रिश्ता

रिश्ता

क्या रिश्तों में गांठ पड़ जाने से, किसी जोड़े की जिंदगी फिर से पहले के समान खुशहाल हो सकती है, आइए देखते है, इस सच्ची कहानी के माध्यम से……………………...

हर एक रिश्ता जितना मजबूत होता है, उतना ही कमजोर, कुछ रिश्तों को हम अपनों के नाम से जानते है, जैसे भाई-बहन, मम्मी-पापा, इत्यादी, कुछ रिश्ते हमे बनाने पड़ते है...... प्यार का रिश्ता, सम्मान का रिश्ता, जो दिल से जुड़े होते है, ये रिश्ते खून के रिश्ते से भी ज्यादा मजबूत होते है,

आज भी हमारे समाज में दो अजनबी को शादी नाम के गठबंधन में बांधकर, पूरी जिंदगी साथ निभाने और खुश रहने की दुआ देते है, सच में ये किसी चमत्कार से कम नहीं होता, गांठ से बंधे रिश्ते में, शक का दिमक, इसे इतना कमजोर कर देता है कि धागा टुटने के कगार पर आ जाता है, किसी एक जगह से ये इतना कमजोर हो जाता है कि हवा का एक झोका इस रिश्ते नाम के धागे को तोड़, दो जिंदगी को बर्बाद कर दे, समझदार जोड़े इस कमजोर जगह पर एक मजबूत गांठ बांध, अपने रिश्ते को बनाये रखते है,रिश्ते में गांठ बहुत दर्द देता है,

रवि की शादी रीमा से होती है, दोनों ही इतने कम उम्र में शादी के गठबंधन में बंधते है कि ये दोनों ही प्यार के अहसास से अनछुए थे, शादी के बाद ही दोनों एक दूसरे को समझते-समझते प्यार की सही परिभाषा को समझ पाते है,17-18 साल की उम्र, इन दोनों के पति-पत्नी के रिश्ते को इतना मजबूत बना दिया, कि लोग इनकी जोड़ी की मिशाल देते है,आपस में इतना प्यार कि एक-दूसरे की आंखों की भाषा समझते है, बिन कहे एक-दूसरे की दिल की बाते पढ़ लेते है, इतना प्यार की लोग बुरी नजर से बचने की दुआ देते, देखते ही देखते इनकी जोड़ी अपने-परायो में मशहूर हो गई, सभी यही कहते जोड़ी हो तो ऐसी, बहुत को तो लगता कि इन्होंने Love marriage की है,

देखते ही देखते शादी के 5 साल बितते है, रीमा दो राजकुमारों की मां बनती है, बड़ा बेटा 3 साल का छोटा बेटा गोद में, उसी साल रीमा के बड़े पापा के बेटे ( रीमा के भाई) की शादी लग जाती है,उसके सास-ससुर छोटे बच्चों को लेकर शादी घर जाने नहीं दिया, शादी घर जाने के लिए दो दिन का लम्बा रास्ता तय करना था, इसलिए रीमा शादी में नहीं जाती है, रवि जी को उनके ससुराल अपने साथ लेकर जाते है,

10 दिनों का लम्बी जुदाई आती है रवि और रीमा के बीच, रीमा अपने बच्चों और सास-ससुर के साथ अपने ससुराल में और रवि अपने साला- साली और सास-ससुराल के मौहाल में मस्त, रीमा मां और बहू होने का फर्ज अदा कर रही थी, रवि जी सारे फर्ज और जिम्मेदारी से आजाद, मेहमानों के बीच मस्ती भरी दिन बिताते है,10 दिनों कि दूरी इन दोनों को, एक-दूसरे से दूर करने की साजिश में लगा था,

इन दिनों रवि अपनी साली अनु की ओर आकर्षित होते है, उन्हें एक-दूसरे के करीब आने और दिल की बाते करने का मौका मिला, रीमा और रवि की जिंदगी में 'अनु' नाम का दिमक रिश्ते की डोर को कमजोर करना शुरू कर दिया था,इन सब बातों से अनजान रीमा, बहू और मां का फर्ज निभा रही थी,

