Friendship is greater than Relationship

Friendship is greater than Relationship

गांव के अंतिम छोर और जंगल के आरम्भ, मोड़ पर एक छोटा सा 10-12 का कमरा, इस तरह स्थित है मानो वह गांव और जंगल का सीमा रेखा निर्धारित कर रहा हो, कमरा टाली और बाँस का बना, दो खिड़की और एक दरवाजा लिए हुए है,

आज तक किसी ने उस दरवाजे पर ताला लगा हुआ नहीं देखा है, उस कमरे का मालिक 40 बर्ष के सुशील जी है, जो दिन-भर गांव के स्कूल में पढ़ाने का काम करते और रात होने पर अपने बसेरा ( कमरा) में विश्राम करते, वह कमरा 20 बर्षिय मोहित का भी बसेरा है, अपना बोलने के लिए कोई नहीं, बचपन में ही मां-बाप ने उसे अपना नाम नहीं दिया, गांव वाले उसे लावारिश के नाम से जानते है,

मोहित, सुशील जी के साथ ही उस कमरे में रहता है, दोनों ने अपने उस कमरे को "Happy Home" का नाम दिया है, दिन-भर दुनियाँ के ताने और थकान से परेशान उन्हें अपने इस छोटे से कमरे में स्वर्ग का सुख अनुभव होता है,

एक शाम की बात……………………………………………………….

सुशील जी काम करके अपने घर आते है तो पाते है कि दरवाजा अंदर से बंद है, वह चिंतित होते है कि मोहित अंदर से दरवाजा बंद करके क्यों सो रहा है, वह दरवाजा खटखटा कर वही उसके खोलने के इंतजार में बैठ जाते है, पर अंदर से कोई आवाज नहीं आती, वह सोचते है शायद उसे नींद आ गई होगी,एक बार फिर दरवाजा खटखटाते है और वही बैठ जाते है, थोड़ी देर बाद देखते है कि मोहित गांव की ओर से चला आ रहा है, सुशील जी उसे अवाक होकर देखते है,

मोहित....... आप बाहर बैठे है,

सुशील....... तुम अभी आ रहे हो,

मोहित...... हां, क्या हुआ,

सुशील...... तो अंदर कौन है, दरवाजा अंदर से बंद है,

दोनों एक-दूसरे को अवाक से देखते है कि हम दोनों के सिवा यहाँ तीसरा कौन है जो अंदर से दरवाजा बंद कर सकता है, थोड़ी देर बाद उनकी प्यारी सी बिल्ली भी आ जाती है जिसका निवास स्थान Happy Home ही है,उस कमरे के तीनों निवासी ( सुशील,मोहित और बिल्ली ) बाहर है तो ये चौथा अजनबी कौन है जो अंदर है और दरवाजा बंद कर खामोश है, दरवाजा खोल भी नहीं रहा, अंत मे तीनों को उस रात घर के बाहर ही सोना पड़ा,सुबह होते ही जैसे दरवाजा खुला बिल्ली म्याऊं-म्याऊं चिल्लाने लगी, वो दोनों भी जाग जाते है, दरवाजा खुला देख तीनों अंदर की ओर जाते है, उन्होंने जो देखा, उसे देखकर वह अवाक रह गये,

सफेद साड़ी पहले एक 30 वर्ष की खूबसूरत सी महिला, जो शायद 5 माह की गर्भवती थी, दृश्य ऐसा होता है कि एक छोटे से 10-12 के कमरे में चार जन सुशील,मोहित, बिल्ली और वह महिला, खामोशी से एक-दूसरे को देख रहे है, महिला की आंखे रोते-रोते लाल हुई है,

ये तीनों Happy Home के बाहर ठंड से नहीं सो पाये और महिला भी अंदर होते हुए भी सारी रात जाग कर बिताती है, खामोशी तोड़ते हुई बिल्ली म्याऊं-म्याऊं करती हुई ,फिर से गांव की ओर अपने जुगाड़ में चली गई,

सुशील....... आप कौन हो ?

महिला...... मैं दूसरे गांव की बहू हूं,

मोहित...... यहां कैसे ?

महिला...... भागते-भागते यहां आकर छिप गई,

सुशील...... किसके डर से भाग रही है?

