,

तब तक देखते है कि दोनों भैया, पैदल चले आ रहे है सायकिल उनके साथ नही है, जब सामने आते है तो उन्हें देखकर मां परेशान,मानों दोनों किसी से मार-पीट कर के आये हो, चोट लगी थी,

मां.........क्या हुआ, किससे झगड़ा हुआ,

सोनु........ किसी से नहीं,

मां........ तो ऐसी हालत, सायकिल कहां है ?

सोनु.......... मोनु को देख रहा है,

मोनु.......... सोनु भैया को देख रहे है,

मां............कोई, कुछ बोलेगा,

सोनु भैया, मोनु भैया को इशारा करते है कि तु ही, बोल..........

मोनु........... मम्मी जब हम स्कूल से लौट रहे थे, तो भैया सायकिल चला रहे थे, और मैं सामने की सीट

                पर बैठा था, वो बोले......तु रास्ता बता मैं आंख मूंदकर सायकिल चलाता हूं, मैंने मना किया

                 पर वो नहीं माने, फिर मैं दाये-बाये, बता रहा था वो आंख मूंदकर सायकिल चला रहे थे,

                  अचानक एक पोल सामने आ गया, हम टकरा गये,

मां............हे भगवान, ऐसा भी होता है,

मोनु..........मैं नीचे, मेरे ऊपर भैया, भैया के ऊपर सायकिल,

मां............हे भगवान,

मोनु...........पता नहीं, उस सुन-सान रास्ते पर, कहां से एक महिला आयी, उन्होनें पहले सायकिल

               हटाया, फिर भैया और मुझको खड़े होने मे सहायता की,

मां......... जरूर इंसान के रूप में कोई भगवान थे जो तुम दोनों की रक्षा किये, भगवान आपका लाख-लाख

             शुक्रियां, आपने मेरी कोख की लाज रख ली,

सोनु........ मम्मी मुझसे गलती हो गई, माफ कर दो,

मम्मी तो ममता की मूरत, दोनों भाईयों को गले लगाया, सोनु-मोनु भैया जितने चंचल, उतने ही समझदार, मैं गर्भ में ही जब इनकी बातों को सुनती तो हंस देती,

एक बार.....................................

सोनु......... मम्मी हम तो गरीब है, बहन के शादी में, सब की तरह इतने सारे दहेज कहां से लायेगे,

मम्मी......... सब ठिक होगा, आप दोनों मन लगाकर पढ़ो,

मोनु............. भैया एक काम कर सकते है, मम्मी हम दोनों को स्कूल जाने के समय 5-5 रुपया देती है,

                उसमें से 5 रूपया भाड़ में जमा करेगे, 5 रूपया को दोनों भाई स्कूल ले जायेगे,

सोनु.........ये ठीक है,रोज 5 रूजमा करेगे तो बहन की शादी तक इतना रू हो जायेगा कि हम भी औरों की

               तरह धूम-धाम से शादी दे पायेगे,

मोनु......... मम्मी कम-से-कम 18 के बाद ही शादी होगा ना,

मम्मी ये सोचकर हंसती कि इतने छोटे है, पर बहन की कितनी चिंता है, और मैं यह सोचकर हंसती कि अभी मेरा जन्म नहीं हुआ और भैया शादी कराने कि सोच रहे है, इतना ही नही अपने ही मुहल्ले में एक 3 साल के लड़के को, जो देखने में राजकुमार के जैसा है, उसे मेरे लिए पसंद कर लिये है,

"कौन कहता है कि बेटियां बोझ होती है, यहां तो मेरे आने के स्वागत में, मेरे घरवाले आंखे बिछाये बैठे है, मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि मुझे प्यार करने वाले अपने, इतने प्यारे है"

एक दिन........................................

दादी की तबियत इतनी खराब हुई कि उन्हें अस्तपताल में भर्ती करना पड़ा, पापा भी बाहर रहते थे,दोनों भैया छोटे, मम्मी पर सारा भार पड़ गया, वो घर और अस्तपताल अकेली संभाल रही थी, डाक्टर ने मम्मी को खुद आराम करने की सलाह दी थी, पर वह आराम कैसे करती,

जल्दबाजी में सीटी से उतरते समय, उनका पैर फिसल जाता है और गिर जाती है, उन्हें भी अस्तपताल में भर्ती करना पड़ता है, नाना-नानी पापा को खबर करते है, पापा भी जल्दी आते है,

"इस घटना ने मुझको, मम्मी से हमेशा के लिए दूर कर दिया, मम्मी को जब पता चलता है कि उन्होंने अपनी बेटी खो दी, उनके आंसू रूकने के नाम नही, पापा, नाना-नानी, डाक्टर सभी समझा-समझा कर परेशान, उनकी आंखे आज भी मेरे लिए नम रहती है"

"काश"मेरा जन्म होता, तो मैं उनकी आंखों में अपने लिए इस प्यार को देख पाती,

                                                                     Written by

                                                                        Rita Gupta