शादी घर से आने के बाद भी, वह रवि में आये हुये परिवर्तन पर विशेष ध्यान नहीं दिया, कम उम्र की रीमा अपने घर के काम को करते-करते थक जाती तो रवि कहते..... अपनी बहन को बुला लो, वो बच्चों को देख लिया करेंगी, उसे भी सही लगा, रीमा अपनी बहन अनु को कुछ दिनों के लिंए अपने यहां बुला लेती है,

इसी बहाने अनु और रवि ( साली, जीजा ) का मिलना शुरू हो जाता है, अनु का रीमा के घर आने और रहने का सिलसिला चालू हो जाता है, भोली सी रीमा के भोलेपन का फायदा, उसके पति और बहन उठा रहे थे, लोग कहते है ना, सौ दिनों की चोरी, एक दिन तो जरूर पकड़ी जाती है, वहि हुआ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

एक रात जब रीमा की नींद खुली, वो देखती है कि रवि जी विस्तर पर नहीं है, वह कमरे से बाहर आती है तो, रवि और अनु को गले मिलते हुए देख लेती है, अनु की नजर अपनी बहन से मिल जाती है, वह झट से रवि जी से दूर हो जाती है, रीमा अनजान बनते हुए अपने बिस्तर पर जा कर सो जाती है,

दूसरे दिन अनु अपने घर चली जाती है, रवि जी रीमा को समझाने की कोशिश करते है कि जो तुमने देखा, ऐसा कुछ नही है, बस जीजा होने के नाते उसे गले लगाया, तुम कुछ बोलती क्यों नही, इस तरह रोते मत जाओ, हंसती-खेलती रीमा ऐसे खामोश रहने लगी, मानों उसमें जान नहीं, वह पत्थर की चलती-फिरती मूरत बन गयी, सारा दिन काम करती, सब से छिपाकर रोया करती, रात को पति-पत्नी एक ही विस्तर पर होते हुए, एक-दूसरे से कोसों दूर थे,रवि, रीमा को छूते तो उसका रोना और जोर हो जाता, मानो उनके छूने से उसके बदन में कांटे चुभ रहे हो,

रवि....... तुम्हारी ये बेरूखी मुझे जीने नहीं देगी, तुम सौ गाली दे दो, पर जुबा से कुछ तो बोलो,

रीमा...... बोलने को कुछ नहीं रहा, आपको जो करना है करो, सिर्फ मुझे छूना नहीं,

रवि....... मुझे माफ कर दो, मैं बहक गया था,

रीमा...... दो दिन पहले, मैं रंगेहाथ पकड़ ली, आप दोनों की रासलीला कब से चल रहा है, ये बताने की

            कृपा करेगें,

रवि........ जब मैं तुम्हारे भाई के शादी में गया था, मुझे पता नहीं चला कि मैं कब उसके तरफ आकर्षित

            होते गया,

रीमा....... यानि छः महिने से आप मुझसे बेवफाई कर रहे है, और मैं आपको पति परमेश्वर मान रही हूं,

रवि...... अब से ऐसा कुछ नहीं होगा,

रीमा..... मुझे आपसे ज्यादा, अपने बहन अनु से नफरत है, आप तो मुझसे 5 साल से जुड़े है, बहन से तो

            जन्मों का नाता है, हमारा खून का रिश्ता है, बचपन से उसके खुशी के लिए, मैंने अपने खुशियों

             का बलिदान दिया है, उसने एक बार भी नहीं सोचा कि वह क्या कर रही है, बहन का विश्वास

            और दिल तोड़ने का गुनाह किया है, मैं उससे नफरत करती हूं,

रवि...... देखो, उसे गलत मत समझो, वह बहुत अच्छी है, वह कहती है कि आप दीदी को उतना ही प्यार

           करना जितना पहले करते थे, वह हम दोनों को अलग करना नहीं चाहती,

रीमा........वाह रे, मेरे पतिदेव, उसके सिफारिश पर, आप मुझे प्यार करोगे, वह बोलेगी कि आप मुझे