महिला....... जी,

मोहित....... बोलिए, कोई बदमाश है, तो हम सब आपके ससुराल छोड़ आयेगे,

महिला....... (रोने लगी)

सुशील....... आप रोये ना, आपने कल से कुछ खाया नहीं होगा, पहले आप कुछ खा लो,

( मोहित बिस्कुट और पानी खाने को देता है, वह रोते-रोते खा रही थी)

मोहित....... आपका नाम क्या है ?

महिला...... अनु,

मोहित...... मैं आपको अनु जी बोल सकता हूं,

महिला...... जी,

मोहित....... अनुजी, आपको किससे डर लगता है, कौन है, जिसके डर से आप यहां छिपी है,

अनु........ मैं वहां नहीं जाऊंगी, वह लोग मेरे होने वाले बेटी को मार डालेगे,

सुशील..... कौन लोग है, जो इतने कठोर दिलवाले है,

अनु...... मेरे ससुराल वाले,

सुशील....... क्या ?

मोहित..... क्यों ?

अनु...... मेरे पति की, दो महीने पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो गई, उनके बड़े भैया-भाभी की तीन बेटियाँ

           है, मेरे सास-ससुर मेरा सोनोंग्राफी कराकर पता कर लिए कि मेरे गर्भ का शिशु बेटा है या बेटी,

            जब उन्हें पता चल गया कि मैं बेटी को जन्म देने वाली हूं, उन्होंने इसे गर्भ में ही मार देने की हर

           एक कोशिश शुरू कर दिये, उनका कहना है कि ये मनहूस है जन्म लेने के पहले अपने बाप को

           खा गई, इसे किसके भरोसे दुनियां में ला रही हूं, इसका मरना ही सही है, आप ही बोलो... बेटी हो

            या बेटा, मेरे लिए दोनों समान है, मैं अपने गर्भ के शिशु की हत्या नहीं कर सकती, उनकी बात

           नहीं मानी तो उन्होंने मुझे ही मार डालने की कोशिश की,

मोहित....... वो कैसे ?

अनु........ कल दोपहर मैं सो रही थी, उन्होंने मेरे पलंग पर मिट्टी का तेल, डालकर आग दी, बड़ी मुश्किल

            से जान बचाकर भाग पाई, भागते-भागते गांव से ही बाहर भाग आयी, यह घर खुला देखी तो

            यही छिप जाना उचित लगा, डर से दरवाजा- खिड़की बंद कर ली, मेरे कारण आप लोगों को

            तकलिफ हुई,

सुशील..... आप रोये नहीं,

मोहित..... हम आपको आप के मायके छोड़ आयेगे,

अनु........ नही, मैं वहाँ नहीं जा सकती, मेरे पापा नहीं है, मम्मी का कहना कि शादी के बाद लड़की का

              जीना-मरना ससुराल में ही है, ससुराल से तिरस्कार की लड़की के लिए सामाज में कहीं जगह

             नहीं, वो मुझे अपने पास नहीं रखेगी, मैं आत्महत्या भी नहीं कर सकती, ये मेरी जान मेरी नहीं,

              मेरी होने वाली गुडियां की है, इतनी बड़ी दुनियां में मेरे लिए कोई जगह नहीं,(रोने लगती है)

सुशील...... आप यहां रह सकती, अगर आप की मर्जी हो,

अनु........ आप दोनो भाई बहुत अच्छे है,

मोहित...... अनु जी, हम दोनों भाई नहीं है पर भाई से बढ़कर है, हम दोस्त है,

सुशील....... अनु जी, मैं 40 वर्ष का हूं पर शादी नही की, कभी दिल ही नहीं किया,

मोहित....... अनु जी, मैं 20 वर्ष का हूं और कभी शादी नहीं करूंगा,

अनु......... मैं क्या बोली,30 वर्ष में ही शादी के सुख-दुःख से दिल टुट गया,आप दोनों मुझे भी अपना

              दोस्त बना ले,

सुशील...... अनु जी, सबसे पहले दुनिया के " नौ-छौ (कूटनीति) "  से तंग आकर गांव के बाहर यहां अपने

               लिए एक कमरा बनाया, यह प्यारी सी बिल्ली मेरी दोस्त बनी, फिर दोस्ती की राह पर मोहित

