सिंदूर

सिंदूर

सिंदूर को नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है, यह शक्ति एक पत्नी को किसी भी मुश्किल घड़ी में अपने पति की रक्षा करने में मदद करती है,शादीशुदा महिलाओं की जिंदगी में सिंदूर की बहुत अहम अहमियत होती है, सिंदूर को हर सुहागन का गौरव कहा जाता है, ऐसा माना जाता है कि माथे का सिंदूर सुहागन स्त्री के सौभाग्य को हमेशा बनाए रखता है, एक तरफ किसी लड़की को सारे सिंगार कराया जाय और एक तरफ किसी लड़की के मांग में सिर्फ एक चुटकी सिंदूर हो, दोनों में से सिंदूर सारे सिंगार पर भारी साबित होगा,

पता है क्यों.........?  इस चुटकी भर सिंदूर पर किसी का नाम लिखा है,

ये सिंदूर भी सभी को राज नहीं आती, इसके लिए भी सौभाग्यशाली होना होता है,

अमित और सुमित दोनों बचपन के अच्छे दोस्त है, एक साथ शिक्षा ग्रहण किया, आज दोनों ही शादी-शुदा है, उनकी दोस्ती लोगों के लिए मिसाल है, अमित दो बेटों का पापा है जब की सुमित की एक प्यारी सीं बेटी है, दोनों परिवार आपस में मिलकर किसी भी उत्सव में मिला करते है, इन तीनों बच्चों में भी दोस्ताना है,

एक दिन सुमित का एक्सीडेंट हो जाता है, दोनों परिवार के साथ-साथ पड़ोसी सब भी अस्पताल पहुंचते है, चोट बहुत गहरा नहीं था, फिर भी पूरा चेकप हुआ, पता चला कि यह घटना दिल का दौरा पड़ने के कारण हुआ, यह इनका पहला अटैक था, अब सावधान रहने की जरूरत है,भारी काम और चिंता को भूल जाइए, इसमें चिंता आपको चिता की ओर ले जाएगा, खुश रहिए भगवान ने आपको दुबारा नया जीवन दिया, दवा समय पर लेते रहना होगा, बाकी सब ठीक है, कल आप घर जा सकते है,घर आने के बाद पहले से मानसिक और आर्थिक अवस्था पर असर तो पड़ता है, कोई भी बिमारी इंसान के अंदर ही होती है, जब-तब उससे अनजान है, तब- तक सब ठिक है, जैसे ही किसी बड़े बिमारी का नाम हमारे साथ जुड़ जाता है, फिर नींद कहा...................

यही हाल सुमित का होता है, लाख कोशिश के बाद भी वह खुद को पहले जैसा खुश नहीं रख पा रहा है, लगभग छः महीने बाद उसे दूसरा अटैक आता है, अस्पताल पहुंचते ही डाक्टर सब संभाल लेते है, दो दिनों तक ऑक्सीजन पर रहने के बाद कुछ आराम है,

अमित....... यार, तू परेशान क्यों रहता है, तुझे किस बात की चिंता है, हम सब है ना,

सुमित....... क्या बोलू, मेरी प्यारी बेटी, उसका कन्यादान करना, मेरी किस्मत में है या नहीं,

अमित....... सब ठिक होगा, तेरी चिंता करने से घरवाले परेशान हो जा रहे है,

सुमित.......मेरे नहीं रहने पर, उसके लिए अच्छा ससुराल कौन दुढ़ेगा, पता नहीं वो लोग कैसे होगे,

अमित....... तू ठिक हो जायेगा, और सब ठिक होगा,

सुमित....... बोलो ना दोस्त, क्या मैं कन्यादान कर पाऊंगा,

अमित.......मुझ पर भरोसा है ना, तेरी बेटी को मैं अपने घर की बहू बनाऊंगा,

सुमित...... तुम्हें नहीं पता बच्चे बड़े होने पर, मां-बाप की भी नहीं सुनते, कल को तुम्हारा बेटा, मेरी बेटी

              से शादी नहीं करना चाहा तो तुम जबरजस्ती नहीं कर सकते,

अमित...... ऐसा नहीं होगा, तुम्हारे दिल की खुशी के लिए हम अपने बच्चों की शादी इसी साल कर देते है,

               विदाई 5-7 साल बाद होगा,

सुमित...... अपने बेटे से तो पूछ ले,

अमित......15 साल का राहुल क्या बोलेगा, मैं जो कुछ कर रहा हूं, उससे वह सहमत होगा,

सुमित...... तो ठिक है,

"महिना दिन बाद 'शिवरात्री' के शुभ मुहरत पर दोनों दोस्त ने, दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का फैसला किया,15 साल का राहुल और 12 साल की मीरा का व्याह मंदिर में किया गया, भगवान से बढ़कर,कौन गवाह हो सकता है,नये जोड़े के लिए, कुछ अपने और पराये के बीच, दो नाबालिक को शादी जैसा बड़ा दायित्व पूर्ण रिस्ते में बांध दिया गया, विवाह का कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, सभी अपने-अपने घर को गये, दुल्हन अपने घर, दुल्हा बिना दुल्हन के अपने घर, वर-वधू दोनो को अपनी पढ़ाई पूरी करनी है ”