          प्यार करो, अब आप दोनों कि कृपा से मुझे' प्यार ' भीख में मिलेगा, यहि दिन देखना बाकी था,

रवि....... मैं तुम्हारे बिना नहीं जी सकता, माफी तो वरना मौत,

रीमा...... आपने छूने से कांटे चुभते है, याद आ जाता है कि इन्हीं हाथों से उसे छूआ होगा,

रवि......... तुम्हारी ऐसी नफरत लेकर जीने से अच्छा है, मर जाना ( गुस्सा से हाथ की नस काट लेते है)

रीमा.....( जल्दी से रूई, डेटल और कपड़ा लाती और मरहम पट्टी करती है) ये क्या किया आपने,

रवि...... रीमा को गले लगाकर,Plz...... रीमा, माफ कर दो, अब कभी ऐसा नहीं होगा,

“रीमा के पास माफ करने के सिवा कोई रास्ता नहीं, धीरे-धीरे हालात संभलते है, वह अपने मन को बहुत समझाती है, जो हुआ उसे भूलकर जिंदगी को फिर से खुशहाल करे, उसकी कोशिश रंग लाती है, हालात ठिक हो जाते है”

2-3 साल बाद, एक दिन........................

रवि का दोस्त........ भाभी नमस्ते, आप अकेले बाजार आई है,

रीमा......... जी, वो गांव गये है,

रवि का दोस्त...... आपकी तबियत, अब कैसी है,

रीमा......... ठीक हूं,

रवि का दोस्त...... 7 दिन पहले, रवि भैया से मिला था, मैं भी परिवार के साथ फिल्म देखने गया था, वो

              भी आपकी बहन के साथ थे, बात करने पर पता चला कि, अचानक आपकी तबियत खराब

              होने से आप घर पर रूक गई, टिकट कट चुका था, इसलिए आपने अपनी बहन को जाने दिया,

रीमा......... जी याद आया, क्या करती, पेट में दर्द शुरू हो गया था, इसलिए........

रवि का दोस्त....... ठीक है भाभी चलता हूं, किसी दिन हमारे घर भैया के साथ आये,

रीमा......... कोशिश करूगी,

" रीमा उसकी बातों से बेचैन हो जाती है, उसके जख्म फिर से हरे हो जाते है, रवि जी से पूछे तो कैसे पूछे, वह तो पहले मूकर जायेगे, फिर से गढ़े मुर्दें उखाड़े से क्या होगा, क्या वो अब भी अनु से छुप-छुप के मिलते है या उनका दोस्त झूठ बोल रहा था, सच क्या है, यह जानना भी जरूरी है, मगर कैसे,,,,,,,

रीमा.......(उसी फिल्म का गाना गुनगुनाते) ये जी इस गाना पर संजय दत्त कितना अच्छा ड्रांस किया है,

रवि....... नहीं, इस गाना में संजय दत्त नहीं है, संजय कपूर और माधुरी दिक्षित का ड्रांस है,

रीमा....... खामोशी से रवि की ओर देखती है, आपको कैसे पता,

रवि....... मैंने फिल्म देखी है,

रीमा...... मैं तो नहीं देखी, आप किसके साथ गये थे, आपका दोस्त भी उस दिन अपने परिवार के साथ

            गया था, फिर से रासलिला शुरू,

रवि...... मैं क्या करता, अनु फोन करके बोली कि उसे ये फिल्म देखनी है, मैं मना नहीं कर सका, तुमको

           भी साथ ले आने बोली थी, पर तुम तो बच्चों में लगी रहती हो, इसलिए

रीमा...... ये बच्चे सिर्फ मेरे है,

रवि..... नहीं, मेरे भी,

रीमा...... तो आप आजाद हो और मैं कैंद क्यों ?

