"बेटियाँ" दिल के करीब होती है

"बेटियाँ" दिल के करीब होती है
बेटी अपनी मां की छाया होती है, सपना होती है, पहचान होती है, फिर भी ऐसी कौन सी मजबूरी होती है, जिसके कारण खुद मां अपनी गर्भ में पल रहे बेटी की हत्या कर रही है, हत्यारन मां खुद से कैसे नजर मिलाती होगी, मां के इजाजत के बिना, कोई भी डाक्टर, उसके गर्भ के शिशु को नष्ट नही कर सकता, ये बात और है कि मां ने इजाजत दी कैसे.......?
क्या उसे मजबूर किया गया या वो खुद नही चाहती कि वो' बेटी' की मां बनें, जब तक इस समस्या के जड़ तक नही जाया जायेगा, तब तक कोई भी अभियान, कोई भी कानून, किसी काम की नही,
"ये कहानी सर्वे के आधार पर लिख रही हूं"
इंदू एक घरेलू महिला है, शादी के 10 साल हो चुके है, वो 8 साल की प्यारी सी बेटी की मां है, घर में सास-ससुर, पति- वो और उसकी बेटी है, बेटा नही होने के कारण घर में, जब-तब इस बात पर चर्चा होते रहती है, सास को पोता देखकर मरना है, सौभाग्यवश इंदू फिर से मां बनने वाली है, घर में सब खुश है,
सास...... देखों बहू, इस बार लड़का ही होना चाहिए,
इंदू.......... मां जी, ये अपने हाथ में नही है, भगवान जिसे जो देते है, हमे उसका स्वागत करना चाहिए,
सास......... अपना भाषण अपने पास रखो, वो जो मिशन निकला है उससे पता लगा लो, बेटा है तो ठिक
है अगर बेटी है तो गर्भपात करा लो,
इंदू........ मां, आप ऐसे बोल रही है, ये पाप है, मुझे नही जानना कि मेरे गर्भ में बेटा या बेटी है जो होगा
मुझे मंजूर है,
सास........एक तो बेटी जनम कर, मेरे बेटे के ऊपर बोझ रख दी है, अगर फिर बेटी हुई तो, मेरे बेटे को
बाजार में बेचकर, अपनी बेटियों कि शादी करेगी,
इंदू........ मां जी, आज युग बदल गया है, बेटियां भी पढ़-लिखकर नौकरी कर रही है,
सास........ नौकरी करने से क्या होगा, कौन सा लड़कावाला है जिसे दहेज की भूख नही है, मैंने तुझसे
ज्यादा दुनियां देखी है, लड़की जितनी भी काबिल हो, दहेज तो लगता ही है, दिल से दो या
दो,मजबूरी से
इंदू........ मां जी,मैं सोनोग्राफी नही करना चाहती,
सास........ क्यों, मेरी बाते अभी भी समझ में नही आयी,
इंदू..........जो भी शिशु है,मैं उसे जन्म देना चाहती हूं,
सास......... मेरे बेटे को आने दे, सोनोग्राफी भी होगी,बेटी होने पर गर्भपात भी होगा, तुझे दिमाग नही,
'इंदू रो-रो कर परेशान है, अपने पति को समझा रही है, देखिए आप मां को समझाइये'
पति......... मां ठिक बोल रही है, तुम तो देख रही हो, जमाना कितना खराब है, मैं नौकरी करूगा या दोनों
बेटियोे का अंगरक्षक (bodyguard) बनुगा, एक बेटी है ना, अब एक बेटा ही चाहिए,
इंदू....... आप पढ़े-लिखे होकर भी, मां के जैसा बोल रहे है,
पति......... चलो मानते है, बेटा-बेटी अपने हाथ में नही है, फिर भी अगर बेटा नही है तो गर्भपात करने में
ही समझदारी है,
इंदू.......(बेटी को बचाने के लिए) ये जी, मेरी बहन को कोई संतान नही है, उससे बात करके देखती हूं
अगर वो तैयार हो जाय तो हम उसे अपना बच्चा दे सकते है,
पति....... जैसी तुम्हारी मर्जी,
'इंदू अपनी दीदी को फोन लगाती है'
इंदू.......... दीदी एक बात है, आप साथ दोगी,
दीदी........क्या बात है,
इंदू.......... मैं तीन महिने की गर्भवती हूं, सासुजी सोनोग्राफी करा कर पता लगाने बोल रही है, अगर गर्भ
का शिशु 'बेटी' हुई तो उसे नष्ट कराने की जिंद कर रही है और मेरे पतिदेव भी अपनी मां का
साथ दे रहे है, मैं खुद को इतना लाचार महसूस कर रही कि जीने की चाह नही रही,
दीदी....... इसमें मैं क्या कर सकती हूं, भगवान की लीला देखो, मेरे शादी को 25 साल हो गये पर आज
तक मां बनने का सौभाग्य प्राप्त नही हुआ, और एक तरफ आने वाले बच्चें की हत्या करने की
बात सोची जा रही है,
इंदू...... दीदी, मैं जानती हूं कि आपको बच्चों से बहुत प्यार है, आप मेरी बेटी को अपनी बेटी बना लेने का