               संग मिल गया, अब तक हम तीनों दोस्त थे, आज से आप भी हमारी दोस्त है,

अनु...... आप लोगों का यह एहसान मैं कभी नहीं भूलूगी,

सुशील..... अनु जी आप दिन-भर यहां आराम से रहिए, यहां कोई नहीं आता, हम दोनों भी गांव में काम

             करने जाते है, शाम को आयेगे, आपके लिए खाना दे जाते है, ऐसे तो हमारे Happy Home का

              दरवाजा हमेशा खुला रहता है, मगर आप बंद करके रहना, पास में थोड़ी दूर से जंगल शुरू हो

              जाता है,

"अनु के लिए उन्होंने कुछ खाना लाकर दिया, फिर अपने-अपने काम पर चले गये, अनु पूरा दिन उस कमरे में अकेले रहती है, कुछ अच्छे-बुरे यादों में खोई रहती है,शाम के बाद तीनों दोस्त बारी-बारी से घर लौट आते है, अनु के लिए खाना लाते है, अनु के खाना खाने के बाद अब सोने की बारी,10-12 के कमरे में,10-8 का पटरा जोड़-जोड़कर सोने योग्य बनाया गया अनोखा पलंग है”

अनु....... आप सब पलंग पर सो जाओ, मैं नीचे सो जाती हूं,

सुशील...... नही, आप सब पलंग पर सो जाओ, मैं नीचे सो जाता हूं,

मोहित....... नहीं, मैं नीचे सो जाता हूं,

बिल्ली....... पहले ही नीचे जाकर सो जाती है,

"सबके त्याग की भावना से, साफ झलकता है कि दोस्ती कितनी गहरी है, कोई किसी को कष्ट देना नहीं चाहता, अंत में फैसला होता है कि सब उस पलंग पर ही सो जाएगे, दिवार की तरफ अनु सोती है फिर बिल्ली, फिर मोहित, फिर सुशील, आपस में बात करते-करते उन्हें नींद आ जाती है"

दूसरे दिन सुबह ......................

अनु........ आप सब बाहर खाना न खाये, खर्च ज्यादा होता है, और मेरे लिए भी खर्च करते है, मैं जब-तक

              हूं खाना बना दिया करुगी, आप चावल और सब्जी लेकर आये,

सुशील....... बाजार से सामान लेकर आते है,

मोहित और अनु मिलकर खाना बना लेते है, सुशील और मोहित खाना खाकर अपने काम पर चले जाते है, बाकी का काम अनु धीरे-धीरे करती है, उसका भी समय कटता है, रात का भी खाना घर पर ही बनता है, अब जाकर यह घर सही माने में Happy Home लगता है,

दिन बीतते जाता है, लगभग दो महीने बाद, अनु 7 माह की गर्भवती हो जाती है, मोहित अपने साथ उसे डाक्टर के पास ले जाता है, डाक्टर 'चेकअप' करता है और कुछ विटामिन लिख देता और महीने दिन बाद बुलाता है, उन्होंने अनु के लिए विटामिन लाया, दोस्तों से बना ये परिवार, एक खुशहाल परिवार की तरह एक-दूसरे को समझते हुए, अच्छी जिंदगी जी रहे है,

एक महीना और बीत जाता है, अनु को फिर डाक्टर के पास जाना होता है, रविवार का दिन था, मोहित को काम से बाहर जाना पड़ा, सुशील जी के स्कूल का छुट्टी है, वो अपने साथ अनु को लेकर डाक्टर के पास जाते है, वही उनकी मुलाकात गांव की एक महिला से हो जाता है,

महिला....... मास्टर जी, आप यहां...............

सुशील........ जी, इन्हें लेकर आया हूं,

महिला....... कौन है, ये

सुशील........ जी, हमारी दोस्त है,

महिला.......अच्छा, दोस्त, रहती कहां है, पहले कभी नहीं देखा,

सुशील.......जी, हमारे साथ रहती है,

महिला........ अच्छा, आपके साथ, ओ.................

