तन और मन (Mind & Body)

तन और मन (Mind & Body)
" तन और मन " दोनों जुड़वा भाई है, दोनों एक साथ रहते हुए भी हर-पल, एक-दूसरे से झगड़ते रहते है, झगड़ा का मूल कारण है अपनी-अपनी प्रभुता साबित करना, दोनों चाहकर भी एक-दूसरे से दूर नहीं हो सकते, क्योंकि इनका निवास स्थान एक ही इंसान मेंं होता है,
आप सोच नहीं सकते कि इनके आपस में ताल-मेल न होने के कारण हम इंसान कितने परेशान है, एक सच्ची घटना को कहानी का रूप देकर इनकी मनमानी को आपके सामने रख रही है,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
रमेश 22 साल का नवयुवक है, सुडौल शरीर, मनमोहक चेहरा है,( इसका श्रेय तन अपने को देता है) अच्छा स्वभाव और सुविचार वाला है, (इसका श्रेय मन अपने को देता है)
तन....... देखो, मेरे कारण राजेश को लोग कितना प्यार करते है,
मन........नहीं, मेरे कारण उसे लोगों का प्यार मिलता है,
तन........ मैं उसे स्वस्थ रखा हूं, तब वह लोगों के लिए कुछ कर पाता है और लोकप्रियता का पात्र बना है,
मन........ मैं उसमें परोपकारी भाव उत्पन्न करता हूं, तब वो कुछ भी करने में सक्षम होता है, सुना है क़ि
नहीं, मन के हारे हार, मन के जीते जीत,
तन........ तुम्हें अपने आप पर बहुत घमंड है, सिर्फ मन से क्या होता है अगर तन साथ ना दे तो, मैं क्या
हूं, ये तुझे दिखाना पड़ेगा, कल से मैं राजेश को धीरे-धीरे बीमार करूगा, फिर देखता हूं कि तू
उसकी लोकप्रियता को कैंसे कायम रखता है,
" इस तन-मन के युद्ध में बेचारा राजेश अनायास बीमार होता है, डाक्टर को भी समझ में नहीं आता कि उसे हुआ क्या है, मन बहुत कोशिश करता है, राजेश का मनोबल बना रहे, पर उसका तन धीरे-धीरे इतना कमजोर हो जाता है कि वो लोगों के दया का पात्र बन जाता है, इससे उसका मनोबल समाप्त हो जाता है "
तन...... क्यों, देख लिया मेरा ताकत, मैं बड़ा हूं, स्वस्थ तन में ही, सुंदर मन का निवास होता है,
" मन के पास अभी कहने को कुछ नहीं था, उसे अभी हार मानना ही सही लगता है, जब मौका मिलेगा तब वह भी अपना प्रभाव साबित कर देगा "
मन..... मैं हार मानता हूं, तुम बड़े हो, मैं छोटा.......
तन....... यहि सही है,
" राजेश का तबियत धीरे-धीरे ठिक होता है, वह पहले की तरह फिर से ताकत और मनोबल वाला हो जाता है, उसे देख अपने-पराये सब यहि कहते, बेटा हो तो राजेश जैसा, जितना अच्छा तन, उतना ही अच्छा मन, उसके शादी के लिए अच्छे-अच्छे रिश्ते आते है, सुडौल शरीर देखते ही, लड़की वालो को पसंद आ जाता है, एक अच्छी लड़की से रिश्ता लगभग तय हो जाता है "
तन...... देखा, मेरे कारण उसे अच्छी लड़की मिली,
मन...... इसमे मेरा भी हाथ है,
तन........ क्यों, तुने क्या किया,
मन........ मैंने उसके मन में प्यार की भावना जगाई,
तन........ अच्छा, नाम कमाने का बड़ा शौक है, ये सब मेरे कारण हो रहा है, मैं उसके तन-बदन में कुछ
परिवर्तन किये जिस अहसास से वो शादी को तैयार हुआ,
मन...... मैं मानता हूं कि तुझे देख लोग आकर्षित हो जाते है, मेरे सुन्दर होने से तुझ में और निखार आता
है, साधारण सा तन भी, सुन्दर मन के कारण मनमोहक लगता है,
तन...... हार ने के बाद भी, हार स्वीकार नहीं, मैं हमेशा राजेश का साथ दूंगा, अभी अच्छी लड़की मिली है,
आगे भी उसके जीवन में खुशियां ही होगी, स्वस्थ शरीर से, अच्छे वैवाहिक जीवन होगा,
बाल-बच्चे भी स्वस्थ होगे, उसका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता,
" एक तो मन, एक बार तन से हार चुका था, ऊपर से जब देखों हार का ताना सुनना पड़ता, गुस्सा से तिलमिलया मन, अपना प्रभाव दिखाने के लिए, कुछ भी करने को तैयार था, वह साबित करके रहेगा कि मन, तन से हर हाल में बड़ा है, एक समय था, वह राजेश की आत्मबल हुआ करता था, आज वहि मन, उसकी मानसिक अवस्था को बिगाड़ने में लगा है, राजेश को मानसिक तौर पर बीमार कर दिया, उसकी हरकते लोगों को चौका रही थी, वह शादी से इंकार करने लगा "