दिन बीतते है, मीरा दसवीं पास कर मां के साथ घर के काम-काज में उनका हाथ बंटाती और बीमार पापा की देखभाल करती, उधर राहुन 12 की पढ़ाई के बाद, नौकरी की तैयारी मे पटना जाता है, इन दोनों की शादी हुए 6 साल हो गये, दोनों बड़े भी हो गये है, सालभर बाद राहुल को रेलवे में नौकरी लग जाती है,

एक दिन फोन पर………………………………………………………

सुमित........ दोस्त, मां-बाप का दिल कभी भी, बेटी को विदा करने को नहीं करता, इनकी शादी को 7

                 साल होने जा रहे है, अपनी बहू को विदा कर ले जाओ,

अमित....... हां, देखते है राहुल से बात कर के वो कब छुट्टी लेकर आता है, फिर मैं बोलूगा,

सुमित........ गवना का शुभ दिन बड़ी मुश्किल से मिलता है,

अमित........तुम अपना ख्याल रखना, मैं कुछ करता हूं,

“छः माह बित जाते है पर अमित के तरफ से कोई खबर नहीं गया, सुमित को भी झिझक सी आ रही थी कि अपनी बहू को ले जाओ क्योंकि मीरा उसकी बेटी है, बेटी को भेजने की बात खुद बोलना अच्छा नहीं लगता, ये तो अमित को सोचना चाहिए कि जब राहुल की नौकारी किये हुए, एक साल से ऊपर हो रहा है, बहू को ले आए,अमित के जवाब के इंतजार में छः माह और बीत गए ”

सुमित को ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई बात तो है जो अमित खुलकर नहीं बोल पा रहा है, मुझसे पहले की तरह बात नहीं करता, मुझे वहाँ जाकर सच का पता लगाना चाहिए,

जब सुमित अपने दोस्त के घर पहुंचता है, वहां उसके छोटे बेटे राज से मुलाकात होती है,,,,,,,,,,,,,,,

राज....... नमस्ते चाचा जी, बैठिए,

सुमित..... पापा कहां है,

राज...... पापा तो राहुल भैया के पास गये है,

सुमित..... अच्छी बात है, बोलता तो मैं भी साथ चलता,

राज...... चाचाजी, मीरा कैसी है,

सुमित..... तुम्हारी भाभी, ठीक है,

राज....... एक सच है जो पापा आपसे छिपा रहे है,

सुमित...... क्या बात है, तुम बोलों

राज........ भैया के ऑफिस में एक लड़की काम करती है, दो महीना पहले भैया उससे कोर्ट में शादी कर

              लिए, पापा बहुत परेशान है, जब भैया ने पापा को बताया कि वह उससे प्यार करते है, पापा

             बहुत समझाए, गुस्सा भी किए, पर वो अपनी जिद किए, मम्मी-पापा उसी से मिलने गये है,

             वह उसे बहू मामना हो पड़ेगा,

“सच जानने के बाद सुमित जी खामोश, किसी तरह टैक्सी कर अपने घर आते है, घर पहुंचते ही खुद को रोक नहीं पाये, बेटी को गले लगाकर जी भरकर रोते है, मीरा की मम्मी और मीरा उन्हें बहुत संभालते है पर उनके आंसू रुकने के नाम नहीं, तबियत इतनी खराब हुई कि फिर से अस्पताल ले जाना पड़ा,अमित को पता चलता है तो वो सीधे अस्पताल पहुंचते है, अपने दोस्त के कदमों में गिरकर माफी मांगते है ”

अमित...... जो गलती, मेरे बेटे ने की है उसके लिए मैं माफी मांगता हूं, बेटी मुझे माफ कर दे,

मीरा........(अमित जी का हाथ पकड़ लेती है) चाचा जी ,गलती ना आपकी है, ना राहुल की, गलती तो

             पापा की है जो अपने बेटी के प्यार में इतना अंधा हो चुके थे कि " सिंदूर " भी दया के रूप में बेटी

            के लिए खरीदा, दोष तो मेरी किस्मत का भी है, मुझे राहुल के नाम का सिंदूर तो मिला मगर

            उसका प्यार मेरे नसीब में नहीं है, चाचा जी आप दुःखी ना हो, मैं अपने पापा का देख-भाल कर

            लूगी, आज तक आपने दोस्ती निभाई, इसके लिए हम सब आपके शुक्रगुजार है,

अमित....... बेटी, राहुल ऐसा करेगा, मुझे पता नहीं था, तुम मेरे घर की बहू हो, तुम्हारी शादी अपने छोटे

               बेटे राज से कराऊंगा,

मीरा......... एक गलती के बाद, दूसरी गलती, आपके बेटे आपकी सम्पती नहीं है, जो आप अपनी मर्जी

             लागू कर देते है, मैं किसी और के नाम का सिंदूर दुबारा नहीं लगा सकती, मेरी इन आंखो ने 12

            साल की उम्र से राहुल को अपना पति माना है, मैं सिर्फ उनसे प्यार करती हूं, उनके दिल में मेरे

           लिए क्या है नहीं जानना,

“ प्यार का एहसास, इतना प्यारा होता है कि जीने के लिए और कुछ नहीं चाहिए, मैं आज भी अपने मम्मी-पापा की वहि छोटी सी गुडि़यां हूं, जो आज से 10 साल पहले थी, मुझे किसी और के सहारे कि जरूरत नहीं ”

                                                                                                                                                          Rita Gupta.