"डाक्टर को दिखाने के बाद, अनु और सुशील जी अपने Happy Home चले आते है"

दूसरे दिन सुबह-सुबह अनु उठती है तो दरवाजा खोलते ही जो नजारा देखती है, उससे वो डर जाती है, लगभग 30-35 गाँव वाले सामने खड़े थे,

गांव वाले........ अच्छा, तुम ही हो वो, जो दो गैर पुरुषों के साथ, एक ही कमरे में रहती हो, कहां है वो दोनों

                   उनके भी दर्शन हो जाती, कितनी बेर्शम हो,

“गांववालों के शोर-गुल से सुशील और मोहित भी जाग जाते और बाहर आते है, एक तरफ ये चारों दोस्त (सुशील, मोहित, बिल्ली और अनु) खड़े है, दूसरी तरफ 30-35 गांव वाले, गांववालों के सवाल-पर-सवाल, सुशील और मोहित उनके गंदे-गंदे सवालों के सामने सिर छुकाए खड़े है,अनु को अपने कारण अपने दोस्तों का अपमान सहन नहीं होता है वह रो पड़ती है”

सुशील........ हम सब दोस्त है,

गांववाले...... मास्टर जी, आपसे ऐसी उमीद नहीं थी,

मोहित...... सच में हम सब दोस्त है,

गांववाले...... चुप रह, तू तो कुछ बोल मत, तेरे मम्मी-पापा अपना नाम नहीं दिये, दोस्त......

अनु......... कृपया, आपलोग इन्हें गलत न समझे, मेरे लिए ये दोस्त भगवान से कम नहीं है,

             कल आप में से किसी ने मुझे इनके साथ देखा तो आज सवाल करने पूरा गांव आ गया, उस

             समय आप सब कहां थे, जब मुझ बेसहारा को मेरे ससुराल वाले जिंदा जला रहे थे, मैं तो यहां

              तीन महीना से रह रही हूं, अगर इन्होंने मुझे अपने यहां शरण नहीं दी होती तो मैं आज जिंदा

              नहीं होती, साथ में मेरे गर्भ की मेरी बेटी भी इस दुनियां में आने से पहले मर चुकी होती,

गांववाले....तुम्हारा अपना कोई नहीं जो दो गैर मर्द के साथ एक कमरे में रह रही हो, समाज इसे गंदी

              नजर से ही देखेगा,

अनु...... अपना बोलने वाले, पति देव की 4 महीने पहने मृत्यु हो चुकी है, ससुरालवालों के लिए बोझ हूं,

           मायके में बेजारी बुढ़ी माँ, जो खुद का गुजारा नहीं कर पाती, मैं उन पर बोझ नहीं बन सकती,

           आप सब में से कोई मुझे अपने घर में शरण दे तो मैं आपके साथ चलने को तैयार हूं,

चारों ओर खामोशी………………………………………………………

अनु....... कोई नहीं है ना, इस दुखियारी के लिए, अब आप सब ही बोले, इस आठ माह के गर्भ अवस्था में

           मैं कहां जाऊं,

गांववाले...... ठीक है, तुम यही रहो, पर जब लोग इनसे तुम्हारा रिश्ता क्या है पूछेगें तब.......

अनु............" रिश्ता" आप सब मुझे किसी रिश्ते में ना बांधे, रिश्तों का सावर्थोंपन मैं बहुत नजदीक से

                 देख चुकी हूं,

सुशील....... हम सब दोस्त है, किसी को किसी के साथ कोई स्वार्थ नहीं, हम सब निस्वार्थ एक-दूसरे के

              लिए जो कर सकते है, वो करते है,

गांववाले....... तुम्हारी बेटी के साथ, इनका क्या रिश्ता होगा, वो इन्हें क्या बोलेगी,

सुशील......... दोस्त,(वो भी हमारी दोस्त होगी)

मोहित....... हम भी उस प्यारी सी गुडियाँ के दोस्त होगे,

सुशील......... हम चारों दोस्त में एक नये दोस्त का आगमन होने वाला है, हम सब बहुत खुश है,

“  गांव का मुखिया.......चलों भाई, हम सब चले, आज-तक बहुत से परिवार देखे, पर ऐसा अनोखा परिवार नहीं देखा, जहां किसी के साथ, किसी का कोई रिश्ता नहीं, फिर भी खुशहाल परिवार है, सच में Friendship is greater than Relationship”

                                            

                                                   Rita Gupta.