वादा करो तो मैं उसे दुनियां में लाऊ, क्योंकि अगर मैंने बेटे को जन्म दिया तो वो मेरे सासुजी
का पोता होगा, अगर बेटी को जन्म दिया तो वो आपकी बेटी होगी,
दीदी....... मैं तुम्हारी सहायता नही कर सकती, क्योंकि तेरे जीजा जी को भी वंश का नाम करने वाला बेटा
ही चाहिए,
इंदू अपनी होने वाली' बेटी' की रक्षा के लिए सास, पति और दीदी सबसे मन्नत की पर किसी ने उसे नही समझा, अब कोई रास्ता नही है, कल सोनोग्राफी होगी और आने वाली बेटी की हत्या भी होगी,परेशान इंदू बिना खाये-पीये, रोते-रोते सो गई,
“दो रात से जगी इंदू की नींद, इतनी गहरी कि वो सपनों में खो गई"
गर्भ का शिशु........ मां, आज आपने खाना नही खाया, मुझे भूख लगी है,
मां..................... कौन, बोल रहा है,
गर्भ का शिशु........ आपकी बेटी, मां मुझे दुनियां देखना है, आपकी बांहो के झुले में झुलना है,
मां.................... बेटी, मेरी समझ में नही आ रहा कि मैं क्या करू, तुम में खुद को पाती हूं,
गर्भ का शिशु....... मां, मैं तो आपकी ही छाया हूं, आपकी पहचान बनना चाहती हूं, आपका हर सपना मैं
पूरा करूगी, आप डाक्टर बनना चाहती थी, मैं डाक्टर बनकर दिखाऊगी, आप मेरा
साथ दोगी ना 'मां'
मां.................रोये जा रही है,
गर्भ का शिशु....... मां, इतना रो क्यों रही हो, मैं आपको खुश देखना चाहती हूं, मां कहि आप मेरे कारण
तो दुःखी नही हो,
मां.............नही बेटी, मैं दुनियां और दुनियावालों के सोच से दुःखी हूं, मैं खुद किसी की बेटी हूं, अपने
साथ हुए भेद-भाव को भूल नही पाई हूं, आज फिर से वहि भेद-भाव तुम्हारे साथ होने वाला है,
गर्भ का शिशु....... मां, आप मेरी रक्षा को लेकर चिंता में हो, एक बार मुझे दुनियां में आने दो,मैं साबित
कर दुगी कि मैं भी किसी के बेटे से कम नहीं हूं,
मां............. बेटी, दुनियां और दुनियावालों से संघर्ष तो बाद में होगी, आज तो मैं तुम्हारी दादी और पापा
से ही हार गई,
गर्भ का शिशु....... मम्मी, पापा भी यहि चाहते है कि मै दुनियां न देखु, मां मुझे नहीं आना ऐसे घर में
जहां मेरा स्वागत नही, जब मेरे अपनों कि मेरी जरूरत नहीं, तो क्यों आना ,
मां.............. बेटी, मुझे माफ कर दो,
गर्भ का शिशु....... मां, आप माफी मत मांगों, क्या करूगी ऐसी स्वार्थी दुनियां में आकर जहां अपना
सबकुछ निछावर करके भी एक बेटी का कोई अस्तित्व नही होता, जिस तरह आज आप
मजबूर हो, कल मुझे भी ऐसी मजबूरी का सामना करना पड़े, मुझे नही आना ऐसी
दुनियां में, मां आप मुझे भूल जाना, मैं जा रही हूं हमेशा के लिए,,,,,,,,,,,,,
मां............... बेटी, मत जाओ, मत जाओ,,,,,,,,,
"पास में सो रहे, इंदू के पति ने उसे जोर से हिलाकर उठाते है और बोलते है.....क्या हुआ, किसको मत जाओ, मत जाओ, बोल रही थी"
इंदू............कुछ नही, शायद सपना था,
पति......... सुबह हो गया है, जल्दी से सब काम कर लो, डाक्टर के पास जाना है,
इंदू............ ठीक है,
"इंदू की सोनोग्राफी होती है, डाक्टर अवाक है, उसके पति को बुलाकर स्क्रीन पर दिखाते है कि ऐसा कुछ भी नही है, वो मां बनने वाली नही है"
डाक्टर............ आपको अच्छी तरह से याद है कि आप खुद को कितने दिनों कि गर्भवती मानती है,
इंदू.............हां डाक्टर, तीन महिनें दस दिन, से ज्यादा हो रहा है,
डाक्टर...........sorry, कारण क्या है, ये तो अभी पता नही चला पर सोनोग्राफी रिपोर्ट बता रही है कि आप
मां बनने वाली नही है, हो सकता है कि खून की कमी के कारण, आप ऐसी गलतफैमी का
शिकार हुई, मैं दवा लिख दे रहा हूं, आप बहुत कमजोर है, फिलहाल बच्चे के बारे में एक
साल तक न सोचे तो ही ठिक होगा,
"इंदू अपने इस सपने का जिक्र किस से करे और कौन करेगा विश्वास, कि आने वाली बेटी ने मां के दुःखो को देखते हुए, खुद को गर्भ से ही गायब कर लिया,' ऐसी होती है बेटियाँ 'जो अनजाने में भी अपने मम्मी-पापा को दुःख नही देती"
Written by
Rita Gupta