रवि....... तुम तो राईं को प़हाड़ बना देती हो, तुम्हारे लिए मैनें उसे छोड़ दिया, कभी-कभी मिल लेता हूं,

           प्यार तो तुमसे ही करता हूं,

रीमा..... प्यार शब्द का नाम ना लो, आप मुझसे नहीं, अपने बच्चों की मां से प्यार करते होगें, अगर

            घरवालों को ये सब पता चला तो क्या इज्जत रहेगी,

रवि....... कौन बताएगा, मैं और अनु तो खामोश रहेंगे, तुम तो बोलेगी नहीं, तुम्हें तो हमारे प्यार पर गर्वं

            है, बोली तो लोग तुम पर ही हंसेगे, पति को समय नहीं देती होगी, बेचारा पति क्या करे, तुम्हें

             अपना मान-सम्मान जान से ज्यादा प्यार है, ये मैं अच्छी तरह जानता हूं, मैं तो ऐसा ही हूं,

              साथ रहना है या तलाक चाहिए,

रीमा........( खामोश)

"उस रात गुस्सा से फर्श पर बिस्तर डाल सोने की कोशिश करती है, रवि जी बच्चों के साथ पलंग पर सो जाते है, रीमा के आंखों के आंसू रुकने का नाम नहीं, गुस्सा से अपने हाथ का नस काटने को सोच रही है, कभी चाकू कलाई पर तो कभी नीचे, जीना है या मरना है, इस उधेड़-बुन में लगी है, इसी बीच रोते-रोते आंख लग जाती है"

नींद में................................

आत्मा......... बेटी, इतना क्यों रो रही हो,

रीमा.......... मुझसे ,कोई प्यार नहीं करता, सभी स्वार्थी है,

आत्मा......... बेटी,मैं तुम्हे प्यार करता हूं और सदा करता रहूंगा,

रीमा......... आप कौन हो,

आत्मा......... मैं आत्मा हूं, तुम्हारा अपना, हमेशा तुम्हारे साथ हूं, तुम्हें किसका प्यार चाहिए,

रीमा......... पति जी का,

आत्मा........ इस नश्वर शरीर के प्यार के लिए रो रही हो, जो अस्थाई है, मात्र एक कठपुतला है,

रीमा....... मैं उन्हें बहुत प्यार करती हूं,

आत्मा...... झूठ, जो खुद को प्यार नहीं करता, वो किसी और को क्या प्यार करेगा,

रीमा....... मैं समझी नहीं,

आत्मा...... खुद से प्यार होता तो, आज चाकू कलाई पर नहीं रखती,

रीमा....... मैं उनके बिना नहीं जी सकती, वो किसी और को चाहे, ये मुझसे सहन नहीं होगा,

आत्मा...... इस माया-जाल से बाहर निकलों, तुम्हें बहुत बड़ा दायित्व दिया गया है, तुम उससे मुंह नहीं

               मोड़ सकती,

रीमा...... क्या करना है,

आत्मा...... तुम " मां " हो, मां का अर्थ समझ में आता है, मां यानि धरती मां, कभी देखा है धरती मां को

             किसी के सामने रोते हुए, नहीं ना, तुम भी नहीं रोना, खुद को पहचानों, तुम मेरा अंश हो, तुम

             में भी असीम क्षमता है, अपने कर्तव्यों को पूरा करो, तुम्हारे जीवन की किताब की कहानी

             लिखी जा रही है, मात्र 24 साल की उम्र में तुम हार नहीं मान सकती,इस किताब के सारे पन्ने

              अभी कोरे है, तुम इन कोरे पन्नों पर आनंद और सच्चाई से, अनुभव की कलम से आगे की

           कहानी लिखो, इस जीवन रूपी किताब की तुम लेखिका हो, इसका सुखद अंत भी तुम्हें देनी है, मैं

            हर- पल तुम्हारे साथ हो,

“अचानक 5 बजे की घंटी से रीमा की नींद खुल जाती है,

रीमा और आत्मा के वार्तालाप ने ,रीमा की जिंदगी का रुख बदल दिया, जीने का मकसद मिल गया, तेरा-मेरा, अपना-पराया, से परे भी जीवन है, जो सीधे आत्मा के सत्यता को दर्शन करता है, अब बड़ा-से- बड़ा दुःख भी उसे विचलित नहीं करता, ये है," आज की रीमा "

                                                                                            Rita Gupta.