तन...... तू ऐसा क्यों कर रहा है, तेरे कारण वह मानसिक बीमार हो गया शादी से इंकार कर रहा है,
मन....... मैंने कुछ नहीं किया, तू तो उसके साथ है, क्या ले उसकी शादी,
तन....... तूने उसकी मानसिक अवस्था को बिगाड़ दिया,
मन...... क्यों,सुन्दर तन भी, कुछ-कुछ पागल जैसा लग रहा है ना,
तन...... ये शादी तो होकर रहेगी, एक बार शादी हो जाय, सब ठिक हो जायेगा,
मन...... देखते है, आगे-आगे क्या होता है,
“ राजेश के घर वाले परेशान,दो दिन के पहले, आर्शीवादी में सब-ठीक था,अब ऐसा क्यों, शादी से इंकार क्यों ? उसके मनपसंद लड़की से ही शादी की जा रही है, ऐसा लग रहा है कि किसी की नजर लग गई,हें भगवान सब ठीक कर दो 7 दिन बाद शादी है, ऐसे तो कोई बीमारी नहीं है, सब ठीक हैं, उसका व्यवहार पहले जैसा सामान्य नहीं लग रहा, हो सकता है, शादी के भीड़-भाड़ से कुछ बेचैंन हो, शादी के बाद सब ठीक हो जाएगा, किसी-किसी को शादी नाम से डर औैर संकोच होता है ”
घर वाले अनजान थे, राजेश का मन, मानसिक दबाव से पीड़ित है, उसे किसी मनोवैज्ञानिक डाक्टर की जरूरत है, सभी शादी के धूम-धाम में व्यस्थ है, शादी का शुभ दिन आ जाता है, राजेश के दोनों भाइयों को विषेश काम दिया जाता है कि वो अपने भाई का ख्याल रखें, उसे अकेला ना छोड़े,भगवान की कृपा से शादी का कार्यक्रम सही से सम्पूर्ण हो गया, दुल्हन ससुराल आ जाती है, दूसरे दिन "प्रीती भोज" होने वाली
प्रीतिभोज का कार्यक्रम हो रहा है, अपने-पराये सभी आये है, रात के 12 बज गये, दुल्हन को उसके कमरे में, उसकी ननदें ले जाती है, राजेश को उनकी भाभी, उन्हें उस कमरे में जाने को बोलती है, वह गुस्सा जाता है,भाभियों ने राजेश को, दुल्हन के कमरे में छोड़ आती है,
लगभग 5 मिनट बाद, उस कमरे से जोर-जोर से चिल्लाने और रोने की आवाज आती है, ऩ चाहते हुए भी घर के बड़े दौड़ते हुए उस कमरे में पहुंचते,देखते है कि दुल्हन खड़ी-खड़ी रो रही है, राजेश उसके पैरों मे गिरा माफी मांग रहा है,
राजेश......." मां " मां मुझे मांफ कर दों, मुुझ से बहुत बड़ी भूल हुई, आप तो देवी मां हो, हम सबकी मां हों,
आप माफ़ नहीं करोगी तों कौन करेगा, हम सब तों आपके बच्चे है,
“ ऐसा दृश्य देख कर सभी अवाक् रह जाते है, राजेश के पापा, उसे उठाकर अपने कमरे में ले जाते हैं, राजेश की मां, दुल्हन को अपने कमरे में ले जाती है," फूलों से सजी सुहाग की सेज को, दुल्हा-दुल्हन का इंतजार रह जाता है "
यह कहानी सच्ची घटना है, राजेश और कोई नहीं, मेरे पापा के दोस्त है, बीते वर्ष जब मैं मम्मी-पापा के साथ गांव गई थी, तब उन्हें पागल अवस्था में देखकर पापा के आंखों में पानी आ गया, मम्मी ने कहा.. किसी के जादू-टोने से ये सुहागरात के दिन ही, अपनी पत्नी को लाल जोड़े में देखकर, उसके कदमों में गिरकर माफी मांगने लगे,
मैं जादू- टोना नहीं मानती, मैं अपनी मम्मी के साथ उनके घर, उस दुल्हन को देखने गई, जो आज भी इंतजार कर रही है कि राजेश जी ठीक हो जायेगें,
मां और मैं जब उनके घर पहुंचे,,,,,,,,,,,,,,,,
मां......... ये चाची है,
मैं........( उनका पैर छूती हूं)
वो.......भाभी, ये आपकी बेटी है, बिल्कुल आप पर गई है,
मैं....... चाची, शादी को कितने साल हुए,
वो....... लगभग 50 साल हो गये, उन्होंने कभी भी मुझे अपनी बीबी की नजर नहीं देखा, मैं तो उनकी मां
बनकर रह गई,
“ उनकी आंखे हजार सवाल कर रही थी, जिसका जवाब किसी के पास नहीं, मुझे लगा ये सारी मनमानी तन और मन की है, इनके कारण एक शादी-शुदा जोड़ा शारिरिक सुख से वंचिंत रह गया,कहा जाता है- पहला सुख निरोगी काया, निरोगी काया के लिए न सिर्फ तन, बल्कि मन के भी स्वस्थ रहने की जरूरत है, साफ है ये दोनों एक-दूजे के पूरक हैं, मेडिकल साइंस यह सिद्ध कर चुका है कि तनाव या परेशानी का असर आपके फिजिकल फिटनेस पर भी पड़ता है इसीलिए कम्प्लीट हेल्थ के लिए एक्सरसाइज व योग के साथ ही मेडिटेशन या ध्यान का भी सुझाव दिया जाता है ”
Rita Gupta.